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विज्ञप्ति वीर (व्यंग्य)

विज्ञप्ति वीर
भारत वीरों की धरती है । यहॉं सच्चे सपूत पहले सर कटा कर ,कालांतर में उंगली कटा कर शहादत देते रहे है । अब आपके हमारे आस-पास वीरों की एक नई ही फसल लहलहाने लगी है । ये है प्रचार वीर ,वो भी कुछ किए बिना । ऐसे वीर को विज्ञप्ति वीर कहा जाता है। हालाकि वीरों की इस प्रजाति पर अभी शोध की आवश्यकता है । सामान्य रुप से इन में भी बहुत से वाद अपवादों के साथ ही साथ वर्गीकरण मौजूद है । ऐसे विज्ञप्ति वीरों के स्थानीय पत्रकारों और संपादकों से इतने प्रगाढ़ सम्बन्ध होते है कि वे अक्सर देर रात किसी ढाबे पर हमप्याला दिखाई दे जाते है । इन विज्ञप्ति वीरों में खास और आम सभी वर्ग के लोग सम्मिलित पाए जाते है । बड़े नेताओं की तो छोड़ ही दीजिए ,उनकी रोजी-रोटी का तो जरिया ही विज्ञप्ति है । छोटे नेता,कर्मचारी नेता , अधिकारी, निठल्ले व्यापारी और तो और बहुत से बेरोजगारी भी विज्ञप्ति वीरों में शामिल है । कुछ बड़ें और प्रसिद्ध नेता, समाज सेवक और अधिकारी जो पहले विज्ञप्तियाँ बॉटते-बॉटते इस हैसियत को प्राप्त कर चुके है कि वे आज पत्रकार वार्ता आयोजित कर सकें ; अब गाहे बगाहे पत्रकार वार्ता के द्वारा विज्ञप्तियों का आदान- प्रदान करते है । इन्हीं में से कुछ लोग छोटे-छोटे मुद्दों पर अपनी राय फोन और चमचों के द्वारा जारी विज्ञप्तियों के माध्यम से सुर्खियों में बने रहने का प्रयास करते है।
कुछ नीचे के स्तर पर अनेक लोग अपने थैलों और जेबों में विज्ञप्तियॉं लिए घूमते रहते है । ऐसे लोग अपने आस-पास छोटी - बड़ी बैठकों,कार्यक्रमों और धरना प्रदर्शनों में बुलाने पर या बिना बुलाए भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराते रहते है । उनका प्रयास होता है कि उक्त कार्यक्रम की विज्ञप्ति में उनका नाम अंत में ही सही ‘‘कार्यक्रम मे......... भी उपस्थित रहे ...’’या ‘‘ ......ने कार्यक्रम में सहयोग प्रदान किया ....’’जैसी पंक्तियों में अवश्य ही छप जाए । वे इसके लिए सारी जोड़-तोड़ करते है । आयोजन के दौरान चार बार आयोजक से मिलते है , विज्ञप्ति लिखने वाले सज्जन को पान खिलाते है और फिर भी यदि नाम शामिल न हुआ तो समाचार पत्रों के दफ्तरों में जा कर जुड़वाने का प्रयास करते है । तब आप उनका नाम दूसरे दिन के समाचार में देख और सुन पाते है । वैसे देखा जाए तो उनका यह प्रयास किसी परम वीर योद्धा से कम तो नहीं लगता है ।
हमारे एक विज्ञप्ति वीर को कैमरे के कोणों का विशद ज्ञान है । वे हमेशा ही किसी भी आयोजन में ऐसे स्थान पर पाए जाते है जहाँ पत्र,पत्रिका या चैनल का कैमरा उन्हें देख ही ले । वैसे कभी -कभी ऐसा स्थान ग्रहण करने के लिए वे धक्का-मुक्की या गाली-गलौज जैसे प्रभावशाली शस्त्रों का प्रयोग करते हुए भी देखे जाते है । उनका शस्त्र प्रयोग समाचारों में हो या न हो पर अस्त-व्यस्त अवस्था में फटे कपड़ों के साथ प्रमुख व्यक्तियों के पीछे सप्रयास मुस्कुराते हुए अवश्य ही वे दिख जाते है । उन्हें इस तरह की घटनाओं से और अधिक सक्रिय बने रहने की प्रेरणा ही मिलती है ।
वैसे विज्ञप्ति वीरों के लिए यह भी आवश्यक नहीं की कोई बड़ा आयोजन ही हो ; वे तो रास्ता चलते ही समाचार गढते रहते है । एक मोहतरमा के गलत तरह से गाड़ी चलाने से एक युवक सड़क पर गिर पड़ा । मोहतरमा ने केवल उसे अपनी बोतल से पानी पिला दिया । बस साहब स्वयम् जारी करवाई गई विज्ञप्तियों के माध्यम से उनकी तारीफों के पुल बांधे गए और वे समाज सेवी हो गई । एक विज्ञप्ति वीर ने स्थानीय समाचार पत्र को फोन घन घनाया कि उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई है। दूसरी तरफ पत्रकार मजा लेने के मूड़ में था बोला ‘‘ विज्ञप्ति भेज दो छाप देगें ।’’ दूसरे दिन के अखबार में छपा ‘‘ लल्लन जी को पुत्ररत्न की प्रप्ति हुई ।........... इस पुनीत कार्य में पूरे मोहल्ले के लोगों ने सराहनीय सहयोग प्रदान किया ।’’ समाचार पढ़ कर लल्लन जी तो खु हुए ही मोहल्ले वालों ने भी भरपूर आनन्द प्राप्त किया ।
मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि प्रचार पाने की चाहत में कुछ लोगों को छपास रोग हो जाता है जिसके साइड इफेक्ट के रुप में वे विज्ञप्तियाँ लिखने लगते है । जो भी हो हमारे आस-पास ऐसे केमिकल लोचे के साथ अनेकों लोग घूम रहे है । वे आत्मसम्मान से जिए या न जिए समाज में सम्मान से जीते हुए दिखाई देते है । मेरा मन तो ऐसे परमप्रतापी , परमज्ञानी और सर्वव्यापी विज्ञप्ति वीरों को इन शब्दों से नमन करने को करता है

नमों नमों विज्ञप्ति वीरा ।
तुम हरो सबहीं की पीरा ।।
छपते रहना तुम को भावे
फोटो भी चहुॅं ओर दिखावे
वीड़ियो पर भी तुम छा जावे
चारों ठाव है तुम्हरी क्रीड़ा
नमों नमों विज्ञप्ति वीरा ।
तुम हरो सबहीं की पीरा ।।
जो कछु दिन छप न पावों
हो अधीर उदास कहलाओं
दूजे के कांधे तुम तोप चलाओं
छपवे को तुम बहुत अधीरा
नमों नमों विज्ञप्ति वीरा ।
तुम हरो सबहीं की पीरा ।।
जो संपादक नाम न छापे
प्रेस पर रोज ही पड़े छापे
बीबी भागे उसकी दूजा छापे
संपादक हो जाए फकीरा
नमों नमों विज्ञप्ति वीरा ।
तुम हरो सबहीं की पीरा ।।
सभी जोर से बोलो ... विज्ञप्ति वीरों की.......जय

आलोक मिश्रा "मनमौजी"
mishraalokok@gmail.com