Jindagi ke kuchh pal aise bhi - 1 books and stories free download online pdf in Hindi

जिंदगी के कुछ पल ऐसे भी - 1

Part -1

शाम का समय था और ट्वेल्थ का रिजल्ट आने वाला था शाम 4:00 बजे ट्वेल्थ का रिजल्ट आया अनु ने 85% से ट्वेल्थ पास की ,उसके गांव में उससे ज्यादा % किसी भी लड़की के नहीं बनी थी सब लोग अनु को बधाई बधाई दे रहे थे आज अन्नू के पापा बहुत खुश थे क्योंकि उनकी बेटी ने आज उनका नाम रोशन किया था फिर ऐसे ही दो-तीन दिन निकल गए फ्रेंड से बातचीत की सब आगे की प्लानिंग करने लग गए कि क्या करना है अनू कॉलेज में एडमिशन के लिए शेखावाटी आई अनु ने प्रगति गर्ल्स कॉलेज मैं एडमिशन लिया घर से ज्यादा दूर होने के कारण अनु ने हॉस्टल में रहने का फैसला किया हॉस्टल में रहने का सपना अनु का बचपन से ही था और आज उसका सपना पूरा हो रहा था एडमिशन के कुछ दिनों पश्चात अन्नू को कॉलेज से कॉल आया कॉलेज में क्लास स्टार्ट हो गए हैं तो आप आना शुरू करो तो उन्होंने दो-तीन दिन घर से जाने का फैसला किया और सोचा कि बाद में हॉस्टल में चली जाएगी फिर मंडे के दिन कॉलेज जाने के लिए रेडी हो गई मन में बहुत बेचैनी हो रही थी और सबसे ज्यादा बेचैनी तो इसलिए हो रही थी कि किसके पास कोई जानकार फ्रेंड भी नहीं था अनु ने 12th जयपुर से किया था पापा के ट्रांसफर की वजह से जयपुर से गांव में आकर रहना पड़ा था , अनु को ले जाने के लिए एक्साइटिड भी थी लेकिन थोड़ी सी नर्वस भी थी अनु को उसके पापा कॉलेज छोड़ने के लिए आए अनु को ड्रॉप करके उसके पापा घर चले गए अनु हल्के हल्के कदमों से कॉलेज की तरफ बढ़ती जा रही थी बहुत सारी लड़कियां कॉलेज आ रही थी और ग्रीन कलर की ड्रेस और दुपट्टे में लड़कियां बहुत अच्छी लग रही थी कॉलेज मैं बात तरफ बहुत बड़ा गार्डन था उसमें अलग-अलग प्रकार के पेड़ पौधे लगे हुए थे और एक कतार में अशोक के वृक्ष थे कॉलेज के दोनों तरफ गार्डन को इतने अच्छे तरीके से लगा रखे थे जो कॉलेज की शोभा बढ़ा रहे थे अनु इन सबको देखते हुए एंट्री गेट तक पहुंची तो गार्ड ने उसकी आईडी चेकिंग फिर उसको क्लासरूम बताया फिर वहां से चली गई अंदर की तरफ फिर वह गार्ड के बताइए क्लास रूम में जाकर बैठ गई मात्र काफी सारी लड़कियां बैठी थी अनु को लास्ट लास्ट की सीट मिली फिर उसके पास एक लड़की आकर बैठी फिरउसने अपने आप को इंट्रोड्यूस किया फिर थोड़ी देर में क्लास में मैडम आ गई ऐसे ही कॉलेज का पूरा दिन निकल गया अनु की नई फ्रेंड बनी थी रागिनी भी उसके पास के गांव की थी और वह भी हॉस्टल में रहने वाली थी तो दोनों की अच्छी जान पहचान हो गई थी जैसे कॉलेज लेक्चर पूरे हुए दोनों घर की तरफ निकल गए बस स्टॉप पर अनु एक लड़के से टकरा जाती है अनु लड़के को सॉरी बोलकर
उसकी तरफ बिना देखे ही आगे चली गई लड़का अनु की तरफ देख कर के कहता है कैसी लड़की है देख कर भी नहीं चल सकती है क्या, वह भी के बस मे आ जाता है भीड़ होने के कारण बस में सीट नहीं होती तो अनु भी खड़ी रहती है और वह भी पास में आकर खड़ा हो जाता है भीड़ के कारण दोनों एक दूसरे के काफी नजदीक आ जाते हैं और इस बार अनु की आंखें विनय आंखों से मिल सकती है दोनों एक दूसरे की आंखों में खो जाते हैं कंडेक्टर की आवाज से उन दोनों की तंद्रा टूटती है तो दोनों हड़बड़ा जाते हैं अन्नू साइड मैं होकर
खड़ी हो जाती है फिर दोनों एक दूसरे को चुपके चुपके देखतेे हैं थोड़ी देर में अनु रागिनी के साथ अपने स्टैंड पर उतर जाती है विनय अनु को देखता रहता है और मन ही मन सोचता है की काश इस से दोबारा मिल पाता मैं तो जानता भी नहीं फिर अपने आप को दिलासा देता हुआ बोलते हैं भगवान की मर्जी हुई तो फिर मिलेंगेे उधर अन्नू अपने घर पहुंच जाती है खुश रहती है कि आज उसका कॉलेज का पहला दिन अच्छा गया और थोड़ी देर आराम करने के बाद अपनी मॉम को थोड़ा घर का काम करवाती है फिर शाम को डिनर करने के बाद अपने रूम में सोने के लिए चली जाती है बेड पर सोते सोते पूरे दिन के बारे में सोचती है फिर उसको विनय के साथ हुई टक्कर और उसको चोरी चोरी देखने के बारेे में सोच कर अनु के चेहरे पर स्माइल आ जाती हैैैैैैैैैै और मन ही मन सोचती है की भगवान उससे फिर से मिला दे मिलने के बारे में सोचते सोचते अनु की आंख लग जाती है और वह सो जाते हैं अगले दिन फिर वह तैयार होकर कॉलेज के लिए निकल जाती है आज अनु के साथ रागिनी भी जाती है दोनों कॉलेज जाते हैं और कॉलेज पूरा होने के बाद वापस आते हैं अनु बस स्टॉप परआती है तब उसको कल वाली बात याद आती है फिर वह उदास हो जाती है फिर बस में आकर बैठ जाती है घर आ जाते लेकिन आज उसका मन थोड़ा-सा उदास रहता है अगले दिन फिर वही रूटीन रहताा है जब वह वापस घर के लिए निकल रही होती है तब उसको विनय दिखाई देता है विनय को देखकर अनु के मन को अलग ही सुकून मिलता है अनु को समझ नहीं आ रहा था कि उसके साथ यह क्या हो रहा है उधर जब विनय अनु को देखता है तो खुश हो जाता है हालांकि विनय अनु का चेहरा नहीं देख पाता है क्योंकि उसने फेस कवर कर रखा होता है और पहले दिन भी फेस कवर करके रखा था लेकिन विनय अनु को उसकी आंखों से पहचान गया था अनु बस में आकर बैठ जाती है और रागिनी भी पास में बैठ जाती है विनय अपने फ्रेंड्स के साथ बस में आ जाता है और अनु के बगल वाली सीट पर बैठ जाता है क्योंकि वह दोनों 3 सीटर पर बैठते हैं काफी देर तक दोनों कुछ नहींं बोलते हैं फिर वह अनु सेेे बोलता कि आप कौन से कॉलेज में जाते हो फिर अनु अपने कॉलेज का नाम बता देती है फिर विनय बोलता है यह तो मेरे कॉलेज के पास वाली कॉलेज ही है मैं श्रद्धानाथ कॉलेज में जाता हूं तो अब तो मिलना जुलना लगा रहेगा फिर अपना नाम बताता है हाय मैं विनय and you तब अनु ऐसे बोलती है कि सारी इनफार्मेशन आज ही ले लोगे क्या तो वह बोलता है जैसी आपकी मर्जी थोड़ा थोड़ा बता देना तब अनू बोलती है आपको बहुत जल्दी मेरे बारे में जानने की विनय चुप हो जाता है फिर मन ही मन सोचता है कि शायद कुछ ज्यादा ही बोल दिया मैंने फिर दोनों खामोश हो जाते हैं और थोड़ी देर में अनु अपने स्टैंड पर उतर जाती है और चेहरे पर हल्की सी स्माइल रहती है तो रागिनी बोलती है क्या मैडम इतनी जल्दी असर हो गया यह तो पहली मुलाकात ही है अनु बोलती है ऐसा कुछ नहीं है अनु के बारे में कोई इतनी जल्दी इतनी आसानी से नहीं जान सकता तो तू अपना दिमाग को कम ही चला ऐसी बातें करती करती दोनों अपने घर पहुंच जाती हैं अगले दिन उसके पापा बोलते हैं बेटा कल तेरे को हॉस्टल छोड़ दे फिर मुझे ड्यूटी पर भी जाना है तेरा भाई भी कर कल ही जा रहा है तो क्या सोचा है बोलो तेरे भाई को और तुम्हें साथ ही छोड़ आए फिर तेरी मॉम और मैं भी निकलते हैं झालावाड़ के लिए उन्होंने कहा जैसा आपको ठीक लगे और कॉलेज के लिए निकल गई आज उसका मन उदास था वह सोच रही थी अगर हॉस्टल गई तो वह विनय से भी नहीं मिल पाएगी वैसी सोच में बस स्टॉप पर चली जाती है और बस में बैठ जाती है और ध्यान नहीं देती है और विनय की बगल वाली सीट पर जाकर बैठ जाती है और अपनी सोच में रहती है विनय बोलता है हाय है क्या हुआ कहां गुम हो ध्यान भी नहीं देती कोई पास में कोई और भी बैठा है अनु बोलती है ऐसा कुछ नहीं वह मैं बस कुछ सोच रही थी इसलिए ध्यान नहीं गया आप पर तभी विनय बोलता है क्या सोच रही थी तो अनु बोलती है कुछ नहीं बस कल हॉस्टल में जाना है ना इसलिए मन उदास है तो विनय बोलता है कंपलसरी थोड़ी है हॉस्टल में जाना तो अनु बोलती है हां क्योंकि मॉम डैड झालावार चले जाएंगे कल और भाई भी हॉस्टल में रहता है तो रहना ही पड़ेगा मेरी
जिद थी कि मैं यहां एडमिशन लेने की हॉस्टल में तो रहना ही पड़ेगा और अब तो सुना है कि कॉलेज के हॉस्टल के रूल भी कठोर हैं विनय हां में सर हिलाता है तो विनय बोलता है यार अपना नाम तो बता दो तो अनु बोलती है खुद पता कर लो और फिर कॉलेज आ जाति है वह कॉलेज चली जाती है और विनय अपने कॉलेज चला जाता है और सोचता है कि नाम कैसे पता करें फिर उसके दिमाग में आईडिया आता है कि उसके साथ वाले लड़की से पूछना पड़ेगा कॉलेज ऑफ़ होने के बाद वह बस में आकर बैठ जाता है रोज का रूटीन हो जाता है बस मैं आकर रागिनी से पूछता है कि तेरी फ्रेंड का नाम क्या है तो बोलती है अन्नू तो अनु रागिनी की तरफ गुस्से से देखते हैं रागिनी बोलती है क्या यार नाम ही तो बताया है मैंने कौन सी तुम्हारी प्रॉपर्टीज उसके नाम कर दी है वैसे तो तुम कल हॉस्टल से जाने वाली हो तो क्या प्रॉब्लम है अनु मन ही मन विनय से प्यार करने लगती है और विनय भी अनु से प्यार करने लगता है पर दोनों एक दूसरे को नहीं बताते हैं अनु सोचती है कि मेरे से कौन प्यार कर सकता है अन्नू का रंग सावला था लेकिन फिगर मेंटेन फुल लंबाई नशीली आंखें जिन्हें देख कर कोई भी दीवाना हो जाए बस भगवान ने एक ही कमी रखी थी रंग की यही सब सोच रही थी अनु तभी विनय बोलता हैं क्या सोच रही हो कहीं मेरे बारे में तो नहीं सोच रही मुझे पता है तुम भी वही सोच रही हो जो मैं सोच रहा हूं यार मुझे नहीं पता मैं तुमसे कैसे कहूं मैंने जब से तुझे देखा है ना मैं तुझे पसंद करने लगा हूं आई थिंक पसंद से ज्यादा मैं तुमसे प्यार करता हूं और मुझे लगता है कि मेरा प्यार one-sided नहीं है आगे तुम्हारी मर्जी वैसे भी आज के बाद हम मिलने वाले नहीं सोच लो अनु ऐसे बोलती है थोड़ा टाइम चाहिए ठीक है तुम्हें जितना चाहिए उतना ले लो पर तुम्हारा कोई कांटेक्ट नंबर तो दे दो तो मुझे पता तो चले कि तुम्हारा रिप्लाई क्या है तो अनु बोलती है मैं कांटेक्ट नंबर तो नहीं दूंगी लेकिन अपनी इंस्टाग्राम आईडी जरूर बता सकती हूं तो विनय बोलता है तुम्हारी जैसी मर्जी मैं वेट करूंगा !


आगे की कहानी जानते हैं अगले पार्ट में
( मैं कोई लेखक नहीं हूं अगर कोई गलती हो तो प्लीज माफ कर देना यह मेरी स्वरचित कहानी है मैंने किसी की कहानी की चोरी नहीं की है)