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साईकिल की चेन

अजीत आज काफ़ी सालो बाद अपने शहर को लौटा था| घर पर मां- पिता से बात करते हुए उसे पता चला कि सुरभि अपने ससुराल से वापस अपने मायके आई है| सुरभि का जिक्र होते ही अजीत अपने स्कूल के दिनों के बारे में सोचने लगा|

सुरभि और अजीत दोनों एक ही क्लास के स्टूडेंट थे मगर दोनों के स्कूल अलग अलग थे | अजीत सुरभि को बहुत पसंद करता था मगर कभी कह नहीं पाया| उसे पता था कि सुरभि स्कूल के लिए ९ बजे निकलती है और वो उससे थोड़ी देर पहले ही स्कूल के लिए अपनी साइकिल से निकल जाता और रास्ते में अपनी अपनी साईकिल रोक देता है और अपनी साइकिल की चेन को निकालकर कर सही करने का दिखावा करने लगता| जब तक कि सुरभि वन्हा नहीं पहुंच जाती और उसके पूछने पर रोज यही जवाब देता को पुरानी हो गई है ना साइकिल तो साइकिल की चेन उतर जाती है| और फिर उससे पूछता कि अगर उसे कोई दिक्कत ना हो तो वो साइकिल से उसे उसके स्कूल तक छोड़ सकता है क्योंकि दोनों के स्कूल आस पास थे | सुरभि, अजीत के दिल कि बात समझती थी और रोज हामी भर देती थी| लगभग ४ सालों तक ऐसे ही ये सिलसिला चलता रहा| मगर अजीत ने उसे कभी अपने दिल कि बात नहीं बताई| क्लास १२ कि पढ़ाई खत्म करने के बाद अजीत दूसरे शहर में पढ़ाई करने चला गया और पढ़ाई करने और फिर जॉब करने में इतना मशरूफ हो गया की सुरभि उसके दिल के किसी कोने में दब के रह गई|

एक साल पहले सुरभि की शादी हो गई थी जब ये खबर अजीत को पता चली तो उसे तकलीफ़ तो हुई मगर फिर वो अपने को काम में बहुत ज्यादा मशरूफ कर लिया| और जब वो आज अपने शहर वापस आया तो सुरभि का जिक्र होने पर उसे सब कुछ फिर से याद आ गया|

अजीत स्टोर रूम में कुछ तलाश कर रहा था कि उसके पिता जी उधर पहुंचे और उनके पूछने पर अजीत ने उन्हें बताया कि वो पुरानी साइकिल ढूंढ रहा था अपनी| अगर कन्ही जाना है तो बाइक से चले जाओ अजीत के पिता ने कहा| मगर साइकिल कंहा है अजीत ने पूछा तो उसके पिता जी ने बताया की साईकिल की चेन टूट गई थी तो तबसे वो घर के छत पर पड़ी है|

वो आज उसी साइकिल पर बैठकर उसी रास्ते पर जाना चाहता था जिधर हमेशा उसकी मुलाकात सुरभि से होती थी| मगर साइकिल की चेन टूटने की बात से उसके मन में एक बात आईं क्या अब सुरभि से मिलना सही होगा| उसकी शादी हो चुकी है अगर फिर दोनों मिलते है तो ना जाने फिर आगे क्या होगा| अच्छी बात थी साइकिल की चेन टूट गई थी| अब कभी उसकी चेन सुरभि के रास्ते में नहीं उतरेगी|

जो बात उसके मन दबी हुई थी उसका दब कर रह जाना ही सही था| और यही बार अजीत को सही लगी और वो अपने घर ले छत पर पहुंचा और साइकिल की टूटी हुई चेन को अपने हाथों में लिया और चेहरे उसके थोड़ी सी मु्स्कुराहट थी | वो सोचने लगा कि इसी चेन के उतरने के बहाने वो कितनी बार सुरभि को अपनी साइकिल पर बैठा पाया था | और आज वो उसे हाथों में टूटे हुए दिल के साथ वो टूटी हुई साइकिल की चेन थी|