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पागल - 2

अध्याय 2
कॉलेज ( अवसाद )

कॉलेज
मोनू कॉलेज में था I वहां भी शरारती छात्र उसे तंग करते थे I

एक दिन जब कॉलेज की छुट्टी हुई तो कुछ लड़के उससे हाथ मिलाकर कहने लगे,

“ अरे मोनू ! घर जाने की इतनी जल्दी क्या है ? आओ खेल खेलें I”

मोनू ने सोचा वे उससे दोस्ती करना चाहते है I वह बहुत खुश होकर उनसे हाथ मिलाने लगा I

फिर एक लड़के ने कहा, “ मोनू ! तू तो बहुत अच्छा डांस करता है I हमें भी डांस बता, यार ! “

सोनू उनकी बातों में आकर सबके सामने डांस करने लगा I

बीच बीच में वे शैतान छात्र उसे कभी सर पर तो कभी पीठ पर जोर जोर से मारते जाते थे I

मोनू बहुत परेशान हो गया I

उसने पुछा, “ आप मुझे मार क्यों रहे हो ?”

“अरे, मोनू हम तुझे मार नहीं रहे हैं, हम तुझे शाबासी दे रहे हैं” I

वह उनकी बातों में आकर और अधिक जोश से डांस करने लगा I

वे उसे और जोरों से मारते I एक लड़के ने उसे लंगी मारकर गिरा दिया I

वह किसी तरह उनसे छूटकर अपने घर पहुंचा I

ऐसी घटनाएँ अनेक बार होने लगी I

उसने कॉलेज जाना छोड़ दिया I


कुछ दिन बाद मोनू फिर कॉलेज गया I

वे शैतान लड़के उससे बात करने का प्रयास करते रहे किन्तु मोनू उनसे सावधान था I

उसने उनसे किसी तरह उनसे बात नहीं की I

छुट्टी होने पर जब मोनू अपना स्कूटर लेकर निकलने लगा तो

कुछ शैतान लड़के उसे "पागल हे ! पागल हे !" कहते हुए पकड़ने दौड़े I

मोनू शीघ्रता से अपनी गाड़ी निकालकर वहाँ से भागने का प्रयास करने लगा I

उन शैतान लड़कों ने उसकी गाड़ी पीछे से कस कर पकड़ ली व उसे जोर से पीछे खींचने लगे I वे उसे सर व पीठ पर मारने लगे I

मोनू ने उनसे छूटने की बहुत कोशिश की किन्तु वे संख्या में अधिक थे I

वह अपनी गाड़ी छोड़कर यह कहते हुए वहां से भाग निकला I

वह उदास और खिन्न होकर अपने कमरे में बैठ गया I उसके आंसू बह निकले I

इतने में उसके बड़े भाई ने वहां प्रवेश किया I

मोनू को उदास होकर आंसू बहाते देख उसने पूछा, “ क्या हुआ मोनू ? क्यों रो रहा है ?”

इस पर मोनू फफक पड़ा I

उसने अपने भाई को सारी समस्या सुनाई I

उसका बड़ा भाई तेजी से उसके साथ दौड़कर कॉलेज पहुंचा किन्तु तब तक वे शैतान वहां से जा चुके थे I

उस कॉलेज का सबसे बड़ा दादा सोनू उसका मित्र था I उन दोनों ने उन शैतान लडको को सबक सिखाने के लिए एक योजना बनाई I

दो दिन की शांति के बाद मोनू कॉलेज गया I

छुट्टी होने पर वे शैतान लड़के जैसे ही उसे तंग लगे कि पास में अंनजान मुद्रा में खड़े उसके भाई व उसके मित्र ने उन शैतानो पर लात घूंसे बरसाना शुरू कर दिया I

वे सभी रहम की भीख मांगते रहे किन्तु उनकी तब तक पिटाई होती रही जब तक वे बुरी तरह घायल नहीं हो गए I

इस घटना के बाद कॉलेज के किसी छात्र को कभी मोनू से शरारत करने की हिम्मत नहीं हुई I

 

बी कॉम फाइनल की परीक्षा नजदीक थी I

शर्माजी ने अपने पुत्र मोनू से कहा,

“ बेटा, मन लगाकर पढाई करना I कहीं पिछले वर्ष की तरह थर्ड क्लास आ गया तो जिंदगी बर्बाद हो जाएगी I तृतीय श्रेणी पास को कोई नौकरी नहीं देता I इस निर्दयी दुनिया में साधारण मनुष्य की तो कोई मदद नहीं करता तब मानसिक रोगी की सहायता की उम्मीद कतई नहीं की जा सकती “ I

नरेन्द्र ने पापा को आश्वस्त करते हुए कहा,” आप बेफिक्र रहे पापा, मैंने इस बार अच्छी तैयारी की है ‘ I

जैसा कि हर वर्ष होता आया था वैसे ही परीक्षा के ठीक एक सप्ताह पूर्व मोनू गंभीर रूप से बीमार हो गया I

उसे तेज बुखार हो गया था I उसे अस्पताल में भर्ती करना पड़ा I

शर्माजी ने डॉक्टर से कहा, “ डॉक्टर साहब मोनू की सात दिन बाद परीक्षा है I कृपया इसे परीक्षा के पूर्व स्वस्थ कर दीजिये अन्यथा उसका ऐक वर्ष बेकार हो जाएगा I”

डॉक्टर ने उन्हें परीक्षा के पूर्व स्वस्थ कर देने का आश्वासन दिया I

परीक्षा के दो दिन पूर्व उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई I

परीक्षा प्रारंभ होगई I

उसके सहपाठी रोज रात देर तक जाग कर जाने कहाँ से परचा आउट करके ला रहे थे I

किन्तु मोनू न ओ परचा आउट कर पा रहा था न दूसरों की तरह नक़ल की पर्चियां बना रहा था I

इस सबके बावजूद उसके आसपास बैठे वे शरारती लड़के जिन्होंने कॉलेज में उसे हमेशा तंग किया ;

उसकी कॉपी से नक़ल कर रहे थे I

परीक्षा का परिणाम खुला और जिसका अंदेशा था वही हुआ, मोनू थर्ड डिवीज़न में पास हुआ I

उसका सेकंड क्लास एक नम्बर से रह गया I

 

एक दिन यूनिवर्सिटी में परीक्षा विभाग में पदस्थ वर्माजी मोनू के घर आए I

वे उसके पापा के मित्र थे I

शर्माजी ने उन्हें मोनू की समस्या बताई, “ वर्माजी मोनू का केरियर थर्ड डिवीज़न के कारण बर्बाद हो गया है I

वर्माजी ने कहा, “ शर्माजी ! आप बेफिक्र रहो, हम मोनू की आंसर शीट का फिर से पुनर्मूल्यांकन करवाकर उसे सेकंड डिवीज़न दिलवा देंगे I”

इस पर शर्माजी ने कहा, “ इसके लिए हमें क्या करना होगा ?”

“आपको हमें सिर्फ तीस हजार रुपये देने होंगे “, वे कहने लगे I

शर्माजी को बहुत बुरा लगा I

उन्होंने कहा “ वर्माजी आप तो हमारे दोस्त हो, फिर भी रुपये लगेंगे ?”

उन्होंने कहा, “ ऑफिस में अनेक जगह पैसा बँटता है I पैसे के बिना काम नहीं हो पाएगा I”

शर्माजी ने रुपये देने से इंकार कर दिया I

मोनू जीवन भर थर्ड क्लास का तमगा लगाए रखने को मजबूर हो गया I

 

पागल 1

रवि मुंबई में रहता था I वह मानसिक रूप से विक्षिप्त था I उसके पिता एक बहुत अमीर आदमी थे I

रवि उनकी एकमात्र औलाद था I पिता ने अपने पुत्र का काफी इलाज कराया I उन्होंने झाडफूंक, भूतपलीत आदि सब उपाय कराये, किन्तु रवि को कोई फायदा नहीं हुआ I तब उनके रिश्तेदारों ने कहा कि यदि रवि का विवाह कर दिया जाए तो पत्नी व बच्चों का प्यार पाने के बाद वह सुधर सकता है I

अतः उसके पिता ने मुंबई से बहुत दूर इंदौर में एक सुन्दर कन्या से उसका विवाह कर दिया I

किन्तु रवि के व्यवहार व बीमारी में रंच मात्र भी सुधार नहीं आया I

रवि सड़क पर नाचता गाता था । बच्चे उसे चिढ़ाते । वे उसकी नकल करते । कुछ युवक उसकी पीठ पर मार कर “ पागल हे”, “पागल हे” कहते हुए भागते I रवि उनके पीछे दौड़ लगाता किन्तु तभी कोई अन्य लड़का उसके कपड़े खींचकर भागता I वे सभी उसे तरह तरह से चिढाते I

रवि उन्हे पकड़ने के लिए उनके पीछे दौड़ता । कुछ लड़के उस पर पत्थर फेंकते, कोई अन्य लडका उसके सर पर जोरों से मारता । रवि भी उन पर पत्थर फेंकता I शैतान बच्चों और युवकों के लिए वह ऐक तमाशा था ।

अनेक बार वह बिना बताए कहीं अनजान जगह निकल जाता व बहुत ढूंढने पर कहीं किसी सुनसान जगह बेहोंश घायल अवस्था में मिलता I

उसकी माँ उससे कहती, “ बेटा ! यह दुनिया बड़ी जालिम है I दुनिया वालों को सबसे अधिक सुख बेबस दीन हींन लोगों को सताने में मिलता है I तू किसी भी सूरत में बाहर मत निकला कर” I

किन्तु रवि दो तीन दिन बाद फिर चुपके से सड़क पर बाहर आ जाता और घर से दूर निकल जाता I “

समाज में अनेक लोगो के मन में एक बेबस पागल के प्रति सहानुभूति व दया के बजाय क्रूरता व हिंसा से मनोरंजन प्राप्त करने की भावना भरी हुई है I समाज में बचपन से ही बच्चों के मन में दूसरों पर हिंसा करके सुख प्राप्त करने के बीज ज्ञात अज्ञात रूप से बो दिए जाते हैं I

पड़ोस में ही विजय का एक काका रहता था । वह एक कुरूप इंसान था किन्तु वह बैंक मेनेजर था । उसके कोई संतान नहीं थी । उधर रवि की पत्नि लीला व उसके काका के बीच रोमांस चल रहा था I लीला ने अपना सब कुछ काका को समर्पित कर दिया ।

कुछ समय बाद रवि घर से गायब हो गया । उसकी बहुत खोज की गई किन्तु उसका कोई पता नही चला । अनेक लोग कानाफूसी करते थे कि काका ने उसे ऐसी जगह छुडवा दिया जहां से वह कभी लौट न सके ।