Insaaniyat - EK dharm - 35 books and stories free download online pdf in Hindi इंसानियत - एक धर्म - 35 (4) 1.3k 4.8k असलम का इशारा पाकर रजिया घर में चली गयी थी । असलम ने क्रोध से दहकते हुए बांगी साहब से मुखातिब होते हुए अपना कहना जारी रखा ” बांगी साहब ! दुनियावी लोगों को इस्लाम का सबक सिखाने के बाद हजरत मोहम्मद साहब ने अपने शागिर्दों व इस्लाम व अल्लाह में ईमान लानेवाले मोमिनों को जीने के कुछ सलीके बताये जिसे हदीस कहा जाता है । इसमें मोमिनों को अपने ईमान और आमाल के बारे में विस्तार से बताया गया है । इन्हीं हदीसों में जिहाद का भी जिक्र है लेकिन इसमें जिहाद के मायने वह नहीं लिखा है जो आप और वो पाकिस्तानी आतंकी मुल्ले बताते हैं । इसमें साफ साफ लिखा गया है ‘ ऐ ईमानवालों ! तुम्हें अपने इर्दगिर्द जो भी बुराई दिखे , अगर कोई बंदा खुदा की राह से भटकता हुआ नजर आए , किसी के आमाल गलत हों तो उसे सबसे पहले खुदा की शान से वाकिफ कराओ । उसे नमाज पढ़ने का न्यौता दो और अगर वह फिर भी अपनी खता को दुरुस्त नहीं कर पाता उसे ख़ुदा का वास्ता दो । इस तरह से अगर कोई इंसान समाज को सुधारने की जद्दोजहद कर रहा है तो उसे कहते हैं जिहाद । कोई इंसान अपने नफ्ज (इंद्रियों ) को अपने काबू में करने की कोशिश करता है सही रास्ते पर आने के लिए तो उसे कहते हैं जिहाद । अगर कोई सिपाही जंग के मैदान में अपने आपको बचाने की जद्दोजहद कर रहा है तो उसे कहते हैं जिहाद । अगर कोई इंसान जुल्म के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करता है तो उसे कहते हैं जिहाद । जिहाद के मायने है जद्दोजहद सिर्फ जद्दोजहद वो भी बुराई से उबरने की , अल्लाह के नेक बंदों की मदद करने की और अल्लाह तआला फ़र्माते है सुरह अनफ़ाल सु. ८ : आ. ६० में कि “जो लोग हक के खिलाफ़ है उनके दिल में मुसलमानों को दहशत पैदा करनी चाहिये”। एक मासुम के दिल मे कभी भी दहशत पैदा नही करनी चाहिये उसे उनके दिल में दहशत पैदा करनी चाहिये जो खुसुसन हक के खिलाफ़ हैं, समाज के खिलाफ़ हैं, इन्सानियत के खिलाफ़ है ।इस लफ़्ज़ को लेकर सबसे ज़्यादा गलतफ़हमियां है और ये गलतफ़हमियां गैर-मुस्लिमों के बीच ही नही, मुसलमानों के बीच मे भी है। एक आम बात जो लोगों के दिलोदिमाग में गहरे बैठ गयी है वो ये है कि अगर कोई भी जंग कोई भी मुस्लमान लड रहा है तो उसे कहते है “जिहाद”। इसे “जिहाद” नही कहते । इस लफ्ज को लेकर सबसे ज्यादा गलतफ़हमियाँ हैं और बदकिस्मती देखो कि ये गलतफहमियां सिर्फ गैर मुस्लिमों में ही नहीं ,मुस्लिमों में भी है ।अकसर गैर-मुस्लिम इस लफ़्ज़ “जिहाद” का तर्जुमा अंग्रेज़ीं मे करते है “होली वार” “HOLY WAR” “पाक जंग” “जंगे मुक्द्द्स”।सैकडों साल पहले जब ईसाई ताकत के बल के ऊपर अपना धर्म फ़ैला रहे थे तो उसे कहते थे “होली वार”। अफ़सोस की बात है की वही नाम आज मुसलमानों के लिये इस्तेमाल होता है और बहुत अफ़सोस की बात है कुछ आप जैसे मुस्लिम उलमा जो अपने आपको आलिम कहते है वो भी “जिहाद” का तर्जुमा अंग्रेज़ी में “होली वार” करते है। ”अब तक शांति से उसकी बात सुन रहे रहमान चाचा ने असलम के कंधे पर हाथ रखा और उसे धीमे से थपकते हुए बोले ” असलम बेटा ! तू नए जमाने का लड़का है । माना कि तुझे सारी बातों का इल्म है । लेकिन हमने भी अपने बाल धूप में नहीं सफेद किये हैं । इन्हीं मौलानाओं ,आलिमों व इस्लाम के झंडाबरदारों से ही आज इस्लाम यहां अपने देश में हिफाजत से है । इन लोगों की दी हुई तालीम की बदौलत आज हम सब एक हैं और मजबूत हैं । अब यह मत कहना कि यह सब भी बकवास है । ”असलम धीरे से मुस्कराया ” सही कह रहे हैं आप रहमान चाचा ! सचमुच एकता में बड़ी ताकत होती है इससे मुझे तो क्या किसी को भी इंकार न होगा । लेकिन यहां अगर हमारे बीच कोई फरक है तो वह है नजरिये का । अपना अपना नजरिया है । आप और बांगी साहब यह समझते हैं कि इस्लाम के नाम पर हम एक होकर रहें ताकि मजबूत रहें , लेकिन मेरा नजरिया जरा अलाहिदा है । मैं चाहता हूं कि न सिर्फ मुस्लिमभाई बल्कि हमारे सारे देशवासी ,सभी समाज के लोग , सभी राज्य व अलग अलग भाषा बोलनेवाले लोग सिर्फ और सिर्फ हिंदुस्तानी होने के नाम पर और इंसानियत के मजहब की खातिर एक होकर रहें । बस ! यही फर्क है मेरे और आपके नजरिये में । और इस लिहाज से मैंने जो भी किया सही किया । मैंने उस मजलूम औरत की इज्जत नहीं बचाई , बल्कि इंसानियत को शर्मसार होने से बचा लिया है । ”” और इस्लाम को रुसवा कर दिया है ,यह क्यों नहीं कहता ? “बांगी साहब बीच में ही चीख पड़े थे ।” बांगी साहब ! चिखिये चिल्लाईये मत ! मुझे आपकी फिक्र है । कहीं आपकी तबियत न नासाज हो जाये । जरा दिमाग पर जोर डालिये और सोचिए कि क्या मैंने वाकई इस्लाम को शर्मसार कर दिया है ? ” असलम ने शांति से उन्हें समझाना चाहा था । लेकिन बांगी साहब कहाँ खामोश रहते ” तुझे अभी भी इल्म नहीं है बदजात लड़के कि तूने क्या कुफ्र किया है । तौबा करने की बजाय खुद को सही साबित करने की नाकाम कोशिश किये जा रहा है और सबसे बड़ी बात है कि तुझे तमीज नहीं है कि बड़ों से किस अदब से पेश आया जाता है । अगर तुझे तमीज होती तो अपने अब्बा की उम्र के रहमान भाई से और मुझसे यूँ जबान न लड़ाता । एक काफ़िर लड़की के लिए तूने अपनी ही कौम के एक मासूम और परवरदिगार में यकीन रखनेवाले खुदा के एक नेक बंदे को बड़ी ही बेरहमी से हलाक कर दिया और दुहाई दे रहा है इंसानियत की । क्या तुझे इन काफिरों की इंसानियत के किस्से का जरा भी इल्म नहीं है जो आये दिन अखबारों की सुर्खियां बनते रहती हैं ? अखबारों में आये दिन खबरें आते रहती हैं कि इन इंसानियत के पुजारियों ने कहीं किसी अखलाक को तो कभी कहीं किसी गाड़ी के ड्राइवर को सिर्फ शक की बिना पर पीट पीट कर मार डाला । क्या यही है इंसानियत ? और तू नाशुक्रे उन काफिरों की तरफदारी कर रहा है । ” बांगी साहब अब खासे उत्तेजित हो गए थे । ‹ Previous Chapterइंसानियत - एक धर्म - 34 › Next Chapterइंसानियत - एक धर्म - 36 Download Our App More Interesting Options Hindi Short Stories Hindi Spiritual Stories Hindi Fiction Stories Hindi Motivational Stories Hindi Classic Stories Hindi Children Stories Hindi Comedy stories Hindi Magazine Hindi Poems Hindi Travel stories Hindi Women Focused Hindi Drama Hindi Love Stories Hindi Detective stories Hindi Moral Stories Hindi Adventure Stories Hindi Human Science Hindi Philosophy Hindi Health Hindi Biography Hindi Cooking Recipe Hindi Letter Hindi Horror Stories Hindi Film Reviews Hindi Mythological Stories Hindi Book Reviews Hindi Thriller Hindi Science-Fiction Hindi Business Hindi Sports Hindi Animals Hindi Astrology Hindi Science Hindi Anything राज कुमार कांदु Follow Novel by राज कुमार कांदु in Hindi Fiction Stories Total Episodes : 49 Share NEW REALESED Thriller दिव्य अर्धराक्षस - 3 Shailesh Chaudhari Moral Stories शोहरत का घमंड - 58 shama parveen Fiction Stories फादर्स डे - 54 Praful Shah Love Stories अधूरा अहसास.. - 2 Rahul Moral Stories सर्कस - 7 Madhavi Marathe Women Focused लागा चुनरी में दाग--भाग(४) Saroj Verma Biography गोमती, तुम बहती रहना - 1 Prafulla Kumar Tripathi Horror Stories द्रोहकाल जाग उठा शैतान - 27 Jaydeep Jhomte Anything काश कोई तो अपना होता दिनेश कुमार कीर Mythological Stories जनमेजय Renu