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प्रेम का बंधन

प्रेम का बंधन

अमेरिका के न्यूजर्सी शहर में राजीव अपनी पत्नी मोनिका, दो बच्चों राहुल 12 वर्ष और रंजीता 08 वर्ष के साथ रहकर स्वयं का व्यवसाय संभालता था। एक दिन अचानक ही उसने अपनी पत्नी को कहा कि उसे एक अमेरिकन लडकी से प्रेम हो गया है और वह उससे विवाह करना चाहता है। यह सुनकर मोनिका के दिल को बहुत ठेस पहुँची और वह समझ नही पायी कि इतने वर्षों तक साथ रहने के बाद उसके पूर्ण समर्पण, श्रद्धा एवं विश्वास को नजरअंदाज करके उसका पति उसे छोडना चाहता है।

मोनिका ने बहुत गंभीर होकर कहा कि तुम मुझे छोडना चाहते हो तो छोड सकते हो, मैं इसे सहर्ष स्वीकार कर लूँगी परंतु मेरी एक प्रार्थना है कि मुझे दो माह का समय देकर मेरी दो अभिलाषाएँ पूर्ण कर दो तो मैं संतुष्ट हो जाऊँगी। मैं चाहती हूँ कि इन दो माहों में तुम अपनी दिनचर्या बदलकर प्रतिदिन नाश्ता बनाने में मुझे सहयोग दो, दूसरा बच्चों को स्कूल छोडने के लिये मेरे साथ चलो और छोडते वक्त उन्हें प्यार व स्नेह से विदा करो। राजीव ने सोचा कि यह तो बहुत साधारण बात है और इन्हें पूरा करके यदि उसकी पत्नी संतुष्ट हो जाती है तो उसे कोई परेशानी नही होगी और उसने अपनी स्वीकृति दे दी।

अब प्रतिदिन की यह दिनचर्या प्रारंभ हो गई। दो माह की अवधि पूर्ण होने के कुछ दिन पहले राजीव सोच रहा था कि वह अपनी पत्नी जो कि उसके प्रति पूर्ण रूप से समर्पित है को छोडकर नई लडकी के साथ विवाह करना,क्या उचित है ? मोनिका में कोई बुराई नही है। हम इतने वर्षों से साथ साथ प्रेमपूर्वक रह रहे है। इस बात का क्या भरोसा है कि पुनर्विवाह सफल होगा। उसे मोनिका के साथ बिताए पुराने दिनों की घटनायें याद आने लगी और अंततः वह इस निर्णय पर पहुँच गया कि उसका पुनर्विवाह करने का निर्णय गलत है और उसने अब मन में दृढ निश्चय कर लिया कि वह मोनिका के साथ ही रहेगा और स्वयं के द्वारा किये गये दुर्व्यवहार के लिए माफी माँगेगा।

राजीव खुशी खुशी एक बडा सा गुलदस्ता और एक हीरे का हार खरीदकर घर की ओर निकल पडता है। वह रास्ते भर प्रसन्नतानपूर्वक यह सोचता रहता है कि उसके इस निर्णय से मोनिका बहुत खुश होगी। राजीव घर पहुँचने पर एंबुलेंस को खडी देखता है तो आश्चर्यचकित होकर घर में प्रवेश करता है, जहाँ पर वह अपनी पत्नी को मृत अवस्था में देखकर स्तब्ध रह जाता है। तभी उसके पास बैठा डाक्टर उसे मोनिका का लिखा हुआ सीलबंद पत्र देता है।

राजीव उसे खोलकर पढता है कि प्रिय राजीव मैंने तुमसे तलाक के लिए दो माह का समय माँगते हुए शर्ते रखी थी आज तुम्हें बता रही हूँ कि ऐसा मैंने क्यों किया था। ऐसा इसलिये किया कि मैं चाहती थी कि मेरे बच्चों को यह महसूस हो सके कि तुम उन्हें बहुत चाहते हो और वे भी तुम्हारे प्रति आदर रखते हुए अपना जीवन व्यतीत करे। मुझे डाक्टर ने बता दिया था कि मैं ब्लड कैंसर की तीसरी अवस्था से पीडित हूँ और मेरा अधिकतम जीवन सिर्फ दो माह का ही बचा है ।

मैं तुम्हें यह बात उसी दिन बताना चाहती थी जिस दिन तुमने मुझे छोडने की बात की थी परंतु तुम्हारे विचार सुनकर तुम्हें यह बताना उचित नही समझा और मैं चुप रही। अगर उस वक्त बच्चों को यह बात पता हो जाती कि तुम मुझे तलाक देना चाहते तो उन पर उस का बहुत बुरा प्रभाव पडता और वे जीवन भर तुमसे नफरत करते। मैंने दो माह का समय इसलिये माँगा था ताकि तुम्हारा और बच्चों का एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव बना रहे। तुम्हारे इस व्यवहार से मेरे जाने के बाद भी बच्चों के मन में तुम्हारे प्रति पे्रम रहेगा और उन्हें यही मन में लगेगा कि मेरी मृत्यु हो जाने के कारण तुमने दूसरा विवाह किया और तुम्हारी दूसरी पत्नी को वे अपनी माँ के रूप में स्वीकार कर लेंगें। मैं आज भी तुम्हारे प्रति सम्मान, श्रद्धा और प्रेम रखती हूँ।

पत्र पढकर राजीव स्तब्ध रह जाता है और उसके पैरों तले जमीन खिसक जाती है, उसके हाथ से फूलों का गुलदस्ता जमीन पर गिरकर बिखर जाता है। वह पश्चाताप के कारण फूट फूट कर रोने लगता है। इस गहन सदमे के कारण वह दूसरा विवाह न करने का निर्णय लेकर बच्चों का प्यार और स्नेह से पालन पोषण करने लगता है।