Royal flat rahasy - 4 books and stories free download online pdf in Hindi

रॉयल फ्लैट रहस्य - 4

आधे घंटे बाद ही रमाकांत के घर सामने गाड़ी को राघव ने रोका । घड़ी में उस समय शाम के छह बजे हैं ।
शाम के बाजार धीरे - धीरे बढ़ रहे हैं रास्ते पर लोगों के भीड़ भी बढ़ने लगा है ।
गौरव गाड़ी से उतरकर घर की तरफ बढ़ा , घर के सामने पार्किंग जोन न रहने के कारण राघव गाड़ी को स्टार्ट करके आगे बढ़ा ।
घर के कॉलिंग को बजाने की जरूरत नही हुई क्योंकि सामने के गेट को खोलते ही दरवाजे से किसी ने झांका ।
गौरव बोल पड़ा – " रमाकांत जी हैं ? "
जो आदमी झांक रहा था वह गौरव के बात को सुन घर से निकल आया और बोला –" हाँ मैं ही रमाकांत हूँ । क्या काम है बताइए ? "
इसी समय गेट से अंदर राघव भी आया ।
गौरव ने उत्तर दिया – " हम डिटेक्टिव एजेंसी से आए हैं । सिटी लाइब्रेरी के पास वाला रॉयल फ्लैट क्या आपके अंडर में ही कंस्ट्रक्शन किया गया था ? "
रमाकांत का चेहरा ऐसे परिवर्तित हुए मानो उन्होंने रॉयल फ्लैट का नाम वह पहली बार सुना है और बोले –
" रॉयल फ्लैट नही तो इस नाम के किसी फ्लैट के कंस्ट्रक्शन का काम मैंने नही किया है और वैसे भी मैं नौ - दस सालों से इस कंस्ट्रक्शन के काम को कर रहा हूँ । दस - पंद्रह साल पहले के किसी फ्लैट का डील मेरे पास कैसे हो सकता है । "
बात को सुनकर गौरव के चेहरे पर एक टेढ़ी हंसी आ गई –
" चल राघव यहां पर हमारा और कोई काम नही है । "
घर के सामने से ही दोनों लौटने लगे । पार्किंग जोन न रहने के कारण रमाकांत के घर से कुछ दूरी पर गाड़ी को खड़ा करना पड़ा था ।
रास्ते से चलते - चलते राघव बोला – " ऐसा आदमी मैंने पहले नही देखा । इतनी देर हम खड़े रहे फिर भी एक बार घर के अंदर आने को नही कहा । " " अरे राघव डिटेक्टिव एजेंसी के नाम को सुनकर ही वो डर गए । "

" चलो छोड़ो , मतलब अब चंद्रभान के पास जाने पर रॉयल फ्लैट के बारे में जाना जा सकता है । "
गौरव के चेहरे पर फिर वह टेढ़ी हंसी आ गई ।
राघव बोला – " क्या हुआ गौरव भैया हँस क्यों रहे हो ? "
" हँस इसलिए रहा हूँ क्योंकि तुमने रमाकांत के बातों को
ठीक से ध्यान नही दिया । "
" मतलब "
" मतलब चंद्रभान तिवारी शायद इस फ्लैट के बारे में ज्यादा नही जानता । "
" तब हम उनके घर क्यों जा रहे हैं ? "
" क्योंकि रमाकांत खुद से उस फ्लैट के बारे में कुछ नही बोलेंगे । "
" क्यों गौरव भैया ? "
" रमाकांत के बातों को ध्यान से याद करो । उन्होंने स्वयं कहा दस - पन्द्रहसाल पुराने किसी फ्लैट का डील उनके पास नही है लेकिन हमने तो उन्हें नही बताया कि रॉयल फ्लैट 11 साल पुराना है इसीलिए रॉयल फ्लैट के बारे में वह बहुत कुछ जानते हैं । "
" तब तो अभी जाकर उनके खिलाफ कुछ एक्शन लेना चाहिए । "
" नही अभी नही , उनके खिलाफ कुछ जोरदार सबूत हमारे पास नही है । देखते हैं इस बारे में चंद्रभान जी क्या कहतें हैं । "

चंद्रभान तिवारी के घर को खोजने में राघव को कुछ परेशानी हुई क्योंकि इस बार गूगल मैप ने ज्यादा साथ नही दिया । इसके अलावा रास्ते पर जाम की वजह से जब चंद्रभान के घर पहुँचे तब घड़ी में रात के दस बज रहें हैं ।
चंद्रभान तिवारी शायद डिनर खत्म कर सो गए थे , घर के सामने गाड़ी के आवाज से उनकीनींद टूट गई । उसके बाद कॉलिंग बेल के आवाज को सुनकर जल्दी से बाहर निकलकर देखा 25 -30 साल के दो युवक बाहर प्रतीक्षा कर रहे हैं ।
उन्होंने कहा – " आप कौन है ? इतनी रात को क्या
काम है ? "
गौरव ने विनम्र स्वर में उत्तर दिया – " हमें माफ कीजिए ,
असल में एक हत्या की जांच के लिए आपके नींद को डिस्टर्ब करना पड़ा । "
" हत्या की जांच, आप पुलिस हैं ?"
राघव धीरे से हँसकर बोला – " आपको लगता है कोई पुलिस मेहनत कर इतने रात को आपके घर आकर हत्या के बारे में जांच करेगा । हम प्राइवेट डिटेक्टिव एजेंसी से हैं । "
" राघव चुप रहो मैं बात कर रहा हूँ । "
राघव चुप हो गया गौरव बोलता रहा – " आपका नाम ही चंद्रभान तिवारी है ? "
" हाँ , क्या जानना चाहते हैं बताइए आप ? आप दोनों घर के अंदर आइए । "
" नही अभी घर के अंदर अभी नही जाऊंगा । आप बस इतना बताइए सिटी लाइब्रेरी के पास जो पुराना फ्लैट है उसके कंस्ट्रक्शन का काम क्या आपने ही किया था ? "
चंद्रभान जी के माथे पर चिंता की रेखा दिखी –
" सिटी लाइब्रेरी के पास फ्लैट , अच्छा क्या आप रॉयल फ्लैट के बारे में बात कर रहें हैं ? "
" हां , हां रॉयल फ्लैट । " उत्तेजित होकर बोला गौरव ।
" नही उसके काम को मैंने नही किया लेकिन डील पहले मेरे पास ही आई थी लेकिन काम को शुरू करने से पहले ही एक इन्डस्ट्रीअलिस्ट ने दुगुने दाम से मेरे डील को खरीद लिया था । "
" इन्डस्ट्रीअलिस्ट , उनका कोई डिटेल है आपके पास ।"
" हां शायद है । आप कुछ देर रुकिए । "
दरवाजे को खुला छोड़कर ही जल्दी से घर के अंदर गए चंद्रभान जी , गौरव और राघव घर के बाहर ही प्रतीक्षा करते रहे । कुछ पांच मिनट बाद एक लाल रंग के फाइल को लेकर चंद्रभान जी को निकलने देखा गया ।
बाहर आकर बोले – " उनका नाम है दिग्विजय ठाकुर ।
यह रहा उनका कार्ड पर कार्ड कुछ साल पुराना है । पता नही यह लैंडलाइन नम्बर अभी है या नही । "
" ठीक है वही दीजिए उसी से हो जाएगा । "
कार्ड को हाथ में लेकर चंद्रभान जी को धन्यवाद कहकर दोनों ने लौटने का रास्ता पकड़ा ।

कार्ड के पुराने होने पर भी उसमें लिखे ईमेल एड्रेस और नम्बर के जरिए दिग्विजय बाबू के साथ बात करने में कोई ज्यादा समस्या नही हुई पर इस तथ्य के जुगाड़ का पूरा श्रेय राघव को गया ।
अगले दिन ऑफिस आकर राघव ने दिग्विजय जी को फोन किया – " हैलो दिग्विजय जी बोल रहें हैं । "
उधर से उत्तर आया – " हां बोल रहा हूँ पर आप कौन ? "
" मैं रमेश वर्मा बोल रहा हूँ असल में मैं रॉयल फ्लैट को पूरा खरीदना चाहता हूं । "
" रॉयल फ्लैट ,,,, अच्छा वो सिटी लाइब्रेरी के पास वाला । "
" हाँ वैसे इस समय कितना रेट चल रहा है ? "
" रेट तो मैं नही बता सकता क्योंकि वह मेरे अंडर में नही है । "
बात को सुनकर ही राघव निराश हुआ । उसके बाद ही उधर के बात को सुनकर चौंक गया –
" वह इस समय रमाकांत नाम के एक आदमी की प्रॉपर्टी है उन्होंने बहुत पहले ही मेरे पास से उसे खरीद लिया आप उनके साथ ही बात कर लीजिए । "
राघव के फोन रखते ही पीछे से गौरव बोल उठा –
" क्या बात है राघव बहुत उत्तेजित लग रहे हो । "
" रमाकांत ही "
राघव के बात को काटकर गौरव बोला – " रमाकांत ही रॉयल फ्लैट का मालिक है यही न , लेकिन बात यह है कि उनके खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं है ।
वैसे फ्लैट खरीदने के समय रमाकांत ने जरूर किसी कागज पर साइन किया होगा । दिग्विजय बाबू को और एक बार फोन करके पूछो तो इस समय उनके पास कोई साइन किए कागज का कॉपी है या नही । "
गौरव के कहे अनुसार दिग्विजय बाबू को फोन लगाया राघव ने ; दिग्विजय बाबू ने बताया उनके पास साइन कॉपी है पर खोजना पड़ेगा अगर उन्होंने खोज लिया तो इसी नम्बर पर फोन करके बताएंगे ।

सौभाग्यवश कुछ दो घंटे बाद ही दिग्विजय बाबू ने फोन
करके बताया कि रेलवे स्टेशन के पास उनके आदमी फोटो कॉपी को लेकर इंतजार कर रहे हैं इसीलिए जल्दी से उसे ले लिया जाए ।
दिग्विजय जी के द्वारा इतनी मन लगाकर काम करने को
लेकर पहले गौरव को विश्वास नही हुआ और वैसे भी
दिग्विजय जी शायद पहले ही समझ गए थे कि यह कोई फ्लैट खरीदने या बेचने का कारण नही है । इसीलिए खुद न आकर अथवा अपने घर पर न बुलाकर फोटो कॉपी देने के लिए आदमी को भेजा है ।
स्टेशन के पास से फ्लैट के साइन कॉपी को लेकर गौरव और राघव जब रमाकांत के घर पहुंचे तब दोपहर के 12 बजे हैं ।
घर का दरवाजा खोलते ही रमाकांत के चेहरे को देखकर राघव आश्चर्य हो गया । एक रात में ही उनका चेहरा सूख कर लटक गया है । पूरी रात न सोने के कारण आंख बैठ गए हैं और माथे पर चिंता की छाप स्पष्ट है मानो कल रात को अचानक कुछ देख कर डरे हुए हैं ।
रमाकांत के भाव को देखकर गौरव बोला – " यह क्या रमाकांत जी लगता है रात को नींद नही आई ।"
हिंसापूर्ण आवाज से रमाकांत ने जवाब दिया –
" आप फिर ,क्या चाहिए ? मैंने तो कल ही बताया है रॉयल फ्लैट के बारे में कुछ नही जानता । "
गौरव बोला – " अरे आप गुस्सा क्यों हो रहे हैं चलिए अंदर बैठते हैं । आपके फायदे की बात करने ही आया हूँ ।"
फिर तीक्ष्ण स्वर में बोले रमाकांत – " फायदा , मुझे कुछ नही चाहिए । बस आप यहां से चले जाइए । "
गौरव के पीछे की तरफ इशारा करते ही राघव ने रमाकांत को एक धक्का देकर कमरे में प्रवेश किया ।
रमाकांत गरज कर बोले – " यह क्या कर रहे हैं कह रहा हूँ निकल जाइए यहां से । "
गौरव ने भी जल्दी से कमरे में प्रवेश किया और आसपास
देखकर बोला – " वाह ! सामान समेट रहे हैं । क्या हुआ यहां से भागने वाले थे क्या ? "
एकाएक रमाकांत शांत हो गया और गौरव कठिन होकर बोला – " यहां आइए रमाकांत जी आइए और बैठिए , वरना ।"
मंत्रमुग्ध की तरह कांपते हुए चुपचाप सोफे पर बैठा रमाकांत । राघव पॉकेट से साइन कॉपी को निकालकर रमाकांत के चेहरे पर लाकर बोला – " इसे दिग्विजय जी ने दिया है इसमें स्पष्ट प्रमाण है कि आपने उनसे कई लाख रुपये में फ्लैट के डील को खरीद लिया । इसमें आपका सिग्नेचर भी है । "
रमाकांत का चेहरा और उतर सा गया और फिर जोर से बोले – " इससे क्या साबित हुआ मैं कुछ नही जानता रॉयल फ्लैट के बारे में । "
गुस्सा होने के नजर से गौरव की तरफ देखा राघव ने ; गौरव धीरे से आगे आकर रमाकांत के सामने वाले सोफे पर बैठा और उसके बाद कमर में बंधे पॉकेट से निकाला अपना बहुत पसंदीदा ग्लोक 17 पिस्तौल ।
पिस्तौल को लोड करने का नाटक दिखाकर उसे सामने के टेबल पर रखा और बोला – " रमाकांत जी इसके नाम को आप जरूर जानते हैं G L O C K 1 7 ग्लोक 17 इम्पोटेड फ्रॉम ऑस्ट्रिया ; अभी तक वर्ल्ड का सबसे बेस्ट पिस्तौल है और मेरा फेवरेट । आपको यह जानना चाहिए कि पुलिस को अपने सर्विस रिवाल्वर के हर एक गोली का हिसाब देना होता है पर मुझे नही देना पड़ता । असल में हम जेम्स बॉन्ड की तरह हैं जितना भी गोली चलाऊँ कोई हिसाब नही मांगता ।
इसीलिए आप अगर ठीक से सब कुछ बता दें तो अच्छा रहता और अगर नही बताना तो बहुत दिनों बाद मेरा यह पिस्तौल अपना काम करेगा । "
रमाकांत के माथे पर पसीना निकल आया और वह बोला – " मुझे मत मरना सर् मेरे बीबी बच्चे हैं बता रहा हूँ सर् सब कुछ बता रहा हूँ । "
राघव एक कुर्सी को लेकर रमाकांत के पास बैठ गया
रमाकांत बोलते रहे – " आज से लगभग 12 - 13 साल
पहले रॉयल फ्लैट के डील को मैंने खरीद लिया । उस समय वहां पर कोई फ्लैट नही था । एक मध्यमवर्गीय परिवार घर बनाकर वहां रहता था । घर के मालिक का नाम सूर्यनारायण था मेरे लोगों ने उनके साथ बात किया । पैसा , गाड़ी यहां तक कि फ्लैट के शेयर भी देना चाहा पर वह अपने उस जगह को छोड़ने पर राजी नही हुए । वह कहते कि वह उनका पैतृक निवास है । एक पुरूष और एक स्त्री सूर्यनारायण का कोई लड़का भी नही था तो क्या करते उसे लेकर ; हमने उन्हें बहुत राजी करने की कोशिश की पर हर बार असफल रहे । अंत में कोई उपाय न सूझकर मैंने अपने पोलिटिकल इंफ्लुएंस को काम में लगाकर सूर्यनारायण को देह व नारी व्यापार के चक्कर में फंसा दिया । उस दिन रात को मैं और मेरे कुछ आदमी कैमरा लेकर उस घर के अंदर
ही छुपे थे । सूर्यनारायण के स्त्री के साथ पहले ही बात हुआ था उनको बताया था कि केवल हम ही उनके पति को बचा पाएंगे लेकिन मन में अंदाजा लगा लिया था कि सूर्यनारायण का भाव जैसे पागलों वाला है उससे आज रात उसका दिमाग सही नही रहेगा और हुआ भी वही देह व्यापार के बारे में पति - पत्नी में झगड़ा होते ही हाथ के पास रखे एक फूलदान से उन्होंने अपने स्त्री के सिर पर मारा और उस
टाइम के फोटो को हमने कैप्चर कर लिया । फिर हम सूर्यनारायण को धमकी देकर गए कि कल सुबह के अंदर घर खाली न करने पर यह काम मीडिया में फैला दिया जाएगा ।
अगले दिन सुबह जाकर देखा घर के फैन से सूर्यनारायण
का शरीर झूल रहा था । शायद दिमाग को ठीक न रखने के कारण आत्महत्या किए थे । लेकिन हम रात को जब लौटे थे तब उनकी पत्नी खून से लतपथ नीचे पड़ी हुई थी लेकिन सुबह जाकर देखा उनके मृत शरीर के पास पांच - छह कुछ शब्द व दाग बने हुए हैं शायद अपने खून से ही वह सब बनाया था लेकिन मरते हुए क्यों अजीब सब कुछ किया यह नही समझ आया । हमने उसी समय उनके शरीर को उसी घर के नीचे कब्र कर दिया उसके बाद कुछ दिन सब कुछ शांत ; उनके परिवार को किसी ने खोजा भी नही और हमने भी किसी को कुछ नही बताया । एक महीने के अंदर ही उस घर को तोड़कर रॉयल फ्लैट का काम शुरू हुआ बाद में कुछ पैसा देकर मदनलाल ने केवल पांचवे तल्ले को मुझसे खरीदा था । इससे ज्यादा कुछ मैं नही जनता । "
गौरव बोला – " इससे ज्यादा कुछ आपको बताना और हमे जानना नहीं है । "
" देखिए आपको ही सच बताया लेकिन मैंने यह सब किया है उसका कोई सबूत नही है । और अदालत में ले जाने पर भी मैं यह सब कुछ कबूल नही करूँगा । "
गौरव ने धीरे से हँसकर उत्तर दिया – " अदालत में कुछ बताने की जरूरत नही रमाकांत जी । "
यही बोलकर अपने शर्ट की जेब से फोन को निकाल स्पीकर मोड में डालकर गौरव बोला – " महेश जी सबकुछ सुन लिया न आपने । "
उधर से आवाज आया – " हां हां गौरव जी मैंने पूरा सुन लिया और आपके कहे अनुसार सबकुछ रिकॉर्ड भी कर लिया । सबूत अब मैं ही दूँगा आप चिंता मत कीजिए । कुछ घंटे में ही रमाकांत को अरेस्ट कर आपको बताता हूँ । "
हताश होकर सोफे पर सिर झुकाकर बैठ गए रमाकांत ,
पिस्तौल को अपने सही जगह पर रखकर गौरव और राघव घर के बाहर निकल आए । ….....



।। क्रमशः ।।


@rahul