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उपवास कैसे रखें ....  (व्यंग्य)


उपवास कैसे रखें ...... व्यंग्य

अब साहब आपके ये दिन आ गए कि कोई मुझ जैसा अदना सा व्यक्ति आपको यह बताए कि उपवास कैसे रखें ? बात बिलकुल भी वैसी नहीं है जैसी आप समझ रहें है । आप किसी भी धर्म या मजहब के हो उसके अनुसार आपको उपवास की पद्धति मालूम है । आपके धर्म के अनुसार ही आपको यह भी मालूम है कि उपवास कब करना है या नहीं करना है । आप यदि लोकतंत्र के नए धर्म अर्थात राजनीति को मानते है या कभी सोचा है कि इस धर्म को अपना सकते है तो आपके लिए इसकी उपवास पद्धति से परिचित होना आवष्यक है । वैसे यदि इस लोकतंत्र में आपकी कोई हैसियत न भी हो याने आप आम जनता हों तब भी सामान्य ज्ञान के लिए आपको इस पद्धति के विषय में मालूम होना ही चाहिए ; न जाने कब इस पर प्रश्न पटवारी या चपरासी की चयन परीक्षा में आ ही जाए । खास लोगों के उपवास के कारण और प्रकार के विवेचन हेतु भी आपको राजनैतिक उपवास पद्धति का ज्ञान होना ही चाहिए ।

आपको यह बताना भी मै अपना फर्ज समझता हुॅ कि जो कुछ नहीं कर सकते वे ही उपवास करते है यह सोच कर कि शायद भगवान ही कुछ कर दे । यह बात सभी तरह के उपवास पर लागू होती है ।राजनैतिक उपवास के लिए सबसे पहले यह खोजना होता है कि उपवास कब रखें । यह खोज कोई सामान्य खोज तो है नहीं । इस खोज के लिए देष के घटना चक्र से अधिक दूसरी पार्टियों के क्रियाकलापों का ध्यान रखना होता है । अब समझ लीजिए कि दूसरी पार्टी के नेता को छींक आ गई तो आपको खुद छींकते हुए उपवास की घोषणा कर ही देनी चाहिए । फिर आपको सोचना होगा कि वोटों की फसल काटने के लिए आपका अकेले ही उपवास करना पर्याप्त है या यह कार्य भी सामूहिक रूप से किया जाए । ऐसे उपवास पार्टी को एक करने , ध्यान बटाने और बिना कारण भी किए जा सकते है । इस बारे में राजनैतिक चिकित्सकोंं की राय है कि ये हानिकारक नहीं होते । कभी - कभी आप उपवास के विरूद्ध भी उपवास कर सकते है। कारणों का विवेचन ही अपने आप में महाकाव्य का रूप ले सकता है इसलिए कम लिखा, ज्यादा बांचें ।

अब आपको यह भी सोचना होगा कि आप उपवास करने कहॉ जायेंगें । सामान्य आदमी उपवास अपने घर या पूजास्थल पर ही करता है । राजनैतिक लोग उपवास करने अलग-अलग शहरों के मंच पर जाते है । ऐसे मंचों पर जहॉ बसों में भर - भर कर , खिला -पिला कर लोगों को लाया गया हो । राजनैतिक व्यक्ति का उपवास वोटरों को दिखाने के लिए होता है अतः इसकी अवधि उतनी ही होती है जितनी देर उपवासकर्ता मंच पर बैठा है । इससे पहले या बाद में आप आराम से कुछ भी खा या पी सकते है । इस तरह के उपवास से अल्लाह , ईश्वर या गॉड प्रभावित हो या न हो जनता पर प्रभाव तो पडता ही है । एक बात और है कि यदि आप सत्ता में है और अपनी जिम्मेदारी पूरी नहीं कर पा रहे है तो भी आप उपवास रख कर इसके लिए किसी दूसरे को दोषी कह सकते है ।

अब आप राजनैतिक उपवास के विषय में कुछ बातें जान चुके है । प्रत्येक कार्य की कुछ सावधानियॉ होती है । सावधानी बतौर आपको बता ही दूॅ कि आपको गलती से जनता के वास्तविक मुद्दों जैसे गरीबी ,बेरोजगारी और भ्रष्टाचार पर उपवास नहीं करना है । इन पर उपवास करने के लिए आम जनता है न । कुछ ऐसे लोग है जो इन मुद्दों पर आमरण अनसन तक कर सकते है लेकिन वे पागल है , सार्थक तो बस एक दिन का उपवास है ।

आलोक मिश्रा


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