Vivek you tolerated a lot! - 6 books and stories free download online pdf in Hindi

विवेक तुमने बहुत सहन किया बस! - 6

अध्याय 6

घबराते हुए डॉक्टर अमरदीप ने पोरको के पास जाकर उसके पल्स की जांच करने लगे।

नाड़ी की धड़कन स्वाभाविक नहीं थी। वह पाताल पर जा रही थी। उन्हें समझ में आ रहा था।

पास में जो इंटरकॉम रिसीवर था उसे उठाया। स्टाफ नर्स को बुलाया। "पुष्पम.. ‌!"

"डॉक्टर..."

"तुरंत दो अर्दली को लेकर स्ट्रेचर के साथ आ जाओ। कंसल्टेशन के लिए आया हुआ एक पेशेंट अचानक बेहोश होकर गिर गया। उसके मुंह से खून आ रहा है। उनका पल्स रेट नॉरमल नहीं है। उन्हें तुरंत आईसीयू यूनिट में ले जाना पड़ेगा...."

"अभी आ रही हूं डॉक्टर !"

सिर्फ एक मिनट!

स्टाफ नर्स पुष्पम दो अर्दलीयों और स्ट्रेचर के साथ आई।

"आईसीयू में बेड खाली है क्या ?"

"है डॉक्टर !"

"इनका नाम पोरको। पहले इन्हें आई.सी. यूनिट में ले जाकर वेंटिलेटर में रखना है। मैं पीछे ही आ रहा हूं।

"पोरको को स्ट्रेचर पर लेटाया। उसके जेब में सेलफोन दिखा

डॉ. अमरदीप ने उस सेल फोन को ले लिया। उसके कांटेक्ट नंबरों को देखा। बटन को दबाने से 'होम' जिसमें लैंडलाइन नंबर चमका। ऑप्शन में जाकर कॉल किया।

दूसरी तरफ से कॉल जाने पर रिसीवर को उठाया।

"हेलो....." एक बड़े आदमी की आवाज आई।

"यह पोरको का घर है क्या...?"

"हां..."

"आप....?"

"पोरको का पिता हूं ! हां आप कौन बोल रहे हैं?"

"मैं डॉक्टर अमरदीप, अमर हॉस्पिटल से बात कर रहा हूं। थोड़ी देर पहले आपका बेटा मेरे पास एक कंसल्टेशन के लिए आए थे। बात करते समय ही उन्हें चक्कर आया और वे गिर गए।"

"अइयो अइय्यो..." - दूसरी तरफ से तेज आवाज में रोने लगे... तो अमरदीप बीच में बोले।

"डरो मत.... बेहोशी का क्या कारण है पता नहीं चला। अभी उन्हें आई.सी.यू. यूनिट में एडमिट करके ट्रीटमेंट दे रहे हैं। आप तुरंत रवाना होकर आ जाए तो ठीक रहेगा......"

"डा... डा... डॉक्टर ! पोरको को क्या समस्या है? वह आपसे मिलने क्यों आया था?"

"आप आइएगा... फिर सब बातें बताऊंगा। सब कुछ फोन में नहीं बता सकते....."

"पोरको के जान को कोई खतरा तो नहीं है ?"

"सॉरी! अभी मैं कुछ भी पक्का नहीं कह सकता। प्लीज कम इन पर्सनली !" - कहकर अमरदीप ने सेलफोन को बंद कर दिया ।

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