Adhura Safar- Part 2 books and stories free download online pdf in Hindi

अधूरा सफर - भाग 2

पिछले भाग में आपने पड़ा कि कैसे गौरव ओर स्वाति एक बस मै मिलते है और फिर उसी बस में बिछड़ भी गए, आपको क्या लगता है दोनों फिर से मिल पाएंगे इस अंजान शहर में चलिए पढ़ते है आगे। शहर आने के कुछ समय बाद जब गौरव को पता चला कि उस रात जिस होटल पर बस रुकी थी, उससे कुछ दूर पहले एक छोटा सा गांव है उम्रई ( सोचा हुआ नाम) करके वहा एक छोटा सा स्कूल है 5वी तक का जिसमे स्वाति नाम की एक लड़की बच्चों को पढ़ाने जाया करती है, जब गौरव को इसका पता चला तो उसने उम्राई जाने का सोचा और अगले दिन कुछ दोस्तों के साथ मिलकर पिकनिक का प्लान बनाने लग गया, करीबन 7-8 दिन बाद सब दोस्तों के मान जाने के बाद प्लान के मुताबिक सब अपना अपना जरूरी सामान लेकर गाड़ी मै आ गए गाड़ी निकल पड़ी उम्राई जाने के लिए गाड़ी फिर उसी होटल के बाहर जाकर रुकी जहां गौरव ने स्वाति से बिछड़ने का दर्द महसूस किया था, आखिरकार कुछ घंटों के सफर के बाद गौरव अपनी मंजिल उम्राई आ ही गया, वहा की हरे हरे पेड़ पोधे रोड से कुछ दूरी पर एक सुंदर सी बहती नदी और नदी किनारे ये लंबे लंबे खजूर के पेड़ एक बार तो गौरव भी देख कर भोचका रह गया कि इतनी अच्छी जगह उसने सफर के दौरान मिस कैसे कर दी, खैर अभी गौरव को उस जगह की खूबसूरती से ज्यादा किसी ओर की तलाश थी,दोस्तोंं केेेे साथ आए गौरव ने नदी किनारे ही तम्बू लगाना उचित समझा और बाकी लोगों के साथ सब काम निबटा कर आराम करने तम्बू में चले गए, शाम को सब खाना खाने के बाद आग जला कर अंत्रक्सी खेल रहे थे तभी किसी छोटे बच्चे की आवाज आती है, वोह भी गीत दोहरा रहा था जो सब लोग उस वक्त गा रहे थे तो गौरव के एक दोस्त चेतन ने उसे पास बुलाया और अपने साथ खेलने को कहा तो बच्चे ने मना कर दिया और दीदी डांटती है इतना कहकर चला गया अगले दिन चेतन जल्दी उठ गया था तो वो गांव की तरफ चल दिया रास्ते में उसे एक लड़की मिली जो कि स्कूल में जा रही थी, लेकिन चेतन को ये नहीं पता था कि जिसके पीछे वो पागल होने वाले है, उसके लिए गौरव शहर से यहां आया है इससे पहले कि गौरव को स्वाति से मिलता वो स्कूल जा चुकी थी, अब स्कूल से छुट्टी का वक्त हो गया तो गौरव ने सोचा क्यों ना चलकर स्वाति को सरप्राइज़ दिया जाए इसलिए गौरव स्कूल के बाहर स्वाति का इंतज़ार करने लगा , कुछ समय बाद स्कूल की छुट्टी हुई स्वाति बाहर आई तो बाहर गौरव को देख हैरान हो गई, ओर गौरव का पहला सवाल उस दिन आप बिना बताए उतर गई थी, ।
स्वाति :- हा उस दिन आप गहरी नींद में थे
गौरव :- अरेेेे तो क्या हुआ आप उठा देेते ,
स्वाति:- हा लेकिन मुझे लगा आप इतना लंबा सफर तय करके आ रहे हो तो सोने देते है, खैर ये बताइए अभी कैसे आना हुआ,
गौरव:- जी हम कुछ दोस्त गुमने के आए है और यही नदी किनारे रुके है,
स्वाति:- अच्छा हमे नहीं मिलवाएंगे अपने दोस्तों से,
गौरव:- अरे जरूर क्यों नहीं मिलवाएंगे चलिए ,
स्वाति :- अभी नहीं रात को ओर हम कुछ बच्चों को भी लेकर आएंगे,
गौरव:- अच्छा ठीक है वैसे रात को एक बच्चा आया था तो भाग गया ये बोलकर की दीदी डांटती है,
स्वाति:- अच्छा चलो अभी हम चलते हैं रात को मिलते है इतना कहकर स्वाति वहा से चली गई,
गौरव फिर से अपने तम्बू मै आता है तभी अचानक उसे घर से फोन आता है कि बाबूजी की तबीयत खराब है आनन फानन में गौरव वहा से चला जाता है किसी को कुछ बताए बिना,।
रात को स्वाति जब वहा आती है तो वहा कोई नहीं होता है शायद गौरव के दोस्त उसे ढूंढने फिर से शहर चले जाते है,
कुछ समय बाद स्वाति के एग्जाम खतम हो जाते है जिसके लिए वो शहर आई थी तब तक गौरव का कुछ पता नहीं था,
उसके बाद स्वाति अपने घर चली जाती और गौरव भी गांव के पास ही किसी कॉलेज से अपनी पढ़ाई पूरी करने लग जाता है,



इस तरह से गौरव का ये सफर अधूरा ही रह गया,
तो कैसी लगी ये कहानी आपको कॉमेंट करके जरूर बताना ओर ऐसी ही दिलचस्प कहानियों के लिए फॉलो करना ना भूले,