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ट्रेन्ड

"चलो... चलो... सभी को डिन मेम साहब ने बुलाया है। सभी को कंपल्सरी आना है, जल्दी से सभी सेमिनार होल में जाओ कोई फेमस वकता आए हैं। डिन मेम साहब ने बोला है कि जो नहीं आएगा उसकी तीन दिन तक एबसन्ट लगेगी। चलो! चलो! " गोविंद प्यून कोलेज की पेसेज में चिल्ला रहा था।

सभी स्टुडेंट एबसन्ट लगने की डरसे तेजी से सेेेमिनार होल मेे जा रहे थे। सेमिनार होल अच्छे से सुशोभित किया गया था। स्टेज़ पे बड़ा सा पोस्टर लगा था जिसमें बड़े अक्षरों में लिखा गया था कि "कैसे चुनें करियर की सही राह?" ओर एक वक्ता कि फोटो भी साथ में थी जिनका नाम था डॉ. प्रधुम्न् वर्मा।
(सभी स्टुडेंट ओर टिचर्स होल में अपनी जगह लेकर बेठ चुके थे। पिछली सीट वाले स्टूडेंट्स शोर मचा रहे थे, उसी दौरान डिन मेम डॉ.वर्मा के साथ एन्टर हुई और डॉ.वर्मा को स्टेज़ की तरफ़ इशारा करते हुए डायस पे बिराजने का निर्देश किया।)

सेमिनार के होस्ट प्रोफेसर जगदीश ने सेमिनार की शुरुआत करते हुए डॉ वर्मा का परिचय दिया और उनका कोलेज में शब्दों से स्वागत किया।डिन मेम ने डॉ वर्मा को अभिवादित करते हुए पुष्प गुच्छ दिया और प्रोफेसर जगदीश के अनुरोध पर कोलेज के बारे में जानकारी देते हुए चंद शब्दों में डॉ वर्मा का स्वागत करते हुए कहा "डायस पे बिराजित डॉ. प्रधुम्न् वर्माजी, मेरे सहकर्मी शिक्षक गण और मेरे प्यारे विधार्थी मित्र जेसेकी आप सब जानते है कि हर दो-तीन माह के भीतर हम कुछ नए विषय पर सेमिनार आयोजित करते हैं जिससे विधार्थियों को सही मार्गदर्शन मिले। ऐसे ही एक विषय पर आज हम बात करने वाले हैं की कैसे हम अपने करियर की सही राह चुनें? तो अब मैं डॉ. प्रधुम्न् वर्माजी को अपना वक्तव्य देने के लिए आमंत्रित करती हूं। डॉ.वर्मा..."

डॉ.वर्मा अपनी बात रजू करने के लिए कुर्सी से खड़े
होकर पोडियम में आकर कहते है " थेन्कयू! मेडम, कैसे हो आप सब?? मुझे पता है कि कोई सामने से जवाब नहीं देने वाला...(मन में मुस्कुराते हुए) ईसी लिए में कोई भाषण नहीं देने वाला चिंता मत करो आज हम बहुत सारी बातें करेंगे इस विषय पर (पोस्टर की तरफ उंगली करते हुए) चलो आप में से कोई मुझे यह बताएगा कि ये ट्रेन्ड क्या है? आजकल हम सभी जगह पर सुनते हैं की ये तो अभी बहुत ट्रेंडिंग है...,वो तो ओफ ट्रेन्ड है..."

कोई जवाब नहीं देता। डॉ.वर्मा बच्चों को बताते हैं कि " मैं कोई डरावना आदमी हूं? मैं कोई गुंडे जेसा दिखाई देता हूं? मैं कोई होरर मूवी का केरेक्टर हूं क्या?? " सभी ने एकसाथ हंसते हुए कहा नहीं... " तो फिर मुझसे डरते क्यों हो? मैं किसी को भी डांट ने वाला नहीं हूं आप के अनुसार ट्रेन्ड क्या है सही ग़लत जो भी आपके दिमाग में आए वो बताओं "

एक लड़की ने जवाब दिया कि " ट्रेन्ड फेशन है। जैसे पहले की लड़कियां साड़ी पहनती थी, अभी जिन्स पहनती हैं तो वो अभी का ट्रेंड है।" " ठीक है, ओर कोई बताना चाहता है? " यस सर! एक लड़के ने खड़े होकर बताया " सर, मेरे हिसाब से ट्रेंड अभी सोशियल मिडिया में कोई एक विडियो डालता है ओर दूसरे उसको कोपी करते हैं वही ट्रेंडिंग है।"

" सही बताया बेटा आजकल वो बहुत ट्रेंडिंग है।" डॉ.वर्मा एक - एक करके सभी के मत जानने की कोशिश करते हैं , ओर आगे पूछते हैं कि " आपके अनुसार ट्रेन्ड कैसा होना चाहिए? " इस प्रश्न के उत्तर में किसीने बताया कि सबको आकर्षित करने वाला, किसी ने बताया कि जो आजकी पीढ़ी को पसंद आए वैसा , किसी ने कहा कि " ट्रेन्ड ऐसा होना चाहिए जो फोलो करने से किसी की जिंदगी में अच्छा बदलाव आए।"

" एबस्लुट्ली! ट्रेंड ऐसा होना चाहिए जो सिर्फ़ ऐन्टटेनमेंट के लिए ना होकर बल्कि लाइफ में कुछ अच्छा परिवर्तन लाने वाला होना चाहिए।" डॉ वर्मा ने आगे कहा कि हमें ऐसा यूनिक ट्रेंड बनाना चाहिए कि जो हमें ओर आसपास के लोगों को मददरुप हो।
" Don't follow the trend, set your own trend"
ये मेरा सक्सेस मंत्रा है। हमें अपने पसंदीदे काम में कुछ ऐसा करना चाहिए जो हमें खुशी देे , दूसरों की उससे मदद भी हो ओर हम उससे अपनी आजिविका भी चला सके।"

एक लड़के ने उत्सुकता से पूछा " पर सर! मुझे तो खेलना पसंद है, तो उससे में कैसे ट्रेंड बना सकता हूं? " बहुत अच्छा प्रश्न किया हे आपने बेटा! हम अपने पसंदीदे काम में पूर्ण प्रयत्न , महेनत ओर लगान से काम करेंगे तो कोई भी काम से आजकल अपना पेट भर सकते हैं। जेसे की तुम्हे खेलना पसंद है तो तुम अपने मनपसंद खेल में पूरी जी-जान लगा के महेनत करो और निपूणता प्राप्त करो तो तुम उसमें आगे बढ़कर सफलता प्राप्त कर सकते हो। फिर तुम्हें देख कर दूसरे लोग इन्स्पायर होंगे और तुम्हें ओर तुम्हारे काम को फोलो करेंगे, तो बन गया ना ट्रेन्ड। "

प्रोफेसर जगदीश ने डॉ वर्मा से प्रश्न किया " सर, आपने बहुत अच्छे से समझाया पर मुझे ये सवाल है कि सभी क्षेत्रों में अच्छी कमाई नहीं मिलती ओर आज के समय में कम सेलरी से घर नहीं चलता तो आप की इस पर क्या राय है? "

" प्रोफेसर जगदीश आपने बिल्कुल सही कहा सभी क्षेत्रों में समान कमाई नहीं मिलती पर मेरा मानना है कि कोई भी क्षेत्र बड़ा या छोटा नहीं होता आप किसी भी क्षेत्र में अपना पूर्ण योगदान देकर श्रेष्ठता साबित कर सकते हो और अच्छी कमाई भी। बस अपने आप पर भरोसा रखना ओर अथाग परिश्रम करना आवश्यक है। किसी ने खूब कहा है कि कोमन क्षेत्र में सामान्य रहने से अच्छा है कि सामान्य क्षेत्र में निपुण बने ।"

डिन मेम साहब ने डॉ वर्मा को आभार व्यक्त करते हुए कहा कि " आपने हमारे आमंत्रण का स्वीकार किया और हमारे बच्चों को अपने करियर बनाने की सही राह दिखाई । आपका बहुत बहुत धन्यवाद।"