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वो लड़का.... हॉरर

वो किसी से भी ज्यादा बोलता नहीं था गुमसुम-सा ही रहता था। चौदह-पंद्रह साल का मानस सबसे कटा-कटा ही रहता लेकिन जब से प्राची इस जेल में आई थी तब से मानस में कुछ बदलाव आए थे। हमेशा सबसे दूर और चुप रहने वाला मानस प्राची के साथ खेलने लगा था और उससे बातें भी करता था। प्राची आठ-नौ साल की एक अनाथ लड़की थी जिसको इस बाल सुधार गृह में इसलिए लाया गया था क्योंकि उसने अपने चचेरे भाई को मार दिया था। कुछ समय तक प्राची भी डरी-सहमी सी ही रहती थी। बाकि बच्चे उसे चिढ़ाते तो वो एक कोने में बैठ कर गुस्से भरी नजरों से उन्हें देखती रहती। न जाने मानस को उसमें क्या नजर आया कि वो अक्सर उसके पास बैठ जाता और समझाता कि यहाँ ऐसा ही होता है जो जितना चुप रहता है सभी उसे उतना ही ज्यादा चिढ़ाते है। धीरे-धीरे प्राची और मानस में अच्छी दोस्ती हो गई दोनों ज्यादातर साथ ही रहते।

प्राची और मानस दोनों अलग-अलग दिशा में थे। बाल सुधार गृह के एक पुराने बड़े से हॉल को साफ करने की जिम्मेदारी इन दोनों को सिर्फ इसलिए सौंप दी गई क्योंकि दोनों ही जली हुई तेज नमक वाली सब्जी को खाने से मना कर दिया था।
दोनों बच्चे ही थे थोड़ी देर डांट याद रही जब डांट का असर कम हुआ तो दोनों हॉल साफ करते हुए खेलने लगे। प्राची मानस से बचने के लिए दूसरी तरफ दौड़ रही थी। उस तरफ काफी अंधेरा था। वैसे तो पूरे हॉल में रौशनी कम ही थी लेकिन कोई कोना था अँधेरे से पूरी तरह भरा हुआ था। प्राची से कुछ ही दूरी पर नीचे खुरदुरी जमीन पर हल्का पीला और सफेद तरल गिरा हुआ था। ऐसा लगता था जैसे कोई बड़ा-सा अंडा फूट गया हो और उसकी जर्दी बिखरी हुई हो। देखकर ही अजीब घिन्न सी महसूस हो रही थी। तभी! वो अजीब सा तरल धीरे-धीरे सिकुड़ने लगा मानो कोई रबड़ हो। इससे पहले की प्राची की नजर उस तरल पर पड़ती तरल सिकुड़ कर तुरंत सामने पड़े एक बड़े टेड़ीबियर के सामने के हिस्से पर चिपक गया। बिल्कुल ऐसे जैसे कोई बंदर का बच्चा अपनी माँ के पेट से चिपका हो।
प्राची की नजर टेड़ी पर पड़ी उसके मासूम चेहरे पर मुस्कान फैल गई। वो टेड़ी के पास गई उसे हैलो कहा और फिर मुस्कराते हुए टेड़ी को अपनी बांहों में उठा लिया। टेड़ी को लिए वो दौड़ती हुई मानस के पास आई।

"अनस देखो! मुझे एक टेड़ी मिला, अब हम इससे ही खेला करेंगे।" प्राची खुश होकर बोली। अब तक मानस फिर से हॉल की साफ-सफाई पर लग चुका था।

"प्राची अभी हमें काम करना होगा वरना जेलर दीदी हमारी सजा बढ़ा देंगी।" मानस एक बड़ी झाड़ू से मकड़ी के जाले साफ करते हुए बगैर प्राची की तरफ देखे बोला

"एक बार देखो तो सही, कितना प्यारा टेड़ी है अनस!" प्राची नाराजगी जताते हुए बड़े भोलेपन से बोली।

"तुम बार-बार मुझे अनस क्यों बुलाती हो?" मानस हल्का गुस्सा करते हुए प्राची की तरफ पलटा

"तुम जानते हो!" प्राची में गाल फुलाते हुए कहा

"अच्छा ठीक है! अभी टेड़ी को एक तरफ रख दो। पहले यहाँ का काम खत्म कर ले फिर खेलेंगे।" मानस बोला। उसने एक नजर टेड़ी पर डाली टेड़ी के सीने से चिपकी अजीब चीज पर उसकी नजर गई लेकिन उसने ज्यादा गौर नहीं किया और वापस अपने काम पर लग गया अगर गौर किया होता तो शायद मानस देख पाता उस अजीब चीज का इस तरह हिलना जैसे किसी का दिल धड़क रहा हो।
प्राची ने टेड़ी को बड़े प्यार से एक तरफ रख दिया और एक कपड़ा लेकर सफाई करने लगी।