Chehare pe chahera - 1 books and stories free download online pdf in Hindi

चेहरे पर चेहरा (पार्ट 1)

"कल मौसाजी के बेटे के एट होम में गए थे।वहां डॉक्टर ईश्वर भी सपरिवार आये थे।हमने उनका लड़का देख लिया था।"जगदीश मेरे से बोला,"लड़का सेल्सटैक्स इंस्पेक्टर है।सूंदर है।गुड़िया के साथ अच्छी जोड़ी रहेगी।"
"चलो तो एक दिन डॉक्टर साहिब से गुड़िया के रिश्ते की बात कर आते है।"मैं जगदीश की बात सुनकर बोला था।
"मैने डॉक्टर साहिब से तुम्हारा जिक्र कर दिया था।रिश्तेवाली बात भी बता दी थी,"जगदीश बोला,"मैं कल कोटा जा रहा हूँ।तुम डॉक्टर साहिब से मिल आना।"
जगदीश मेरा मित्र और सहकर्मी था।हम दोनों ही रेलवे में थे।दोनो को ही पढ़ाई अधूरी छोड़कर सर्विस में आना पड़ा था।सर्विस लगने के बाद हम दोनों ने ही कॉलेज में एड्मिसन ले लिया था।तभी हम कई लेक्चरार के सम्पर्क में आये थे।उनमें से हिंदी के डॉक्टर ईश्वर भी थे।डॉक्टर ईश्वर बेहद सज्जन,सहयोगी प्रवृति के मिलनसार इंसान थे।कॉलेज की पढ़ाई पूरी होने के बाद मेरा सम्पर्क डॉक्टर साहिब से टूट गया था।डॉक्टर साहिब और जगदीश के मौसाजी एक ही मोहल्ले में रहते थे।इसलिए जगदीश का उनसे संपर्क बना हुआ था।
अगले दिन मे अपने मित्र राकेश के साथ डॉक्टर साहिब से मिलने जा पहुंचा।अब डॉक्टर साहिब कॉलेज के होस्टल में रह रहे थे।मुझे देखते ही उनका चेहरा खिल उठा,"आज तो बहुत दिनों बाद?"
डॉक्टर साहिब हम दोनों को ड्राइंग रूम में ले गए।
"कल जगदीश ने मेरी बेटी के बारे में जिक्र किया होगा।"
"हां हां"वह याद करते हुए बोले,"जगदीश मुकेश के रिश्ते की बात कर रहा था।"
"मेरी बेटी है गुड़िया,"मैने अपनी बेटी के बारे में बताया था।
"जगदीश गोत्र ले गया था।वो तो मिला लिए होंगे।"
"जी"मैं बोला,"अब आप बताये कैसी शादी चाहते है?"
"शर्माजी मैं अपने तीन बेटो की शादी कर चुका हूँ।मुकेश मेरा चौथे नंबर का बेटा है।मेरी सभी बहू उच्च शिक्षित है,"डॉक्टर साहिब बोले,"मैं चौथे बेटे के लिए भी पोस्ट ग्रेजुएट लड़की चाहता हूँ।"डॉक्टर साहिब बोले,"मेरी इच्छा है लडक़ी उच्च शिक्षित,चरित्रवान और संस्कारी हो।बस।"
"आप जैसी लड़की चाहते है।मेरी गुड़िया वैसी ही है।"मै अपनी बेटी के बारे में बताते हुए बोला,"आप चाहे जैसे पता करवा लें"
"कैसी बात करते हो शर्माजी।जांच कराने की जरूरत तब पड़ती है।जब कोई अपरिचित रिश्ता लेकर आये।"
"तो फिर आप बताइए कैसी शादी चाहते है।कोई आपकी मांग?"
"शर्माजी मांगने से कुछ नही होता।बेटी वाला अपनी हैशियत से देता है।मैं आप से मांग लू अनाप सनाप तो आप थोड़ी दे दोगे।आपकी जितनी हैसियत होगी।आप उतना ही तो दोगे।मैं तीन बेटो की शादी कर चुका हूँ।आप मेरे सम्बधियो से जाकर पूछ लें अगर मैने उनसे मांगा हो तो।"डॉक्टर साहिब बोले,"शर्माजी मेरी कोई मांग नही है लेकिन एक बात जरूर कहना चाहूंगा।"
"क्या?"मैं डॉक्टर साहिब को देखने लगा।
"आपने बेटी की शादी के लिए कोई संकल्प ज़रूर कर रखा होगा।कोई न कोई एस्टीमेट ज़रूर होगा।उसे हम कहे वैसे खर्च कर लेना।"
डॉक्टर साहिब के विचारों से मैं सहमत था।अभी तक मैने जहाँ भी बेटी के रिश्ते की बात चलाई थी।चार पांच लाख रुपये नगद की मांग की गई थी।इतने रुपये नगद देने का मतलब था।कम से कम दस लाख रुपये की शादी।डॉक्टर साहिब की बातों से मुझे लगा।शादी पांच छः लाख में हो जाएगी।जो मेरी सामर्थ्य के अंदर था।
"तो मैं कब आपकी सेवा में हाज़िर हो उ"
"गुड़िया का फोटो लाये हो।"
"आज तो नही लाया।"
"फ़ोटो दे जाते।मेरे पास और भी दो तीन लड़कियों के फोटो रखे है।घर पर सबको दिखा लूंगा।"
"कल आपको दे जाता हूँ।"
(शेष अगले भाग में)