Vishal Chhaya - 11 books and stories free download online pdf in Hindi

विशाल छाया - 11

(11)

रोबी कुछ क्षण तक उसे घूरती रही, फिर उसने इतनी जोर की टक्कर मारी कि अगर सरला हट न गई होती तो दिन में भी तारे नजर आ गये होते। रेखा के हटने के कारण रोबी अपने ही झोंक में मुंह के बल फर्श पर गिर पड़ी। 

रेखा बच्चों के समान तालियां बजा कर गिनती गिनने लगी। 

“तुम दोनों कौन हो?” रोबी ने खड़े होते हुए पूछा। उसके ललाट से रक्त बह रहा था। 

“लाओ ! मैं खून पोंछ दूं—” रेखा ने कहा। 

“यह मेरे प्रश्न का उत्तर नहीं है-” रोबी दहाड़ी। 

इसके पहले कि रेखा कुछ कहती, कमरे का द्वार खुला और वही आदमी प्रविष्ट हुआ जो प्रतिदिन उन लोगों के लिये भोजन लेकर आता था। द्वार खुलने से रेखा ने केवल इतना ही अनुमान लगाया था कि जिस कमरे में उन्हें रखा है, उसके सामने गलियारा है और कम्पाउंड है। वह आदमी कमरे में दाखिल होकर अंदर से दरवाजा बंद करने ही जा रहा था कि बाहर से द्वार ढकेला गया और प्रथम इसके कि पहले आने वाला नकाब पोश संभाल सके, वह तीनों उस पर टूट पड़े। वह तीनों इस बात की कोशिश कर रहे थे कि किसी प्रकार नकाब पोश का नकाब नोच डालें, मगर नकाब पोश बड़ा ही फुर्तीला था। वह एक बार झकाई दे कर उनके बिच से निकला और तेजी के साथ दरवाजे से बाहर निकल गया। वह तीनों झपट कर बाहर निकले, मगर नकाब पोश इस प्रकार ग़ायब हो गया था कि उन्हें दिखाई न दे सका। 

सरला और रेखा पहले तो इस उत्पात को आश्चर्य से देखती रही, फिर वह दोनों भी तेजी से बाहर निकलीं, मगर फी उन्हें रुक जाना पड़ा। क्योंकि उन तीनी आदमियों में से एक आदमी उनको दरवाज़े के पास ही खड़ा दिखाई पड़ा । उसके हाथ में रिवाल्वर था । रोबी भी बाहर आ गई । 

“तुम लोग कमरे में जाओ । ” उस आदमी ने तीनों लड़कियों से कहा । 

रोबी उसकी आवाज सुन कर चौंकी । वह तेजी से आगे बढ़ी और उस आदमी से बोली”क्या बात है ?”

“हम बड़ी मुश्किल से आपका पता मालूम कर सके है । ” उस आदमी ने बड़े अदब से कहा । 

“अपने दोनों आदमियों को बुला लो । नकाब पोश का पीछा करना बेकार है । ”

“क्या आप उसे जानती है ?” उस आदमी ने पूछा । 

“अगर मैं जानती होती तो अब तक स्वतंत्र न हो गई होती । ”

सरला और रेखा ने एक दुसरे की ओर देखा, कुछ संकेत किये और आगे बढीं । वास्तव में उन्होंने यह सोचा था कि वह दोनों बातें कर रही है, अतः निकल चलना चाहिये, मगर उनकी चाल सफल न हो सकी । उस आदमी ने उन दोनों को देख लिया और डपट कर बोला”सावधान ! आगे न बढ़ना । तुमको हमीरे साथ चलना है । ”

“मिस रोबी !” रेखा ने गिदगिड़ा कर कहा”शायद आप इन लोगों को जानती है । भगवान के लिये हम लोगों को आजाद करा दीजिये । हम जीवन भर आपके आभारी रहेंगे । ”

“यह लड़की कौन है ?” रोबी ने सरला की ओर देख कर पूछा । 

“शायद इसे आप जानती है ?” रेखा ने कहा”इसका नाम सरला है, यह क्राइम रिपोर्टर रमेश की मित्र है । ”

“कौन रमेश ? वही जो कभी कभी विनोद के लिये काम करता है ?”

“यह तो मैं नहीं जानती । ”

रोबी ने संकेत किया । वह आदमी हट गया । रेखा और सरला आगे बढीं और गलियारा पार कर के दालान तक आइं । 

सरला ने इधर उठ कर देखा । यह कोठी एक वीरान स्थान में बनी थी, जिसके चारों ओर चहार दीवारी थी । 

दोनों तेज क़दम बढ़ाती हुई सड़क पर आइं । यहां एक कार ख़डी थी । वह दोनों वहीँ रुक गइं । 

“अब क्या करना होगा ?” सरला ने पूछा । 

“मैं नहीं जानती! मुझे तो बस यही आज्ञा दी गयी थी कि जो कुछ होता रहे, मैं उसे चुपचाप सहन करती रहूँ!”

“कुछ समज में नहीं आता कि क्या चक्कर है?” सरला ने कहा। 

अभी वह दोनों कुछ निश्चय भी नहीं कर पायी थीं कि एओबी उन तीनों आदमियों के साथ वहाँ आ गयी और उस कार में बैठ गई। 

“क्या आप हम लोगों को साथ नहीं ले चलेंगीं?” रेखा ने पूछा। 

“क्यों नहीं, आओ बैठ जाओ –” रोबी ने बड़े कोमल स्वर में कहा। 

सरला और रेखा भी कार में बैठ गई। 

अब यह पोज़ीशन थी कि अगली सीट पर रोबी तथा उसके दो आदमी थे और पिछली सीट पर सरला, रेखा तथा रोबी का एक आदमी था। 

स्टेयरिंग स्वयं रोबी ने संभल रखी थी। 

“आप तो शायद अपने घर जायेंगी ?” रेखा ने रोबी से पूछा। 

“हां—” रोबी ने कहा। 

“तो फिर हमें शहर में उतार दीजियेगा । ”

“अच्छा!”

“धन्यवाद !” रेखा ने कहा। 

कार चल पड़ी, मगर थोड़ी ही दूर आगे जा कर रुक गई। 

“क्या बात है?” रेखा ने घबरा कर पूछा। 

“इन्जिन कुछ खराब हो गया है—” रोबी ने कहा और फिर अपने आदमियों से कहा –”देखो ! क्या बात है?”

इसके बाद ही सब लोग कर से नीचे उतर आये। तीनों आदमी तो इन्जिन देखने लगे और सरला तथा रेखा आगे बढ़ कर सड़क पर गड़े हुए पत्थर को देखने लगी। नगर यहाँ से तीस मील दूर था। 

अचानक उन्हें रोबी के चीख ने की आवाजें सुनाई पड़ी। वह दोनों घबरा कर मुड़ी, मगर ठीक उसी समय उन दोनों के सरों पर प्रहार किये गये और वह दोनों लहरा कर गिर पड़ीं। 

फिर उन तीनों आदमियों ने उन्हें उठा कर गाड़ी में डाला और जिधर से आये थे उसी ओर गाड़ी ले कर चले गये। रोबी वहाँ खाड़ी रही। 

कुछ ही क्षण बाद एक दूसरी कार विपरीत दिशा से आई और ठीक रोबी के पास आकर रुक गई। उसका ड्राइवर सीट पर इस प्रकार बैठा हुआ था, जैसे ऊँघ रहा हो। 

“ड्राइवर !” रोबी ने आवाज दी। 

“यस !” ड्राइवर बौखला कर सीधा हो गया। 

“तुमने इतनी देर क्यों की?” रोबी ने बिगड़ कर कहा। 

“बस देर हो गई—”द्रिवे ने कहा—”मुझे प्रोग्राम नहीं बताया गया था। ”

“चलो हटो –” रोबी ने कार में घुसते हुये कहा”गाड़ी मैं ख़ुद चलाउंगी। ”

“कार में कुछ खराबी है मादाम ! आपको कष्ट होगा। ”

रोबी कुछ नहीं बोली। वह चुपचाप ड्राइवर की बगल में बैठ गयी और कार नगर की ओर चल पड़ी। 

“क्यों मिस रोबी” अचानक ड्राइवर ने कहा। –”अब तो यह दोनों लड़कियाँ भी ट्रेनिंग सेंटर में भेज दी जायेंगी?”

“यह क्या बकवास है?” रोबी आंखें निकाल कर बोली

“मैं भी ट्रेनिंग सेंटर जाना चाहता हूं। ”

“तुम्हारा दिमाग तो नहीं खराब हुआ है। ”

“दिमाग तो तुम्हारा खराब हो गया है—” ड्राइवर ने हंस कर कहा। 

“शटअप !” रोबी चीखी। 

“यु शटअप ! ड्राइवर भी गरजा—”जबान संभाल कर बातें करो वर्ना मैं गाड़ी किसी खाई में गिरा दूंगा और फिर तुम्हारी हड्डियों का भी पता न चल सकेगा। ”

रोबी ने झल्ला कर हाथ घुमाया, मगर ड्राइवर ने बांये हाथ से उसका हाथ पकड़ लिया और बोला—

“तुम शायद मुझे भूल गई हो। वह रात याद करो जब होटल फेरियों में पहाड़ियों पर परछाईयां देख कर हारिस पागल हो गया थाऔर एक आदमी कार पर उसे ले गया था । ”

“मुझे याद है, मगर क्या वह आदमी तुम था?”

“हां, आपका यही सेवक था—” ड्राइवर ने कहा—”मैं दो दिन तक आपकी सेवायें भी करता रहा, मगर जब हालत यहाँ तक पहुँची कि तुम्हारे आदमियों ने मेरा पीछा करना आरंभ कर दिया तो विवश होकर मुझे उन दोनों लड़कियों से हाथ धोना पड़ा। ”

“तत  तुम  कौन हो?” रोबी हकला कर बोली। 

“कार ड्राइवर !” उसने कोमल स्वर में कहा—”आपका सेवक ...मगर मिस रोबी ! क्या आप यह बता सकेंगी कि आपने यह मूर्खता क्यों कि?”

“कैसी मूर्खता?”

“यही कि आप को तो सीधे ट्रेनिंग सेंटर जाना चाहिए था, मगर..”

“कैसा ट्रेनिंग सेंटर ?” रोबी ने बात काट कर पूछा—”तुम नशे में तो नहीं हो ?”

“आप बहुत बड़े घराने की लड़की है मिस रोबी! पढ़ी लिखी और बुद्धिमान भी हैं। कानून को भी जानती है, इसलिये आपने जो कुछ भी किया वह बहुत सोच समाज कर किया, मगर धोखा खा गई। ”

“यह तुम क्या बकवास कर रहे हो?”

“यह बकवास नहीं मदाम,बल्कि एक सच्चाई है—”ड्राइवर ने मुस्कुरा कर कहा—”आपने यह सोचा कि उन दोनों लड़कियों को अपने साथ यहाँ लायें और फिर एक नाटक की रचना करके उन दोनों को ट्रेनिंग सेंटर भिजवा दें और ख़ुद बड़े इत्मीनान से नगर पहुंच कर पुलिस तथा सम्बाद दाताओं को यह बयान दें कि आप तीनों लड़कियों को कुछ गुंडे उठा कर ले गये थे। फिर आपके आदमियों ने उन गुंडों का पता लगाया और उनके चंगुल से आप तीनों को छुडा कर वापस आ रहे थे कि उन गुंडों ने मार्ग में फिर हमला किया और उन दोनों लड़कियों को उठा ले गये। आप किसी प्रकार बच गयीं। ”

“यह बकवास है –” रोबी ने कहा”और अगर इसे सत्य भी मान लिया जाये तो इससे लाभ क्या है?”

“लाभ!” ड्राइवर हँसा, फिर कहने लगा—”लाभ यह है कि इस प्रकार का बयान दे देने से आपकी बदनामी नहीं होगी। आपकी ख्याति और इज्ज़त पर धब्बा नहीं लगेगा। पुलिस आपके बयान को सच मान लेगी और फिर कभी यदि वह लड़कियाँ वापस भी आयीं तो वह आपके विरुद्ध किसी प्रकार का बयान भी न दे सकेंगी, क्योंकि प्रत्यक्ष में तो आपने उन्हें मुक्त भी कराया था और अपने साथ उन्हें भी ला रहीं थीं। प्रकट है कि अप जैसी शुभचिंतक के विरुद्ध किसी प्रकार का बयान कैसे दे सकेंगी। ”

अचानक रोबी ने रिवाल्वर निकाल लिया और उसकी नाल ड्राइवर की बाईं बगल से लगा कर बोली। 

“कार रोक दो। ”

“केवल धमकी से काम नहीं चलेगा मिस रोबी?”ड्राइवर ने खिल्ली उड़ाने वाले भाव में कहा—”आप फायर कर दीजिए ताकि मैं मर जाऊं और आपको भी किसी प्रकार की कठिनाई न उठाना पड़े। सुनसान स्थान है। मेरी लाश खींच खांच कर किसी गड्ढे में डाल दीजियेगा और आराम से अपने घर चली जाइएगा। किसीको क्या मालूम हो सकेगा कि मुझे किसने क़त्ल किया। ”

रोबी इतना झल्ला गयी थी किउसने बिना सोचे समझे फायर कर दिया। 

ड्राइवर ने अट्टहास किया और बोला—

“रिवाल्वर का ट्रेगर दबाने से पहले सदेव यह देख लेना चाहिये कि चेम्बर भरा है या खली है। ”

रोबी ने बौखला कर हाथ खींच लिया और रिवाल्वर खोल कर देखने लगी। चेम्बर खाली था। 

“मुझे बड़ा दुख है मिस रोबी –” ड्राइवर ने कहा “अगर कहिये तो मैं अपना रिवाल्वर आपको दे दूं ?”

“तत.....तुम ..कक..कौन हो?” रोबी हकला कर बोली। अब वह सचमुच डर गयी थी। 

“नारेन—” ड्राइवर ने कहा। 

“तुम जूते हो –” रोबी खिसिया कर बोली। 

“हां हां हां –” ड्राइवर ने अट्टहास किया—”तो इसका मतलब यह हुआ कि आप नारेन को जानती हैं, क्या मैं गलत कह रहा हूं?”

अचानक रोबी ने रिवाल्वर का कुन्दा अपनी पूरी शक्ति से ड्राइवर के सर पर चलाया, मगर ड्राइवर ने अपने बायें हाथ से उसकी कलाई पकड़ कर मरोड़ दी। नतीजा यह हुआ कि रोबी के हाथ से रिवाल्वर छुट कर नीचे गिर पड़ा। फिर उसने रोबी की कलाई छोड़ दी और बायाँ हाथ नीचे लटका कर रिवाल्वर उठा लिया, फिर उसे जेब में रखता हुआ बोला-

“मिस रोबी! मुझे इस बात का दुख है कि तुम्हें बहुत ही गलत ट्रेनिंग दी गई। तुमको इतना भी मालूम नहीं की जो आदमी नारेन जैसे आदमी की खास फ्रेंड पर हाथ डालने का साहस रखता हो, उस पर बच्चों के इस खिलोने का कोई प्रभाव नहीं पड़ सकता.....खेर सुनो! अब एक ही मार्ग रह गया है, और वह यह कि तुम अपने दांत मेरी भुजाओं में गडा दो और अपने लम्बे लम्बे नखों से मुझे नोचना आरंभ कर दो ताकि मैं तुम्हारे ऊपर एक कहानी लिख सकूं, जिसका नाम हो –शरीफ कुतियाज़”