Mayavi Emperor Suryasing - 9 books and stories free download online pdf in Hindi

मायावी सम्राट सूर्यसिंग - 9


उस दिन सूर्या और सीतल दोनो भाले का टुकड़ा लेकर आ गए.... ऐसे करेके सूर्या ने सारे टुकड़े जमा कर दिए ..
फिर उन टुकड़ों को जोड़ने के लिए बोतल के जिन की आवश्यकता थी ।
उस जिन को लेने के लिए सूर्या को परलोग जाना था . पर वह जाना वाला कभी लौटकर वापस नहीं आया. ये सब कहते थे फिरभी सूर्या ने अपने जादुई शक्तियां का प्रयोग करके सूर्या परलोग की राह पर चल पड़ा।।
पर एक दिक्कत थी की परलोग में सब कुछ मिल सकती है पर जो जादुई जिन की बात करे तो उसे जन्नत की आग में डाल दिया जाता है।
पंद्रा दिन की शेयर बाद सूर्या परलोग के दरवाजे पहुंचा .. वहा पर एक नही पर दश –दश दरवाजे थे . सूर्या चारो ओर देखने लगा एक ही जैसे दिखने वाले दश दरवाजे अलग अलग तरह की मौत के पास के जाते थे. वहा पर सूर्या की शक्तियां भी काम करती नही थी.
सूर्या ने उम्मीद से एक दरवाजे को खोला की वो जा कर जन्नत की आग में गिरा पर जिंदा होनेके बजे से वो आग से उसे सिर्फ थोड़ी चोट आई परंतु उसे कुछ हुआ नहीं.
थोड़ी देर के बाद सूर्या उस दरवाजे से बाहर निकल आया. ऐसे करे सूर्या ने सभी दरवाजे को देखा अंत में वो आखिर कर परलोग में दाखिल हुआ. वहा पर उनका स्वागत हुआ और वहा के राजा फरिश्ते ने कहा कि तुमतो जिंदा होकर भी परलोग में क्या कर रहे हों.
उस बार सूर्या ने थोड़े जूठ बोल कर निकल गया . अब रात होने वाली थी सब फरिस्ते अपने अपने जादुई कवच में जाने लगे . वहा पर धीरे धीरे सन्नाटा छा ने लगा . तब सूर्या ने चारो ओर देखा पर वहा कुछ भी नहीं मिला .सूर्या आगे बढ़ा की वहा के पेड़ वजीर ने बड़े गहरे आवाज में कहा "तुम कहा जा रहे हो तुम नही पता की इस और जादुई जिन का पेड़ है"
सूर्या ने मुख पे मुस्कान लाकर बोला दादा में वही जा रहा हु में भी तो देखूं के जादुई जिन केसा है
ऐसा बोल कर सूर्या आगे बढ़ा थोड़ी देर जाने के बाद वो स्तभ सा रह गया की वहा पर एक बड़े ही जिन के जैसा एक पेड़ था उनके बेल में एक बोतल दिखी पर सूर्या जैसा आगे बढ़ा की वो बोतल वहा से गायब हो गई.
ओर जुसरी ओर प्रगट हुई और उस पेड़ में से आवाज आई "ढेर जाओ इंसान तुम ये बोतल नही ले सकते अगर तुम्हे वो चाहिए तो पहले सर्त जीतो "
कोनसी सर्त! सूर्या ने पूछा
पेड़ बोला की तुम बिना छुए उस बोतल को अपने हाथ में लेकर दिखाओ.
ठीक है ये बोल कर सूर्या सोचने लगा की केसे इस बोतल को लिया जाए. थोड़ी देर के बाद सूर्या बोला की तुम में वो ताकत नहीं की मुझे छू पाओ.
ऐसा सुनते ही पेड़ को गुस्सा आया और पेड़ ने सोचे बिना ही एक शाखा को सूर्या की ओर जोर से घुमाया वही शाखा पे जादुई बोतल थी जैसे ही वो बोतल सूर्या के पास आई की तुरंत सूर्या ने ले लिया और वो सर्त जीत गया .
उस पेड़ ने हस कर बोला आज से इस जिन के मालिक तुम...
सूर्या ने उस बोतल को खोला की उन में एक जिन निकला और बोला ‘क्या हुक्म है मेरे आका’
सूर्या ने बिना सोचे समझे कहा की यहां से हमे घर ले चलो
जिन बोला की जो हुक्म मेरे आका

ओर दोनो वहा से गायब हो गई...........