Mayavi Emperor Suryasing - 11 books and stories free download online pdf in Hindi मायावी सम्राट सूर्यसिंग - 11 (3) 1.6k 5.9k इस और राक्षस राजा अपनी मोज में जुट गया था। वो युद्ध की तैयारी छोड़ ऐयासी में डूब गया। ओर वो युद्ध को भूल ही गया था । अब राक्षस राजा की सेना उनसे घ्रेणा करने लगी थी की थोड़े दिनों बाद होने वाले युद्ध की राजा को कोई परवा नहीं है। ओर इस और सूर्यगढ़ में सभी सेना पति और सैनिकों की जोर शोरो से युद्ध की तैयारी देख कर लगता था की वो अब ये जीत कर ही मानेंगे। धर्मदेव और सुल्ताना–ए– सूर्यगढ़ मित्रा के पुत्र सूर्यसिंग को अब एक सेना के साथ तैयार हो गई । ।।।............… महायुद्ध.............. ।।। चिल द्वारा राक्षस राजा को संदेशा कहलवाया कि तुम्हारी पूरी सेना के साथ तैयार हो जाओ अब होनेवाला है युद्ध । ये सुन कर राक्षस राजा ने अपने सेनापति द्वारा सूर्यसिंग संदेशा कहलवाया कि तुम और तुम्हारी पूरी सेना हमारे सामने टिक नहीं पाएगी। हम तुम सबको चिटिकी तरह मसल कर रख देंगे। ये सब बाते वाते पूर्ण होने के बाद दोनो ओर से पांच आक्षोहिनी सेना युद्धे चढ़ी। महायुद्ध का पारंभ हुआ उसमे सूर्या का विकराल रूप राक्षस राजा के सेना का सहार कर रहा था । सूर्या अपनी जादुई शक्तियों से बिजली छोड़ रहा था उसमे राक्षसों का वध हो रहा था । चारो ओर राक्षसों के सब गिर रहे थे । बहुत दिनों की तैयारी ने अब अपना रंग दिखाना शुरू किया था। एक दिन पूरा हुआ ।दूसरा,तीसरा और ऐसे करके पंदर दिन तक युद्ध चलता रहा आखिर में सूर्या का विजय हुआ किंतु इस युद्ध में बोतल का जिन शहीद हुए। युद्ध के परिणाम और सर्त मुताबित राक्षस राजा का राज्य सूर्या को मिला । सबको पता चला कि सूर्या और कोई नहीं परन्तु अपने ही राज्य का होने वाला राजा है ।ये समाचार हवा की तरह पूरे सूर्यगढ़ में फेल गया । दूसरे दिन सूर्या का राज्याभिषेक होने वाला था। राज्याभिषेक के समय पर सब गांव वासी उपस्थित थे । लोगो ने धूम धाम से सूर्या का राज्याभिषेक किया । अब सूर्या सूर्या में से मायावी सम्राट सूर्यसिंग बन गया था। सूर्यगढ़ में शुभ अवसर के साथ सुख और शांति आने लगी । अब सूर्यगढ़ के सम्राट की शादी की बात होने लगी। दूर दूर से अच्छी अच्छी लड़किया के मांगे आने लगे। एक दिन सम्राट आखेट पर निकले वो मुर्ग के पीछे दौड़ते दौड़ते कब सूर्यगढ़ की सीमा से बाहर निकल गई उसका पता खुद को ही नही चला । वो दौड़ते दौड़ते एक बगीचे में पहुंच गए। अब सूर्यसिंग को प्यास लगी वो चारो ओर पानी खोजने लगे वही पर वहा की शहजादी अरूणा कवर पोधो को पानी पिला रही थी। सम्राट ने वहा से पानी पिया । साथ में वो शहजादी के रूप में मोहित हो गई। सम्राट काफी थके हुए थे । अपने प्राण के लिए उन्होंने अपनी पहचान छुपा दी। एक दिन रुक ने के बाद वो फिर से अपने राज्य वापस आए । ओर सबको अरूणा कवर के बारेमे बताया। सूर्यगढ़ के मंत्री अपनी टुकड़ी के साथ मगदबाद पहुंचे । ओर वहा के राजा को पूरे परिवार के साथ सूर्यगढ़ में बुलाया गया। सूर्यगढ़ में पहुंचते ही अरूणा कवर स्तंभ सी रह गई। उन्होंने देखा की इतने बड़े सूर्यगढ़ के सम्राट और कोई नहीं परन्तु जिसको उन्होंने पानी पिलाया था वही है। बाद में अली खान ने अरूणा के पिता से बात की ओर सूर्यसिंग का रिश्ता पक्का किया । ‹ Previous Chapterमायावी सम्राट सूर्यसिंग - 10 › Next Chapterमायावी सम्राट सूर्यसिंग - 12 Download Our App More Interesting Options Hindi Short Stories Hindi Spiritual Stories Hindi Fiction Stories Hindi Motivational Stories Hindi Classic Stories Hindi Children Stories Hindi Comedy stories Hindi Magazine Hindi Poems Hindi Travel stories Hindi Women Focused Hindi Drama Hindi Love Stories Hindi Detective stories Hindi Moral Stories Hindi Adventure Stories Hindi Human Science Hindi Philosophy Hindi Health Hindi Biography Hindi Cooking Recipe Hindi Letter Hindi Horror Stories Hindi Film Reviews Hindi Mythological Stories Hindi Book Reviews Hindi Thriller Hindi Science-Fiction Hindi Business Hindi Sports Hindi Animals Hindi Astrology Hindi Science Hindi Anything Vishnu Dabhi Follow Novel by Vishnu Dabhi in Hindi Fiction Stories Total Episodes : 13 Share NEW REALESED Horror Stories भुतिया एक्स्प्रेस अनलिमिटेड कहाणीया - 18 Jaydeep Jhomte Fiction Stories पथरीले कंटीले रास्ते - 10 Sneh Goswami Moral Stories सर्कस - 8 Madhavi Marathe Fiction Stories फादर्स डे - 55 Praful Shah Mythological Stories शकुनि Renu Horror Stories भयानक यात्रा - 14 - महल का राज़। नंदी Human Science नदी और लोकजीवन ramgopal bhavuk Detective stories अमानुष-एक मर्डर मिस्ट्री - भाग(१४) Saroj Verma Moral Stories कंचन मृग - 13-14. मेरी यात्रा को गोपनीय रखें Dr. Suryapal Singh Short Stories एक अनोखा मिलन। Nitesh Kumar