Barsaat ki raat - 2 books and stories free download online pdf in Hindi

बरसात की रात - 2

भाग – 2

दोनों ने सारा माल बांट लिया और अपना अपना बैग सर के नीचे रख कर लेट गए, दोनों की आंख बस लग ही पाई थी कि तभी रूपेश को लगा जैसे कोई बड़ी तेज तेज किसी पत्थर पर हथौडा मार रहा हो |

रूपेश ने बब्बन को उठाया लेकिन बब्बन गहरी नींद में था, रूपेश ने इधर-उधर देखा तो दूर ऐसा लगा जैसे कोई कब्र के पास बैठा कब्र को तोड़ने की कोशिश कर रहा था और उसी पर हथौडे से वार कर रहा था, रुपेश को न जाने क्या हुआ कि इस बारिश मे भी वो धीरे-धीरे उसके पास चला गया तो देखा सच में एक आदमी कब्र को तोड़ने की कोशिश कर रहा था |

रुपेश डरते हुये बोला - “क....क.....क्या भाई.. य.. ये तुम कब्र को क्यों तोड़ रहे हो” ?

आदमी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और वह बराबर हथौडा कब्र पर मारता रहा|

रुपेश ने फिर कहा लेकिन इस बार भी कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली |

रूपेश ने डरते हुये अपना हाथ धीरे धीरे बढ़ाया और उस आदमी के कंधे पर रखा तो वह आदमी इतनी तेजी से मुड़कर चिल्लाया की रुपेश की सांसे थम गईं, उस आदमी का मुंह इतना बड़ा और काला चिल्लाते चिल्लाते फैल गया था कि उसमें तो कोई बड़ी से बड़ी चीज भी समा जाती और वो जाने कहां गायब हो गया |

रुपेश बुरी तरह डर गया, उसकी सांस रुकने सी लगी वो बडी तेजी से वापस उसी जगह गया जहां वो लेटा था, उसने बब्बन को उठाया और यह बात बताई बब्बन ने कहा, “ मैं तो तुमसे पहले ही कह रहा था कब्रिस्तान में रहना ठीक नहीं है लेकिन तुम मानते कहां हो, अब अगर कोई आवाज सुनाई देती है तो ध्यान मत दो, चुपचाप सो जाओ” |

यह कह कर वो लोग फिर लेट गये | अब दोनों ही कब्रिस्तान से जाना चाह रहे थे, लेकिन नोटों के भीग जाने के डर से नही गये | कुछ देर बाद वह पायल की आवाज फिर से सुनाई दी लेकिन सिर्फ बब्बन को, उसने उठकर देखा कब्रिस्तान की कब्र के ऊपर कोई औरत सी खड़ी थी, जिसका चेहरा साफ नहीं दिख रहा था, उसके कपड़े लाल चमकीले थे और शरीर पर खूब सारे गहने थे, अजीब बात तो ये थी कि इतनी बारिश और रात होने के बावजूद भी उसके गहने बहुत ज्यादा चमक रहे थे, तभी उसने अपना बैग देखा तो वो बैग खाली था, उसे गुस्सा आने लगा पर वो औरत कामुकता से उसे देखे जा रही थी और बुला रही थी, बब्बन यह देख कर बड़ा खुश हुआ उसने रूपेश को उठाया और कहा, “ देख रुपेश... वो औरत ...इसी की पायल की आवाज सुनाई दे रही थी, और सुन इसने हमारे सारे गहने उठा लिये हैं, इसके पास चलते हैं ना..... |

रुपेश पहले से ही बहुत डरा था उसने बब्बन से कहा, “ नहीं ..नहीं.. यह जरूर कोई भूत प्रेत होगा, तू आंखें बंद कर और चुपचाप लेट जा” |

लेकिन जब रूपेश ने अपने बैग के जेवर देखे तो वो भी गायब थे, इसलिये रूपेश भी उस औरत को ढूंढने लगा |

दोनों इधर उधर देखने लगते हैं लेकिन वह औरत गायब हो जाती है इससे वह दोनों घबरा जाते हैं और ना चाहते हुये भी अपने जेवर छोड कर तुरंत ही कब्रिस्तान से भागने का फैसला कर लेते हैं, दोनों उठकर धीरे धीरे चलने लगते हैं, बारिश कुछ इस कदर होये जा रही थी कि जैसे आज वो ये पूरा कब्रिस्तान डुबो देगी, चलते चलते बब्बन को लगा कि उसके पीछे कोई है, उसने पीछे मुड़कर जैसे ही देखा तभी जोर से बिजली कडकी जिसकी चमक मे उसे वह औरत फिर दिखती है, उसकी आंखों में सम्मोहन इतना ज्यादा होता है कि बब्बन उस पर मोहित हो जाता है और भीगता हुआ उसकी ओर चला जाता है |

कुछ कदम चलने के बाद जब रुपेश को अपनी बात का कोई जवाब नहीं मिला तो वह पीछे मुड़कर देखता है, बब्बन गायब था | यह देखकर वह घबरा जाता है और बब्बन को आवाज देता है पर कोई जवाब नहीं मिलता | वो चारों ओर देखने लगता है उसे लगता है जैसे सारे पेड उस पर हंस रहे हों, सारी कब्रें चीख रहीं हों, इस मूसलाधार बारिश मे भी उसके माथे पर उसे पसीना महसूस होने लगता है | उसका दिल इतनी तेजी से धड़कता है कि मानो उसकी धडकन रुक जाएगी | उसका मन बार-बार कहता है कि वह वापस जाकर बब्बन को देखे लेकिन उसके दिमाग ने उसको जाने नहीं दिया, वह तेजी से भागने लगा, कब्रिस्तान में अब बुरी तरह पानी भर चुका था, जिसमें छपाक छपाक करते वह बाहर की तरफ भागने लगा, तभी उसके सामने वही आदमी कब्र तोड़ते हुए दिखा, वो हथौडा पत्थर पर बार-बार मार रहा था, जिसकी टन टन की आवाज सीधा रुपेश के दिमाग से टकरा रही थी |

बरसात की ये रात आज रूपेश को इतनी लंबी लग रही थी मानो इस रात की सुबह ही न होगी | रुपेश ने डरते हुये कहा, “क...क.....कौन हो तुम? आखिर मुझे क्यों डरा रहे हो? बोलते क्यों नहीं, मुझे पता है यह सब कुछ नहीं होता” |

उस आदमी ने मुस्कुराते हुये रहस्यमई आवाज मे जवाब दिया, “तुम्हारे लिए कब्र खोद रहा हूं...हा....हा....हा....हा.....” उसकी आवाज ऐसी लग रही थी जैसे उसके गले में कोई चीज फंस गई हो |

रूपेश ने गुस्से में कहा, “पागल हो गए हो क्या? मैं जिन्दा हूं, मेरे लिए कब्र खोद रहे हो, मैं खुद तुझे इसमें सुला दूंगा” |

इस पर उस आदमी ने कहा, “ मैं तो कब से सो रहा था लेकिन अब तुम्हारे सोने की बारी है, मैं तुम्हें सुला दूंगा..हा..हा..हा...हा...” |

यह कहकर वो पीछे मुड़ा और उसने रूपेश का गला दबा दिया, उसका दम घुटने लगा | उस आदमी के बड़े बड़े नाखून रुपेश की गर्दन में चुभने लगे, उसका भयानक चेहरा रुपेश के बिल्कुल सामने था | रुपेश की सांसे टूटने लगीं तभी छन.. छन.. की आवाज फिर आई और वो खौफनाक आदमी या भूत फिर गायब हो गया |

रुपेश की जान में जान आई, वह तुरंत वहां से तेजी से भागा, तभी ऐसा लगा जैसे वो हथौडे की टन.... टन.... की आवाज और तेज हो रही हो और देखते देखते सारी कब्रें खुलने लगीं | जिनमें तेज बारिश का पानी भरने लगा |

रुपेश ने अपने कदम और तेजी से बढाये, बारिश और अन्धेरे के कारण उसे कुछ नजर नही आ रहा था ये तो शुक्र था कि कब्रिस्तान के बाहर रोड पर एक स्ट्रीट लाइट जल रही थी लेकिन बारिश के कारण वो भी बार बार जल बुझ रही थी, जिससे उसे कब्रिस्तान का गेट दिख जाता था |

हथौडे की टन टन के शोर से उसके कान फटे जा रहे थे,  कि तभी रुपेश को कुछ उम्मीद जगी क्युंकि वो कब्रिस्तान के गेट के पास पहुंचने ही वाला था कि एकदम से वह किसी चीज में टकराकर पानी मे छपाक से गिर गया और उसके सिर मे कोइ चीज चुभ गई जिससे उसके सिर से खून बहने लगा, जब उसने पानी में टटोला तो उसे कोई चीज मिली, वो कुछ और सोचता कि इससे

पहले जोर से बिजली चमक उठी जिसकी चमक मे जो उसने देखा उसे देखकर तो वो बिल्कुल हैरान रह गया क्युंकि ये घडी थी वो भी बब्बन की, घडी का शीशा टूटा हुया था और उसकी सुइयां बारह पर रुकी थीं |

उसने अपने दुसरी ओर देखा तो उसकी आंखें फटी की फटी रह गई, उसका मुंह खुला का खुला रह गया, जमीन में बब्बन पड़ा था, बरसात का सारा पानी उसके फैले हुये मुंह मे घुस रहा था,  उसके सीने से उसका दिल गायब था, लेकिन यह हुआ कैसे? किसने मारा बब्बन को? अगर बब्बन की मौत रात के बारह बजे ही हो गई थी तो फिर वो कौन था जो अब तक उसके साथ रहा ...??