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द एजेंटस - 1

एक सड़क दुर्घटना होती है गलती इस व्यक्ति की थी जो गाड़ी चला रहा होता है क्योंकि उसने लाल बत्ती पर गाड़ी चालू रखी और वक्त से पहले सड़क पार करने की कोशिश की तो किसी लोरी वाले ने उसे ठोक दिया यह पूरी घटना एक 18 साल का बच्चा देख रहा होता है और अपने संविधान के नियमों के बारे में सोच कर लंबी सांस लेकर छोड़ देता है
और कहता है अब तो यह आम सा किस्सा है फिर वह वहां से चला जाता है घर आता है और खाना भी खा कर दोपहर को सो जाता है शाम को उठता है तो अपने छोटे भाई को जो कि उससे 1 साल छोटा होता है फिर दोनों अपने दूसरे दोस्त को बुलाने जाते हैं फिर वह तीनों बाकी के दो दोस्तों के घर जाते हैं उन्हें खेलने बुलाने के लिए वह दोनों भी भाई होते हैं वह सब फिर पार्क के लिए निकलते हैं वे सब क्रिकेट खेलने के लिए जाते हैं वह बच्चा उन चारों को दोपहर का वह हादसा बताता है रास्ते में तभी वह देखते हैं कि किसी लड़के को कुछ लोग जबरदस्ती अपनी गाड़ी में डालने की कोशिश कर रहे हैं और आसपास के लोग सिर्फ वह तमाशा देख रहे हैं फिर उस लड़के को उन लोगों ने गाड़ी में डाल दिया और वहां से जाने लगते हैं तभी वह पांचों अलग-अलग दिशा में भागते हैं और उस गाड़ी का पीछा करने लगते हैं पीछा करते-करते वे सब बहुत थक जाते हैं फिर भी हार नहीं मानते और बस पीछा करते ही रहते हैं। वह गाड़ी एक जंगल की ओर जाता है। वह बच्चे सोचते हैं कि हमें जोश से नहीं होश से काम लेना चाहिए, फिर वह लोग गाड़ी रोक देते हैं फिर ये लड़के छुप जाते हैं और सब कुछ देखने लगते हैं कि वह लोग गाड़ी से बाहर निकल रहे हैं तभी यह लड़के आसपास देखते हैं तो कुछ मोटी मोटी लकड़ियां पढ़ी थी और कुछ पत्थर भी । फिर वह लड़के उन्हें पेड़ के ऊपर चढ़कर मारते हैं फिर वह लोग बेहोश हो जाते हैं । फिर वह 5 लड़के उस लड़के को गाड़ी से बाहर निकालते हैं फिर वह लड़का गाड़ी से बाहर निकलता है और कहता है भाइयों मैं तुम्हारा यह एहसान कैसे चुकाऊंगा तुमने मेरी जान बचाई तुम लोगों का मुझ पर बहुत बड़ा उपकार है मैं तुम्हारा सदैव आभारी रहूंगा । फिर कहता है की क्या तुम्हारे पास फोन है मैं अपने पापा को बुलाउंगा वे लड़के कहते हैं हां जरूर हम भी तुम्हारे पापा के साथ ही चले जाएंगे लडका अपने पापा को फोन करता है और पुरी घाटना बताता है उसके पापा कहते हैं तुम चिंता मत करो हम तूरंत पहुँच रहे हैं। वो फोन की लोकेशन को ट्रैक करते हैं और पता करते है की वे कहां है और फिर अपने साथियो को लेकर चले जाते है। उसके पापा बहुत सारी पुलिस फ़ोर्स के साथ वहां पर पहुंचे। फिर जिसका किडनैप हुवा था वो अपने पापा से गले मिला है। वहा पांचों सोच रहे थे की एक लडके को लैने के लिया इतनी सारी पुलिस फोर्स फिर एक लडके ने कहा आखिरकार माजरा किया है। वहां एक पुलिस वाले ने कहा। ये हमारे देश के NIA ऐजेंसी के चीफ हैं । फिर एक लड़के ने कहा यानी वह लड़का जिनको अपना पापा बुला रहा है वही है किया ? उस पुलिस वाले ने कहा हां.. भाई !
फिर उसी पुलिस वाले ने कहा इनका नाम "श्री विवेकानंद सिंह ठाकुर"
फ़िर एक लडके ने कहा सबका सरनेम इनहोने ले रखा है किया? फिर वही अध्यक्ष (Chief) इन पाँचों से कहते है की तुम सब मेरे साथ आओ !
फिर उनमे से एक बोला सर हमने कुछ भी नहीं किया है !!!

हमने तो बस आपके बेटे की जान बचाई है फिर चीफ बोले डरों मत मैं सब जानता हूँ की तुम लड़कों ने बहुत साहस और बहादुरी से काम किया है । मैं तुम्हे इनाम भी दूंगा , अब यहाँ से चलते है यह कहते हुए चीफ उन सभी को गाडी मे बैठाते है। फिर उन सभी से उनका नाम पूछा।

पांचों ने अपना अपना नाम बताया - जो लड़का 18 साल का था उसका नाम "सिकंदर " था और उसके भाई का नाम - " विक्रम " था । और वह जो उनका दोस्त था उसका नाम - " अशोका ” था । और वो तीनो जिन दोनो भईयों को बुलाने को गए थे उनमें से बड़े वाले का नाम - " शिवा ” और छोटे वाले का नाम -" दीव " था ।फिर वह चीफ उनको उनके घर छोड़ देते है । फिर चीफ उन पांचों बच्चों के परिवार को अपने घर रात को खाने पे बुलाते है ।

वे सब अपने माता पिता के साथ वही पे पहुंचाते हैं। वहां चीफ उन सभी का बहुत बेहतरीन तरीके से स्वागत करते है । फिर चीफ उनको खाने पे ले जाते है , सब खाना खा लेते है। फिर चीफ उनके माता-पिता से कहते हैं हम सब इन बच्चों को सम्मानित करना चाहते है , इसीलिए आप सब जा सकते हैं ये पुलिस वाले आपको छोड़ देंगे । मैं इन‌ स सभी को हेडक्वाटर ले के जा रहा हूं । वहां NIA. के हैडक्वाटर में देश के बहुत महतवपूर्ण व्यक्ति जैसे प्रधानमंत्री , राष्ट्रपति , सीबीआई के चीफ , सीआईडी के चीफ , सीआईएफ के चीफ , और रॉ के चीफ। उनका इंतज़ार कर रहे थे । और यहां तक कि देश के आर्मी के कर्नल , जनरल , एवं इत्यादि लोग बैठे थे । और मिलिट्री के चीफ भी बैठे थे , ये सभी वहां पे पहुंचते हैं और उन सभी लोगों को देख कर बहुत हैरान हो जाते हैं । दिल ने तभी कहा कि अब हमने ऐसा क्या कर दिया ???...