Aakhri Mohabbat - 1 books and stories free download online pdf in Hindi

आख़री मोहब्बत - 1

कल रात यह क़ुबूल कर लिया कि तुम जा चुकी हो। यूं तो तुम्हारे जाने का सिलसिला महीनों पहले सुरु हो चुका था मगर दिल तुम्हारे चले जाने को कबूल नहीं कर पा रहा था। कल समझ आया कि रिश्ता ख़त्म होने से ख़त्म नहीं होता। रिश्ता ख़त्म तब होता है, जिस लम्हे में हम रिश्ते की मौत कबूल कर लेते हैं।

पिछले पांच सालों में यह पहला मौक़ा है जब लिखते समय मेरे हाथ कांप रहे हैं। मुझे समझ नहीं आ रहा है कि क्या लिखूं। मुझे समझ नहीं आ रहा कि मैं यह क्यों लिख रहा हूं। तुम्हें इतनी मोहब्बत करने के बाद यह लिखना किस चीज की कमी पूरी करेगा, मैं समझ नहीं पा रहा। लिखना मुझे आजाद करता है, मगर यह सब लिखकर और आजाद होकर मैं क्या हासिल करूंगा, मुझे समझ नहीं आ रहा। मगर लिखे बिना अजीब बेचैनी है। मैं इस बेचैनी से निजात चाहता हूं। इसलिए यह लिखना शुरू कर दिया है।

तुम्हारे जाने से पहले ही मैंने प्यार पर लिखना छोड़ दिया था। मैंने हमारे बारे में लिखना छोड़ दिया था। मैं प्यार पर लिखता था। मैं बिना हिचकिचाहट के अपनी जाती जिंदगी को लिखता था। इसी से मुत्तासिर होकर लोग मुझे पसन्द करते थे। इसी से मुत्तासिर होकर तुम भी मुझे प्यार करने लगी थीं। मगर तुमको जाता हुआ देख मैंने लिखना छोड़ दिया था। मैं जो कुछ भी आज लिखने की कोशिश कर रहा हूं, यह मैं महीनों पहले लिख देना चाहता था। मगर लिखने की हिम्मत ही नहीं हुई।

इस वक़्त मेरा दिमाग़ काम नहीं कर रहा है।मेरी जिंदगी में तुम नहीं हो, यह महसूस करते हुए बहुत दुख महसूस हो रहा है। मगर इस सच को मान लेने के अलावा कोई चारा मेरे पास नहीं है। हम दोनों शायद किताबों वाला प्यार करना चाहते थे। कम से कम मैंने तो तुमसे किताबों वाला इश्क़ किया और करना चाहा था। तुम भी मेरे इश्क़ के असर में कुछ कुछ मेरे जैसा इश्क़ करने लगी थीं। जब मैं तुम्हारा होने की बात करता तो तुम्हारे भीतर भी मेरी होने की खुसी पैदा होने लगी थी। चाहे वह खुसी एक लम्हे भर के लिए थी, खुसी लम्हे भर थी मगर वह थी, यह महसूस कर के ही मुझे बहुत सुकून मिलता है।

मैंने तुम्हारे लिए लेख लिखे, ख़त लिखे, तुम्हे यह एहसास कराया कि तुम दुनिया की सबसे खूबसूरत लड़की हो। मैंने बार बार तुमको यह यक़ीन दिलाया कि मैं तुमसे बेइंतहा मुहब्बत करता हूं और तुम्हारे बिना ज़िंदा रहना मेरे लिए नामुमकिन है। मैंने तुमको यक़ीन दिलाया कि तुम मेरी आख़िरी मुहब्बत हो और तुम्हारे बाद मेरी जिंदगी में कोई लड़की नहीं आ सकेगी। मैं तुमसे अगर शादी नहीं कर सका तो ये सपना सपना ही रह जायेगा मेरे इन वादों, दावों, बातों को तुमने गौर से सुना और काफ़ी हद तक यक़ीन भी किया।

मगर ये दुनिया किताबों वाले इश्क़ को कहां कुबूल कर पाती है। ज़िन्दगी भी किताबों वाले इश्क़ के हिसाब से नहीं चलती है। तुम मुझे छोड़कर चली गईं तो मैं बहुत देर तक इस सिलसिले के सच को इनकार करता रहा। मुझे सब कुछ झूठ, एक सपना लगता रहा। मगर समय के साथ यकीन हो गया कि तुमने मुझे छोड़ दिया है। यह सब लिखते हुए मैं कमज़ोर महसूस कर रहा हूं। बहुत पुरानी बात नहीं है जब मैं सारा दिन सारी रात तुमको याद कर के रोता रहता था। तुमसे बात नहीं हो पाती थी, तुमको देख नहीं पाता था, तुम्हारे नज़दीक नहीं रह पाता था और इसी ग़म में मैं फूट फूटकर रोता था। वक़्त बेवक्त, बात बेबात आंसू छलक उठते थे। इश्क़ की सारी हदें तुम्हारी मुहब्बत में मैंने पार की। तुम दिन भर की सारी उलझंनो से निपट कर मुझसे मिलने बात करने आती थी मैं भी भूखे प्यासे अधसोए अधजगी आंखों के सूरतहाल में तुमसे बात करता था और तुम्हारे पास रहता था। हम मिले। हम मिले और फिर बिछड़ गए। तुम चली गईं।

मुझे तुमसे कोई शिकायत नहीं है। मैं आज जो लिख रहा हूं इसमें खुद को खुदा और तुमको बेवफा साबित करने का कोई मंसूबा नहीं है। मेरे दिल में कोई सवाल नहीं हैं। न अफ़सोस है। हां मगर मेरे अंदर बहुत सारा दुख है। दुख इस बात का है कि इस मनहूस दुनिया में प्रेम कहानियों को क्यों किसी का साथ नहीं मिलता है। क्यों प्रेम कहानियों की मौत हो जाती है।

मैं बातों को कैफियत से नहीं लिखना चाहता। मैं तुमसे कितनी मुहब्बत करता हूं, तुम मेरी ज़िदंगी में क्या मायने रखती हो, तुम्हारा और मेरा क्या रिश्ता रहा है, यह मैं तुम्हारे नाम लिखी गई चिट्ठियों में तुमको बता चुका हूं। आज फिर उनका ज़िक्र करना मुनासिब नहीं है। आज मैं बस यह कहना चाहता हूं कि तुमने ठीक किया। तुमने चले जाने का जो फैसला किया, वह बिल्कुल सही था। मेरी जिंदगी, मेरा मुस्तकबिल तुम्हारी उम्मीदों के मुताबिक नहीं था। मेरी ज़िन्दगी, तुम्हारी खुशियों के साथ तालमेल बैठाने के काबिल नहीं थी। तुम मुझ से जो जिंदगी चाहती थी, जो मुस्तकबिल चाहती थी,
वो मैं आज तुमको देने के काबिल नहीं था। मैं चाहकर भी वह सब नहीं कर सकता था, जिसकी उम्मीद तुमको मुझ से थी।
मैं एक उदास लड़का हूँ, जो अपनी फेमिली की वजूहात से आज अजीब सूरतेहाल में फंसा हुआ है। मैं बेरोजगार सा ही हूं, पैसा नहीं कमा पा रहा हूं और यह सूरतेहाल मेरी खुद की चुनी हुई है। अपने फेमिली की जिम्मेदारी को निभाने के लिए मुझे अपना कैरियर,अपना रोजगार छोड़ना पड़ा है। मैं फेमिली की ज़िम्मेदारी छोड़कर नहीं जा सकता सपने पूरे करने, पैसा कमाने, में ,
मैं अपनी ज़िन्दगी खुदगरजी में खर्च नहीं कर सकता। मुझे मुआशरे के लोगो के लिए नही जीना है ,अब एक बेरोजगार, फक्कड़, पागल उदास लड़के को छोड़कर तुमने कोई गलत फ़ैसला नहीं किया है। तुम्हें अपना मुस्तकबिल महफूज करने की पूरी आज़ादी है। इसलिए तुम्हारा फ़ैसला पूरी तरह सही है। मुझे इसमें कोई कोताही नहीं दिखती। तुमने ठीक ही किया है।
जब तुम गईं, तब यह कबूल करना मुश्किल था कि तुम जा चुकी हो। मैं तब खूब रोया था। कुछ वक्त के बाद मैंने यह कबूल कर लिया कि मैं अपने हिस्से का प्यार इस जिंदगी में कर चुका हूं। मैंने धीरे धीरे सारे जादू, उम्मीदों को छोड़ना शुरू कर दिया था। इस वक़्त में उदास और बेबस हूँ ,तुम चाहे मेरी मोहब्बत नहीं बन सकीं मगर मैंने तुम्हे पाने की जद्दोजहद जारी रखी। आज तुम मेरी जिंदगी की खुवाहिस बन चुकी हो सब कुछ तुम्हारे आस-पास चल रहा है। सब कुछ तुम्हे पाने के लिए कर रहा हूं।

तुमसे आज भी उतनी ही मुहब्बत करता हूं, जितनी तुमसे पहले दिन करता था। मगर तुम्हारे फैसले का पूरा एहतराम भी करता हूं। तुम खुश रहो यह चाहता हूं मैं। मगर अब तुम्हारा इन्तज़ार भी नहीं रहा मैं तुम्हारे बाद अब किसी लड़की से प्यार नहीं करना चाहता। इसलिए नहीं कि मन खट्टा हो गया है। बल्कि तुम्हारे आगे अब किसी लड़की का प्यार मुझे मजबूर नही कर सकता इसलिए, कम से कम फिलहाल तो यही कबूल है। तुम चाहती थी कि मैं खुश रहूँ मैं अपनी तरफ से कोशिश करूंगा और खुदा से दुआ करूंगा कि तुम्हारी यह खुवाहिस ज़रूर पूरी हो। तुम सदा इसी तरहा खुश रहो,तुम्हारे सपने पूरे हों, तुम्हारा अच्छा मुस्तकबिल हो बस यही मेरी चाहत है।

तुमको पसन्द नहीं था कि मैं तुम्हारे लिए आंसू बहाऊं इसलिए अब मैं कम ही रोता हूं। तुमको मेरा सिगरेट पीना भी पसन्द नहीं था इसलिए मैंने इस काम पर भी लगाम लगा दी है। तुमसे मुहब्बत तो इतनी है कि आज भी अपनी जान देना चाहता हूं तुम्हारे लिए। मगर इस दुनिया में प्रेम कहानियां इस कदर लानती हैं कि जान देने से भी इनकी बदकिस्मती नहीं टाली जा सकती। कुछ दिनों बाद तुम तक यह लिखा हुआ पहुंचेगा। तुमको अगर इसे पढकर ठेस पहुंचे तो मुझे माफ कर देना। अगर भूल चुकी हो मुझे तो अपनी ज़िंदगी, अपने सपनों में ख़ुश रहना।

To be continue...................

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