Unsolved Questions - Short Stories (Part2) books and stories free download online pdf in Hindi

अनसुलझा प्रश्न - लघुकथाएं(पार्ट2)

3--असमंजस
"रमेश लौट आया "
रमेश कुछ महीने पहले हमारी कॉलोनी में आया था।उसकी पत्नी दीपा गर्भवती थी।डिलीवरी का समय नजदीक आने पर रमेश पत्नी को मा के पास गांव में छोड़ आया।
एक दिन सीढ़ियों से उतरते समय दीपा का पैर फिसल गया।माँ का फोन आते ही रमेश गांव चला गया।गिरने कज वजह से बच्चा पेट मे ही मर गया।गांव में बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध न होने के कारण दीपा को बचाया नही जा सका।उसका गांव दूर होने के कारण मैं शोक प्रकट करने उसके गांव नही जा सकी।इसलिए उसके लौटने का समाचार मिलते ही उसके गांव जा पहुंची।रमेश बैठा किसी युवती से बाते कर रहा था।मुझे देखते ही बोला,"आओ आंटी"
मेरे बैठते ही उस युवती से परिचय कराते हुए बोला,"यह नेहा है आपकी बहु।"
रमेश ने दीपा की चिता की आग ठंडी होते ही नेहा से शादी कर ली थी
मेरी समझ मे नही आ रहा था।शोक प्रकट करू या बधाई दू
4---सड़क
कोलोनी के पास से गुजरने वाली सड़क की हालत काफी खराब थी।इस वजह से आये दिन दुर्घटनाये होती रहती थी।लोग सड़क बनवाने की मांग पिछले काफी दिनों से कर रहे थे।लेकिन प्रशासन के कान पर जू नही रेंग रही थी।एक दिन एक आदमी मोटर साईकल से पत्नी और बच्चे के संग जा रहा था।सड़क पर जगह जगह गड्ढे हो रहे थे।गड्डो की वजह से सावधानी बरतने पर भी मोटर साईकल सामने से आ रहे ट्रक से टकरा गई।तीनो लोगो की घटना स्थल पर ही मौत हो गई।
इस दर्दनाक हादसे से लोगो का गुस्सा फूट पड़ा।उन्होंने सड़क पर जाम लगा दिया।पुलिस के समझाने पर भी वह नही हटे।उनकी एक ही मांग थी,"डी एम साहिब खुद आकर बात करे"
शहर के डी एम नये आये थे।उन तक बात पहुंची तो वह लोगो से मिलने घटना स्थल पर जा पहुंचे।उन्होंने स्वंय अपनी आंखों से देखा।सड़क बहुत ही जर्जर अवस्था मे थी।उन्होंने सड़क शीघ्र बनवाने का आश्वासन देकर जाम खुलवाया था।
ऑफिस पहुंचकर उन्होंने पी डब्ल्यू डी से सड़क की फ़ाइल मंगवाई थी।फ़ाइल देखकर वह दंग रह गए।
जिस सड़क को बनवाने का आश्वासन वह लोगो को देकर आये थे।कागज पर वह सड़क पन्द्रह दिन पहले ही बन चुकी थी और ठेकेदार को उसका भुगतान भी हो चुका था।
5--पद
गांव मे जश्न का माहौल था।आज ठाकुर की बेटी की शादी थी।ठाकुर ने पूरे गांव को भोज का न्योता दिया था।
ठाकुर दरवाजे पर मेहमानों के स्वागत के लिए हाथ जोड़े खड़ा था।बारात आ चुकी थी।स्टेज पर वर वधु को आशीर्वाद देने का कार्यक्रम चल रहा था।
हरिया भी सज संवरकर दावत खाने के लिए आया था।हरिया को देखते ही ठाकुर की भृकुटी तन गई,"तेरी हिम्मत कैसे। हुई?जानता नही अछूत को मेरे घर आने की इजाज़त नही।।सब का धर्म भ्रष्ट करेगा।फुट यहाँ से भाग"
हरिया की सारी ख़ुशी काफूर हो गयी।ठाकुर से बेइज्जत होकर वह दूर जाकर खड़ा हो गया।
तभी कलेक्टर साहिब की गाड़ी दनदनाती हुई आ गयी।ठाकुर गाड़ी देखते ही भाग दौड़कर उसने कार का दरवाजा खोला।ठाकुर वर वधु को आशीर्वाद दिलाने के लिए कलेक्टर साहिब को हाथ पकड़कर स्टेज पर ले गया था।
दूर खड़ा हरिया सोच रहा था।कलेक्टर साहिब भी हरिया की जाति के है।पर उसे ठाकुर की डांट सुनने को मिली थी।जबकि कलेक्टर को मान सम्मान।
यह शायद पद का रुतबा था।