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दो रास्ते - भाग-4

कहानी दो रास्ते भाग 4


नोट - पिछले अंक में आपने पढ़ा कि दूसरे शहर में रहने वाली रीमा की एक सखी गीता ने किसी औरत को संजू के साथ देखा था . रीमा अपने पति अमर के साथ बेटे की तलाश में वहां जाती है , अब आगे ….

उस झोपड़ पट्टी में ज्यादातर दिहाड़ी मजदूर , महरी , ठेले पर फल सब्जी आदि बेचने वाले लोग ही रहते थे . छोटे बड़ों बूढ़ों सभी को संजू की तस्वीर दिखा कर रीमा उस औरत के बारे में पूछती . उन्होंने घंटों काफी देर तक पचासों लोगों से पूछताछ की पर जिस औरत को वे खोज रहे थे वह नहीं मिली . बहुत मशक्कत के बाद

एक औरत ने जो बताया उस से संजू वाली औरत तक पहुँचने का सुराग मिलने की उम्मीद हुई . उसने कहा “ जिस बच्चे की आप फोटो दिखा रहे हैं वैसे एक बच्चे के साथ एक औरत को एक अपार्टमेंट में काम करते मैंने देखा है . कुछ महीने पहले तक मैं भी उसी अपार्टमेंट काम्प्लेक्स में काम करती थी . वह आजकल शायद पूर्वी झोपड़ पट्टी में रहती है . “


यह जान कर अमर और रीमा को कुछ शांति मिली . अमर ने कहा “ हम वहां चल कर भी ढूंढ ही लें . “


गीता ने कहा “ हां , आप सही कह रहे हैं . पहले चल कर उसी ढाबे में कुछ पेट पूजा कर ली जाए , तब आगे बढ़ते हैं . अपनी गाड़ी भी वहीँ है . “


सब लोगों ने ढाबे में जा कर लंच लिया . गीता कुछ खाने के सामान तो घर से ले कर आयी थी बाकी ढाबे से लिया गया . लंच और कॉफ़ी लेने के बाद वे लोग पूर्वी कॉलोनी की ओर निकले . करीब आधे घंटे के बाद वे वहां पहुंचे . वहां भी एक रेस्टॉरेंट के सामने कार पार्क कर आगे पैदल ही जाना था .


फिर अमर , रीमा और गीता झोपड़ पट्टी की तंग गलियों में उस औरत और संजू की तलाश में लग गए . न जाने कितने लोगों से पूछताछ के बाद एक औरत ने संजू का फोटो देख कर कहा “ हाँ , ऐसे ही एक लड़के को एक औरत के साथ देखा है . वह दायीं वाली गली में रहती है , आप वहां जा कर पूछ लें शायद मिल जाए . “


सभी लोग उसके बताये ठिकाने पर जा पहुंचे . वहां एक व्यक्ति ने संजू की तस्वीर देख कर कहा “ हाँ , यह तो सुमित्रा का बेटा लग रहा है . आप बायीं तरफ की तीसरी झोपड़ी में जाएँ . “


वहां जाने पर पता चला कि वह बच्चे को ले कर सवेरे ही काम पर निकल जाती है और शाम तक लौटती है . शाम होने ही वाली है , थोड़ी देर में आती ही होगी . “


सभी के चेहरे पर संतोष और ख़ुशी झलक रही थी कि उनकी दौड़ धूप सफल होने जा रही है . वे सभी वहीँ खड़े खड़े सुमित्रा के आने इंतजार करने लगे . करीब पौन घंटे बाद सुमित्रा एक बच्चे को ले कर लौटी . रीमा ने अपने बेटे को पहचान लिया और ख़ुशी से गले लगा कर उसे चूमने लगी . वह बोली “ इस चुड़ैल ने संजू की क्या हालत बना दी है . “ इतना बोल कर वह सुमित्रा के बाल पकड़ कर मारने लगी .


संजू बेचारा भौंचक्का हो कर सब को देख रहा था . फिर रीमा बोली “ तू इस तरह क्या देख रहा है बेटे ? हम तुम्हारे मम्मी पापा हैं . तुझे याद है न ? चल अब तुम्हें इस गंदी बस्ती से छुटकारा मिलेगा . अच्छा घर , अच्छे कपड़े , खान पान और बेस्ट स्कूल सब कुछ दूंगी . “


गीता और अमर सुमित्रा को डांटने लगे . अमर बोला “ क्यों रे , तुमने मेरे बेटे को क्यों चुराया ? “


रीमा फिर उसे मारने दौड़ी . तब तक आस पास के कुछ लोग भी जुट गए थे . उन्होंने कहा “ आपका बच्चा मिल गया न , इसे छोड़ दीजिये . यह करीब करीब पागल हो चुकी है . इसका पति भी लापता है , शायद जिन्दा भी न हो .इस बच्चे को अपने बुढ़ापे का सहारा समझ कर पालपोस रही है . “


सुमित्रा बोली “ यह मेरा बच्चा है , आपका नहीं . “


“ ठीक है हम अभी पुलिस को बुलाते हैं . “ बोल कर गीता ने फोन करना चाहा


एक औरत ने बीच में टोक कर सुमित्रा से कहा “ पुलिस के चक्कर में बच्चा चोरी के जुर्म में तुम्हें सात साल जेल में चक्की पीसनी होगी . वैसे भी हमने देखा था कि यह बच्चा शुरू में तुम्हें आंटी कहता था , बाद में यह तुम्हें माँ कहने लगा . “


बहुत डांट डपट के बाद सुमित्रा ने माना कि वह बच्चा उसका नहीं है पर वह बोली “ यह इनका भी नहीं हो सकता है . “


तब अमर बोला “ ठीक है तब हम पुलिस को बुला रहे हैं . “


वहां के लोगों ने भी कहा “ सुमित्रा पुलिस तो सबसे पहले तुम्हें अपहरण के मामले में गिरफ्तार करेगी फिर जेल जाना निश्चित है . “


रीमा अपने बेटे को जल्द घर ले जाने के लिए व्याकुल थी . वह बोली “ पुलिस थाने और कोर्ट के चक्कर में बहुत वक़्त लगेगा . हम संजू को अभी ले जाना चाहते हैं . “


लोगों ने भी सुमित्रा को बहुत समझाया कि जब तूने मान लिया कि यह तेरा बेटा नहीं है तो क्यों अपने पागलपन पर अड़ी है . अमर ने भी लोगों को समझाते हुए कहा “ हम अपना पता छोड़ देते हैं और यह गीता मैडम यहीं की हैं . बाद में कोई भी जरूरत पड़ने पर आप हमसे मिल सकते हैं . “


अमर ने सुमित्रा को कुछ रूपये दे कर उसे समझाते हुए कहा “ देखो बेकार का क्यों जेल जाना चाहती हो ? “


बाकी मोहल्ले के लोगों ने भी उसे समझाया और कहा “ हमको पूरा विश्वास है कि यह बच्चा बाबूजी का ही है . गीता मेम साहब भी इस बात की गारंटी दे रहीं हैं . पुलिस आयी तो तुम्हें हवालात जाना ही होगा साथ में हम सभी पड़ोसियों से पूछताछ करेगी और तंग कर सकती है . तुम पर अपहरण के अलावे और भी धाराएं लगा सकती है . “


संजू की समझ में ठीक से कुछ नहीं आ रहा था पर कुल मिला कर खुश दिख रहा था कि अब वह भी किसी साहब के बच्चे जैसा रहने जा रहा है . वह भी पिछले दो सालों से बहुत कठिनाईयों में बसर कर रहा था . उसके मस्तिष्क से दो साल पहले की बातें काफी धूमिल हो चुकी थीं . सब लोग संजू को साथ ले कर लौट गए .


अगले ही दिन अमर और रीमा बेटे को ले कर अपने घर आये . लगभग दो साल बाद उनका अधूरा परिवार पूरा हुआ . सब लोग खुश थे , मगर रंजीत और संजू में नहीं पटती थी दोनों में हमेशा किसी न किसी छोटी मोटी बातों पर भी झगड़े होते रहते . यूँ तो संजू बदले माहौल और बेहतर लाइफस्टाइल से खुश दीखता था .


अमर ने पुलिस स्टेशन जा कर बेटे के मिल जाने की बात कही . पुलिस ने और जानकारी लेनी चाही तो वह बोला “अब हम और ज्यादा छान बीन के चक्कर में नहीं पड़ना चाहते हैं . मेरा बेटा मिल गया बस , मैं अपना केस लिखित में वापस ले रहा हूँ . “


क्रमशः