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अनजान रीश्ता - 95

पारुल पूरा दिन बस पूरे घर के चक्कर लगाती रही... बस यहां से वहां... वहां से यहां... । घर था तो बहुत ही प्यारा लेकिन एक इंसान के लिए इतना बड़ा घर यानी की मकड़ी के जाले के बराबर था। वह सोच ही रही थी की अविनाश कभी अकेला महसूस नहीं करता... क्योंकि इतने बड़े घर में अगर दुनिया का सबसे खुशहाल इंसान भी रहे तो वह भी अकेला महसूस करने लगेगा । पता नहीं कैसे यह इंसान रह पाता है। तभी पारुल माई के पास किचन में बैठती है। पारुल के लाखो दफा कहने पर माई उसे मदद नहीं करने दे रही थी। थक हार कर पारुल... चैयर पर बैठ जाती है। वह ऐसे ही बिना किसी काम के ऊब चुकी थी। वह माई से कहती है।

पारुल: माई कुछ तो काम करने दीजिए! वर्ना में ऐसे ही बिना किसी काम के मर जाऊंगी! एक तो वैसे ही मेरा फ़ोन भी नहीं है मेरे पास! की टाइम पास कर सकूं ।
माई: ( मना करते हुए ) बिल्कुल भी नहीं! अगर तुम भलाई चाहती हो! तो किसी भी काम को हाथ मत लगाना क्योंकि बाबा ने साफ साफ मना किया है, अगर तुमने हम में से किसी का भी काम किया तो... उसकी नौकरी तो गई समझो! ।
पारुल: ( मुंह फुलाते हुए ) उस! सडू! को तो सिंगर नहीं बल्कि गुंडा बनना चाहिए था! सिवाय धमकी के और लोगों के मूड खराब करने के अलावा और कुछ नहीं आता। 
माई: ( मुस्कुराते हुए ) ऐसा नहीं है! मैं बाबा को कई सालो से जानती हूं! वह ऐसे बिलकुल भी नहीं थे! । वो तो... ।
पारुल: वो तो क्या ... बताइए ना माई... इतना सशपेंस रखेगी... तो मैं मर जाऊंगी। 
माई: नहीं दरअसल मैं इसलिए रुक गई, की पता नहीं बाबा ने आपको बताया भी होगा या नहीं ।
पारुल: अब आप बताएगी नहीं तो मुझे कैसे पता चलेगा की उसने मुझे बताया कि नहीं... तो पहले आप मुझे बताओ की फिर मैं आपको बताऊंगी की उसने मुझे बताया या नहीं। 
माई: ( मुस्कुराते हुए पारुल का कान पकड़ लेती है । ) बदमाश! ।
पारुल: ( मुस्कुराते हुए कान पकड़ती है! ) आहाह! दर्द हो रहा है माई! ।
माई: ( मुस्कुराते हुए पारुल का कान छोड़ देती है। ) बाबा ना एक समय था जब उनके चेहरे पर... मुस्कुराहट जाने का नाम नहीं लेती थी। वह खुद तो हंसते थे लेकिन दूसरो को भी हंसाते थे। अगर कभी तुम उनके चेहरे पर मुस्कुराहट देखोगी तो देखना कितनी प्यारी है... बिल्कुल एक छोटे बच्चे जैसी... निश्छल.... मासूम... ।

पारुल: ( मुंह बिगड़ते हुए: निश्छल,मासूम और वो भी वह शयतान कभी भी नहीं.... हो ही नही सकता वह कुछ भी हो सकता है लेकिन... ऐसा तो बिलकुल भी नहीं। ) ।

माई: मैं जब आई थी तब मैने लोगो को बाते करते देखा था.... की छोटी उमर में ही बाबा ने दुनिया के वह रूप देख लिए जो शायद ही किसी ने देखे हो। ( धीरे से ) तुम्हे पता है... बाबा ना सिंगर बनने से पहले एक लड़की से प्यार करते थे... पर उस लड़की ने उसे धोखा दे दिया... और फिर वह अपना शहर छोड़ कर यहां आ गए! । अब ये तो नहीं पता इस बात में कितनी सच्चाई है... लेकिन... हां.... जब बाबा आए थे तो बिलकुल गुमसुम थे.. मानो बेजान इंसान... ना कभी बोलते ना किसी से बात करते... फिर उनके स्वभाव में बदलाव आया अब ये नही पता की किसने उन्हें चौंट पहुंचाई लेकिन आज तक कोई नही जानता उस लड़की को। 

पारुल: ( समझ आ रहा था की माई उसकी बात कर रही है। लेकिन उसे ये समझ नहीं आ रहा था की कोई ऐसी अफवा कैसे उड़ा सकता है क्योंकि पारुल ने अविनाश को धोखा नहीं दिया.. वो तो अविनाश है जो... वह सिर को ना में हिलाते हुए फिर से माई की बात सुनने लगती है। ) ।

माई: और फिर जब मैं इस घर में आई तो बाबा को हंसते खेलते ही देखा था। और सच पूछो तो उनकी ये खुशी ज्यादा दिन नहीं टिकी... क्योंकि जिस दिन वह सोफिया बेबी को प्रपोज करने वाले थे... उसी दिन सोफिया ने एक इंटरव्यू दिया की वह और सनी... सगाई कर रहे हैं। बाबा से यह एक और बार धोखा बर्दास्त नहीं हुआ । और उसके बाद आज तक किसीने फिर से उन्हें खिलखिलाते नहीं देखा।

पारुल: सो... फिया.... ( नाम सुनकर पारुल को एक अजीब सा भाव उमड़ रहा था। मानो जैसे यह नाम उसे रास नहीं आ रहा था। )। 
माई: पर... अब क्या ही करना इन बातो... का अब तुम जो हो उसकी जिंदगी में... बस अब वह एक आम इंसान की तरह वह सारी खुशियां देखे जिसके हकदार है... वह। 
पारुल: ( जूठी मुस्कान के साथ सिर को हां में हिलाती है।) ।
माई: बेटा!? ।
पारुल: माई! की ओर देखते हुए!।
माई: देखो! मैं जानती हू मेरा कोई हक नहीं बनता की! तुमसे ये बात कहूं! और ना ही मेरी इतनी औकात है ।

पारुल: अरे! माई अब इसमें औकात वाली बात कहां से आ गई! अगर आप मुझसे ऐसे बात करेगी तो मैं आप से कभी भी बात नहीं करुंगी! ।

माई: ( मुस्कुराते हुए ) बाबा ना बुरे इंसान नहीं है! हा शायद उन्हें अपने दिल में जो बात है वह कहना नहीं आता। वह कभी भी अपने दिल की बात किसी को कहते ही नहीं... और शायद इसी वजह से इस तरह से व्यवहार करते है। अगर एक बार तुम उस पर भरोसा करोंगी तो... मुझे नहीं लगता वह तुम्हारा भरोसा कभी तोड़ेंगे... क्योंकि जिस इंसान का भरोसा इतनी बार टूट चुका हो ना वह कभी भी किसी के भरोसे को तोड़ने की गलती नहीं करेगा।
पारुल: ( माई की यह बात सुनकर मानो पारुल को कल रात वाली घटना याद आ गई! यह बात तो सच थी की अविनाश दिल में बहुत कुछ छिपा कर रखता है। जो ना ही किसी से बात करता है और ना ही किसी को इतने करीब आने देता है कि कोई जान पाएं... । ) जी!? ।

माई: भगवान तुम दोनो की जोड़ी सलामत रखे! ।

पारुल: ( माई की ओर देखे जा रही थी। मानो जैसे उसके दिल को यह सुनकर एक सुकून सा मिला था । पर वह मान नहीं रही थी। ) माई, मैं थोड़ी देर के लिए टेबलेट ले सकती हूं... मुझे कुछ ऑनलाइन देखना है... तो मैं बस थोड़ी देर में लौटा दूंगी ।
माई: ( हामी भरते हुए उसे टेबलेट देती है। ) ।
पारुल: ( थैंक्यू कहकर टेबलेट लेकर कमरे में चली जाती है। ) 

दरवाजा बंद करते हुए... वह सोफे पर बैठते हुए... गुगल में सर्च करती है। सोफिया... । तभी एक खूबसूरत लड़की की प्रोफाइल आती है। ऊंची कद-काठी, गौरा चिट्टा रंग, भूरी आंखे, भूरे बाल... मानो जैसे ऊपर वाले ने उसकी खूबसूरती में कोई कमी नहीं छोड़ी थी। और जैसे जैसे पारुल पढ़ती गई! पारुल को उसके बारे में जानकारी मिल रही थी। तभी एक फोटो देखी जिसमे वह और अविनाश साथ में थे। पारुल जब अविनाश के चेहरे को देखती है तो वह सच में मुस्कुरा रहा था मानो... जैसे कोई छोटा बच्चा हो। पारुल को माई की बातें याद आती है। अब वह समझ पा रही थी की वह ऐसा क्यों कह रही थी। क्योंकि अविनाश उसी तरह खुश था जिस तरह वह पारुल के साथ बचपन में हुआ करता था... । 


यह सोच कर पारुल को ना चाहते हुए भी जलन हो रही थी। लेकिन जब फिर से वह सोफिया की ओर देखती है तो उसे समझ आता है की क्यों अविनाश इतना खुश था। अगर इतनी सुंदर लड़की किसी भी इंसान की जिंदगी में हो तो कोई भी इंसान खुश ही होगा... फिर अविनाश और सोफिया के रिश्ते के बारे में खबरे पढ़ती है... जिसमे सोफिया कहती है की वह और अविनाश सिर्फ एक अच्छे दोस्त हैं, मानो यह पढ़कर पारुल को अच्छा लग रहा था लेकिन जिस तरह के भाव अविनाश की आंखों में थे वह जानती थी कि वह लोग सिर्फ दोस्त नहीं रहे होगे। फिर से पारुल का ध्यान सोफिया की एक खूबसूरत तस्वीर पर जाता है... मानो पारुल लड़की होकर भी यह कहने से खुद को रोक नहीं पाती की वह कितनी सुंदर है। 




पारुल आईने के सामने खड़े होते हुए खुद को देखती है....। दिखने में अच्छी खासी ही थी... एक सामान्य लड़की की तरह.. । लेकिन अगर सोफिया से मुकाबले पारुल को देखा जाए तो वह सोफिया के एक प्रतिशत भी नहीं थी। फिर सोचती है सही भी तो है... कहां मैं और कहां ये दोनों.... । तभी पारुल फिर से बेड पर बैठते हुए... देखती है तो... सोफिया और सनी का इंटरव्यू था, जो की एक घंटे पहले का था। पारुल जब पढ़ने के लिए क्लिक करती है... तो उसमे लिखा था की सोफिया और सनी... का ब्रेक अप हो गया है... । पारुल... यह एक लाइन बार बार पढ़ रही थी... । फिर उसे ख्याल आता है की कहीं अविनाश ने सोफिया को पाने के लिए तो मुझ से शादी नहीं की! । क्योंकि आखिर अभी ही क्यों उसने मुझसे शादी की ओर फिर मुझे अभी तक वह वजह भी तो नहीं पता जिस वजह से अविनाश ने मुझसे शादी की!? मुझे किसी भी तरह वह बात पता लगानी ही होगी की अविनाश ने मुझ से क्यों शादी की... । तभी आवाज आती है क्या कर रही हो!? जब पारुल पीछे मुड़कर देखती है तो पारुल की आंखे आश्चर्य की वजह से बड़ी हो जाती है। 

( Don't forget to comment ... Good night 🌃)