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Secret Admirer - Part 3

"आपको पता है, मैं यह सिर्फ आपके लिए ही कर रहा हूं," इशान ने अपनी नीली आंखों से देखते हुए कहा।

"ओह! पर तुम्हे पता है की मैं तुम्हारा बिलकुल भी आभारी नही हूं," कबीर ने तीखेपन से कहा।

"पांच साल हो चुके हैं, भाई। कब तक आप अपने अतीत में ही जीते रहेंगे।"

"मैं उन यादों के साथ अपनी पूरी जिंदगी बिता सकता हूं। अगर तुम यह समझते तोह मुझे कभी फोर्स नही करते।"

"वोह अच्छी लड़की है। और आपको बहुत खुश रखेगी," इशान ने आत्मविश्वास से कहा।

"क्या हो अगर मैं ही उसे खुश ना रख पाऊं? तुम्हे गिल्टी फील नहीं होगा की एक लड़की बिना प्यार के बस यूहीं अपनी शादी निभा रही है? वोह भी सिर्फ तुम्हारी वजह से?"

"मुझे उसपर पूरा भरोसा है की वोह अपने आप को और बाकी सभी को खुश रखेगी। और आप पर भी की आप उसके साथ खड़े रहेंगे, हमेशा।"

"काश मुझे भी यह कॉन्फिडेंस हो अपने आप पर। पर अभी, मुझे पता है की मैं उसके साथ गलत कर रहा हूं, जबकि मुझे पता है की मैं पूरी जिंदगी में कभी भी यह शादी नही निभा पाऊंगा।"

"पहले आप जाइए और एक बार मिल तोह लीजिए। क्या पता वोह आपको पसंद आ जाए।"

"तुम मजाक कर रहे हो ना? तुम्हे लगता है की मैं वोह सब भूल जाऊंगा बस एक मुलाकात के बाद वोह भी उस लड़की से जिससे तुम सब जबरदस्ती मेरी शादी करवाना चाहते हो। वोह भी वोह लड़की जिसे में बचपन से जानता हूं। वोह इशिता की बहन है। तुम्हे नही लगता है की तुम सब कुछ ज्यादा ही सेलफिश हो गए हो?"

"असल में आपको उसके लिए बुरा लग रहा है और इसलिए आप उसको प्रोटेक्ट करने की कोशिश कर रहे हो। बल्कि आप तोह खुद ही यह प्रूफ दे रहे हो की आप उसके साथ कभी अनफेयर नही हो सकते," इशान ने मुस्कुरा कर कहा और बदले में कबीर उसे घूरने लगा।

"तोह तुम्हे लगता है की एक यंग, अनमैचयौर, चुलबुली लड़की जिसके कई सपने होंगे वोह मुझे खुशी देगी? वोह बस मेरे लिए आफत होगी।"

"ठीक है। मैं अब आगे कुछ नही कहना वाला। तैयार हो जाइए आप। आप उससे शाम को सात बजे मिलने वाले हैं। आप चाहते हो मैं भी आपके साथ चालू?"

"क्यों? यह देखने के लिए की मैं उसके साथ अच्छे से बात कर रहा हूं की नही? यह देखने के लिए की उसे बात भी कर रहा हूं की नही? नही कोई जरूरत नही है। मैं तैयार हूं उससे शादी करने के लिए या किसी भी लड़की से। कोई भी। मुझे ऐसी चीप हरकत करने की कोई जरूरत नहीं है।" कबीर ने दो टुक में अपनी बात कह दी। जबकि उसे अंदर से बहुत बुरा लग रहा था। "मैं ऑफिस के लिए निकल रहा हूं। कुछ काम है जरूरी। मैं उसके बाद उससे कैफे में मिल लूंगा।"

"बहुत अच्छे। टाइम पर पहुंच जाना," इशान ने कहा और फिर कबीर उसे घूरने लगा।

"ठीक है। ठीक है। जा रहा हूं मैं। बस उसके साथ कोई सख्ती मत करना। वोह सच में बहुत अच्छी लड़की है," इशान ने जल्दी से कहा और तुरंत कमरे से बाहर निकल गया और पीछे छोड़ गया गुस्से से घूरता हुआ कबीर को।

कबीर मीटिंग के लिए तैयार होने लगा। उसने अपनी फाइल और गाड़ी की चाबी उठाई और कमरे से निकल गया।

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कबीर ने गाड़ी रोकी। वोह अपनी गाड़ी से उतरा और अपना सूट ठीक करने लगा। अपने हाथों में गुलाब के गुलदस्ते को ठीक से पकड़ कर वोह आगे बढ़ने लगा और एक कब्र के पास जा कर रुक गया। कबीर अपने घुटनों के बल बैठ गया। उसने उस कब्र के ऊपर हाथ रखा जहां लिखा था, *महिमा चौधरी-- आरआईपी*

उसने गुलाब का गुलदस्ता वहां रखा और रोने लगा। "क्यों छोड़ गई तुम मुझे? क्यों तोड़ दिया अपना प्रोमिस? काश की तुम वापिस आ जाओ। मैं नही रह सकता तुम्हारे बिना। मैं तुम्हे बहुत मिस कर रहा हूं। मैं किसी और को नही देख सकता हूं तुम्हारी जगह। तुम इतनी निर्दय कैसे हो सकती हो जो मुझे यहां अकेला छोड़ गई। क्यों छोड़ गई? हमने एक दूसरे से वादा किया था ना की ज़िंदगी भर एक साथ रहेंगे, एक साथ जिएंगे, एक साथ अपने बच्चों को बढ़ते हुए देखेंगे, एक साथ बूढ़े होंगे और एक साथ मरेंगे। तुम्हे मुझे छोड़ ने से पहले एक बार भी मेरे बारे में क्यों नही सोचा?और अब...अब मुझे वोह प्रोमिस किसी और को देना होगा। ऐसे इंसान को जिसे मैं अपनी ज़िंदगी में बिलकुल भी नहीं चाहता। पर जो प्रोमिस मैने तुम्हे किया था वोह कभी नही टूटेगा। मैं कभी भी तुम्हारी जगह किसी को नही दूंगा।"
कबीर उठ खड़ा हुआ। वोह फाइनली अपने पास्ट को छोड़ कर अपने फ्यूचर की तरफ जाने लगा। उसके कदम डगमगा रहे थे। हर कदम भरी पड़ रहा था। लेकिन वोह जनता था की उसके पास अब कोई ऑप्शन नहीं है उसे यह करना ही होगा।

****

"हाई।" अमायरा ने ऑकवार्डली मुस्कुराते हुए कहा। उसे बहुत अजीब लग रहा था। वोह बहुत असहज महसूस कर रही थी। और कबीर अपनी कॉफी पीने में लगा हुआ था। उसे कोई फर्क नही पड़ता था की अमायरा लेट आई।

"हेलो," कबीर ने कैसुअली कहा।

"मैं यहां बैठ जाऊं, अगर तुम्हे कोई दिक्कत ना हो तोह?" अमायरा ने अपनी एक आईब्रो ऊपर उठा के जिंदादिली से मुस्कुराते हुए पूछा। क्योंकि अभी तक कबीर ने उसे बैठने के लिए पूछा नही था।

"ओह हां। अगर तुम चाहो तोह, बैठ सकती हो," कबीर ने उसकी बातों पर इंटरेस्ट ना दिखाते हुए कहा।

"ओह हो आप तोह बड़े ही दयालु हैं," अमायरा ने कबीर के सामने सीट पर बैठते हुए कहा।
"हम्म्म तोह जैसा मैं देख रहीं हूं की आप को कोई फर्क नही पड़ता की मैं लेट क्यों आई। मुझे अच्छा लगा। क्योंकि क्या है ना लोगों को लेट आने वाले लोग ज्यादा पसंद नही आते। और क्योंकि आपको फर्क नही पड़ता इसलिए आपको एक्सप्लेन करने का मेरा समय बच गया।" अमायरा घबराहट में कुछ भी बड़बड़ किए जा रही थी।

"थैंक यू। मुझे खुशी है। मुझे सच में कोई इंटरेस्ट नहीं है।"

"मैं लेट क्यों हुई यह जानने में या मुझे जानने में? या यह शादी में?" अमायरा ने अपनी आंखें चमकाते हुए डायरेक्टली पूछा दिया जिससे कबीर थोड़ा असहज हो गया।

"दोनों। मुझे अच्छा लगा की तुम बिलकुल भी घुमा फिरा के नही बल्कि सीधा बात करती हो। मुझे तुम में बिलकुल भी दिलचस्पी नहीं है। मैं किसी और से प्यार करता हूं और हां मैंने यह नहीं कहा की मैं शादी में इंटरेस्टेड नही हूं जो की तुम मुझसे उम्मीद कर रही होगी। बस यह सिर्फ इसलिए की मेरा भाई और तुम्हारी बहन खुश रहें।"

"मतलब की आप यहां इसलिए आए हो की दी और जीजू का रास्ता साफ हो सके?"

"ओह मतलब तुमने इशान को पहले ही अपना जीजू मान लिया है। और हां एक्सेक्टल मैं यहां इसलिए आया हूं। तुम्हे तोह पता ही होगा की इशान तब तक शादी नही करेगा जब तक की मैं उससे पहले शादी नही कर लेता। जबकि मुझे तोह शादी ही नही करनी। मैं यहां बस इसलिए आया हूं की मैं इशान को उसकी और इशिता की ज़िंदगी खराब करने नही दे सकता। तोह हां, मैं तैयार हूं शादी के लिए, लेकिन इसलिए नही की मैं खुद जीवन साथी चाहता हूं। मैं यहां इसलिए हूं क्योंकि मुझे बस एक वाइफ चाहिए ताकि इशान अपनी खुशियां का बलिदान ना दे मेरी वजह से।"

"और आप को लगता है इस तरह से बेबाकी से आपने जो सच बोल दिया इससे आपको एक वाइफ मिल जायेगी?"

"नहीं। लेकिन मैं ऑनेस्ट रहना चाहता हूं ताकि जब मैं शादी करूं तोह मेरी 'वाइफ' मुझसे कोई उम्मीद ना रखे जो हर वाइफ को अपने हसबैंड से होती है वोह लव, केयर और अफेक्शन। तुम्हे पता होना चाहिए की अगर हम इस रिश्ते में एक बार बंध गए तोह बाहर जाने का कोई रास्ता नहीं है। क्योंकि मैं बाद में डाइवोर्स लेने में बिलकुल भी इंटरेस्टेड नही हूं क्योंकि फैमिली बाद में बड़ा बवाल कर सकती है और वोह मुझे फिर से ब्लैकमेल करेंगे शादी करने के लिए किसी और से। इन सब बातों का मतलब बस यह है की इस शादी में बंधने से पहले तुम्हे सब पता होना चाहिए। तुम चाहो तोह मैं कॉन्ट्रैक्ट भी तैयार करवा सकता हूं। मुझे बाद में कोई कन्फ्यूजन नही चाहिए। मुझे लगता है की तुम मेरी बात ज्यादा अच्छे से समझ पाओगी क्योंकि इससे तुम्हारी बहन की जिंदगी पर भी असर पड़ेगा।"

"पर इस तरह से ब्लंटली बोलने से आपको नही लगता की कोई भी लड़की आपके खिलाफ हो जायेगी? वोह जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी भाग नी जायेगी?" अमायरा ने पूछा।

"तुम अभी भी यहां हो," कबीर ने उसकी बात काटी।

"आप भी तोह यहां हैं। आपने इतना खुल के सब कह दिया, आप किसी भी लड़की के साथ हो सकते थे पर फिर भी आप यहां है। तोह हां, मैं भी यहां हूं। मैं बाद में कोई अफसोस नहीं चाहती की मैने कभी कोशिश नही की। पर मैं आपकी तरह इतनी ऑनेस्ट नही हूं, जो अल्टीमेटली मेरी बहन के लिए ही है। मुझे तोह ऐसा लगता है की आपने जो यह सब बोला वोह इसलिए बोला क्योंकि आपने सोचा की आपकी बात सुन कर मैं खुद ही शादी के लिए मना करदू और आप को फैमिली को बताने के लिए एक्सक्यूज़ मिल जायेगा।" अमायरा ने आंखें मटकाते हुए कहा और कबीर नर्वस होने लगा।












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