Baal Kathaye - 2 in Hindi Adventure Stories by Akshika Aggarwal books and stories PDF | बाल कथाएं - 2 - अहँकार ही हार है बाल कथाएं - 2 - अहँकार ही हार है (2) 657 1.5k एक बार की बात है नजबगढ़ में दो भाई रहते थे अनिकेत और निकेत। अनिकेत पढ़ने में बहोत होशियार था और निकेत थोड़ा कमजोर था। अनिकेत दिन में सिर्फ़ एक घन्टे पढ़ताथा था और कक्षा में अव्वल आ जाता था परन्तु निकेत निकेत दिन में 10 घण्टे पढ़कर भी कक्षा में फेल जाता था निकेत और अनिकेत के माता पिता हमेशा अनिकेत की प्रसंशा करते थे।और निकेत को अच्छी तरह पढाई करने को कहते थे। लगभग स्कूल की सभी टीचर्स का भी स्कूल में यह ही बर्ताव था हर जगह अनिकेत की वाह वाह होती थी औऱ निकेत का मजाक उड़ाया जाता था। निकेत इस बात से बहोत उदास रहता था। वह किसी से बात नही करता था । बस ईश्वर से यही पूछता के आखिर वह पढ़ाई में इतना कमजोर क्यों है। आखिर वो अनिकेत की तरह अव्वलअंक क्यों नही ला सकता? आखिर क्यों वह सबके हँसी का पात्र बनता है? वही दूसरी और अनिकेत अपनी बुद्धि पर बहोत घमंड और गर्व करता था। एक रात निकेत इसी बात को लेकर रोता रोता सो गया। उस रात उसके सपने में ईश्वर आये और उसे बोले तुम रोज मुझे पुकारते हो मेरी आराधना करते हो। मैं तुम्हारी अराधना से बेहद प्रसन्न हूँ मांगो क्या मांगते हो?" निकेत बोला "मुझे अनिकेत की तरह बुध्दिमान बना दो, मैं कक्षा अव्वल अंक लाना चाहता हूँ" इस बात पर ईश्वर बोले जब भी तुम कठिन परिश्रम के बाद कोई कार्य करोगे तुम हमेशा सफल होगे। यह बात सुनकर निकेत ने ईश्वर को हाथ जोड़े और प्रण लिया लिया वह अपनी कमियों पर रोना बंद करेगा और हर दिन कड़ा परिश्रम कर अव्वल आएगा। यह बात सुनकर ईश्वर प्रसन्न हुए और "तथास्तु" कहकर देवलोक चले गये। सुबह जब निकेत उठाऔर तैयार होकर स्कूल पहुंचा तो उसकी आँखों मे एक नई शुरूआत के लिए उत्साह साफ देखा जा सकता था। उसका यह उत्साह देखकर अनिकेत ने उसका मजाक उड़ाया वो बोला"आज फ़िसड्डी ज्यादा खुश लग रहा है। क्या बात है?" निकेत ने कुछ नही कहाऔर अपनी किताब में ध्यान लगाने लगा। इतने में स्कूल के अध्यापक आये और अगले दिन एक सरप्राइज टेस्ट रख दिया। जैसे ही अध्यापक जी ने इस टेस्ट की घोषणा की सब बच्चे अपनी किताब में ध्यान लगाकर पढ़ने लगे परअनिकेत बोला"मुझे पढ़ने की क्या जरूरत मुझे सब आता हैं" पर निकेत घर जा कर भी पढ़ने लगा। पर अनिकेत ने एक बार भी क़िताब को हाथ नही लगाया यह सोच कर की यह विषय वो कक्षा में पढ़ चुका है । उसे दुबारा पढ़ने की जरूरत नहीं। अगले दिन जब परीक्षा में प्रश्न पत्र हाथ मे आया तो वह कुछ याद ना होने के कारण वह कुछ लिख नहीं पाया परंतु निकेत ने सारे सवालों के सही उत्तर देकर कक्षा में प्रथम आया उसकी हर जगह तारीफ होने लगी और अनिकेत की निंदा। इस कहानी से हमे यह शिक्षा मिलती हैं। हमे अपने ऊपर घमंड नहीं करना चाहिए हर कार्य को श्रम से पुरा करना चाहिए। तब ही आपकी असली जीत होगी यदि आप अपने पर अहँकार करेंगे तो आपकी हार निश्चित है। ‹ Previous Chapterबाल कथाएं - 1 - मन की सुंदरता › Next Chapterबाल कथाएं - 3 - जितना है उसमें संतुष्ट रहो। Download Our App Rate & Review Send Review कैप्टन धरणीधर 4 months ago pradeep Kumar Tripathi 4 months ago More Interesting Options Short Stories Spiritual Stories Novel Episodes Motivational Stories Classic Stories Children Stories Humour stories Magazine Poems Travel stories Women Focused Drama Love Stories Detective stories Social Stories Adventure Stories Human Science Philosophy Health Biography Cooking Recipe Letter Horror Stories Film Reviews Mythological Stories Book Reviews Thriller Science-Fiction Business Sports Animals Astrology Science Anything Akshika Aggarwal Follow Novel by Akshika Aggarwal in Hindi Adventure Stories Total Episodes : 6 Share You May Also Like बाल कथाएं - 1 - मन की सुंदरता by Akshika Aggarwal बाल कथाएं - 3 - जितना है उसमें संतुष्ट रहो। by Akshika Aggarwal बाल कथाएं - 4 - कभी झूठ मत बोलो by Akshika Aggarwal बाल कथाएं - 5 - जादुई मछली by Akshika Aggarwal बाल कथाएं - 6 - बाबुली by Akshika Aggarwal