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टूटा दिल - भाग 3

सिद्ध ने युविका की वजह से अपना फ़ोन बंद कर दिया था। अब वो बेचैन था। उसकी माँ ने उसके फ़ोन बंद होने की वजह पूछी।
आगे.......
“आपको कैसे पता...???” सिद्ध ने आश्चर्य से पूछा।
“ विशाल का फ़ोन आया था। उसने बताया कि तुम्हारा फ़ोन बंद है। वो घर आ रहा है।” माँ ने कहा।
“ ओके ...” सिद्ध ने उनकी तरफ़ देखे बिना ही जवाब दिया।
“तुम ठीक हो..??” माँ ने चिंता करते हुए पूछा।
“ हाँ माँ...मैं ठीक हूँ... आप परेशान ना हो...” इस बार भी उसने बिना देखे ही बोल दिया।
माँ तो बहुत अजीब लगा पर फिर भी उन्होंने कुछ नही कहा और वहाँ से चली गयी।
सिद्ध ने ख़ुद को थोड़ा शांत करने की कोशिश की। विशाल के आने की ख़बर से अब वो थोड़ा ख़ुश था।
#विशाल- सिद्ध का सबसे अच्छा मित्र। वो भी आगे पढ़ने के लिए दिल्ली जा रहा है।
सिद्ध बहुत उत्साहित है विशाल को ये बताने के लिए कि वो भी उसके साथ दिल्ली जा रहा है।
१० मिनट बाद...
विशाल आता है। सिद्ध ख़ुशी से उसके गले लगता है और उसे बताता है कि उसे भी दिल्ली जा कर पढ़ने की इज़्ज़ाजत मिल गयी है।
“ क्या बात है... अब तो बहुत मज़ा आएगा... दोनो मिल कर बहुत मज़ा करेंगे...” विशाल ने उत्साहित होते हुए कहा।
सिद्ध युविका के बारे में कुछ नही बताता और विशाल भी ख़ुशी में फ़ोन के बारे में पूछना भूल जाता है।
दोनो रात तक ख़ूब बातें करते है और फिर विशाल अपने घर चला जाता हैं। खाना खाने के बाद सिद्ध अपने कमरे में जाता है और फ़ोन उठाता है।
जैसे ही फ़ोन ओन होता है युविका के १० मैसेज होते है।
“सिद्ध प्लीज़ फ़ोन ओन कर लो..”
“सिद्ध... मुझे तुमसे बात करनी है..”
“बस एक बार..”
“मैं तुमसे बस एक बार बात करना चाहती हूँ..”
“सिद्ध..”
“ प्लीज़...”
“प्लीज़ “
“ मैं इंतज़ार कर रही हूँ”
“बस एक बार...”
“फिर मैं तुम्हें दोबारा परेशान नही करूँगी...”
वो मैसेज पढ़ता है।
“ तुम ये सब अब क्यों कर रही हो युविका.......????? क्यों युविका....??? अब मैं तुमसे नफ़रत करता हूँ..। मुझे तुमसे कोई बात नही करनी अब.. अब जब मैं अकेला रहना चाहता हूँ तो फिर क्यों मुझे परेशान कर रही हो...” सिद्ध युविका के मैसेज से बहुत परेशान हो गया था।
वो अभी फ़ोन हाथ में लेकर बेठा ही था कि कुछ फ़ोटो उसके फ़ोन में आती है। शायद उसके किसी दोस्त ने उसे भेजी थी।
वो जैसे ही उनको देखता है उसकी साँसे वही थम जाती है। वो युविका और उसके मित्र की तस्वीरें थी।
उन तस्वीरों को देख कर वो बिल्कुल टूट गया था।
सिद्ध को समझ नही आ रहा था कि वो क्या करे...।अब वो उससे बहुत दूर आ चुका था जहाँ से वापिस जाना बहुत मुश्किल था।
आज ६ महीने बाद उसे उसकी याद क्यूँ आ रही है। आज जब सब कुछ भूल कर वो आगे बढ़ने की कोशिश कर रहा था तो फिर वो क्यों उसे परेशान कर रही है ...???? और ये तस्वीरें..... इतनी ख़ुश तो शायद वो मेरे साथ भी नही थी।
उसके मन में बहुत सारे सवाल थे। जैसे जैसे वो ख़ुद को इन बातो से दूर रखने की कोशिश कर रहा था युविका फिर से उसके दिल और दिमाग़ पर हावी होने लगी थी। वो फिर से अपनी और युविका की यादों में खोने लगा था।

वो पहला दिन था कॉलेज था।और उस दिन भी वो लेट उठा था।
“सिद्ध... ९ बज गए है... तुम लेट हो... “ माँ ने चिल्लाते हुए कहा।
सिद्ध ने जैसे ही सुना वो एक दम से उठ गया।
“माँ आपको पता था ना कि आज पहला दिन है और आपने उठाया भी नही.... मैं पहले दिन ही लेट हो गया। “ वो बोलते बोलते बाथरूम में चला गया था।
वो १० मिनट में तैयार हो कर आ गया। फ़ोन उठा कर देखा तो उसमें ३० मिसड कॉल्स थे।सब विशाल की।
“ओहो... ये तो मुझे मार ही डालेगा...” सिद्ध ने ख़ुद को कहा।
वो जल्दी से कार की चाबियाँ लेकर बाहर भागा।
कार में बेठते ही उसने विशाल को फ़ोन किया।
“ कहा पर है..??” सिद्ध ने पूछा।
“ तू भाड़ में जा..” विशाल ने ग़ुस्से में कहा।
“ सोरी भाई... फ़ोन का पता ही नही चला... अच्छा ये बता कहा पर है..?” सिद्ध ने आराम से पूछा।
“ कॉलेज गेट पर” विशाल ने कहा।
कोलेज पहुँच कर सिद्ध को ५ मिनट लगे विशाल को मनाने में।
“अब लेट हो गए है तो चल कैन्टीन चलते है” विशाल बोला।
दोनो कैन्टीन जाते है और खाना लेते है।
खाना खाने के बाद जैसे ही सिद्ध उठता है तो वो एक लड़की से टकरा जाता है।
“ओह ....माफ़ कीजिए..” लड़की ने ख़ुद को संभालते हुए कहा।
सिद्ध तो उस लड़की की ख़ूबसूरती में खो जाता है।
सिद्ध उसकी आँखो की गहरायी से निकलने की कोशिश करता है तो उसके खुले बालों में उलझ जाता... वहाँ से ख़ुद को निकालने की कोशिश करता तो उसकी चेहरे की मासूमियत में खो जाता।
“ओए .... क्या कर रहा है...” विशाल धीरे से सिद्ध को हिलाते हुए बोलता है।
ये युविका थी.... पहली बार जब सिद्ध उससे मिला था। सिद्ध उसे देखता रह गया था।
बस कर सिद्ध.... युविका के बारे में नही सोचना।मुझे बस उसे भूल जाना चाहिए। वो उठता है और लेपटोप पर कुछ देखने लग जाता है।

( अगला भाग वीरवार को.....)

-स्मृति