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शेष जीवन (कहानियां पार्ट 1)

1--प्यार
"आप अंदर जा सकते है।"नर्स के कहने पर रमेश अंदर चला गया।इला पलँग पर लेटी थी।उसकी बगल में उसका नवजात शिशु सो रहा था।रमेश बच्चे की तरफ देखते हुए बोला,"इसकी आंखे तुम्हारी जैसी है और होंठ तो---
रमेश बच्चे को देखकर उसकी तुलना इला से कर रहा था।उसको बच्चे में खोये देखकर इला भी सोचने लगी थी
"क्या पर्सनालिटी है।कितना खुशनसीब होगा वह मर्द जिसकी यह जीवन संगनी बनेगी,"रमेश ऑफिस के बाहर खड़ा था तभी उसकी नज़र प्लेटफॉर्म से गुजरती एक युवती पर पड़ी थी।उस युवती को देखकर रमेश अपने सहकर्मी से बोला था।
"यह परित्यक्ता है," रमेश की बात सुनकर कमल बोला था
"परित्यक्ता है?"कमल की बात सुनकर रमेश ऐसे चोंका था।मानो कमल ने कोई अनहोनी बात कह दी हो।
"इस युवती का नाम इला है और तलाकशुदा है।"
"कौन मूर्ख था जिसने अप्सरा सी सूंदर पत्नी को तलाक दे दिया।"कमल से उस युवती के बारे में जानकर रमेश बोला था
"हर मर्द चाहता है उसकी पत्नी की देह सूंदर होने के साथ उपजाऊ भी हो।"कमल,रमेश की बात सुनकर बोला।
"क्या मतलब?"रमेश ने पूछा था।
"रेलवे में ड्राइवर है मोहन।इला उसी की बेटी है।बी ए बी एड है।पांच साल पहले इंदौर के इंजीनियर लड़के के साथ उसकी शादी हुई थी।शादी के बाद वह माँ नही बनी तब पति ने बांझ कहकर पिछले साल ही उसे त्याग दिया।तलाक दे दिया।इला नागदा में सरकारी स्कूल में टीचर है।रोज ट्रेन से आती जाती है।"कमल ने इला के बारे में रमेश को बताया था।
रमेश कोटा से ट्रांसफर होकर शामगढ़ आया था।आज वह प्लेटफ़ॉर्म पर खड़ा था तब उसकी नज़र इला पर पड़ी थी।
इला लंबे कद और छरहरे बदन की आकर्षक युवती थी।उसका व्यक्तित्व इतना आकर्षक था कि पहली नज़र में ही इला ने उसका मन मोह लिया था।उसकी मन मोहक छवि रमेश के दिल मे ऐसी बसी की पहली नज़र में ही उसे इला से प्यार हो गया।
रमेश रोज सुबह शाम इला को प्लेटफॉर्म से गुजरते हुए देखने लगा।इला की नज़रो में आने के लिए वह रोज उसके सामने पड़ने का प्रयास करने लगा।
दिन गुज़रने के साथ इला इस तरह रमेश के दिल मे समा गई कि वह उसे अपनी बनाने के बारे में सोचने लगा।रमेश को इला का अतीत मालूम हो चुका था।वह जान चुका था कि इला बांझ है।इसलिए ही पति ने उसे तलाक दिया था।फिर भी सोच विचार करने के बाद उसने इला को अपनी बनाने का निर्णय कर लिया।
एक दिन जब वह ट्रेन से लौटी तब रमेश उसके पास जाकर बोला,"अगर आपको ऐतराज न हो तो मैं आपसे कुछ बात करना चाहता हूँ।"
"मुझसे?"इला उसकी बात सुनकर बोली,"आप कौन है।मैं तो आपको जानती भी नही।"
"सही कहा आपने।आप मुझे नही जानती।लेकिन मैं अपने बारे में बता देता हूँ।"रमेश ने उसे अपने बारे में बताया था।
"मुझसे क्या बात करनी है?"
"आप मौका देंगी फब ही तो कहूंगा।"
"जी कहिये"
,"पहले कही बैठते है।"और इला रनेश के साथ एक खाली बेंच पर आ बैठी थी।
"कहिये आप क्या कहना चाहते है?"इला,रमेश से कुछ दूरी पर बैठते हुए बोली थी।
"मैं अपने बारे में तो आप को बता चुका हूँ",रमेश बोला," मुझे आप से प्यार हो गया है।"
रमेश की बात सुनकर इला ने कोई प्रतिक्रिया नही दी