Jaadui Mann - 5 books and stories free download online pdf in Hindi

जादुई मन - 5 - भविष्य की घटना देख लेना

अध्याय 4 के आगे -

मन का पूरे शरीर पर नियंत्रण –
ईश्वर के बाद मन को ही अधिक शक्तिशाली मान सकते हैं क्योंकि मन का पूरे शरीर पर नियंत्रण होता है । यह मन ही है जो ज्ञानेन्द्रियों व कर्मेन्द्रियों के जरिये भोग करता है ।
( पाच ज्ञानेन्र्दियां-- आंख, नाक, कान, जीभ, त्वचा )
( पांच कर्मेन्द्रियां — हाथ, पांव, गुदा, मूत्रेन्द्री, मुख )
इस मन के जरिये ही ईश्वर को जाना जा सकता है अर्थात ईश्वर की शक्तियों को पहचाना जा सकता है ।
मन के दो भाग- अन्तर्मन व बाह्य मन । बाह्य मन आंखों से भौतिक जगत को देखता है,
जब हमारे नेत्र बंद होते है तब अन्तर्मन का काम शुरू हो जाता है । अन्तर्मन नेत्र बंद होने पर देखी हुई वस्तुओं को देखना शुरू कर देता है फिर उसमे कुछ दृश्य देखे हुए भी होते हैं, कुछ कल्पित दृश्य भी हो सकते हैं, और कुछ ऐसे दृश्य भी जो कभी देखे नही हैं ।
बाहर हम जो भी देखते है वह हमारा मन देखता है, यदि आंखो के साथ मन का संयोग न हो तो, जो भी आंखों ने देखा उसकी हमें स्मृति नही रहेगी ।
बाह्य मन की साधना के साथ अन्तर्मन की साधना करने से उपासना का लाभ भी मिल जाता है । हमारे मनीषियों ने अंतर्त्राटक करने पर जोर दिया है ।
साधना जब दृढ हो जाती है तो हम दूसरों के मन को भी पढ सकते हैं ज्ञात अज्ञात घटना या भविष्य में घटित होने वाली घटना को अन्तर्मन की क्षमता बढाकर देखा जा सकता है ।
मन को जादुई बनाने के लिए -‐
मन को निर्विकार बनाना होगा आने वाले विचारो से मुक्त रखना होगा, यह सरल नही है बहुत कठिन है किन्तु बार बार के अभ्यास से निर्विकार मन बनाया जा सकता है ।
जैसे हम त्राटक कर रहे हैं उस समय मन में कोई विचार आ रहे है तो खुद को आदेश देना कि मुझे सिर्फ त्राटक पर ध्यान देना है ऐसा करते रहने पर मन आदेश मानने लगता है फिर अनचाहे विचार मन मे नही आ पायेंगे, यदि विचार आते रहेंगे तो, मन की बिखरी शक्ति एकत्रित नही हो पायेगी । इसके लिए त्राटक अच्छा साधन है, इससे हम अपने मन में उठने वाले विचारों को हटा कर मन को एक ही दिशा मे लगा सकते हैं ।
अब यहां पर प्रश्न उठता है कि विचार तो मस्तिष्क में आते हैं तो मन क्या करे ? मन को मस्तिष्क भी कहा है- “मन मस्तिष्क”
मन को ग्यारहवीं इंद्री भी कहा है ।
अतः आने वाले विचारों की अनदेखी करना, बार बार अनदेखी करते रहने से, हमारा मन उन विचारों में नही बहेगा ।
इसे एक उदाहरण से समझ सकते हैं – जब परीक्षा का समय होता है उस समय हमारी याद करने की क्षमता बढ जाती है, ऐसा क्यों होता है ? यह इस लिए होता है हमारे मन की एकाग्रता उस पुस्तक में लिखे ज्ञान पर होती है । उस समय हम न मनोरंजन पर ध्यान देते है न घर के किसी तरह के क्रियाकलापों में ध्यान देते हैं । ध्यान यदि जाता भी है तो, हम वहां से हटाकर तुरंत उसी पुस्तक मे लगा लेते है । अतः परीक्षा के समय अन्य विचारो से हटा देते है तो मन की पूरी शक्ति एक ही दिशा मे लग जाती है ।
अतः बाह्य त्राटक के साथ हम अन्तर्त्राटक भी करते रहे । जो बिन्दु में देखा उसे नेत्र बंद कर भ्रकुटियो के मध्य देखने का अभ्यास भी करते रहें ।
कई ऐसे लोग भी है जो इस तरह की साधना भी नही करते किंतु उनमें अलौकिक शक्ति होती है ।
एक बात ओर कहता चलूं जो नियमित लिखते हैं या पढते है उनमे भी सामान्य व्यक्ति से अधिक मन की शक्ति होती है ।
सीधी सी बात है जब हम पढते हैं या लिखते है तो हम अंदर से रूके होते है अर्थात मन का ध्यान लिखने व पढने पर होता है उस समय मन कही ओर भागदौड नही करता ।
जिनका अन्तर्मन शक्तिशाली बन जाता है वे आगे घटित होने वाली घटना को हूबहू सपने मे देख लेते हैं ।
उदाहरण-
अब्राहम लिंकन – लिंकन ने सपने मे खुद की हत्या होते हुए देख ली थी , हत्यारे को भी देख लिया था, चारों तरफ खून बिखरा हुआ देखा, खुदको सफेद चादर से ढका हुआ और खुद के परिजनो को गमगीन अपने मृत शरीर के पास खड़े देखा । उस दिन की तारीख, उस दिन हत्या होने का समय भी सपने मे देख लिया था । लिंकन की नींद टूटी उसने उसी समय डायरी में लिख दिया लिखने की तारीख व सपने में जो तारीख समय था वह भी लिख दिया । इतना ही नही अपनी पत्नी को भी वह सपना बता दिया था । लिंकन होने वाली घटनाओ को सपने में देख लेता था । उसका सपना सच हुआ वैसे ही उसकी व्हाईट हाउस मे हत्या हुई ।
यह सब अन्तर्मन की शक्ति को विकसित कर हम आप भी देख सकते हैं ।
ऐसी साधना में मार्ग दर्शक का होना आवश्यक है मार्गदर्शक के होने से सफलता निश्चित मिल सकती है ।

क्रमशः -