Prem ka Kamal - 5 books and stories free download online pdf in Hindi

प्रेम का कमल - 5

 
इतना कह कर नीलिमा वहां से चली गयी पर नीलिमा की यह बात मानो वहां की वादियां बार बार दोहोरा रहीं थीं। जिसको सुनकर नीरज स्तब्ध रह गया उसके कानों में बस नीलिमा की आवाज गूंज रही थी"हम गरीबो के लिए जान की कीमत अनमोल होती है। तुम अमीर क्या जानो जान की कीमत अपने पैसे अपने पास रखो क्योंकि जब भी तुम इन पैसों को देखोगे तुम्हें याद रहेगा कि तुम्हारी जिंदगी किसी गरीब की कर्जदार है। ये मेरा एहसान रहा तुमपर। " उसकी गरीबो को लेकर जो विचार धारा थी वो बदलने की ओर इशारा कर रही थी।
वह जल्दी से कार में बैठा और कैम्प की और चल दिया रास्ते में उसे एक गरीब परिवार भीख मांगते हुए दिखा नीरज गाड़ी से उतरकर जिंदगी में पहली बार परिवार की और बढ़ा और उन्हें 500का नोट पकड़ा दिया। जिसे देख कर वो गरीब परिवार बहोत खुश हुआ और उन्होंने कहा "भगवान आपको सदा खुश रखे जिस किसी को भी आप दिल से चाहते हो वो आपको मिले।" यह बात नीरज के दिल मे प्रेम का कमल खिलाने को काफी थी। वो खिलखिला कर हस दिया और वहां से जाने लगा आज उसके दिल से नीलिमा के लिए नफरत का सारा मैल साफ हो गया औऱ उसकी जगह प्रेम के फूल खिलने लगे थे। वह अब वह गुन गुनाता हुआ कैम्प पहोंचा उसने दूर से ही नीलिमा को देखा वह वहां के स्थानीय लोगों के साथ खिलखिलाकर कर फोटो खिंचवा रही थी। आज नीलिमा उसे पहले से भी सुंदर लग रही थी। उसने दूर से ही नीलिमा की फोटो अपने फोन के कैमरे में लेली। और रात हो जाने पर सब दोस्तो के सो जाने के बाद उसने नीलिमा की फ़ोटो देखता हुआ उस से बोला"प्यारी नीलिमा तुम्हारी बाते सुनकर मुझे जो सिख मिली है वो शायद ही कोई सिखा पाता। में तुमसे वादा करता हूँ मैं तुम्हें अब कोई शिकायत का मौका नही दूँगा में अब अपनी माँ की तरह गरीबों की मदद करूंगा उनकी सवेदनशील जिंदगी में प्रेम और सद्भावना का दूत बनुंगा और उस से भी ज्यादा तुमसे प्यार करूँगा। बस एक बार तुमको मनालू फिर तुम्हे नाराज होने का कोई और मौका नहीं दूंगा। चलो अब सो जाते है सुबह जल्दी उठकर मंदिर भी जाना है।" बस इतना कहकर वह सो गया। अगले दिन वो सूबह-सुबह तैयार हो कर उठा और माँ नैना देवी के मंदिर जाने के लिए तैयार हो गया उसने वहां जाकर पुजा अर्चना की। गरीबों में अपनी माँ की तरह दान दिया। वो जब यह सब कर रहा था तब नीलिमा भी वहां थी नीरज में यह नया बदलाव देख कर वह भी आचंम्भित थी। क्योंकि कल तक गरीबो से नफरत करने वाला नीरज आज गरीबो में दान धर्म कर रहा था। नीलिमा की मजूदगी से अनजान नीरज वहां से चला गया बेशक नीरज में बदलाव का कारण नीलिमा के लिए उसका प्रेम ही था। पहले जो नीरज नीलिमा से दूर रहने की सोच रखता था अब वो नीलिमा के पास रहने के बहाने ढूंढता था। स्कूबा डाइविंग हो या रीवर राफ्टिंग नीलिमा का पार्टनर नीरज ही बनता था उस वक्त नीरज को करीब से जान ने का मौका नीलिमा को मिला। उसने नीरज में कई बदलाव महसूस किए। उसको यह बदलाव अच्छे लग रहे थे। वो आकर्षित हो रही थी नीरज की तरफ पर अमीरी गरीबी के भेदभाव ने उसका मन बाँध रखा था। पर नीरज ने यह तय कर लिया था कि अब वो दिल्ली जाते ही अपने दिल की बात नीलिमा से कहेगा । अब वो दिन आया जिसका उसे बेसबरी से इंतज़ार कर रहा था। नीरज और नीलिमा कैंपिंग करके दिल्ली वापस पहोंचे। पहले जैसा अब निराज नही था। वहापनी उम्र से बड़े रामदीन, चमनऔर घनश्याम को नीरज काका कह कर बुला रहा था। सब उसके मुह से काका सुनकर हैरान रह गये। फिर उसने सबको अपने उस एक्सीडेंट के बारे में बताया जिस ने उसको अंदर तक बदल दिया था। उसने बताया किस तरह गरीब घर की नीलिमा ने उसकी जान बचाई और उसे उसके स्वाभिमानी होने का प्रमाण दिया। उसकी माँ अपने बेटे के आये इस बदलाव से बहोत खुश थी। वही सब उसके मन मे पनपे इस प्रेम से अनजान थे।
उसने सोचा कल का दिन अच्छा है 14 feb वैलेंटाइन डे का दिन आ ही गया सुबह सुबह नीरज बिना कुछ खाये पिये जल्दी उठकर कॉलेज के लिये न8काल गया
। दिल्ली में हल्की हल्की ठंड पड रही थी। सूरज सुबह सुबह कॉलेज के कॉरिडोर में अपनी धूप बिखेर रहा था सब लोग आज कॉलेज की कक्षा के बदले अपने अपने प्यार के साथ बाहर या कॉलेज की कैंटीन में वक्त बिता रहे थे। नीरज भी नीलिमा का इंतज़ार कर रहा था। जैसे ही नीलिमा आई नीरज के आसपास का माहौल और रूमानी हो गया उसने कैंटीन की टेबल पर गुलाब के फूलो से दिल बनाया और उसमें नीलिमा की तस्वीर लगाई और उसके सामने घुटनो पर बैठ गया। नीलिमा उस दिन वाइट फ्रॉक पहने घुंगराले केशो में हेयर बैंड लगाये स्नो व्हाइट जैसी लग रही थी। नीरज बोला"नीलिमा मैं तुम्हारे प्यार में बिल्कुल बदल चुका हूं। मेरे मन मे अब गरीबों के लिए बहोत इज्जत है। मैं तुमसे बहोत प्यार करता हूं तुमसे शादी करना चाहता हूंकरना चाहता हूँ क्या तुम मुझसे शादी करोगी? मेरे सपनों के महल की रानी बनोगी?" नीलिमा के मन मे जो प्रेम का फूल अभी तक खिला नहीं था वो खिल ही गया वो बोली मैं तुम में बहोत बदलाव महसूस कर रही हूं तुम बहोत संवेदनशील होते जा रहे हो मुझे भी तुम में यह बदलाव अच्छे लग रहे है। मुझे यकीन है तुम एक बहोत अच्छे इन्सान हो पर तुम्हारे और मेरे बीच मे जो अमीरी गरीबी का फासला है मुझे डर है यह हमारे बीच में दरार ना पैदा कर दे" इतना सुनते ही नीरज बोला" मैं समझ चुका हूं कि प्यार अमीरी गरीबी के भेद को नही मानता मैं तुम से यह वादा करता हूँ जो प्यार और सम्मान मेरी बहनों को उस घर मे मिलता है। वही तुम्हे भी मिलेगा।और वैसे भी हर दौलत से ऊपर होती है स्वाभिमान की दौलत जो तुम्हारे पास अपार है।
नीलिमा नीरज के बदलाव से काफी खुश और उसको भी नीरज पसंद था। उसने हाँ करदी। अब वह दोनो बहुत खुश थे। साथ मे समय बीताते बाहर घूमने जाते, साथ खाना खाते थे ।दिल्ली की चांदनी चौक की तंग गलियों में घूमते थे। अब वो अपनी खुशहाल जिंदगी की कामना कर रहे थे।