Tom Kaka Ki Kutia - 2 books and stories free download online pdf in Hindi

टॉम काका की कुटिया - 2

2 - स्वतंत्रता या मृत्यु

इलाइजा शेल्वी साहब के घर बड़े लाड़-प्यार से पली थी। श्रीमती शेल्वी इलाइजा पर बड़ा स्नेह रखती थी। अपनी कन्या की भाँति उसका लालन-पोषण करती थी। अमरीका में और जो बहुत-से गोरे अंग्रेजी सौदागर थे, वे सुंदर दासियों के गर्भ से लड़के-लड़की पैदा करके बाजार में उन्हें ऊँचे दामों पर बेच डालते थे। उन पापी कलंकी गोरे अंग्रेज सौदागरों के घर इन अभागी सुंदर दासियों के सतीत्व की रक्षा की कोई संभावना न रहती थी। पर सौभाग्यवश इलाइजा वैसे दुःख, यंत्रणा और पापों से बची हुई थी। शेल्वी साहब की मेम ने उसे ईसाई धर्म की खासी शिक्षा दिलाई थी। सत्संग में रहने के कारण इलाइजा का चरित्र बड़ा पवित्र था। जब वह युवती हुई तो श्रीमती शेल्वी ने जार्ज हेरिस नाम के एक बलिष्ठ, बुद्धिमान और सुंदर वर्ण-संकर के साथ उसका विवाह कर दिया। जार्ज शेल्वी साहब के एक पड़ोसी का दास था। रूप-गुण, सभी बातों में वह इलाइजा के योग्य था। पर जार्ज का मालिक गुलामों से बड़ा निष्ठुर व्यवहार करता था। उन्हें सदा दुःख देता था और उनको कोड़े लगाता था। जार्ज का जन्म एक अंग्रेज बनिए और अफ्रीका की एक क्रीत दासी के मेल से हुआ था। उस बनिए की मृत्यु हो जाने पर, उसके कर्ज के लिए, जार्ज को अपने भाई-बहनों सहित नीलाम होना पड़ा। जार्ज के वर्तमान मालिक ने उसे नीलाम में खरीदकर विलसन नामक एक आदमी के पाट के कारखाने में लगा दिया। जार्ज कारखाने में काम करके जो कुछ पाता था, उसे अपने मालिक को सौंप देना पड़ता था। दासों को अपने कमाए हुए धन पर कोई अधिकार नहीं था। बैल, घोड़े आदि पशुओं को किराए पर चलाकर जैसे लोग धन कमाते हैं, उसी प्रकार अमरीका के गोरे सौदागर गुलामों को किराए पर लगाकर रुपये इकट्ठे करते थे। विलसन के कारखाने में जार्ज बड़ी सावधानी और ईमानदारी से काम करता था। गुलाम होने पर भी उसकी बुद्धि बड़ी तेज थी। उसने अपनी अक्ल से पाट साफ करने के लिए एक बड़ी अच्छी कल बनाई थी। विलसन ने उसकी यह परिश्रमशीलता, होशियारी, चतुराई और ईमानदारी देखकर उसे अपने कारखाने का मैनेजर बना दिया। कारखाने के और नौकर-चाकर उसे बड़ी श्रद्धा की दृष्टि से देखने लगे। पर जार्ज था तो गुलाम ही। भला उसका इतना सम्मान और यह उन्नति, उसके नीच मालिक अंग्रेज सौदागर को क्यों सुहाने जाए? जार्ज का कोई भी गुण उसे अपने दुष्ट मालिक के अत्याचारों से न बचा सका।

 जार्ज का मालिक उसे इस प्रकार महत्व दिए जाते देखकर मन-ही-मन जल-भुनकर खाक हो गया। जार्ज पर लोग श्रद्धा करने लगे, यह सुनकर उसके विद्वेष की अग्नि भभक उठी। उसने मन-ही-मन ठान लिया कि जार्ज को विलसन के कारखाने से निकालकर और किसी सख्त काम में लगाऊँगा। बस फिर क्या था? विचार उठने भर की देर थी। दूसरे दिन वह विलसन के कारखाने में पहुँचकर उससे बोला - "जार्ज को अब मैं तुम्हारे कारखाने में काम नहीं करने दूँगा।"

 विलसन ने कहा - "जार्ज के परिश्रम से मेरे कारखाने की बड़ी उन्नति हुई है। उसको अलग कर लेने से मेरी बहुत हानि होगी।" उसने और भी कहा - "यदि तुम्हें रुपयों का लोभ हो तो मैं उसके लिए तुम्हें अब से दूनी मजदूरी दे सकता हूँ।" पर जार्ज के मालिक ने एक न मानी। उसे कारखाने से अलग करके मिट्टी खोदने के काम में लगा दिया और उसको मनमाने कोड़े लगाने लगा।

 जार्ज ने विलसन के कारखाने में नौकर होने पर इलाइजा से विवाह किया था। जार्ज को विलसन बहुत चाहता था। इससे जार्ज रोज का काम खत्म करते ही अपनी स्त्री से मिल सकता था। पर अब उसे वहाँ नहीं जाने दिया जाता था। उसके मालिक ने उसे शेल्वी के यहाँ जाने से रोका और अपने यहाँ की एक दासी से नाता जोड़ने की आज्ञा दी। इलाइजा जार्ज को प्राणों से भी प्यारी थी। भला उसे छोड़कर वह कैसे दूसरी दासी को ग्रहण करे? दास-दासियों के हृदय में क्या शुद्ध प्रेम का संचार नहीं होता? इलाइजा की तीन संतानें हुईं, जिनमें केवल एक ही जीवित है। यह संतान दोनों के दिलों को जोड़ती है। कोई भी आदमी ऐसे पवित्र प्रेम को कैसे भूल सकता है? क्या वह कभी ऐसे गाढ़े स्नेह-बंधन को तोड़ सकता है? जार्ज गुलाम है, पराधीन है, तो क्या हुआ! क्या वह प्रेम के इस बंधन को तोड़ना कभी स्वीकार कर सकता है? क्या अपनी स्त्री की जगह दूसरी स्त्री को अंगीकार कर सकता है? जार्ज ने देख लिया कि अब कोई दूसरा उपाय नहीं है। बस, मौत ही उसे इस गुलामी की चोट से मुक्त कर सकती है। इसी से उसने "स्वतंत्रता या मृत्यु" इस वाक्य को अपना मूलमंत्र बनाया।

 वह भागने का उद्योग करने लगा।