Tom Kaka Ki Kutia - 26 books and stories free download online pdf in Hindi

टॉम काका की कुटिया - 26

26 - हेनरिक का संकल्प

जब अगस्टिन अपने झीलवाले मकान में था, उस समय सेंटक्लेयर का भाई अल्फ्रेड अपने बारह वर्ष की उम्र के बड़े बेटे हेनरिक को साथ लेकर वहाँ आया और दो-तीन दिन रहा। यह बड़े आश्चर्य की बात थी कि इन दोनों भाइयों में परस्पर किसी तरह की समानता - न रंग-रूप में, न विचार ही में होने पर भी आपस में बड़ा स्नेह था। प्रकट में ये दोनों सदा एक-दूसरे का मजाक उड़ाया करते थे, पर इनमें आंतरिक प्रेम कम न होता था। दोनों हाथ मिलाकर बाग में टहलते और खूब बातें किया करते थे।

 अल्फ्रेड का बड़ा पुत्र हेनरिक बड़ा सभ्य और तेजस्वी बालक जान पड़ता था। कोमल-हृदया इवान्जेलिन को देखते ही उस पर उसका बड़ा स्नेह और प्रेम हो गया।

 इवा के पास एक सफेद रंग का बड़ा अच्छा टट्टू था। संध्या के समय इवा को घुमाने के लिए टॉम ने वह टट्टू लाकर बरामदे के पास खड़ा किया, इधर डडो नामक तेरह वर्ष का बालक हेनरिक के लिए काला अरबी टट्टू लेकर आया।

 हेनरिक ने घोड़ा देखकर डडो पर लाल-लाल आँखें निकालकर डाँटते हुए कहा - "क्यों बे यह क्या? आज सवेरे तूने मेरे घोड़े को मला नहीं?"

 डडो ने बड़े विनीत भाव से उत्तर दिया - "सरकार, वह आप ही लोटकर धूल से भर गया।"

 हेनरिक ने चाबुक उठाकर बड़े क्रोध से कहा - "चुप रह! जबान चलाता है। चाबुक से चमड़ी उधेड़ दूँगा।" इतना कहकर उसने तुरंत डडो के मुँह पर पाँच-सात चाबुक जड़ दिए।

 वह "सरकार-सरकार" कहकर चीखने लगा। पर हेनरिक ने एक न सुनी और बराबर कोड़े लगाता गया। फिर एक हाथ पकड़कर ऐसी ठोकर मारी कि वह धड़ाम से जमीन पर गिर पड़ा। तब उसे छोड़कर बोला - "मेरे सामने मुँह खोलने का मजा पा गया। घोड़ा ले जा, उसे ठीक से साफ करके ला। मैं तेरी अच्छी तरह खबर लूँगा।"

 टॉम ने कहा - "हुजूर, वह आपसे कहना चाहता था कि सवेरे मैंने घोड़े को मला था, इस वक्त रास्ते में आते समय वह जोश में था, इससे जमीन पर लोट गया। मैंने सवेरे उसे घोड़ा साफ करते देखा था।"

 हेनरिक ने ऊँची आवाज में कहा - "तुम चुप रहो। तुमसे कौन पूछता है। फिजूल अपनी बक-बक लगाए हो।"

 इतना कहकर हेनरिक इवा के पास जाकर बोला - "प्यारी बहन, मुझे बड़ा खेद है कि उस पाजी के कारण तुम्हें भी इंतजार करना पड़ा। आओ, जब तक वह आए तब तक यहाँ बैठ जाएँ। पर यह क्या बहन! तुम इतनी उदास क्यों हो?"

 इवा ने कहा - "तुमने बेचारे डडो के साथ बड़ा जुल्म किया। तुम बड़े ही बेरहम और पापी हो।"

 हेनरिक ने बड़े आश्चर्य से कहा - "बेरहम! पापी! यह तुम क्या कह रही हो, प्यारी इवा?"

 इवा बोली - "जब तुम ऐसी बेरहमी का काम करते हो, तो मैं नहीं चाहती कि तुम मुझे "प्यारी इवा" कहकर पुकारो।"

 हेनरिक ने कहा - "प्यारी बहन, तुम डडो को नहीं जानतीं। बिना मार खाए वह सीधा नहीं रह सकता। वह बड़ा झूठा और बहानेबाज है। इन लोगों को दुरुस्त करने का यही ढंग है। इनको मुँह नहीं खोलने देना चाहिए। बाबा इसी ढंग से इन पर शासन करते हैं।"

 "पर टॉम काका ने तो कहा कि उसका कसूर नहीं था। आकस्मिक बात थी। टॉम काका कभी झूठ नहीं बोलता।"

 हेनरिक बोला - "वह बुड्ढा तो हब्शियों में एक साधारण आदमी है। डडो तो बेहिसाब झूठ बोलता है।"

 "मार के डर से वह झूठ बोलना सीखता है।"

 "इवा, तुम डडो पर बड़ी कृपा दिखाती हो, इससे मेरा मन बड़ा दु:खी होता है।"

 "पर तुम उसे बिना कसूर मारते हो!"

 "अच्छा, तुम्हें दु:ख होता है तो मैं आगे से उसे तुम्हारे सामने नहीं मारूँगा। मुझे नहीं मालूम था कि काले गुलाम को मार खाते देखकर तुम्हें कष्ट होता है।"

 इवा को संतोष नहीं हुआ, पर उसने देखा कि अपने विचार को हेनरिक को समझाने का प्रयत्न करना व्यर्थ है। कोई फल नहीं होगा।

 डडो घोड़ा लेकर शीघ्र ही आ पहुँचा।

 हेनरिक ने बड़ी कृपा की दृष्टि से कहा - "डडो, इस बार तू बड़ी जल्दी घोड़ा ले आया। इधर आ, मिस इवा का घोड़ा पकड़ ले। मैं उसे सवारी करा दूँ।"

 इवा के घोड़े पर चढ़ते समय देखा कि बालक शारीरिक पीड़ा से रो रहा है। उसने डडो को घोड़ा पकड़ने के लिए धन्यवाद दिया और कहा - "तुम बड़े अच्छे लड़के हो।"

 मार का यह द्रश्य बाग में घूमते हुए सेंटक्लेयर और अल्फ्रेड ने भी देखा। यह देखकर अगस्टिन का चेहरा लाल हो गया। उसने अल्फ्रेड से बड़े व्यंग्य से कहा - "अल्फ्रेड, मैं समझता हूँ कि यही वह शिक्षा है, जिसे हम लोग साधारण तंत्र-प्रणाली की शिक्षा कहा करते हैं।"

 अल्फ्रेड ने कहा - "जब हेनरिक को जोश आ जाता है, तब वह शैतान हो जाता है।"

 अगस्टिन बोला - "मेरे खयाल से तुम समझ रहे हो कि वह यह बहुत अच्छा काम सीख रहा है।"

 अल्फ्रेड ने कहा - "मेरे किए से यह सब दूर नहीं हो सकता। मैं या मेरी स्त्री, दोनों इस विषय में चुप रहते हैं। पर यह डडो छोकरा भी बड़ा बदमाश है। इसे चाहे जितना मारो, सीधा नहीं होता।"

 अगस्टिन बोला - "और मैं समझता हूँ कि हेनरिक को साधारण तंत्र-प्रणाली की शिक्षा देने का यही ढंग है, क्योंकि उस प्रणाली का पहला सूत्र है - सब मनुष्य जन्म से स्वतंत्र और समान हैं।"

 अल्फ्रेड ने कहा - "ये फिजूल की बातें हैं। फ्रांस में भी एक बार ऐसा ही आंदोलन उठा था। समान अधिकार की बात केवल शिक्षित और उच्च श्रेणी के लोगों में ही चल सकती है, इन नीचों में नहीं।"

 अगस्टिन बोला - "पर आँखें खुलने पर वे सब बदला चुका लेते हैं। फ्रांसीसी क्रांति का मूल कारण जानते हो? हाँ, इन निम्न श्रेणी के लोगों की कभी आँखें न खुलने पाएँ, तो बात दूसरी है।"

 अल्फ्रेड ने बड़े जोर से पृथ्वी पर पैर पटककर, मानो वह निम्न-श्रेणी के लोगों के सिर पर ही लात मार रहा हो, कहा - "जरूर इन लोगों को गिराकर रखना होगा।"

 अगस्टिन बोला - "जब ये अत्याचार-पीड़ित निम्न श्रेणी के लोग उठ खड़े होंगे, तब देश को मिट्टी में मिला देंगे। रईसों और बड़े आदमियों का प्रभुत्व जड़ से उखाड़ देंगे। तुम्हें क्या सेंट डोमिंगो की हकीकत मालूम नहीं है?"

 अल्फ्रेड ने कहा - "ओफ, कहाँ की बात करते हो! हम लोग यहाँ सब ठीक कर लेंगे। इन "जन-साधारण की शिक्षा", "मजदूरों की शिक्षा" के नारों पर ध्यान न देने से यहाँ विप्लव की कोई संभावना न रहेगी। इन सबको शिक्षा न देने से फिर कोई अड़चन नहीं होने की।"

 अगस्टिन बोला - "अब वे दिन गए। अब शिक्षा का प्रवाह किसी के रोके भी नहीं रुक सकता। तुम लोगों को उचित है कि उन्हें शिक्षा देकर उनका नैतिक जीवन ऊँचा कर दो।"

 अल्फ्रेड ने कहा - "रहने दो, अपना यह ऊँचा नैतिक जीवन! ये लोग सदा इसी हालत में रहेंगे।"

 अगस्टिन बोला - "यह ठीक है, पर इन्हें अच्छी शिक्षा नहीं मिलेगी तो ये कभी-न-कभी उत्तेजित होकर खून की नदी बहा देंगे। क्या तुम नहीं जानते कि सोलहवें लुई की हत्या के बाद फ्रांस की क्या हालत हुई? अल्फ्रेड, मैं कहे देता हूँ कि वह समय अब दूर नहीं, जब ये निम्न श्रेणी के लोग खड़े होकर संसार को अराजकता से भर देंगे। रईसों और बड़े लोगों को अपने रक्त द्वारा जगत् में हो रहे अत्याचारों और उत्पीड़न का प्रायश्चित करना पड़ेगा।"

 अल्फ्रेड ने हँसते हुए कहा - "अगस्टिन, तुम तो अच्छे-खासे वक्ता हो गए। मैं कहता हूँ, तुम जगह-जगह घूमकर इस विषय पर व्याख्यानन देना शुरू कर दो। इससे पैंगबर की तरह लोग तुम्हें पूजेंगे। लेकिन लगता है कि तुम्हारे इस कल्पित स्वर्ग-राज्य के आने के पहले ही मैं मर जाऊँगा। मुझे यह सब देखना नसीब न होगा।"

 अगस्टिन बोला - "फ्रांस के रईस लोग निम्न-श्रेणीवालों से बड़ी घृणा करते थे। पर अंत में उन्हीं निम्न श्रेणीवालों ने उन लोगों पर आधिपत्य जमाया था। जरा खयाल करो। अभी उस दिन हाइटी में क्या हो गया था!"

 अल्फ्रेड ने कहा - "हाइटीवालों का क्या जिक्र कर रहे हो! वे भी क्या अंग्रेज हैं? वे अंग्रेज होते तो भला उनकी ऐसी दुर्दशा हो सकती थी? संसार में सब तरफ अंग्रेजों का दबदबा रहेगा। अंग्रेज सब लोगों पर हुकूमत करेंगे। भला हम लोगों (अंग्रेजों) के साथ किसी जाति की तुलना हो सकती है?"

 अगस्टिन ने तेज होकर कहा - "बहुत "अंग्रेज-अंग्रेज" करके मत कूदो। एक बार इन काले हब्शियों की आँख खुलने दो। देखना, तुम लोगों को अपने अत्याचारों का प्रायश्चित करना पड़ता है या नहीं। तब फिर लाचार होकर तुम लोगों को यहाँ से दुब दबाकर भागना पड़ेगा। यहाँ छिपने को तुम्हें जगह न मिलेगी।"

 अल्फ्रेड बोल - "तुम्हारी ये सब पागलपन की बातें हैं।"

 अगस्टिन ने कहा - "पागलपन की बातें! क्या बाइबिल की बात का तुम्हें स्मरण नहीं है? लिखा है, "मनुष्य स्वप्न में भी विपदा का खयाल न करता था, पर अकस्मात् एक दिन बाढ़ आई और इन लोगों को बहाकर मृत्यु के मुँह में डाल दिया।" मैं तुमसे अनुरोध करता हूँ कि बाइबिल की इस बात को सदा याद रखना!"

 अल्फ्रेड ने हँसते हुए कहा - "अगस्टिन, तुम पैगंबरी का जामा पहनकर जगह-जगह व्याख्यानन देते फिरो तो अच्छा होगा। हम लोगों की फिक्र मत करो। हममें बहुत सामर्थ्य है। हम अपनी रक्षा आप कर लेंगे। इन निम्न श्रेणी के लोगों को सदा इस गिरी हुई हालत में ही रहना पड़ेगा। ये लोग सदा हमारे पैरों-तले ही रहेंगे। हममें इन पर शासन करने के लिए पूरी शक्ति है।"

 अगस्टिन बोला - "क्यों नहीं, तुम्हारा लड़का इसी शक्ति की शिक्षा पा रहा है। पर तुम लोगों की शक्ति तो क्रोध के साथ काफूर होकर उड़ जाती है। तुम नहीं जानते कि ठंडा लोहा गरम लोहे को काटता है। जो अपने को नहीं सम्हाल सकता, वह दूसरों पर शासन क्या करेगा?"

 अल्फ्रेड ने कहा - "मैं मानता हूँ कि शिक्षा-प्रणाली कुछ बुरी है। लड़कपन से ही हमारी संतानें इन काले दासों पर शासन करना सीख जाती हैं। दूसरों को भी कोई अधिकार है, यह समझने का मौका ही नहीं मिलता। पर किसी-किसी विषय में हमारे यहाँ की शिक्षा बहुत अच्छी भी होती है। बच्चे बचपन से ही खूब साहसी और तेजस्वी होते हैं। क्रीत-दासों के बहुत से ऐब उनको छू नहीं पाते। हृदय में भरा हुआ प्रभुत्व का भाव उन्हें अनेक दोषों से दूर रखता है।"

 अगस्टिन ने व्यंगोक्ति के भाव से पूछा - "इस प्रकार प्रभुत्व करने की इच्छा क्या ईसाई धर्म के अनुकूल है?"

 अल्फ्रेड बोला - "अनुकूल है या प्रतिकूल, इस बारे में मैं बहस नहीं करना चाहता। पर इसमें कोई संदेह नहीं कि हमारे देश की सामाजिक अवस्था लोगों को साहसी और तेजस्वी बना देती है।"

 अगस्टिन ने कहा - "यह हो सकता है।"

 अल्फ्रेड बोला - "अगस्टिन, ये सब फिजूल की बातें हैं, इनसे नतीजा कुछ नहीं निकलता। कम-से-कम हम लोग पाँच सौ बार तो इस पुराने विषय पर तर्क-वितर्क कर चुके होंगे। चलो, बैठकर शतरंज खेलें।"

 दोनों भाई बरामदे में आकर बैठ गए और शतरंज खेलना आरंभ कर दिया। खेलते समय अल्फ्रेड ने कहा - "मैं तुमसे कहता हूँ अगस्टिन, यदि तुम्हारे जैसे विचार मेरे होते तो मैं अपने विचारों के प्रचार के लिए कुछ प्रयत्न अवश्य करता।"

 अगस्टिन ने कहा - "हाँ, मैं कह सकता हूँ कि तुम करते। तुम काम-काजी आदमी हो, लेकिन मैं?"

 अल्फ्रेड चुटकी लेकर बोला - "अपने दास-दासियों ही की दशा क्यों नहीं सुधारते?"

 अगस्टिन ने कहा - "क्या यह भी संभव है? एक बड़ा भारी पहाड़ उनके सिर पर रख दो तो भी उनका सीधे खड़े रहना संभव है, पर हम लोगों के समाज में फैली हुई बुरी शिक्षा, असदाचरण और अत्याचारों के नीचे रहकर उनका सुधरना कभी संभव नहीं। समाज में फैले हुए पापों और बुराइयों से नैतिक वायु दूषित हो जाती है। इसलिए जब तक नैतिक वायु शुद्ध न हो, तब तक किसी एक आदमी के किए-धरे लोगों का सुधार नहीं हो सकता। कितनी ही विजित जातियों को उच्च शिक्षा मिलती है, पर उस शिक्षा से क्या पराजित जाति कभी उन्नत हो सकती है?"

 अल्फ्रेड बोला - "तुम देश-सुधार का व्रत ले लो।"

 इसके बाद दोनों खेल में तल्लीन हो गए। कुछ देर बाद हेनरिक और इवा घोड़ों पर लौटे। घोड़ों के तेज आने के कारण इवा कुछ थक-सी गई थी, पर उसके क्लांत मुख-कमल पर अनुपम सौंदर्य विकसित हो रहा था। ऋतु बदलने पर जिस प्रकार प्रकृति नए रूप में सज-धजकर मनुष्यों के हृदय में नए-नए भाव उत्पन्न करती है, उसी राग-द्वेष और हिंसा से रहित तथा धार्मिक पवित्रता से पूर्ण निर्मल चरित्रवाली रमणियों के मुख-कमल से एक-एक अवस्था में एक-एक प्रकार के अलौकिक सौंदर्य का भाव विकसित होता है। इवा के इस थके मुखमंडल से शांति और प्रेम का भाव टपक रहा था।

 अल्फ्रेड ने उसे इस भाव में देखते ही विमोहित होकर कहा - "क्या अपूर्व रूप-माधुरी है! अगस्टिन, तुम्हारी इवा के सौंदर्य पर संसार रीझ उठेगा।"

 लेकिन अगस्टिन ने निराश हृदय से कहा - "हाँ, वह सर्वगुण-संपन्न है, पर कौन जाने, ईश्वर के मन में क्या है? यह कहते हुए उसने दो-चार कदम आगे बढ़कर इवा को घोड़े से गोदी में उतारकर पूछा - "बेटी इवा, तुम बहुत थक तो नहीं गई?"

 बालिका ने कहा - "नहीं बाबा!" पर उसके जोर से साँस लेने से उसके पिता को खटका हुआ। उसने कहा - "बेटी, तुम घोड़ा इतना तेज क्यों चलाती हो? तुम जानती हो कि यह तुम्हारे स्वास्थ्य के लिए हानिकर है।"

 यह कहकर उसने उसे एक कोच पर लिटा दिया।

 सेंटक्लेयर ने कहा - "हेनरिक, तुम इवा को देखना। देखो, जब इवा तुम्हारे साथ हुआ करे, तब घोड़ा इतना तेज मत दौड़ाया करो।"

 हेनरिक ने इवा के पास बैठकर अपने हाथ में उसका हाथ लेते हुए कहा - "मैं फिर कभी ऐसी भूल नहीं करूँगा।"

 इवा शीघ्र ही स्वस्थ हो गई। उसके पिता और चाचा इन दोनों बच्चो को छोड़कर खेल में लग गए। हेनरिक ने कहा - "इवा, मुझे बड़ा खेद है कि बाबा बस अब यहाँ दो ही दिन ठहरेंगे, फिर हम लोग चले जाएँगे। तुमसे न मालूम फिर कब भेंट होगी। यदि मैं तुम्हारे पास रहता तो भला बनने का प्रयास करता और डडो को कभी न मारता। मैं डडो से बुरा बर्ताव नहीं करता। उसे कभी-कभी पैसे भी दे देता हूँ। तुम देखती हो कि वह अच्छे कपड़े पहनता है। मैं समझता हूँ, कुल मिलाकर डडो बड़े मजे में है।"

 इवा ने कहा - "तुम्हें केवल खाना-कपड़ा और पैसे दिए जाएँ, पर संसार में कोई तुम्हें स्नेह करनेवाला न हो, तो क्या तुम अपने को सुखी समझोगे?"

 "नहीं।"

 "तो तुम देखते हो कि तुम डडो को उसके सारे आत्मीयों से अलग करके ले आए हो और अब उसे कोई भी प्यार करनेवाला नहीं है। ऐसी दशा में पड़कर तो कोई भी व्यक्ति सुखी नहीं रह सकता।"

 हेनरिक ने कहा - "इसमें हम क्या कर सकते हैं? मैं उसकी माँ को तो ला नहीं सकता, और न मैं स्वयं ही उसे प्यार कर सकता हूँ।"

 इवा बोली - "तुम प्यार क्यों नहीं कर सकते?"

 खिलखिलाकर हँसते हुए हेनरिक ने कहा - "डडो को प्यार! उस पर मैं थोड़ी दया करूँ, यही काफी है। तुम क्या अपने नौकरों को प्यार करती हो?"

 इवा बोली - "जी हाँ, मैं करती हूँ।"

 "कैसी अनोखी बात है!"

 "क्या बाइबिल हम लोगों को यह नहीं बताती कि हमें हर एक आदमी को प्यार करना चाहिए?"

 हेनरिक ने खिन्नभाव से कहा - "बाइबिल की बात क्या कहती हो! बाइबिल में तो ऐसी-ऐसी कितनी ही बातें लिखी पड़ी हैं; लेकिन कोई उन्हें करने का विचार भी करता है? तुम जानती हो इवा, कोई आदमी बाइबिल का कहा नहीं करता।"

 इवा कुछ देर तक बोली नहीं। उसकी आँखें स्थिर और चिंतायुक्त हो गईं। फिर वह बोली - "प्यारे भाई, मेरी एक बात मानो। जैसे भी हो, तुम गरीब डडो को प्यार करना, उस पर दया करना।"

 हेनरिक ने कहा - "प्यारी बहन, तुम्हारे अनुरोध से मैं किसी भी चीज को प्यार कर सकता हूँ। तुम सरीखी प्रेममय, शांत और मधुर बालिका मैंने नहीं देखी। मैं अब कभी डडो को नहीं मारूँगा।"

 इवा को उसकी इस बात से शांति मिली। उसने कहा - "मुझे बड़ी प्रसन्नता हुई कि तुम ऐसा अनुभव करते हो। प्यारे हेनरिक, मैं आशा करती हूँ कि तुम्हें अपनी बात याद रहेगी।"

 तभी भोजन की घंटी हुई और सब लोग भोजन के लिए उठ गए।