Vo Pehli Baarish - 45 books and stories free download online pdf in Hindi

वो पहली बारिश - भाग 45

कुनाल ने ध्रुव को एक रेस्ट्रो का नाम मैसेज किया था, और वो वहीं बैठ कर ध्रुव का इंतज़ार कर रहा था।

ध्रुव जब वहां पंहुचा तो उसे एहसास हुआ की वो रेस्ट्रो उन कुछ रेस्ट्रो में से एक था, जिसमें पैसे बढ़ने के बाद जाने की बात अक्सर वो दोनों करा करते थे।

“वाह…. बड़े पैसे है इसपे ख़राब करने के लिए।”, ध्रुव अपने आप से बुदबुदाया।

अंदर जाकर कुनाल को ढूंढते हुए ध्रुव उसके पास जाकर बैठा और बोला।
“अब बता क्या हुआ है?”

“कुछ नहीं… जो तुझे बताया था उतना ही हुआ है।”, अपने गिलास में से कुछ पीते हुए कुनाल बोला।

“तुझको पहले ही समझाया था, की वो अच्छी लड़की नहीं है, पर तू माना नहीं ना।”, ध्रुव ने बोला। “उसने तुझसे जितने पैसे लेने होंगे ले लिए, और बस फिर कर लिया ब्रेकअप।”

“वापस कर दिए थे। उसने मुझसे लिए हुए सारे पैसे जैसे ही उसे वापस मिले, वापस कर दिए थे।”, ध्रुव को टोकता हुआ, कुनाल फट से बोला।

“हह.. चल ठीक है, वापस कर दिए, पर पैसे वापस करना उसे अच्छा इंसान नहीं बनाता ना?"

“तो बुरा भी नहीं बनाता ना, और आज चल मुझे ये बता की तेरे हिसाब से वो बुरी इंसान क्यों थी?”

“वो क्योंकि…”

“क्योंकि, वो कॉलेज में तेरा मज़ाक बनाती थी?”, कुनाल ने जैसे ध्रुव की बात को पूरा करते हुए बोला।

“नहीं… मैं ऐसा भी नहीं हूँ, की तब की बात को अब तक ले कर बैठा रहूंगा।”, ध्रुव कुनाल को ठीक करता हुआ बोला।

“फिर?”

“उसकी अभी की हरकतें देख ले, कितनी अजीब थी…”

“अजीब क्या था उसमें, उसका रात रात को पार्टी में जाना? उसके जैसे बहुत सारे लोग ये करते है, इसमें कुछ गलत नहीं है।”

“पर?”

“देख ध्रुव… मैं मानता हूँ, की वो हमसे बहुत अलग थी, पर किसी का किसी से अलग होना उसे गलत नहीं बनता है। कहीं ना कहीं, हम सब एक दूसरे से अलग होते है, मैं तुझसे अलग हूँ, निया तुझसे अलग होगी, पर फिर भी हम दोस्त है, तुम साथ हो…”

कुनाल अभी बोल ही रहा होता है, की इतने में ध्रुव का फ़ोन बज जाता है। स्क्रीन पे शुभम का नाम फ़्लैश हो रहा था, तो ध्रुव फट से फ़ोन उठा लेता है।

“हेलो…”

“हेलो…. कहाँ है तू?”, शुभम ध्रुव से पूछता है।

“बाहर आया हूँ। बता क्या हुआ?”

“वो तान्या ने मना कर दिया।”

“क्या बोल रहा है? कौन तान्या?”

“तान्या… जिसे प्रोपोज़ करने के लिए मैं यहाँ तक आया था, उसने ना बोल दिया।”
“तूने उसके साथ भी कोई मज़ाक किया था क्या? जैसे अंगूठी की डब्बी में मेंढक डालने वाला।”

“तू पागल वागल गया है, ये सब बकवास हम पता नहीं कितने पहले करते थे।”

“पर तू शुभम है।”

“उसके साथ ऐसा मज़ाक करने की कभी हिम्मत ही नहीं थी मेरी।”, शुभम ने अपना गाला साफ़ करते हुए बोला।

“फिर.. आराम से बात कर उससे, मुझे क्या बोल रहा है?”

“नहीं कर रही ना वो बात.... हम बाहर गए और बारिश आ गयी.. पर इसमें मेरा क्या कसूर था।”, शुभम कुछ कुछ बड़बड़या।

“क्या? तुम आज बाहर गए थे?”

“हाँ.. तुझे तब से तो बता रखा था, कि शनिवार को मैं उसको शादी के लिए पूछूंगा।”

उसकी ये बात सुनते ही, ध्रुव ने अपने सर पे हाथ रखा, और फाटक से बोला, “मुझे बता कहाँ है तू?”

शुभम की बात सुनते ही, ध्रुव ने फ़ोन काटा और दोबारा से कुनाल की तरफ बढ़ा।

“कुनाल… मुझे लगता है, कि शुभम पहली बारिश का शिकार हो गया है।”

“हह… आज पहली बारिश थी, और वो वो अपनी गर्लफ्रेंड से मिला था, शादी के लिए प्रोपोज़ करने के लिए, पर उसने मना कर दिया।”

“क्या?”, कुनाल ने हैरानी से पूछा। “तुझे पता नहीं था, क्या की आज पहली बारिश है? जो तूने उसे बताया नहीं।”

"पता तो था, तभी तो तुझे और शिपी को बाहर भेजा था..", अनजाने में ध्रुव सब बोल गया, पर जैसे ही उसे अहसास हुआ कि वो क्या बोल रहा है, वो चुप हो गया।

"क्या?", कुनाल ने हैरानी से पूछा। "तूने क्या किया?"

"अ.अ..", ध्रुव को समझ नहीं आ रहा था की वो क्या बोले, पर फिर किसी तरह हिम्मत बांध कर वो बोलना शुरू करता ही है, की रिया भी वहाँ आ जाती है।

"वो क्या है ना, की मुझे लगता था की तू और शिपी एक दूसरे से बहुत अलग हो तो इसलिए बस.."

"हाय.." ध्रुव की बातों को काटते हुए रिया बोली।

"मैं सुन रहा हूं..", कुनाल ने ध्रुव को आगे बताने का बोलते हुए कहा।

ध्रुव ने कुनाल को अब तक की सारी बातें बताई।

"तू चला जा यहां से।", जोर से बोलते हुए कुनाल ने ध्रुव को कहा।

"पर तू तो वैसे भी इन सब में यकीन नहीं करता है ना?"

"तू जा अभी.. मैं तुझ से इस बारे में कोई बात नहीं करना चाहता।"

कुनाल की इन बातों को सुन कर शुभम के लिए चिंतित ध्रुव उठ कर बाहर जाने लगा, और उसने जाते जाते रिया को इशारा कर, कुनाल का ध्यान रखने को कहा।

रिया ने भी हां में गर्दन हिलाई और कुनाल से बोली, "मुझे भूख लग रही है, बताओ क्या खाओगे तुम?"

कुनाल जो बाहर जाते हुए ध्रुव को एकटक देख रहा था, रिया के इस सवाल को अनसुना कर देता है और साथ में टेबल पे पड़े चम्मच को हाथ में लेकर ज़ोर से दबा देता है।

ध्रुव बाहर जा कर पास बस स्टैंड से शुभम के घर जाने के लिए बस पकड़ता है।

कुछ दूर आगे जाकर बस लाल बत्ती पे खड़ी हो जाती है, और खिड़की वाली सीट लिए बैठे ध्रुव के सामने निया की बस भी वहीं किसी वजह से रुकी होती है। पर अपने सामने दिख रही निया को देखने की जगह, ध्रुव उसे अपने फोन के नंबरों में ढूंढ रहा होता है।

"कॉल करके पूछूं क्या, सब सही है या नहीं?", धीरे से बोलता हुआ ध्रुव बस की खिड़की से अपना सिर लगा लेता है। "नहीं.. वो खुद कर लेगी..", ये बोल कर वो फोन लॉक करके रखता ही है, की अगले ही मिनट उसे उठाते हुए फिर बोला, "एक काम करता हूं, एक मैसेज कर देता हूं उसे।"

फोन में ध्रुव ने जैसे ही निया की चैट खोली, वैसे ही उसका एक नया मैसेज आया हुआ था, "मुझे लगता है, की मैं अपने काम में फेल हो गई।"

"हह.. ", ये पढ़ते ही ध्रुव ने अपना हाथ साथ वाले कॉल पे बटन पे अभी रखा था, की अचानक से बस चल दी, और उसका फोन नीचे गिर गया।

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बस से उतर कर अपने फ्लैट पे पहुंची निया, जब देखती है की रिया घर नहीं है, तो तुरंत ही ध्रुव और कुनाल के घर जाकर घंटी बजाती है।


कई बार घंटी बजाने के बाद भी जब कोई दरवाज़ा नहीं खोलता, तो निया ध्रुव को फोन करती है, पर सामने से कोई जवाब नहीं आता।


कुछ देर बाद, निया जब रिया को फोन करती है, तो उसे पता लगता है, की वो और कुनाल साथ है और बस 5 मिनट में घर पहुंच जाएंगे।


"कैसी है?", फ्लैट के अंदर पहुंचते ही रिया ने अपने सामने खड़ी निया से पूछा।


"मैं ठीक हूं।"


"तू कैसी है? और तुम कैसे हो कुनाल?"


"गुस्से में हूं।", कुनाल ने चिड़ते हुए जवाब दिया।


"हह?"


"इसे सब पता लग गया है।", रिया ने निया को समझाते हुए कहा।


"ओह.. "

"हां, मुझे पता गया है की अकेला मैं ही यहां बेवकूफ बन रहा था।"


कुनाल की ये बात सुन कर निया धीरे से अपना सर नीचे कर के खड़ी हो जाती है।


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वो तीनों कुनाल और ध्रुव के फ्लैट में बैठ कर ध्रुव के वापस आने का इंतजार करते हुए, उसे फोन करने की कोशिश कर रहे थे, पर सामने से कुछ जवाब नहीं आया।


कुछ देर बाद इंतजार करके अपने फ्लैट पे जाने के लिए जब रिया और निया खड़े हुए तो दरवाज़े पे घंटी बजती है।


निया फट से भागते हुए दरवाज़ा खोलते हुए बोली।


"तुम्हें पता भी है, की हम कब से तुम्हारा इंतजार कर रहे थे..", इतना बोलते ही अपने सामने खड़े व्यक्ति को देख, निया हैरान हो जाती है, और खुद को सही करते हुए बोली, "माफ़ कीजिएगा.. मैं किसी और को सोच कर इतना बोल गई।"


"कुनाल.. और ध्रुव..??", वो व्यक्ति निया से पूछता है।


"हां.. एक मिनट मैं कुनाल को बोलती हूं।"


"शुभम.. आप?", दरवाज़े के तरफ बढ़ता हुआ कुनाल, शुभम को देखते ही बोला।


"अ... हां.. कुनाल वो ध्रुव है क्या?", शुभम कुनाल से परेशान भाव में पूछता है।


"पर वो तो आपके पास गया था ना?", कुनाल ने भी आशर्च्य से पूछा।


"हां.. आया तो था, पर उसकी और मेरी बात हो गई कुछ.. और वो चला गया फिर..", शुभम ने ध्रुव को जवाब दिया।


"पर फिर वो अब तक तो वापस नहीं आया है और वो पागल अपना फोन भी नहीं उठा रहा। सब सही था ना, आपकी उसके साथ कोई लड़ाई वगरह तो नहीं हो गई थी ना?”


“अ..अ.. लड़ाई ही हुई थी, और फिर वो गुस्से में चल गया।"


“ओह.. क्या हो गया था? मैं पुछ सकता हूँ, क्या", कुनाल ने दांत बीजते हुए बोला।


“हाँ.. अपने फिर वही पुराने राग आलाप रहा था.. तो उसकी और मेरी छोटी सी बहस हो गई।"


“पुराने राग आलाप?”


“हाँ.. उसके वो..”


“वो.. पहली बारिश के आलाप”, शुभम के पीछे गेट पे खड़े हुए ध्रुव ने बोला।


“कहाँ था तू? पागल वागल हो गया? हम सब तुझे यहाँ कब से फोन करे जा रहे थे।"


“गिर गया था", ध्रुव ने धीरे से बोला।


“कहाँ गिर गए? चोट तो नहीं लगी ना?", ध्रुव की तरफ भागते हुए आते हुए निया बोली।


“मैं नहीं.. मेरा फोन.. वो जब तुम्हारा मैसेज आया था तब.. तो बस अभी वही दिखा कर आ रहा हूँ।", ये बोलते हुआ ध्रुव शुभम के आगे से जाता हुआ अपने कमरे में चल गया।


“क्या तरीका है ये, मैं यहाँ तेरे लिए आया हूँ, और तू मुझे नजरंदाज करके चले जा रहा है।”, शुभम ने चिड़ते हुए बोला।

“तेरी सारी बातें मैं सुन चुका हूँ, मैं अभी बहुत थका हुआ हूँ, मुझे सोने जाना है।", ध्रुव अपने कमरे की ओर जाने के लिए दोबारा से बढ़ा ही था, की शुभम ने फिर से टोका।

“ऐसी फालतू चीजों में दिमाग लगेगा तो यही होगा, कुछ अच्छे की उम्मीद मत कर।"

शुभम की इन सब बातों को नजरंदाज करके ध्रुव अपने कमरे में जाकर उसे अंदर से बंद कर लेता है।

“क्या हुआ है?”, कुनाल ने शुभम से पूछा।

“पानी दोगे क्या पहले?”

“हाँ.. सॉरी, मैं अभी लाया।"

कुनाल पानी का ग्लास लाया और वो चारों वहीं बाहर हॉल में बैठ कर बातें करने लग गए।

“मैंने आज किसी को प्रपोज किया, और उसने मुझे मना कर दिया..”, शुभम ने हल्के से बोलते हुए शुरुवात की।

“तो मैंने ध्रुव को ये सब बताया था.. वो जब मेरे पास आया तो मुझे कहता की अभी उस लड़की के पास ले चल, मैं उससे बात करके सब सही करूँगा। और मैं भी पागल..”, अपने सिर पे हाथ रखते हुए शुभम बोला। "मैंने तभी के तभी तान्या को फोन कर दिया, मेरे कई बार फोन करने पे भी जब उसने मेरा फोन नहीं उठाया तो ध्रुव मुझे उसके घर तक ले गया, की हम उसे परेशान नहीं करेंगे, और 5 मिनट में बात करके लौट आएंगे। उसका घर मेरे घर के पास ही था, पर एक तो उसका घर ऐसी गलियों में था, जहां सब लोग आपस में एक दूसरे को जानते होते है, और दूसरा वो वहाँ बहुत समय से अपने परिवार के साथ ही रह रही थी।"

“तो फिर?”, कुनाल ने एकदम से पूछा।

“मैं इसे लेकर गया, और किसी तरह से हमने तान्या को नीचे बुलाया, तो ये जनाब..."

खिड़की से शुभम को देखती हुई, तान्या, लंबा गोलाकार चेहरा, काली बड़ी बड़ी आँखें, कमर से थोड़ी ऊपर तक के, लंबे काले सीधे सुलझे से दिखते हुए बाल, छोटा सा मुंह और सीधी और बड़ी सी नाक, ब्राउन से रंग की एक पोशाक पहने हुए नीचे उतरते हुए आई।

“जल्दी बोलो क्या काम है?”, इधर उधर आते जाते लोगों को देखते हुए तान्या बोली।

“वो..”, ध्रुव कुछ बोलने की कोशिश करता है।

“ये कौन है? और तुम्हें कुछ बोलना भी या नहीं?”, तान्या शुभम की तरफ़ देखते हुए बोली।

“ये मेरा भाई है, वो इसका कहना है की ये तुमसे कुछ बात करना चाहता है..."

“तो तुम पागल हो? जो इसे यहाँ ले ये, बाबा ने देख लिया ना..”

“फिर कहीं और चले?”, मुस्करा कर शुभम तान्या से पुछता है।

पर शुभम की इस बात को नजरंदाज करते हुए, तान्या ध्रुव की तरफ बढ़ी और बोली, “बताओ क्या बात है?”

“वो आज पहली बारिश थी..”, , ध्रुव थोड़ी असहजता से बोला।

“हह?”

“हाँ.. पहली बारिश.. बताओ ना शुभम.. तुमने कभी इन्हें पहली बारिश का नहीं बताया।”, अपना ध्यान तान्या से हटा कर शुभम पे डालता हुआ ध्रुव बोला।

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“इस पागल ने वहाँ भी पहली बारिश पहली बारिश कर दिया!", कुनाल अपने सिर पे हाथ रखता हुआ बोला।

“हाँ, वही तो.. ये वहीं शुरू हो गया।", शुभम ने भी परेशान होते हुए कहा। "एक मिनट, तुम लोगों को भी पता है, इसकी इन हरकतों का?”

“हाँ", कुनाल ने धीरे से कहा।

“तो इसे समझाते क्यों नहीं?”

“मैं तो समझा समझा कर थक गया हूँ।"

“अच्छा।"

“आप आगे तो बताइए।", रिया ने दोनों को टोकते हुए कहा।
“आगे क्या.. ध्रुव की बातें सुन कर तान्या ने हमे गुस्से से देखा, और दो चार बातें सुना कर चली गई।"

“ओह..”, रिया ने हल्के से बोला।

“हाँ.. ये मुझे मरवाएगा ही।"

“तो.. आप दोनों की लड़ाई इसी वजह से हुई की ध्रुव तान्या के सामने कुछ कुछ बोल आया?", निया ने एकदम से पूछा।

“नहीं.. हमारी लड़ाई की वजह कुछ और थी।", शुभम ने धीरे से जवाब दिया।

“क्या?”, निया ने हिचकिचाते हुए पूछा।

“ध्रुव.. ध्रुव खुद हमारे झगड़े की वजह है। "

“मतलब?”, कुनाल ने हैरानी से पूछा।

“ध्रुव ने तान्या को जो भी बोला है, मेरे लिए बोला है, मैं ये जानता हूँ। पर उससे मैं इस बात पे नाराज़ था, कि आज भी, आज भी वो इन सब बातों में यकीन करता है।"

“आज भी?”, हैरानी से देखते हुए निया ने पूछा।

“हाँ.. आज भी।", शुभम अपनी गर्दन हिलाता है। "असल में काफी समय पहले, इस सब की शुरुवात मेरे से हुई थी।"

“पर ध्रुव तो कहता है, की ये प्रोजेक्ट हमेशा से उसका है।"

“हाँ.. यकीनन उसका है, पर उसने कभी ये नहीं बताया होगा, की ये सब शुरू कैसे हुआ।"

“कम से कम मुझे तो नहीं बताया।", कुनाल ने बोला।

“मुझे भी नहीं।", रिया और निया ने भी एक स्वर में बोला।

शुभम आगे कुछ बोलता, उससे पहले उनके रसोई से कुछ गिरने आवाज़ आई, और चारों का ध्यान वहाँ चला गया।

रसोई में कुछ बर्तन ऊपर नीचे, सही से नहीं रखे, जिस कारण वो एकदम से गिर गए।

अवाज़ तेज थी, इसलिए ध्रुव भी फटाफट अपने कमरे से बाहर आ गया।

“तुम लोग अभी भी यही?”, बाहर आते हुए ध्रुव ने बोला।

“हाँ..”, निया ने ध्रुव के चेहरे को भापते हुए बोला।

“तुम लोग इससे ये क्यों नहीं पूछते, की इसके हिसाब से पहली बारिश का पहला शिकार कौन था? तुम्हें अपने सवालों का जवाब अपने आप मिल जाएगा।", शुभम ने अपने सामने खड़े ध्रुव को देखते हुए उसके दोस्तों से कहा।

शुभम के ये कहने भर की देर थी, की ध्रुव के चेहरे के भाव जैसे उड़ से गए। और वापस अपने कमरे की ओर जाने लगा।

"ध्रुव.. कौन था वो?”, कुनाल ने तेज़ आवाज में पूछा, पर उसकी किसी भी बात का जवाब देने से पहले ही ध्रुव अपने कमरे में जा चुका था।

“वो जवाब नहीं देगा।", शुभम ने चिड़ते हुए बोला।

“रुको.. मैं पूछती हूँ।", निया उठते हुए, ध्रुव के कमरे तक गई।

दरवाजा अंदर से बंद था, तो निया बाहर गेट पे ही खड़े हो कर बोलती है, “ध्रुव.. तुम्हें मेरी आवाज आ रही है?”

“चली जाओ यहाँ से, मुझे इस टाइम किसी से बात नहीं करनी।", ध्रुव ने बोला।

“हम बाहर तुम्हारी ही बातें कर रहे है, और मुझे लगता है, की तुम्हें वहाँ होना चाहिए।", निया ने इतना बोला और ध्रुव के जवाब का इंतज़ार करने लगी। जब कुछ क्षणों बाद भी उसका कोई जवाब नहीं आया, तो निया ने आगे बोला।
“तुम्हारे भाई शुभम ने एक बात बोली, की हम तुमसे पूछे की आखिर तुम्हारे हिसाब से इस पहली बारिश का सबसे पहला शिकार कौन था? और सच हम में से किसी के भी दिमाग में ये तो शायद कभी आया ही नहीं। क्या तुम हमे नहीं बताओगे, की आखिर वो कौन था?”, कुछ पलों का और इंतज़ार करती निया वहीं गेट के पास, उसे पकड़े हुए नीचे बैठ गई और बोली, “वो तुम तो नहीं थे ना ध्रुव? मुझे डर लग रहा है, क्या वो तुम थे?”

निया के आखिरी सवाल में उसकी आवाज़ का भारीपन सुनते हुए एकदम से उठ खड़ा ध्रुव अपने कमरे का दरवाजा खोलता है।

“निया..”, निया जो दरवाजा खुलने की आवाज से उठ गई थी, उसे बुलाते हुए वो बोलता है। "चलो.. बाहर चल कर बात करते है।", आराम से बोलते हुए, ध्रुव निया के साथ आगे बढ़ता है।

ध्रुव के वापस हॉल में आते ही शुभम हैरान तो होता है, पर फिर भी सीधे सीधे सवाल करता है, “तो बताया तूने अपनी दोस्त को की तेरी इस पहली बारिश का पहला शिकार कौन था?”

“तू था क्या ध्रुव?”, कुनाल ध्रुव से पूछता है और रिया भी उसके गौर से उसके चेहरे को देखते हुए, उसके हाव भाव पढ़ने की कोशिश करती है।

“हह.. नहीं।", ध्रुव कुनाल की तरफ देखते हुए बोलता है, और निया की तरफ़ मुड़ कर अपनी बात को पूरा करता है, “वो शिकार मैं नहीं था।"

“तो फिर कौन था?”, निया एकटुक उसे देखते हुए पूछती है।

“मम्मी पापा..”, ध्रुव ने भारी मन से जवाब दिया।

“हह?”, कुनाल ने हिचकते हुए पूछा।

“हमारे मम्मी पापा।", ध्रुव ने अपना गला साफ करते हुए ज़ोर से बोला।

“बचपन में हमारे मम्मी पापा, बहुत लड़ते थे...तो वो अक्सर मुझसे आकार पूछा करता था, की मेरे दोस्तों के मम्मी पापा तो नहीं लड़ते तो हमारे मम्मी पापा इतना क्यों लड़ते है, और मैं उसके लिए तरह तरह के बहाने बनाता था। ऐसे ही एक दिन.. मैंने इस पहली बारिश की कहानी सुनाई थी.. वो दिन, जिस दिन हमारे मम्मी पापा का डिवोर्स हुआ था। ये तब ज्यादा कुछ नहीं समझता था, और मैं समझता तो था, पर इससे क्या कहूँ, कैसे कहूँ, मुझे समझ नहीं आ रहा था.. की तभी कोई मेरे पास से जाते हुए बात करता हुआ गया, की ये इस महीने में पहली बारिश है, पर फिर भी ये सब बर्बाद कर सकती है। वो शब्द अभी मेरे कान में पड़े ही थे, की रोता हुआ ध्रुव मेरे पास आया, और बोला।

“भैया.. मम्मी कह रही है, की मैं उनके या पापा में से किसी एक के साथ ही रह सकता हूँ, वो ऐसा क्यों कह रही है, मुझे दोनों के साथ रहना है.. ऐसे क्यों कह रही है वो?”

मैंने ध्रुव को ऊपर बारिश की ओर इशारा किया और बोला, “ये बारिश की वजह से.. पता है तुम्हें, ये पहली बारिश बहुत बुरी होती है, किसी को भी किसी से अलग कर देती है, और हमारे मम्मी पापा तो आज इस बारिश में भीगते हुए आए है, तो कैसे एक साथ रह पाते..”