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कल

अधेरी काली रात के 12बजे अचानक से पक्षी चीखने लगे,आसमान से बिजली कड़केने लगी लग रहा था मानो अब प्रलय आने को है।

तभी फेरम अपने घर से लालटेन ले के निकलता है ,उसे पड़ोस की दाई की जरूरत थी, क्योंकि उसकी पत्नी जो गर्भवती है उसके पेट में असहेनीय पीड़ा हो रही थी।फेरम इक पक्के मकान के सामने जाकर प्यार और डर भारी आवाज लगता है , अम्मा चलोगी गुटेवा के पेट में बहुत दर्द हो रहा है। 3अवाजो तक कोई कुछ नहीं बोलता,लेकिन 4आवाज पर दादी का नती बड़ी क्रोध भारी आवाज में।कौन है,अम्मा कहीं नहीं जाएगी,तै जाते हा की नहीं गलत सब्दओ का प्रयोग करते हुए रात को सोने भी नहीं मिलता।

तभी फेरम अपने को कोसते हुए अपने घर लौटता है। और देखता है कि इक नन्ही सी जान उम्र कुछ मिनट का लड़का जमीन में पड़ा रो रहा होता है। फेरम लड़के को गोद में उठाया और अपनी पत्नी को हिलाता है देखो हमारा बेटा लेकिन पत्नी कोई प्रतिक्रिया नहीं देती सायाद वो परमात्मा में विलीन हो चुकी थी,फेरम की कुछ छण,की खुशी असहेनीय पीड़ा में बदल जाती है। अकेला फेरम कुछ सोच नहीं पा रहा था।
चुप चाप बैठा बस दोनों आखो से आसू निकाल रहे थे।
निकाल रहे थे,ना जाने कब सुबह हो गई। लड़का अभी भी अपने मृत मा से जुड़ा हुआ चुप पड़ा है। अचानक से इक औरत आई जिसकी उम्र कुछ 28वर्ष थी(हर्षा)।

हर्षा ने लड़का को मा से अलग किया,और वही लड़के का नामकरण किया

@@@----काल----@@@

कुछ लोग अब इकठ्ठा हो रहे थे कुछ फेरम को अच्छा कहेते कुछ बुरा किसी तरह फेरम की पत्नी का अंतिम संस्कार किया गया। अब दिन निकलते जा रहे थे पत्नी के देहांत के कारण फेरम भी काल को अजीब नजर से देखता,लेकिन हर्षा उसका पालन पोषण करने लगी हर्षा की भी हालत कुछ अच्छी नहीं थी लेकिन वह काल को दुनिया दिखाने का प्रयास करती जा रही थी।

काल जिसमें अजीब तेज,मानो प्रकित ने अपना क्रोध रूप ले प्रथिवी में जन्म लिया हो। आंखो से भय भी भयभीत ही जाए। काल के पास कुछ प्रकीत का असमान्य तेज वरदान स्वरूप मिला था। लेकिन समाज कुछ और हि कर रहा था। काल को सब दूषित नजर से देखते,हर जगह बहिष्कार किया जाता। चुकीं अब काल 5 वर्ष का हो चुका था।

और आज उसका स्कूल का पहला दिन था। और आज ही काल का भय देखने को मिला जब जब शिक्षक ने काल के साथ गलत व्यवहार किया, और काल ने उसकी आख में कलम से हमला कर दिया।


हमले में सिक्षक की आंख का काम तमाम हो गया, और काल स्कूल 🏫 से भाग गया फेरम के डर से काल करीब 1घंटे बाद घर की तरफ आया लेकिन आने के बाद वहा का नजारा हि कुछ और था।

रूढ वादी ब्रह्मण,(जो थूक के चाटने में माहिर होते है )कुछ उचे तबके के लोग,स्कूल मास्टर,काल द्वारा किए गए कर्म की सजा काल के ना मिलने पर काल के पिता फेरम को दे रहे थे। फेरम कुछ ना किए हुए भी सबसे रहेम की गुहार लगा रहा था। कुछ देर बाद मामला सांत हुआ।

काल फेरम के पास बैठा और बताने लगा कि मास्टर ने उसके साथ गलत व्यवहार किया जिससे मैंने उसकी आंख फोड़ दी। फेरम ने कहार्ते हुए काल के सर पे हाथ फेरने लगा। अब काल आग बबूला हो रहा था।
महेज 5वर्ष की आयु से ही समाज उसे बगी बनाने लगा था। अब काल का स्कूल छूट चुका था गाव से भी डर लग रहा था। फेरम की भी तबीयत नाजुक होने लगी है,हर्षा अपना प्यार काल के ऊपर लूटा रही थी, लेकिन काल की राह कुछ और हि थी,नियत कुछ और ही लिख रही थी।

समय निकलता रहा कई और घटनाएं काल के विपरित समाज द्वारा चलाए गए लेकिन काल अपने भाग्य के जरिए बचता गया इस तरह काल अब 16वर्ष का हो चुका है। और आज फेरम की तबियत काफी बिगाड़ी हुई है। काल कमीज़ हाफ पैंट इक छोटी सी सफी गले में पहने
हाथ में कुछ ताश के पत्ते चहेरे पे काफी गंभिरियत लिए कोयेले की खदान के पास खड़ा है।

तभी इक बड़ा अधिकारी की नजर उस पे पड़ती और वो काल को अपने पास बुलाते है,काल उन्हें अपना खेल दिखा प्रभावित करता है। और बदेले में 2 रुपए 2पव और छोटी सी नौकरी मिलती है। काल खुश होकर अपने घर जाता है,और फेरम को 1 पाव और 2 रुपए में कुछ दवा ला के देता है,और कहेता है कि मुझे खदान में नौकरी मिल गई है। और हर्षा के पास जा कर पाव देता है,और उससे भी बताता है कि अब उसे नौकरी मिल गई है। कल से वो खदान जाएगा,

खदान(करीब 2-4 मील का जंगल काले सोने से भरा
कोएले का विस्तृत भण्डार)।

आज काल का पहेला दिन था,खदान में काल के पहुंचते है गांव के लोग आग बबूला हो गए कुछ तो अधकरी के पास पहुंच उसकी बुराई के चार चांद लगाने लगे। लेकिन अधकारी काल से प्रभावित था। वह काल को काम पे रख लिया।

अब अपवाद काल को काम से तो निकाल नहीं पाए लेकिन काल के खिलाफ संयंत्र रचने लगे,काल खदान में काम शुरू कर दिया था। अब काल के पास अपना काम तो होता ही साथ दूसरे भी अपना काम काल से करवाते {मारता क्या ना करता}काल को सब मंजूर था काल अपने साथ सबका काम करता।

धीरे धीरे काल को खदान का काम चौगनी रफ्तार में पता होने लगा। प्रकृति का वरदान काल की मेहनत ने उसके शरीर और मस्तिष्क को अटूट ताकतवर बनता जा रहा है। आज चार वर्ष हो चुके है।

अधिकारी के निलम्बित होने का समय नजदीक है। अधिकारी ने काल को बड़ी पोस्ट के लिए खदान कमेटी के पास प्रस्ताव रखा है...............................।


कमेटी प्रस्ताव पर विचार कर है रही थी कि अपवाद की इक टोली ने काल के विपरित आंदोलन शुरू कर दिया, अन्ततः कमेटी ने काल के प्रस्ताव को ना मंजूर कर दिया।

अधिकारी निलंबित हो चुके है, अब नया अधिकारी आया है, जिसे अपनी वह वहीं से मतलब है,अपवाद की टोली जो कहेती वो वहीं करता।

लेकिन काल को अपने काम से मतलब है। अपने टाइम में जाता जो काम होता अपना काम करता चला आता। हर्षा भी यह देख के खुश थी। फेरम काल के विवाह के बारे में सोच रहा था।

इधर खदान में इक महिला अधिकारी(नंदनी) आई हुई है,(जो जाथो नाम ताथो गुण का भरपूर उदाहरण है)जो खदान मालिक की बेटी हैं,
जिनसे काल की खूब बुराई चल रही है। वह काल के बारे में गलत सुन काल को काम से निकलने का फैसला करती है। और कमेटी को आदेश देती है,की काल को काम से निकला जाए।

इधर काल को ज्ञात होता है कि कमेटी उसे निकालने वाली है। काल कारण पता करने कमेटी के पास जाता है। कमेटी उसे बताती है कि मैडम का आदेश है। काल कमेटी को नवस्कर कर नंदिनी की वोर बड़ता है ..................................।

काल नंदिनी से हाथ जोड़कर नवस्कार करता है,और अपनी गलती जनेने की बात कहेता है। नंदनी बिना कुछ सुने उस पे भड़क जाती है। उसके उसके बड़े बड़े बालों और दड़ी को लेकर काफी खरी खोटी सुनाई है,काल चुप चाप दफ्तर से बाहर निकल जाता है। और घर की तरफ रवाना होता है यह सब नदनी देख रही थी, और काल के प्रति उसे दया आ रही थी।

काल आज समय से पहले घर पहुंच रहा था, और काल का उत्रा चहेरा देख हर्षा को संदेह हुआ कि काल के साथ कुछ गलत हुआ है, हर्षा ने काल के सर पे हाथ फेरते हुए पूछती है क्या हुआ है,काल हर्षा को रोते हुए सारी बात बताता है। की आज बिना कोई वजह उसकी नौकरी छूट चुकी है। हर्षा काल को दिलासा देने का प्रयास करती हैं,की जो हुआ अच्छा हुआ अब कुछ अच्छा कर लेने को कहेती है।

अब इधर खदान में काल बिना काम बिगड़ेने लगता है, काल की कमी खदान को महेसूस होने लगती हैं। नंदनी के पास बात पहुंचती है। नंदनी थोड़ा परेशान होती है। करीब 10दिन बाद बात बिगड़ती हि जाने पर नंदिनी कमेटी की अपातकालीन बैठक बुला कर काल के वापस लाने का प्रस्ताव पास करती हैं।

काल कमेटी के प्रस्ताव को स्वीकार कर खदान में आता है और काम कर चला जाता है। दूसरे दिन नंदनी की आखे काल को दुडती है, लेकिन काल दिखाई नहीं देता विभाग में पता करने पर मालूम होता है कि काल काम पे नहीं आया।

अब नंदिनी स्वयं काल के पास जाने का विचार करती है और खदान से गांव की ओर बढ़ती है।
और पहुंच जाती है काल के गांव........................।

नंदनी गांव पहंचकर इक60 वर्षिय व्यक्ति से काल का घर पूछती है,लेकिन व्यक्ति काल का घर बताने से पहले काल की सच्ची कहानी बताता है,और फिर घर। नंदनी काल के घर पहुंच कर काल को काम पे आने का प्रस्ताव रखती है। जिसे काल माना कर देता है,लेकिन हर्षा के कहने के बाद काम मै जाने के लिए तैयार हो जाता है।

रोज की तरह काल खदान जाने लगा, वहा पे नंदनी काल का ध्यान देने लगती है। काल का परिश्रम देख नंदनी का ध्यान कब इकतरफा प्यार में बदल जाता उसे पता ही नहीं चलता।

अब नंदनी को रोज सुबह का इंतजार होता है, की कब काल आयेगा। और काल के आते ही वह फूली ना समाती धीरे से कुछ दिन बाद नंदनी के कहने पर काल को खदान से हटाकर कमेटी का सदस्य बना दिया गया। अब काल काल खदान से हटाकर दफ्तर में काम कर रहा होता है। और इधर नंदनी का प्यार गर्मी की आग की तरह बड़ रहा था। पूरी खदान में दोनों के चर्चे होने लगे थे। लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था।

कौन जानता था कि नंदनी का बड़ता हुआ प्यार काल के लिए अभिशाप बनने लगा था। जहा उसके गांव के लोग अभी थोड़ी रहम बरत रहे अब वो काल के पीछे हाथ धो के पड़ चुके थे। जाल के ऊपर जाल बिछा रहे थे। और हद तो तब हो गई जब नंदनी के पिता (खदान मालिक)को काल और नंदनी के बारे में बताया गया और काल को इक दरिंदा रूप दे दिया गया।
जिससे नंदनी के पिता नंदनी को अपने पास बुला लेते है।
और नंदनी से काल के बारे में जानने का प्रयास करते है। नंदनी उन्हें सब बताती है।

इधर खदान में काल के ऊपर बिछाया गया जाल काल को परेशान करने लगता है। और जब काल जनता है कि ये सब उसके गांव वालो का किया हुआ है। तो सभी गांव वालो को काम से अपनी ताकत के जरिए बाहर कर देता है।

काम से निकले जाने पर गांव के लोग कमेटी बना काल को मारने के लिए उसके घर की बढ़ने लगते है,
और काल खदान में होता है।

घर में फेरम और हर्षा होती है, जिसके ऊपर गांव वालो का हमला होने लगता है। जिससे फेरम और हर्षा की मौत हो जाती है।

काल को खदान में पता चलता है कि उसके घर पे हमला हुए है,काल काम छोड़ के घर की ओर भागता है आज पहला दिन था जब काल समय से पहले खदान से निकला हो।इधर फेरम और हर्षा की लाश देख काल इक पल सहेम सा जाता है।


उसके साथ जो खदान में काम करते थे वो भी आ जाते है और काल के ऊपर हाथ रख अपना सहारा का अहीसास दिलाते है। काल सहेमा पन अब रुद्र क्रोध में बदल रहा था काल के हाथ में कोयला काटने की धारदार छड़ी थी जिसे काल ले लेकर निकलता है और अब काल ना बच्चा देख रहा है और ना ही औरत सब को कटेते हुए आगे जा रहा है। गांव की अवादी उसी दिन 100%से घट कर 40%हो गई,चारो तरफ खून जिस पर मक्खियां भिनभिना रही है। लसो को कुत्ते खा रहे है। गांव में डर का माहौल है कोई आज अपने घर के बाहर नहीं निकाल रहा है दरवाजे की सांसों से सिसकियां सुनाई दे रही है।

काल के घर पर हमला करने वाले परिवारों की महिलाओ और लड़कियों को काल अगवा के कर खदान ले जाता है और वहा उनका बलात्कार कर वहीं जलवा देता है।

इस तरह रात बीती अब खदान पर काल का पूरा,राज होता है और खदान कि पूरी दौलत काल अपने अधिकार में ले लेता है। खदान के पास ही फेरम और हर्षा को दफनवा देता है।

और अपना रुद्र रूप लेकर काल गांव को पूर्ण रूप से बर्बाद करने में लग जाता है दिन प्रति दिन गांव की आबादी घट रही होती है। महिलाओं का राक्षस रूप में सोसाण हो रहा होता है।

इधर खदान कि जानकारी नंदनी के पास ना पहुंचने पर नंदनी खदान अती है और खदान में देखेती है जो व्यक्ति नंदनी को काल के बारे में बताया था वो काल से रहेम की भीख मांग रहा होता है। काल उसकी 16वर्सिय पुत्र की बेटी का बलात्कार कर रहा होता है। नंदनी यह सब रोकने का प्रयास करती है,और काल नंदनी की कुछ बात सुने बिना नंदनी पर प्रहार कर देता है जिससे नंदनी की मौत हो जाती है।

नंदनी के मौत की खबर सुन नंदनी के पिता बौखला जाते है,और अपनी सम्पूर्ण ताकत खदान में झोक देते,काल कुछ मिनट तक उनसे लड़ता है लेकिन कुछ मिनट बाद इक गोली काल का सीना चीरते हुए निकाल जाती है, गोली लगेते ही काल गिरता है और गिरते ही कई गोलियां काल को छलनी कर देती हैं।
कुछ देर में माहौल संत होता है। वहीं 60वर्सिय व्यक्ति खदान मालिक के पास जा कर काल की पूरी कहानी बताता है। और अंत में काहेटा है कि अगर हर्षा जीवित होती तो ये सब ना होता।


मालिक काल की कहानी सुनकर काल पर अपना अप्सोस जताते है। (काल गलत था या सही यह इक सोचने का विषय है)काल और नंदनी को हर्षा के पास दफना दिया जाता है।

गांव की आबादी अब10%है, लेकिन इस घटना के बाद अब कोई किसी से घृणा नहीं करता। कोई किसी के प्रति जल बिछाने पर सौ बार सोचते है।

अब नफरत की जगह प्रेम है। रूढ़ ब्राम्हण वाद इक राक्षसी रूप में नर संहार हुआ।

WRITER: D Devendra