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सपने - (भाग-25)

सपने........(भाग-25)

आस्था और आदित्य दोनो अलग अलग लोगो के साथ डिनर के लिए चल दिए....। आस्था कार में बैठी आदित्य के बारे में ही सोच रही थी.......'पता नहीं आदित्य को अचानक क्या हो गया है? कल से ही उसका मूड़ कुछ ठीक नहीं लग रहा और आज तो ऐसा लगा जैसे ताना मार रहा हो'......! आस्था अपने ख्यालों में गुम थी......उसे एकदम चुप बैठे देख नचिकेत ने ही बोलना शुरू किया," आस्था, दीदी तुमसे हम को ले कर कोई बात करे तो परेशान मत होना.....
"उनकी आदत ही खुल कर बोलने की है।"
"वो सब तो ठीक है नचिकेत पर मैं भी उन्हें खुल कर जवाब देना पसंद करूँगी जिससे हम तीनों के बीच सब क्लियर रहे!" आस्था ने भी नचिकेत की बात सुन कर अपनी बात रख दी........" ठीक है ये तुम दोनो फिमेल्स की आपस की बात रहेगी कि कैसे एक दूसर् को हैंडिल करती हो",कह कर नचिकेत मुस्कुरा कर चुप हो गया तो उसकी बात को सुन आस्था भी मुस्कुरा दी.......! कुछ ही देर बाद नचिकेत की गाड़ी एक बिल्डिंग की विजिटर पार्किंग में गाड़ी रोक दी....! दूसरे फ्लोर पर नचिकेत ने बेल बजाई तो तकरीबन 40-42 साल की एक औरत ने दरवाजा खोला। "आस्था इनसे मिलो, ये मेरी अरूणा दी हैं और दी ये आपकी मेहमान आस्था"! नचिकेत ने गेट पर ही दोनो को मिला दिया..आओ आस्था..... प्लीज कम इन कह कर वो एक तरफ हो गयीं। अरूणा एक बहुत सुंदर कफ्तान में थी और साथ में एक सुंदर से ऑक्सीडाइज्ड सिल्वर का बड़ा सा नेक पीस और कानो में सिंगल डायमंड के स्टडस ....शक्ल और हाइट दोनो ही नचिकेत से मिलते जुलते थे तो कोई भी उन दोनों को साथ देख कर भाई बहन समझ सकता है। पूरे घर को बंगाली क्लचर से डेकोरेट किया हुआ था........हर दीवार पेंटिग्स से सजी हुई थी......वे सोफे पर बैठे तब तक उनकी हाउस मेड पानी ले आयी..!! पानी देने के कुछ देर बाद वो एक ट्रै में ड्राईफ्रूटस रख कर लायी और टेबल पर रख कर चली गयी। नचिकेत उठ कर कमरे में चला गया....."मैं थोड़ा रेस्ट कर लेता हूँ दी......आप बातें करो जब डिनर रेडी हो मुझे बुला लेना", आस्था और अरूणा दोनो ही समझ गयीं कि नचिकेत दोनो के बीच ऑकवर्ड फील कर रहा था, इसलिए वो बहाना बना कर चला गया है। अरूणा आस्था से उसकी फैमिली, हॉबीज वगैरह पूछ रही थी और जान रही थी कि कुछ खास बात तो है इस लड़की में तभी उसके भाई के दिल में घर कर गयी है.......आस्था भी खुल कर जवाब दे रही थी, तभी अचानक उसने आस्था से नचिकेत के बारे में उसकी राय पूछी। आस्था भी यहाँ आने से पहले इतना तो जान चुकी थी कि नचिकेत से जुड़ा हुआ सवाल उससे जरूर पूछा जाएगा तो उसने भी जवाब सीधा और खुल कर दिया, "दी नचिकेत बहुत अच्छे डायरेक्टर के साथ साथ इंसान भी बहुत अच्छे हैं, मैं उनकी बहुत इज्जत करती हूँ और मैं जानती हूँ कि कभी मुझे कोई तकलीफ होगी तो नचिकेत मेरी हेल्प जरूर करेंगे....पर प्यार मैं उनसे नहीं करती हूँ, पर मैॆ उनकी दोस्ती भी नहीं खोना चाहूँगी, यही बात मैंने नचिकेत को भी बतायी थी कि मैंने कभी उनके बारे में ऐसा सोचा ही नहींं और कोशिश करने के बाद भी मुझे वो फील नहीं आ रही तो मैं उनसे झूठ भी नहीं बोलूँगी"। आस्था की बात सुन कर अरूणा से कुछ और कहतै नहीं बना, इतना खुल कर बोलना और अपनी बात यूँ रखना बिना डरे बहुत हिम्मत का काम है.....! अरूणा कुछ देर के लिए किचन में गयी तो आस्था भी अपनी जगह से उठ कर दीवारों पर पैंटिग्स देखने लगी और एक दीवार पर दोनो बहन भाई की काफी सारी फोटोज लगी हुई थी।
अरूणा ने नचिकेत और आस्था को डायनिंग टेबल पर खाना लग गया है, बताया तो आस्था बाहर आ गयी.....सब डिनर कर रहे थे। नचिकेत ने अपने लिए ड्रिंक बनायी तो उसने आस्था और दी से पूछा तो उन दोनों ने रेड वाइन देने को कह दिया.....तीनो डिनर और ड्रिंक्स एंजाय कर रहे थे.......उधर आदित्य क्लब पहुँच गया और उसकी बॉस भी कुछ देर में आ गयी, क्लब का आइडिया बॉस का था......वो पूरे मूड में डिनर डेट को एंजाय करने आयी थी....एक छोटी सी ड्रैस और परफ्यूम में डूबी सी लग रही थी ...! पहले ड्रिंक्स और डांस उसके बाद खाना खाने का प्लान था......आदित्य को उसकी हरकतें बहुत चीप लग रही थी पर क्या करता? काफी दिनो से परेशान कर रखा था बॉस ने तो आना ही पड़ा......पहले ड्रिंक्स के लिए फोर्स फिर डाँस के लिए जबरदस्ती...वो आदित्य को अट्रैक्ट करने की कोशिश में खुद की इमेज खराब कर रही थी, शायद ये बात वो समझने की हालत में नहीं थी....। जैसे तैसे खाना खा कर बाहर आने लगे तो वो आदित्य को फोर्स करने लगी अपने घर चलने को......पर आदित्य ने मना कर दिया और उसे उसकी गाड़ी में बिठा कर उसके ड्राइवर को उसे सीधा मैडम के घर पहुँचाने को कह खुद अपनी कार में बैठ गया......। नचिकेत ने आस्था को डिनर करके घर छोड़ने को कहा तो आस्था ने मना कर दिया क्योंकि उसे पता था कि नचिकेत का घर दूसरी डायरेक्शन में था और ड्राइवर भी नहीं था तो उसने कहा कि उसके फ्रैंड आसपास ही हैं, उन्हें बोल देती हूँ वो लेने आ जाँएगे.....कह कर आस्था ने आदित्य को फोन किया.....आदित्य तो जैसे आस्था के फोन के इंतजार में था आधी बेल में ही फोन उठा कर बोला, "कहाँ हो? मैं आ रहा हूँ लेने"!! आस्था ने उसे बताया तो वो बोला, "वो पास में ही है अभी आ रहा है"। आदित्य तो आस्था के फोन करने से ही बहुत खुश हो गया था...... वो तकरीबन 10-15 मिनट में आस्था के बताए एड्रैस पर पहुँच गया और उसे नीचे आने को कहा तो आस्था को नीचे तक छोड़ने अरूणा और नचिकेत दोनो आए........नचिकेत ने आस्था को याद दिलाया कि प्ले की रिहर्सल्स और वर्कशॉप मंडे से शुररू होनी है 2बजे से 5-6 बजे तक चलेगी टाइम से पहुँच जाना....आदित्य कार से बाहर निकला और दोनो से हाथ मिला कर गुडनाइट बोल कर गाड़ी में वापिस बैठ गया। आस्था ने अरूणा को डिनर के लिए और नवीन को ब्रेक देने के लिए थैंक्स और दोनो को गुडनाइट बोल कर कार में बैठ गयी। आदित्य तुम्हें कैसे पता चला कि, मैं तुम्हें लेने आने के लिए फोन कर रही हूँ"? बैठते ही आस्था ने सवाल पूछ डाला......! "मुझे पता था न तुम उसे वापिस छोडने के लिए मना करोगी जैसे दिल्ली में तुम मुझे मना करती थी, तुम्हें लगता था कि ऐसे मेरा टाइम वेस्ट होता, फिर तुम्हारा डायरेक्टर तो रहता ही दूसरी डायरेक्शन में है.....ये तो उसने मुझे बताया था जब हमारी पार्टी में आया था, इसलिए ही तो मैंने कहा था कि मैं लेने आ जाऊँगा पर तुम लड़कियों को तो कोई बात सीधे ढंग से समझ आती ही नहीं"! "अच्छा ठीक है तुम लडके ही तो समझदार हो न, अब ये बताओ कि बॉस ऊपर से लड़की थी तो डिनर डेट से जल्दी कैसे फ्री हो गए, मुझे तो लगा हैंगआऊट के साथ मेक आउट करके सुबह ही आओगे"......आस्था ने चिढाते हुए कहा। आदित्य बोला, " नहीं यार वो अलग तरीके की औरत है....मिडिल एजेड लस्टी लगी मुझे, ऐसा लग रहा था जंगली बिल्ली मेरा शिकार करके ही मानेगी, वो तो अच्छा है उसने इतनी पी ली की होश में नहीं थी और मैंने उसे इसके ड्राइवर के साथ उसके घर रवाना कर दिया......नहीं तो आज मेरी इज्जत चली जाती"! आस्था उसकी बात सुन कर बहुत तेज हँसी और बोली," आदित्य ये कुम कह रहे हो, जो इतनी लडकियों के साथ सब कुछ कर चुका है....अब खोने को तो तुम्हारी वर्जीनिटि भी नहीॆ रही "! आदित्य उसकी बात सुन कर सीरियस हो गया, उसे एक पल में लगा कि,"आस्था के दिल में मेरे लिए जो इमेज है, उसके चलते वो मुझे कभी प्यार नहीं कर सकती"! "नहीं आस्था यहाँ बात मेरे वर्जिन होने या न होने की नहीं है...यहाँ बात हाँ या न की है......मैंने कभी किसी ऐसी लड़की के साथ फिजिकल रिलेशन नहीं बनाए जो खुद न बनाना चाहती हो, मैंने कभी किसी के साथ जबरदस्ती नहीं की वैसे ही जब मेरा मन नहीं है तो कोई लडकी मुझे फोर्स नहीं कर सकती सेक्स करने के लिए"! आदित्य की बात बिल्कुल ठीक है, आस्था जानती थी सो उसने तुरंत आदित्य को "सॉरी" बोल दिया तो वो भी मुस्कुरा दिया.......!
क्रमश: