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एक अनोखी प्रेम कहानी

सूनसान जंगल के बीचों कलकल की आवाज़ करती बहती हुई नदी के तट पर । एक नाग और नागिन का जोड़ा वहीं पास में अपने फन फैलाए एक दूसरे में लिपटे हुए अपने में व्यस्त थे । पास ही बहती हुई नदी , अपने आप में सुहावनी लग रही थी ।‌ तभी अचानक नागिन , नाग से अलग होकर वहीं इधर - उधर रेंगने लगी । शायद वो नाग को परेशान कर रही थी । नाग भी उसके पीछे-पीछे रेंगने लगा था । दोनों अपने आप में गुम होकर खेल रहे थे । नागिन अपनी धुन में इधर उधर जा रही थी ।‌ और इसी बेध्यानी में वो सड़क पर आ गई और बीच सड़क में एक जगह बैठकर अपने नाग को देखने लगी ।
तभी दूर कहीं से एक कार तेजी से उस नागिन की तरफ बढ़ने लगा ।‌ कार चालक तेजी से अपने कार को चला रहा था , कि अचानक उसने अपनी कार नागिन के ऊपर चढ़ा दी ।

थोड़ी दूर जाकर कार चालक को लगा कि , कुछ तो है जो कार के नीचे आ गया है ।‌ उसे घर जाने की जल्दी थी लेकिन फिर भी उसने कार से उतर कर पीछे देखने लगा । उसे सड़क पर तड़पता हुआ‌ काला सांप दिखाई दिया । वो उसके नजदीक जा ही रहा था कि , अचानक एक और काला सांप फुफकारते हुए नागिन के आसपास चक्कर काटने लगा । उसने जैसे ही गौतम को अपने ओर आते देखा । गुस्से में फुफकारते हुए उसे डसने के लिए आगे बढ़ने को हुआ । तभी उसका ध्यान तड़पती हुई नागिन पर गया ।

उसने गौतम पर ध्यान ना देकर नागिन की ओर मुड़ गया । तब तक नागिन मृत्यु को प्राप्त हो गई थी । नाग गुस्से और दुःख में फुफकार उठा । गौतम इस समय इस दृश्य को देखकर दुखी और डर से भरा हुआ था । उसे पश्चाताप भी हो रहा था । लेकिन डर ज्यादा हावी था इसलिए वो अपनी कार में बैठ कर चला गया ।

इधर अपनी नागिन के मौत से दुखी होकर नाग भी अपना फन वहीं पास ही के पत्थर पर पटक कर अपना जीवन भी समाप्त करना चाहता था । लेकिन तभी उसने देखा नागिन से एक सफेद रंग की रौशनी निकल कर उस कार के पीछे - पीछे जाने लगी । नाग ने देखा तो आश्चर्य से देखने लगा । और देर ना करते हुए उस रौशनी के पीछे पीछे जाने लगा । कुछ घंटों के सफर के बाद वो कार एक घर के बाहर रूक गयी । और उस कार से बाहर आकर गौतम ने अपना सामान निकाल कर घर के अंदर दाखिल हो गया । गौतम के साथ ही साथ वो रौशनी भी उस घर में चली गई । दूर से ही नाग ने अपनी नागिन से निकलते हुए उस रौशनी को घर के अंदर जाते हुए देख लिया था । वो दूर से उस घर पर नज़र रखें हुए था ।

गौतम ने घर के अंदर कदम रखा और अपने मां - पिताजी से मिलने गया ।
गौतम - मां - पिताजी आपने मुझे इतनी जल्दी में क्यों बुलाया घर में सब ठीक तो है ना ?

गौतम की मां - कल तक सब ठीक ही था बेटा , पर आज सुबह से बहु के पेट में दर्द हो रहा है । उसे डॉक्टर के पास लेकर चला जा । ये आने वाले बच्चे के लिए ठीक नहीं है अभी तो चार महीने पूरे होकर पांचवां महीना शुरू होने वाला है ।

गौतम - ठीक है मां , मैं अभी श्रुति को डाक्टर के पास लेकर जाता हूं । गौतम ने परेशानी में कहा और अपने कमरें की ओर बढ़ गया । तब तक वो रौशनी श्रुति के भीतर समाहित हो चुकी थी ।

डाक्टर के पास ...

डॉ. - श्रुति और बच्चा पहले से बेहतर है ।‌ पिछले महीने बेबी के हार्ट बीट बहुत कम थी । पर अब सब बिल्कुल ठीक हैं ।‌ बस कुछ ही महीने का इंतजार और कीजिए आप । तब तक श्रुति का ध्यान अच्छे से रखियेगा । डाक्टर निधि ने कहा और वो दूसरे पेशेंट देखने चली गई ।
गौतम भी श्रुति को घर ले आया और श्रुति का ध्यान रखने लगा था । वो नाग एक सही समय पर घर के अंदर दाखिल हुआ ।‌और गौतम को देखकर उसे डंसने के इरादे से उसके पीछे जाने लगा । वो डसने के लिए आगे बढ़ा ही था । जब उसने श्रुति को देखा । उसके चेहरे पर इस वक्त वही तेज था । जो नागिन के शरीर से निकली थी । अब उसने डंसने का इरादा छोड़ दिया और वापस चला गया । धीरे धीरे समय बीतने के लगा ‌। लगभग नौ महीने पूरे होने के बाद निश्चित तिथि को श्रुति को तेज दर्द होने लगा । गौतम उसे तुरंत हास्पिटल लेकर गये , जहां श्रुति ने एक प्यारी सी बेटी को जन्म दिया । कुछ दिनों बाद सब घर वापस आ गए ।" घने घुंघराले बाल और नीली आंखों वाली प्यारी सी गुड़िया हैं । है ना बाबु जी ? " गौतम ने कहा !

" हां बहुत सुंदर है " नीलपरी है हमारी नातिन । गौतम के पिताजी ने कहा ! हास्पिटल से आकर सभी बहुत थके थे , इसलिए सब खाना खाकर जल्दी सो गये । तभी आधी रात को श्रुति के कमरें का दरवाज़ा धीरे-धीरे खुलने लगा । और वो नाग धीरे - धीरे उस बच्ची की ओर बढ़ने लगा । जब उसने सोती हुई बच्ची को देखने लगा । उस बच्ची में उसे नागिन के होने का अहसास होने लगा ।
नाग उसे काफी देर देखने के बाद वापस उस घर के उद्यान में चला गया । अब नाग ने एक नियम बना लिया था , कि सबके सोने के बाद वो नीलिमा के पास आकर उसे देखता और उसके उठने से पहले ही वापस चला जाता । एक रात वह ऐसे ही सबके सोने के बाद वो नीलिमा के पास कुंडली जमा कर बैठा हुआ था । तभी अचानक श्रुति की नींद खुल गई । उसने जब बच्ची के सर के पास एक काले लंबे से सांप को देखकर डर से चीख पड़ी । श्रुति की आवाज सुनकर पास ही के कमरें में सोये हुए ‌। उसके सास-ससुर आये । देखा तो एक काला लंबा सांप खिड़की से होते हुए कमरें से बाहर निकल गया था । उस दिन गौतम किसी काम से शहर के बाहर गया हुआ था ।

अब तो सभी दहशत में थे । एक काला सांप और वो भी बच्ची के सर के पास । कोई भी सामान्य व्यक्ति यह देखेगा तो डर ही जायेगा ‌। जैसे इस वक्त श्रुति और घर के बाकि के लोग दहशत में थे । उन्होंने गौतम के आने पर जब उसे सांप के बारे में बताया तो । वो डर गया , वो तो बच्चे की आनी की खुशी में भूल ही गया था । कि उसके हाथों एक सर्प हत्या भी हुई थी । गौतम भी दहशतगर्द हो चुका था । शायद वो सांप अपने साथी की मौत का बदला लेने आया हो !

गौतम के दिमाग़ में अब यही चल रहा था । गौतम और घरवालें अब ज्यादा सतर्क हो गए । कुछ दिनों तक वो सांप नहीं दिखा तो , सबने सोचा की शायद अब वो नहीं आयेगा । लेकिन किसे पता था कि वो तो अब भी आकर बच्ची को देखकर चला भी जाता है ।

ऐसे ही समय बीतने लगा था । अब नीलिमा कुछ बड़ी हो गई थी । एक दिन वो अपने घर के गार्डन में अपने दादाजी के साथ खेल रही थी , कि तभी उसे थोड़ी ही दूर पर एक बड़ा सा काला सांप दिखाई दिया । नीलिमा डर कर चीख पड़ी । और अपने दादाजी से लिपट गई ।

उस नाग ने देखा कि नीलिमा उसे देखकर डर रही है । वो निराश होकर वहां से चला गया । और अब वो नीलिमा के सामने आने से बचने लगा था । वो दूर से ही नीलिमा को देख लेता । एक दिन गार्डन में नीलिमा गुलाब के फूलों को देख रही थी । उसे लाल गुलाब के फूल बहुत पसंद थे । नाग को नीलिमा की पसंद पता चल चुकी थी । रात को जब सब सो रहे थे । नाग ने एक - एक फूलों को नीलिमा के कमरें में लाकर रख दिया । उसने एक - एक फूलों को लाने के लिए अनगिनत बार जमीन पर चला था और गुलाब के एक - एक फूलों को तोड़ने पर उसे चोटें भी आईं थीं । लेकिन उसे इन सब की कोई फ़िक्र नहीं थी । वो तो नीलिमा को खुश करना चाहता था । और उसकी खुशी देखने के लिए वो उसके कमरें के एक कोने में जाकर बैठ गया । जब नीलिमा अपने कमरें में आई तो , एक तो वह गुलाब के फूलों को देखकर बहुत खुश हुई । लेकिन जब उसने कमरें के कोने पर नाग को कुंडली मारकर बैठे देखा तो डर गई । और डर के साथ गुस्सा और बढ़ गया था । बचपन से लेकर अपने घरवालों को सांप के दहशत में रहते देखकर नीलिमा के डर ने अब गुस्से का रूप ले लिया था । उसने सांप के तरफ देखते हुए कहा !

नीलिमा - तुम्हें अपने आसपास देखकर थक गई हूं मैं । तुम्हें देखकर एक डर सा लगा रहता है कि , पता नहीं कब आकर डस लोगे । क्यूं परेशान कर रखा है मुझे , चैन से जीने क्यों नहीं देते मुझे । इस तरह डर - डर के जीने से अच्छा है कि तुम मुझे अभी काट लो । या खुद जाकर गुलाब के पौधे में लिपटकर मर क्यों नहीं जाते । नीलिमा ने गुस्से में आकर जी भरकर । सांप पर गुस्सा और भला-बुरा कहकर । अपने दादाजी के कमरें में चली गई ।

जब नीलिमा ने सारी बातें अपने दादाजी को बताई तो एक अनुभव बुजुर्ग की तरह ही उन्होंने नीलिमा से कहा !

" बेटा वो कोई मामूली सांप नहीं लगता । उसने आजतक किसी को कभी कोई नुक्सान नहीं पहुंचाया । लेकिन तुम्हारे आस - पास हमेशा ही रहा है । शायद पिछले जन्म का कोई खास रिश्ता होगा तुम्हारा ।‌ अब जब वो आये तो उस पर गुस्सा नहीं करना " दादाजी ने कहा !

नीलिमा ने सुना तो परेशान सी हो गई । कुछ दिन बीते अब नीलिमा को उस सांप के आने का इंतजार रहता । वो अक्सर उसी के बारे में सोचती । उसके आने की राह देखती , उसे अब अपने आस खाली - खाली सा लगने लगा था । कुछ सोचते हुए वो गार्डन में चली गई और कुछ सोचते हुए वो । गुलाब के पौधे को देखने के लिए सामने के पेड़ को हाथ से हटाकर देखा । सामने देखा तो उसके आंखों से आंसू बहने लगे थे । सामने का दृश्य ही ऐसा था । उस सांप ने नीलिमा के कहे अनुसार गुलाब के पेड़ों से लिपटकर अपनी जान दे दी थी ।

नीलिमा उस नाग को देखकर वहीं जमीन पर बैठकर फूट - फूट कर रोने लगी थी ।
लेकिन रोने से अब कोई फायदा नहीं था ।

कहते हैं इस घटना के बाद से नीलिमा चुप - चुप सी रहने लगी थी । और अपने जीवन काल में जब जी कुंवारी ही रही । उसने कभी शादी नहीं की । कोई कहता है कि ये एक सच्ची घटना है कोई इसे काल्पनिक और अफवाह मानते हैं । पर जो भी हो , लेकिन उस सांप का प्यार , इंतजार , तड़प और त्याग शायद ही कोई इंसान कर पायेगा ।


समाप्त सूनसान जंगल के बीचों कलकल की आवाज़ करती बहती हुई नदी के तट पर । एक नाग और नागिन का जोड़ा वहीं पास में अपने फन फैलाए एक दूसरे में लिपटे हुए अपने में व्यस्त थे । पास ही बहती हुई नदी , अपने आप में सुहावनी लग रही थी ।‌ तभी अचानक नागिन , नाग से अलग होकर वहीं इधर - उधर रेंगने लगी । शायद वो नाग को परेशान कर रही थी । नाग भी उसके पीछे-पीछे रेंगने लगा था । दोनों अपने आप में गुम होकर खेल रहे थे । नागिन अपनी धुन में इधर उधर जा रही थी ।‌ और इसी बेध्यानी में वो सड़क पर आ गई और बीच सड़क में एक जगह बैठकर अपने नाग को देखने लगी ।
तभी दूर कहीं से एक कार तेजी से उस नागिन की तरफ बढ़ने लगा ।‌ कार चालक तेजी से अपने कार को चला रहा था , कि अचानक उसने अपनी कार नागिन के ऊपर चढ़ा दी ।

थोड़ी दूर जाकर कार चालक को लगा कि , कुछ तो है जो कार के नीचे आ गया है ।‌ उसे घर जाने की जल्दी थी लेकिन फिर भी उसने कार से उतर कर पीछे देखने लगा । उसे सड़क पर तड़पता हुआ‌ काला सांप दिखाई दिया । वो उसके नजदीक जा ही रहा था कि , अचानक एक और काला सांप फुफकारते हुए नागिन के आसपास चक्कर काटने लगा । उसने जैसे ही गौतम को अपने ओर आते देखा । गुस्से में फुफकारते हुए उसे डसने के लिए आगे बढ़ने को हुआ । तभी उसका ध्यान तड़पती हुई नागिन पर गया ।

उसने गौतम पर ध्यान ना देकर नागिन की ओर मुड़ गया । तब तक नागिन मृत्यु को प्राप्त हो गई थी । नाग गुस्से और दुःख में फुफकार उठा । गौतम इस समय इस दृश्य को देखकर दुखी और डर से भरा हुआ था । उसे पश्चाताप भी हो रहा था । लेकिन डर ज्यादा हावी था इसलिए वो अपनी कार में बैठ कर चला गया ।

इधर अपनी नागिन के मौत से दुखी होकर नाग भी अपना फन वहीं पास ही के पत्थर पर पटक कर अपना जीवन भी समाप्त करना चाहता था । लेकिन तभी उसने देखा नागिन से एक सफेद रंग की रौशनी निकल कर उस कार के पीछे - पीछे जाने लगी । नाग ने देखा तो आश्चर्य से देखने लगा । और देर ना करते हुए उस रौशनी के पीछे पीछे जाने लगा । कुछ घंटों के सफर के बाद वो कार एक घर के बाहर रूक गयी । और उस कार से बाहर आकर गौतम ने अपना सामान निकाल कर घर के अंदर दाखिल हो गया । गौतम के साथ ही साथ वो रौशनी भी उस घर में चली गई । दूर से ही नाग ने अपनी नागिन से निकलते हुए उस रौशनी को घर के अंदर जाते हुए देख लिया था । वो दूर से उस घर पर नज़र रखें हुए था ।

गौतम ने घर के अंदर कदम रखा और अपने मां - पिताजी से मिलने गया ।
गौतम - मां - पिताजी आपने मुझे इतनी जल्दी में क्यों बुलाया घर में सब ठीक तो है ना ?

गौतम की मां - कल तक सब ठीक ही था बेटा , पर आज सुबह से बहु के पेट में दर्द हो रहा है । उसे डॉक्टर के पास लेकर चला जा । ये आने वाले बच्चे के लिए ठीक नहीं है अभी तो चार महीने पूरे होकर पांचवां महीना शुरू होने वाला है ।

गौतम - ठीक है मां , मैं अभी श्रुति को डाक्टर के पास लेकर जाता हूं । गौतम ने परेशानी में कहा और अपने कमरें की ओर बढ़ गया । तब तक वो रौशनी श्रुति के भीतर समाहित हो चुकी थी ।

डाक्टर के पास ...

डॉ. - श्रुति और बच्चा पहले से बेहतर है ।‌ पिछले महीने बेबी के हार्ट बीट बहुत कम थी । पर अब सब बिल्कुल ठीक हैं ।‌ बस कुछ ही महीने का इंतजार और कीजिए आप । तब तक श्रुति का ध्यान अच्छे से रखियेगा । डाक्टर निधि ने कहा और वो दूसरे पेशेंट देखने चली गई ।
गौतम भी श्रुति को घर ले आया और श्रुति का ध्यान रखने लगा था । वो नाग एक सही समय पर घर के अंदर दाखिल हुआ ।‌और गौतम को देखकर उसे डंसने के इरादे से उसके पीछे जाने लगा । वो डसने के लिए आगे बढ़ा ही था । जब उसने श्रुति को देखा । उसके चेहरे पर इस वक्त वही तेज था । जो नागिन के शरीर से निकली थी । अब उसने डंसने का इरादा छोड़ दिया और वापस चला गया । धीरे धीरे समय बीतने के लगा ‌। लगभग नौ महीने पूरे होने के बाद निश्चित तिथि को श्रुति को तेज दर्द होने लगा । गौतम उसे तुरंत हास्पिटल लेकर गये , जहां श्रुति ने एक प्यारी सी बेटी को जन्म दिया । कुछ दिनों बाद सब घर वापस आ गए ।" घने घुंघराले बाल और नीली आंखों वाली प्यारी सी गुड़िया हैं । है ना बाबु जी ? " गौतम ने कहा !

" हां बहुत सुंदर है " नीलपरी है हमारी नातिन । गौतम के पिताजी ने कहा ! हास्पिटल से आकर सभी बहुत थके थे , इसलिए सब खाना खाकर जल्दी सो गये । तभी आधी रात को श्रुति के कमरें का दरवाज़ा धीरे-धीरे खुलने लगा । और वो नाग धीरे - धीरे उस बच्ची की ओर बढ़ने लगा । जब उसने सोती हुई बच्ची को देखने लगा । उस बच्ची में उसे नागिन के होने का अहसास होने लगा ।
नाग उसे काफी देर देखने के बाद वापस उस घर के उद्यान में चला गया । अब नाग ने एक नियम बना लिया था , कि सबके सोने के बाद वो नीलिमा के पास आकर उसे देखता और उसके उठने से पहले ही वापस चला जाता । एक रात वह ऐसे ही सबके सोने के बाद वो नीलिमा के पास कुंडली जमा कर बैठा हुआ था । तभी अचानक श्रुति की नींद खुल गई । उसने जब बच्ची के सर के पास एक काले लंबे से सांप को देखकर डर से चीख पड़ी । श्रुति की आवाज सुनकर पास ही के कमरें में सोये हुए ‌। उसके सास-ससुर आये । देखा तो एक काला लंबा सांप खिड़की से होते हुए कमरें से बाहर निकल गया था । उस दिन गौतम किसी काम से शहर के बाहर गया हुआ था ।

अब तो सभी दहशत में थे । एक काला सांप और वो भी बच्ची के सर के पास । कोई भी सामान्य व्यक्ति यह देखेगा तो डर ही जायेगा ‌। जैसे इस वक्त श्रुति और घर के बाकि के लोग दहशत में थे । उन्होंने गौतम के आने पर जब उसे सांप के बारे में बताया तो । वो डर गया , वो तो बच्चे की आनी की खुशी में भूल ही गया था । कि उसके हाथों एक सर्प हत्या भी हुई थी । गौतम भी दहशतगर्द हो चुका था । शायद वो सांप अपने साथी की मौत का बदला लेने आया हो !

गौतम के दिमाग़ में अब यही चल रहा था । गौतम और घरवालें अब ज्यादा सतर्क हो गए । कुछ दिनों तक वो सांप नहीं दिखा तो , सबने सोचा की शायद अब वो नहीं आयेगा । लेकिन किसे पता था कि वो तो अब भी आकर बच्ची को देखकर चला भी जाता है ।

ऐसे ही समय बीतने लगा था । अब नीलिमा कुछ बड़ी हो गई थी । एक दिन वो अपने घर के गार्डन में अपने दादाजी के साथ खेल रही थी , कि तभी उसे थोड़ी ही दूर पर एक बड़ा सा काला सांप दिखाई दिया । नीलिमा डर कर चीख पड़ी । और अपने दादाजी से लिपट गई ।

उस नाग ने देखा कि नीलिमा उसे देखकर डर रही है । वो निराश होकर वहां से चला गया । और अब वो नीलिमा के सामने आने से बचने लगा था । वो दूर से ही नीलिमा को देख लेता । एक दिन गार्डन में नीलिमा गुलाब के फूलों को देख रही थी । उसे लाल गुलाब के फूल बहुत पसंद थे । नाग को नीलिमा की पसंद पता चल चुकी थी । रात को जब सब सो रहे थे । नाग ने एक - एक फूलों को नीलिमा के कमरें में लाकर रख दिया । उसने एक - एक फूलों को लाने के लिए अनगिनत बार जमीन पर चला था और गुलाब के एक - एक फूलों को तोड़ने पर उसे चोटें भी आईं थीं । लेकिन उसे इन सब की कोई फ़िक्र नहीं थी । वो तो नीलिमा को खुश करना चाहता था । और उसकी खुशी देखने के लिए वो उसके कमरें के एक कोने में जाकर बैठ गया । जब नीलिमा अपने कमरें में आई तो , एक तो वह गुलाब के फूलों को देखकर बहुत खुश हुई । लेकिन जब उसने कमरें के कोने पर नाग को कुंडली मारकर बैठे देखा तो डर गई । और डर के साथ गुस्सा और बढ़ गया था । बचपन से लेकर अपने घरवालों को सांप के दहशत में रहते देखकर नीलिमा के डर ने अब गुस्से का रूप ले लिया था । उसने सांप के तरफ देखते हुए कहा !

नीलिमा - तुम्हें अपने आसपास देखकर थक गई हूं मैं । तुम्हें देखकर एक डर सा लगा रहता है कि , पता नहीं कब आकर डस लोगे । क्यूं परेशान कर रखा है मुझे , चैन से जीने क्यों नहीं देते मुझे । इस तरह डर - डर के जीने से अच्छा है कि तुम मुझे अभी काट लो । या खुद जाकर गुलाब के पौधे में लिपटकर मर क्यों नहीं जाते । नीलिमा ने गुस्से में आकर जी भरकर । सांप पर गुस्सा और भला-बुरा कहकर । अपने दादाजी के कमरें में चली गई ।

जब नीलिमा ने सारी बातें अपने दादाजी को बताई तो एक अनुभव बुजुर्ग की तरह ही उन्होंने नीलिमा से कहा !

" बेटा वो कोई मामूली सांप नहीं लगता । उसने आजतक किसी को कभी कोई नुक्सान नहीं पहुंचाया । लेकिन तुम्हारे आस - पास हमेशा ही रहा है । शायद पिछले जन्म का कोई खास रिश्ता होगा तुम्हारा ।‌ अब जब वो आये तो उस पर गुस्सा नहीं करना " दादाजी ने कहा !

नीलिमा ने सुना तो परेशान सी हो गई । कुछ दिन बीते अब नीलिमा को उस सांप के आने का इंतजार रहता । वो अक्सर उसी के बारे में सोचती । उसके आने की राह देखती , उसे अब अपने आस खाली - खाली सा लगने लगा था । कुछ सोचते हुए वो गार्डन में चली गई और कुछ सोचते हुए वो । गुलाब के पौधे को देखने के लिए सामने के पेड़ को हाथ से हटाकर देखा । सामने देखा तो उसके आंखों से आंसू बहने लगे थे । सामने का दृश्य ही ऐसा था । उस सांप ने नीलिमा के कहे अनुसार गुलाब के पेड़ों से लिपटकर अपनी जान दे दी थी ।

नीलिमा उस नाग को देखकर वहीं जमीन पर बैठकर फूट - फूट कर रोने लगी थी ।
लेकिन रोने से अब कोई फायदा नहीं था ।

कहते हैं इस घटना के बाद से नीलिमा चुप - चुप सी रहने लगी थी । और अपने जीवन काल में जब जी कुंवारी ही रही । उसने कभी शादी नहीं की । कोई कहता है कि ये एक सच्ची घटना है कोई इसे काल्पनिक और अफवाह मानते हैं । पर जो भी हो , लेकिन उस सांप का प्यार , इंतजार , तड़प और त्याग शायद ही कोई इंसान कर पायेगा ।


समाप्त