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सपने - (भाग-28)

सपने.......(भाग-28)

श्रीकांत और सोफिया की फैमिली नहा कर नीचे खाना खाने चले गए। खाने के बाद श्रीकांत के बाबा ने उन्हें एक पेपर पर लिख कर तारीख और कुछ रस्में लिख दी जिन्हें करने के लिए वो उनके घर आएँगे बता दिया। सोफिया के पापा पेपर को देख रहे थे, उन्हें कंफ्यूज देख कर श्रीकांत के बाबा बोले,"भाई साहब कुछ कहना चाहते हैं तो बिना संकोच के कहिए"! "देखिए हमारे यहाँ ये सब कुछ नहीं होता है, तो हम चाहते हैं कि आप जो भी करना चाहते हैं वो घर पर ना करके बाहर किसी होटल में किया जाए तो आपको कोई ऑब्जेक्शन तो नहीं होगा ? एक बात और कहना चाहता हूँ कि चर्च में शादी के बाद लंच भी हमे बाहर कहीं मैनेज करना पडेगा, आपसे कुछ छुपा हुआ नहीं है, हम इतना खर्च नहीं कर पाएँगे, श्रीकांत से हमारे घर की हालत छुपी नहीं है.......आपके स्टेटस को हम मैच नहीं कर सकते"! उनकी बात सुन कर श्रीकांत के बाबा ने कहा," सब कुछ हम करेंगे बस आप और आपके मेहमान टाइम से सब रस्मों में पहुँच जाइएगा, आपको किसी को कुछ नहीं देना है सिवाय बच्चों के आशीर्वाद के और एक अगूँठी श्रीकांत के लिए"। सोफिया की फैमिली बहुत खुश हो गयी क्योंकि इस घर में कदम रखते ही उन्हें एहसास हो गया था कि श्रीकांत को एक आम गाँव का लड़का समझ कर वो भूल कर चुके हैं.......बाकी रही सही कसर श्रीकांत के बाबा को किसी से फोन पर अंग्रेजी में बात करते हुए सुना। वो बहुत हैरानी से कभी श्रीकांत को देख रहे थे तो कभी उसकी आई को.......श्रीकांत उनके चेहरे देख कर समझ गया कि वो बाबा की बातें सुन कर हैरान है"। श्रीकांत बोला,"अँकल आप का सरप्राइज होने की वजह समझ रहा हूँ, आप लोगो ने या सोफिया ने कभी पूछा नहीं और मैंने बताया नहीं अपनी फैमिली बैकग्राँउड के बारे में...."मेरे बाबा I.A.Sऑफिसर रह चुके हैं और मेरी आई लेक्चरर थी......दादा दादी यहाँ रहते थे, पर गाँवो की आपसी लड़ाई में जब दादा की डेथ हो गयी तो बाबा ने V.R.S ले ली और दादा की जगह को संभाल ली.......दादा का सपना पूरा करने के लिए आई और बाबा ने यहाँ के लोगो को पढाई से ले कर खेती करना और गाँव में स्कूल, कॉलेज और हॉस्पिटल जैसी बेसिक जरूरतों को पूरा कर रहे हैं। मुझे भी गाँवो की लडाई की वजह से दूर ही रखा......यहाँ कभी कभी आ जाता हूँ, अब यहाअ पहले से सब ठीक है"! सोफिया के पैरेंटस मन ही मन शर्मिंदा हो रहे थे अपनी सोच पर.......! उधर आदित्य की बॉस ने उसे काफी परेशान कर रखा था, वो चाहता तो अपने डैड से कह कर इस बॉस को नौकरी से निकलवा सकता था.....पर वो अपने डैड की पावर को यूज नहीं करना चाहता था......सो खुद ही हैंडिल करने की कोशिश कर रहा था........एक दिन केबिन में बुला कर उसे किस करने लगी, आदित्य उस टाइम कुछ करता तो वो उसे ही फंसा सकती थी सोच कर वो चुप रहा, पर अगले दिन उसने अपनी नौकरी को छोड़ने का मन बना लिया। घर आया तो राजशेखर और नवीन ने उसके गुस्से के कारण पूछा तो उसने उन्हें सब बताया....... तो वो आदित्य का मूड ठीक करने के लिए उसके साथ हँसी मजाक करते रहे.....आस्था और सोफिया मार्किट गयी हुई थी.......जब वो आयी तो नवीन ने उन्हें भी आदित्य की बॉस के कारनामे बताए तो वो भी जोर जोर से हँसने लगी.....आस्था ने तो आदित्य को कहा, "जॉब छोड़नी है तो उसका कारण भी सच सच बताना चाहिए"। इस वक्त सब श्रीकांत के जोक्स को मिस कर रहे थे, एक वही है जो नए पुराने जोक्स को मिक्स करके लेटेस्ट जोक बना डालता है।आज कल सविता भी सब को बदली बदली सी नजर आ रही है, उसका मुस्कुराना और सजना सँवरना पहले से बढ़ गया है, छोटा छोटा सामान लेने वो झट से नीचे चली जाती है......आस्था नोटिस तो कर रही थी, पर उसने कुछ कहा नहीं....। अगले दिन श्रीकांत आने वाला था और आदित्य रिजाइन करने का ईमेल अपनी बॉस और हेड ऑफिस में भी ईमेल भेज करके ही सोया था। उसने श्रीकांत को बोल दिया था कि वो लेने आएगा.....। अगली शाम को आदित्य सबको लेने रेलवे स्टेशन चला गया। सोफिया के पैरेंटस को उनके घर छोड़ अपने फ्लैट पर आ गए......रास्ते में आदित्य ने अपनी जॉब छोड़ने के बारे में बताया तो श्रीकांत बोला, "ठीक किया छोड़ दी, और मिल जाएगी जॉब, वैसे भी यार तुझे जॉब करने की जरूरत क्या है? यहाँ भी अपना एक ऑफिस बना लो और बॉस बन कर मजे करो.....काम हम मजदूरों के लिए छोड़ दो".....कह कर हँसने लगा। श्रीकांत ने भी गाँव में जो बातें हुई वो सब आदित्य को बतायी तो आदित्य बोला," सोफिया और उसकी फैमिली को अपनी फैमिली के बारे में सब पहले बताया होता तो सोफिया के पैरेंटस उस दिन अच्छे से वेलकम करते"........! " यार मैंने जान बूझकर नहीं बताया, मैं देखना चाहता था कि वो मुझे एक देहाती समझ कर दामाद बनाते हैं या नहीं.....उसमें वो लोग पास तो हो गए, पर आई बाबा के लिए उनकी नजरों में रिस्पेक्ट नहीं दिखी थी और अब वापिस आ कर तो तुम देख ही रहे हो".....।श्रीकांत की बात सुन कर आदित्य बोला, "हाँ ठीक है यार पर सोफिया तो अच्छी लड़की है न.....बस तेरी फैमिली को उसके साथ रहना है उसके पैरेंटस के साथ नहीं"........!" ये तुम बिल्कुल ठीक कह रहे हो".....श्रीकांत बोला। " यार तेरा तो सब ठीक हो गया और शादी भी हो जाएगी अगले महीने....कुछ मेरे बारे में भी सोच"! आदित्य ने हँसते हुए कहा। "यार आदित्य तुझे क्या चिंता जहाऎ जाता है वहीं लड़कियों की भीड़ लग जाती है, तू ठहरा कामदेव.....जिसको पसंद करेगा वो भागी चली आएगी"। श्रीकांत की बात सुनकर वो बोला, "अच्छा तो आस्था भी आ जाएगी भागते हुए"? आदित्य की बात सुन कर वो हैरान हो गया, "तुझे आस्था पसंद है? सच में? यार वो वन नाइट स्टैंड वाली लड़की नही है और न ही सिर्फ टाइम पास वाली, ये मुझसे बेहतर तू जानता है......अगर सीरियस है तो बात करके देख ले, पर तुझसे पहले वो नचिकेत के साथ साथ राजशेखर को भी ना बोल चुकी है......बोलने को बोल तो गया श्रीकांत पर उसे अपनी गलती का एहसास तुरंत हो गया, उसने राजशेखर से वादा किया था कि ये बात वो अपने ग्रुप में किसी को नहीं बताएगा"! अब वो कुछ कर नहीं सकता था तीर कमान से निकल गया था और आदित्य को लग भी गया था....उसके पैर अचानक ब्रेक पर पड़ गए और गाड़ी रूक गयी, उनके पीछे भी झटके से सब रूक गए....."क्या कहा श्रीकांत ? राजशेखर ने कब प्रपोज किया था आस्था को? नतूने मुझे बताया न आस्था ने"? आदित्य तुम पहले गाड़ी चलाने पर ध्यान दो पीछे जाम लग जाएगा, सब हार्न बजा रहे हैं.....आदित्य ने गाड़ी आगे बढा दी। इधर श्रीकांत सोच रहा था कि, "कहाँ से शुरू करूँ? कितना बताया जाए"!......"श्री तेरे बोलने का वेट कर रहा हूँ" , आदित्य ने उसे याद दिलाया....फिर उसने सब कुछ बता दिया जो राजशेखर ने उसे बताया था और दोस्ती का वास्ता दे कर वादा भी लिया,"वो राजशेखर को कुछ नहीं कहेगा न आस्था को बताएगा"। आदित्य ने उसे वादा कर तो दिया था पर श्रीकांत को डर लग रहा था.....!
क्रमश: