Tere Ishq me Pagal - 14 books and stories free download online pdf in Hindi

तेरे इश्क़ में पागल - 14

सानिया ने अपनी गर्दन नीची झुकाली और बोली: "मेरे सामने से हटो।"

अहमद को उस पर गुस्सा आ गया। उसने सानिया को कमर से पकड़ा और अपने करीब खींचा लिया और अपनी पकड़ और मजबूत करली।

"तुम्हे किसने हक़ दिया है मेरी फीलिंग की इंसल्ट करने का।" अहमद ने एक एक शब्द चबा कर कहा।

उसकी तेज़ पकड़ की वजह से सानिया सहेम गयी और रोने लगी।

उसके आंसू देख कर अहमद कुछ नरम पड़ गया और अपनी पकड़ ढीली करदी लेकिन उसे छोड़ा नही।

"प्लीज छोड़े मुझे कोई देख लेगा।" सानिया इधर उधर देखते हुए बोली।

"तुम फिक्र मत करो कोई नही देखा, तुम बताओ मुझे क्या तुम मुझसे शादी करोगी।" अहमद उसके बालो को कान के पीछे करते हुए बोला।

उसकी बात सुनकर सानिया ने नज़रे झुका ली।

अहमद ने उसका चेहरा ऊपर उठाया जो आँसुओं से तर हो चुका था। अहमद उसके आंसू साफ करते हुए बोला: "देखो यार जो हम लड़ते है हमारी लड़ाई को भूल कर एक बार मेरे बारे में सोचना मैं हैंडसम भी हु और तुमसे प्यार भी करता हु, अच्छे से सोच लो मेरा नंबर भी तुम्हारे पास है सोच कर बता देना।" अपनी बात कहने के बाद अहमद ने उसके गालो पर किस किया और उससे दूर हो गया।

सानिया शर्म से लाल चेहरे के साथ वहां से भाग गई। अहमद उसे जाता हुआ देख वापस अपनी जगह आ कर बैठ गया और चाय पीने लगा जो अब ठंडी हो गयी थी।

.........

ज़ैन ज़ैनब को ले कर अपनी चाची के घर आ गया था।

"रहीम बाबा" ज़ैन ने अपने घर के पुराने नौकर को आवाज़ दी।

"जी शाह जी।" रहीम बाबा भागते हुए उसके पास आ कर बोले।

"यह समान किसी से कह कर मेरे कमरे में सेट करा दे।" ज़ैन ने कहा।

उन्हों ने एक नज़र ज़ैनब पर डाली और फिर ज़ैन का ख्याल करके वहां से चले गए।

"चाची जान चाचा जान कहा है आप दोनों।" ज़ैन ने हॉल में आते ही दोनों को आवाज़ दी।

उसकी आवाज़ सुनकर वो दोनों अपने कमरे से बाहर आये। उन्होंने पहले ज़ैन को देखा फिर उसके पीछे खड़ी ज़ैनब को देख कर उसके पास चली गयी।

शाज़िया ने ज़ैनब का माथा चूमा और ज़ैनब को खुश रहने की दुआ दी।

चाचा जी ने भी उसे खूब दुआएँ दी।

"अरे वाह आप तो बहोत खूबसूरत है।" कुलसुम ने मुस्कुराते हुए ज़ैनब से कहा।

उसकी बात सुनकर ज़ैनब शर्मा गयी।

ओके बच्चो जा कर फ्रेश हो जाओ फिर हम सब मिल कर साथ मे डिनर करेंगे। शाज़िया ने ज़ैनब को देखते हुए कहा।

"क्या चाची जान बहु के मिलते ही मुझे भूल गयी।" ज़ैन ने झूठी नाराज़गी दिखाते हुए कहा।

"खबरदार जो मेरी बहु के बारे में कुछ कहा तो मैं तुम्हे छोडूंगी नही।" शाज़िया ने उनके कान खींचते हुए कहा।

"अच्छा,,,,,अच्छा,,,कुछ नही कहूंगा लेकिन पहले आप मेरे कान तो छोड़िए।" ज़ैन ने अपने कान छुड़ाते हुए कहा।

उसकी बात सुनकर शाज़िया ने मुस्कुराते हुए उसके सिर पर चपत लागई और दोनों को ऊपर जा कर फ्रेश होने के लिए कहा।

ज़ैन ज़ैनब को ले कर अपने कमरे में चला गया।

"कैसे लगे मेरे चाचा चाची!" ज़ैन ने बेड पर लेटते हुए पूछा।

"बहोत अच्छे।" ज़ैनब ने भी खुल कर उनकी तारीफ की।

"और मैं कैसे लगा।" ज़ैन ने शरारत से पूछा।

ज़ैनब अपने कपड़े ले कर खड़े होते हुए बोली:"बहोत ही बुरे।"

"ज़्यादा तेज़ नही हो गयी हो।" ज़ैन उसकी तरफ आते हुए बोला।

"हाँ आप की वजह से ही हुई हु।" कहते साथ ही ज़ैनब भाग कर वाशरूम में चली हई।

ज़ैन हस्ते हुए बोला:"डरपोक लड़की।"

"जी नही मैं डरपोक नही हु मैं इसीलिए वह से भागी क्योंकि अभी आपके अंदर का इमरान हाशमी जाग जाता।" ज़ैनब वाशरूम से चिल्ला कर बोली।
उसकी बात सुनकर ज़ैन हस्ते हुए फ़ोन में अपने मेल्स चेक करने लगा।

थोड़ी देर बाद ज़ैनब वाशरूम से बाहर निकली तो उसके बालो से पानी टपक रहा था। वोह आईने के सामने खड़ी अपने गीले बालों को सुखा रही और इस वक़्त बेहद अट्रैक्टिव लग रही थी।

ज़ैन ने जब उसे देखा तो उसके होश ही उड़ गए, उसने बहोत सी खूबसूरत लड़कियाँ देखी थी लेकिन उसे ऐसा लगता था जैसे सारी खूबसूरत ज़ैनब पर ही आ कर खत्म हो जाती है।

"जानू पास आने के लिए खुद ही मुझे उकसाती हो, मेरे सोये हुए जज़्बातों को जगाती हो, बेशर्म भी कहती हो और पास भी नही आने देती अगर इस तरह मेरे सामने आओगी तो बहेकूँगा ही ना। जितना तड़पना है तड़पा लो लेकिन जिस दिन खुद पर आ गया ना उस दिन तुम्हारी एक नही सुनुगा और अपने सारे हक़ वसूल कर लूंगा।" ज़ैन ने मीनिंगफुल अंदाज़ में कहा और वाशरूम में चला गया।

उसकी बात सुनकर तो ज़ैनब की सांसे ही अटक गई।

..........

सुबह सब नाश्ता कर ही रहे थे कि अहमद आ गया। उसने ज़ैन को इशारा करके बाहर आने के लिए कहा।

"आओ बेटा नाश्ता करलो।" शाज़िया ने अहमद से कहा।

"नही चाची भूख नही है और वैसे भी मैं घर से करके आया हु।" अहमद ने मुस्कुराते हुए कहा।

"वाह मम्मा अहमद भाई तो मुझे ठीक नही लग रहे है, नाश्ता भी नही कर रहे है और आज खामोश भी है। बात क्या है कहि गर्लफ्रैंड छोड़ कर तो नही चली गयी।" कुलसुम ने उसे छेड़ते हुए कहा।

"चुड़ैल तुम चुप ही रहा करो।" अहमद ने चिढ़ कर कहा।

उसकी बात सुनकर सब हँसने लगे और कुलसुम ने मुंह बना ली।

"ओके मैं चलता हूं।" ज़ैन नाश्ते की टेबल से उठते हुए बोला।

"आप मुझे यूनिवर्सिटी छोड़ दें।" ज़ैनब भी उठते हुए बोली।

"ठीक है तुम तैयार हो कर आ जाओ मैं बाहर हु।" ज़ैन ने कहा और अहमद को ले कर बाहर निकल गया।

"क्या हुआ सब ठीक तो है!" ज़ैन ने पूछा।

"मुझे पता चला है इमरान ने तुझे मारने के लिए कुछ लोगों को हायर किया।" अहमद परेशान हो कर बोला।

"तू फिक्र मत कर वह लोग मेरा कुछ भी नही बिगाड़ सकते है।" ज़ैन ने उसके कंधे पर हाथ रख कर उसे तसल्ली देते हुए कहा।

"फिर भी एहतियात ज़रूरी है।" अहमद ने कहा।

"चले।" ज़ैनब ने पीछे से उन्हें आवाज़ दी।

"चलो मैडम बंदा आपकी खिदमत में हाज़िर है।" ज़ैन ने आने हाथ से कार की तरफ इशारा करके अपनी सिर झुकते हुए कहा।

उसकी बात सुनकर ज़ैनब और अहमद दोनो हस दिए।

"तुमने अपने हस्बैंड को अच्छे से कंट्रोल किया है।" अहमद कार में बैठते हुए बोला।

"चुप करो भाई यह ना बस आपके सामने दिखावा कर रहे है।" ज़ैनब ने मुंह बनाते हुए कहा।

अहमद ने घूर कर ज़ैन को देखा।

ज़ैन कार स्टार्ट करते हुए बोला:"क्या यार तू ऐसे क्यों देख रहा है, मैं ने उसे कुछ भी नही कहा है।"

"क्या!!!!!!" ज़ैनब हैरान हो कर बोली।

"अब इतना बड़ा मुंह क्यों खोल रही हो मक्खी चली जाएगी।" ज़ैन शरारती अंदाज़ में बोला।

"भाई देखो कितना झूठ बोलते है रात को ही मुझे डरपोक कहा है।" ज़ैनब मासूम सी शक्ल बना कर बोली।

"बहेना यह तो खुद ही डरपोक है तुम इसकी बात को इग्नोर कर दिया करो।" अहमद ने मुस्कुराते हुए ज़ैनब से कहा।

"बेटा तेरी ही वजह से यह मेरी एक बात भी नही सुनती है।" ज़ैन ने अहमद को घूरते हुए कहा।

"तू जब मेरी बात सुनने लगे तब मैं अपनी बहेना को बोल दूंगा की ज़ैनब साहब की बात माना करो।" अहमद ने दांत दिखाते हुए कहा।

ज़ैन ने कर रोकी और ज़ैनब उतर गई और अहमद की साइड आ कर बोली:"भाई अपना ख्याल रखना।"

"ओके।" अहमद ने मुस्कुरा कर कहा।

"मैं भी हु यार।" ज़ैन ने मुंह बनाते हुए कहा।

"आप कौन है?"ज़ैनब ने अनजान बनते हुए कहा।

इससे पहले की ज़ैन कुछ कहता एक लड़की भागते हुए ज़ैनब के पास आयी:"ज़ैनब इमरजेंसी केस है तुम्हें डॉक्टर को असिस्ट करना है।"

"ओके बाये।" ज़ैनब ने परेशान होकर उन दोनों से कहा और भागते हुए अंदर चली गयी।

उसके जाने के बाद वोह दोनो आफिस के लिए निकल गए।

पार्किंग में पहोंच कर वोह दोनो कार से नीचे उतर गए।
तभी ज़ैन का फ़ोन वाइब्रेट होने लगा।

ज़ैन फ़ोन उठा कर बात करने लगा। तभी अहमद की नज़र उसके सीने पर आए रेड डॉट पर गयी। उसने जल्दी से उसे धक्का दिया और तभी दो गोली चलने की आवाज़ आयी। ज़ैन जब तक कुछ समझ पाता अहमद नीचे ज़मीन पर गिर गया था। ज़ैन ने सामने देखा जहाँ वोह आदमी फिर से गोली चलाने वाला था। ज़ैन ने अपनी गन निकली इससे पहले की वोह आदमी गोली चलाता ज़ैन ने उसे गोली मार दी।

"अहमद......अहमद मेरी जान उठना।"

अहमद खून से लेथ पथ हो गया था। ज़ैन ने उसे कार की बैक सीट पर लिटाया और तेज़ी से कार ले कर हॉस्पिटल की तरफ चल पड़ा। हॉस्पिटल पहोंच कर उसने डॉक्टर्स को आवाज़ दी। डॉक्टर अहमद को एमरजेंसी में ले गए। ज़ैन के पूरे कपड़े अहमद के खून से लाल हो गए थे। ज़ैन आज बेबस खड़ा था उसने अपने चाचा चाची को फ़ोन किया और हॉस्पिटल आने के लिए कहा।

ज़ैनब डॉक्टर के साथ एमरजेंसी रूम में जा ही रही थी कि तभी उसकी नज़र ज़ैन पर पड़ी उसके कपड़े देख कर उसके हाथ पैर ठंडे हो गया। वोह डॉक्टर से एक्सक्यूज़ करते हुये भगति हुई ज़ैन के पास आयी।

"आप को क्या हुआ?" ज़ैनब घबरा कर बोली।

इससे पहले की ज़ैन कुछ जवाब दे पाता ज़ैन के चाचा चाची भागते हुए उसके पास आये।

ज़ैन उनके गले लग कर रोने लगा। थोड़ी देर बाद वोह अपने आंसू साफ करते हुए बोला:"चाची जान प्लीज आप अहमद से कहिये न उठा जाए वोह जनता है ना मुझे उसकी खामोशी बर्दाश्त नही होती है।" ज़ैन बिल्कुल छोटे बच्चो की तरफ उनसे अपनी बात कह रहा था।

"डॉक्टर ज़ैनब डॉक्टर आपको अंदर बुला रहे है।" ज़ैनब जो कब से बूत की तरह खड़ी ज़ैन को देख रही थी नर्स की आवाज़ पर फौरन इमरजेंसी रूम की तरफ भागी।

कहानी जारी है........
©"साबरीन"