Tere Ishq me Pagal - 17 books and stories free download online pdf in Hindi

तेरे इश्क़ में पागल - 17

अहमद को हॉस्पिटल में रहते हुए पांच दिन हो चुके थे। और उसने घर जाने के लिए शोर मचाया था। आखिरकार सब को उसकी ज़िद के आगे हार माननी पड़ी।

पर ज़ैन भी उसको घर वापस लाने की एक शर्त रखी थी। और शर्त यह थी कि अहमद उसके घर पर रहेगा। जिसके लिए अहमद बिकुल भी तैयार नही था। आखिरकार ज़ैन की धमकियों के आगे उसे घुटने टेकने ही पड़े।

इस वक़्त अहमद के रूम में अली और ज़ैन बैठे हुए थे।
और अहमद को इस बात की बेचैनी हो रही थी कि सानिया उसके साथ आई है या नही। उसने ज़ैन को इशारा किया। ज़ैन अपनी हंसी दबाते हुए बोला:"यार अली अकेला आया है या आंटी भी आई है।"

"नही यार सानिया साथ आई है उसे भाभी से मिलना था।" अली ने कहा।

"अच्छा एक मिनट मैं अभी आया।" ज़ैन ने कहा और बाहर चला गया।

......

"यार जैनी तुझे कुछ बताना था।" सानिया अपना हाथ मसलते हुए बोली।

"क्या बात है।" ज़ैनब ने उसका हाथ पकड़ कर पूछा।

"दरअसल.........." उसने अहमद की कही गयी सारी बाते ज़ैनब को बता दी।

"सच्ची सानी।" ज़ैनब को अभी भी यक़ीन नही आया था।
सानिया ने हाँ में अपना सिर हिलाया।

ज़ैनब ने खुशी से उसे लगाया।

यार सानी अहमद भाई बहोत अच्छे ह तू उन्हें इनकार मत करना ज़ैनब अहमद के बारे में सानिया को बता रही थी और बाहर खड़ा ज़ैन उसकी बातों को सुनकर मुस्कुरा रहा था।

"दूसरों को समझा रही और खुद........" ज़ैन ने खुद से कहा और दरवाज़ा नॉक करके अंदर चला गया।

"ज़ैनब वो अहमद को कुछ पूछना है।" ज़ैन ने कहा।

"सानिया तुम भी चलो।" ज़ैनब ने उठते हुए शरारत से सानिया से कहा।

उसकी बात सुनकर सानिया हड़बड़ा कर बोली:"हाँ चलो।"
सानिया जल्दी से बाहर चली गयी जब ज़ैनब मुस्कुराते हुए आगे बढ़ी ही थी कि ज़ैन ने उसका हाथ पकड़ कर खींच लिया और उसके कान में बोला:"मुझे भी अहमद और सानिया के बारे में पता है।"

उसकी बात सुनकर ज़ैनब ने नज़र उठा कर ज़ैन को देखा।

ज़ैन ने आंख मारी तो ज़ैनब ने नज़रे झुका ली।

"वैसे दुसरो को सलाह देती हो कभी फुरसत में मेरे पास आ कर मुझ से भी कुछ सीख लेने।" उसने मीनिंगफुल नज़रों से ज़ैनब को देखा और उसके गाल पर किस कर के कमरे से चला गया।

ज़ैनब ने खुद को कम्पोज़ किया और कमरे से निकल गयी।

.....

सानिया जब कमरे में गयी तो अहमद ने उसे मुस्कुरा कर देखा जब सानिया ने घबरा कर अली की तरफ देखा। अली नज़रे दूरी तरफ देख उसने चैन की सास ली।

"अली चाची जान बुला रही तू मेरे साथ चल।" ज़ैन ने अहमद को आंख मारते हुए अली से कहा।

अली ज़ैन के साथ चला गया।

"अहमद भाई वो मुझे शाह से कुछ काम है में थोड़ी देर में आती हु।" ज़ैनब ने मुस्कुराते हुए अहमद से कहा।

ज़ैनब के जाने के बाद सानिया भी जाने लगी।

"अरे यार तुम कहा जा रही हो, वोह जान बुझ कर हमें अकेले छोड़ गए है ताकि हम अकेले में बात कर सके।" अहमद ने उसे रोकते हुए कहा।

सानिया भी धीरे धीरे चलते हुए उसकी पास रखी कुर्सी पर बैठ गयी।

"तो क्या सोच है मेरे बारे में।" अहमद ने पूछा।

"जैनी ने बताया तुम बहोत अच्छे इंसान हो लेकिन क्या सच मे तुम मुझे पसंद करते हो।" सानिया ने हिचकिचा कर पूछा।

"नही में तुम्हे पसंद नही करता।"
उसकी बात सुनकर सानिया ने अपनी नज़रे उठा कर उसे देखा।
"अहमद आगे बोला बल्कि मैं तुम्हे मोहब्बत करता हु। पसन्द और मोहब्बत में फर्क होता है।" अहमद ने उसका हाथ पकड़ कर कहा।

सानिया कुछ कहने की वाली थी कि तभी दरवाज़े पे नॉक की आवाज़ पर उस ने अहमद से अपना हाथ छुड़ाया और बाहर चली गयी। उसके जाने के बाद ज़ैन अंदर आया।

"ओह बड़ी बातें हो रही थी।" ज़ैन ने मुस्कुराते हुए उसे छेड़ा।

"लानती इंसान थोड़ी देर बाद नही आ सकता था अभी तो बात बानी थी और तू ने लड़की का बाप बन कर इंट्री मार दी।" अहमद ने उसे घूरते हुए कहा।

उसकी बात सुनकर ज़ैन ज़ोर ज़ोर से हाने लगा।

"अच्छा बस कर।" अहमद ने चिढ़ कर कहा। तभी उसे दरवाज़े से अति ज़ैनब दिखी और उसके दिमाग मे एक आईडिया आया।

""वैसे मेरी भाभी प्लस बहेना की सुना।" अहमद ने पूछा।

ज़ैनब जो बोलने ही वाली थी उसकी बात सुनकर खामोश हो गयी।

"उसका क्या सुनाऊ यार वो तो मुझ से दूर भागती है।" ज़ैन अहमद के पास लेटते हुए बोला।

"कुछ नही हौसला रख समझ जाएगी।" अहमद अपनी हंसी कन्ट्रोल करते हुए बोला।

"सब समझती है तेरी भाभी प्लस बहेना बस उसे मुझे तड़पाने में मज़ा आता है।" ज़ैन ने कहा।

"तो तू ना तड़प।" अहमद ने मुस्कुराते हुए कहा।

"तू अपनी बकवास बन्द रख।" ज़ैन उसे घूरते हुए बोला।

"भाभी बहोत अच्छी है यार।" अहमद मुस्कुराते हुए बोला।

"अच्छी तो है पर चुड़ैल है वो भी खूबसूरत चुड़ैल।" ज़ैन ज़ैनब के बारे में सोचते हुए बोला।

अहमद अपनी हंसी कंट्रोल कर रहा था और ज़ैनब के गुस्से से लाल होते चेहरे को देख रहा था

ज़ैन कुछ बोलने वाला था कि तभी ज़ैनब बोली:"शाह चाचा जान आपको बुला रहे है।"

उसकी आवाज़ सुनकर ज़ैन पीछे पलट तो ज़ैनब की आंखो में आंसू थे और वोह गुस्से से ज़ैन को देख रही थी। ज़ैनब ने जोर से दरवाज़ा बन्द किया और वहां से चली गयी।

इधर दरवाज़ा धड़ाम से बंद हुआ उधर कमरे में अहमद की हंसी गूंजने लगी।

ज़ैन ने उसे खा जाने वाली नज़रों से देखा और चिढ़ कर बोला:"लानती इंसान बता नही सकता था कि ज़ैनब पीछे खड़ी है।"

"हाहाहा तेरे साथ बहोत अच्छा हुआ।" अहमद हँसते हुए बोला।

हँसने की वजह से उसका मुंह दर्द करने लगा था। वोह अपने गालो को रगड़ते हुए बोला:"यार ज़ैनु मुझे तो तेरी हालात देख कर बड़ा मज़ा आ रहा है।"

"अब तू देख मुझे कैसे मज़ा आता है मैं अभी अली को जा कर बताता हूं कि तू उसकी बहेना को अकेले में टच करता है।" ज़ैन ने उसे देख कर मुस्कुराते हुए कहा।

उसकी बात सुनकर अहमद की हसी पर बरेक लग गया और वोह हैरान हो कर बोला:"अबे साले मैं ने ऐसा कब किया।"

"मुझे पता है तूने ऐसा नही किया लेकिन अली को तो नही पता ना।" ज़ैन ने हस्ते हुए कहा।

"ज़ैन अगर तू ने ऐसी कोई बकवास की तो मैं तेरा नक्शा बिगड़ दूंगा।" अहमद गुस्से से घूरते हैए ज़ैन से बोला।

"नही अब तू हस ना मेरी जान को तूने नाराज़ कर दिया अब तू देख जो तेरे टाका फिट हुआ है ना मैं उसे कैसे कैंसिल करवाता हु।" ज़ैन ने आँखो में शरारत लिए हुए कहा।

"मेरे जिगर के टुकड़े ऐसा कुछ मत करना तेनु रब दा वास्ता।" अहमद ने मासूम सी सूरत बनाते हुए कहा।

"अच्छा ठीक है अब इमोशनल नही हो में कुछ भी नही कहूंगा।" ज़ैन नेउसकी मासूम सी शक्ल देख कर उसके गाल खींचते हुए कहा और वहां से चला गया।

ज़ैन जब नीचे आया तो ज़ैनब सानिया आए बात कर रही थी। ज़ैन को देख कर वोह उठ कर वहां से चली गयी। ज़ैन ने अपनी मुट्ठी भींची और जा कर अपने चाचा से बात करने लगा।

........

ज़ैन जब रात को कमरे में आया तो ज़ैन ने उसे एक नज़र देखा और आंखे बंद करके बेड पर लेट गयी।

ज़ैन उसके पास जा कर बैठ गया और उसके कान बोला:"जानू मुझ से नाराज़ हो।"

उसकी बात सुनकर ज़ैनब ने अपनी आंखें खोली और उसे धक्का दे कर उठ कर बैठ गयी।

ज़ैन ने उसे खींच कर अपने उपर गिर लिया और उसके बालों को कान के पीछे करते हुए बोला:"सॉरी"

"नही मैं तो चुड़ैल हु ना।" ज़ैनब ने चुड़ैल पर ज़ोर दे कर कहा।

"यार खूबसूरत चुड़ैल भी तो कहा था ना।" ज़ैन उसके गालों को खींचते हुए बोला।

"छोड़े मुझे।" ज़ैनब खुद को छुड़ाने की कोशिश कर रही थी लेकिन वोह पकड़ ज़ैन शाह की थी।

ज़ैन ने उसे नीचे किया और खुद उसके ऊपर आ गया और उसके हाथों को कस कर पकड़ लिया।

"छोड़ें मुझे, मुझे आप से कोई बात नही करनी है।" ज़ैनब अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश करते हुए बोली।

"सॉरी ना यार।" ज़ैन ने बेचारगी से कहा।

"मैं ने कहा छोड़ें मुझे।" ज़ैनब ने गुस्से से कहा।

ज़ैन ने उसके कोशिश को न काम करते हुए उसके होंठो पर अपने होंठ रख दिये।

थोड़ी देर बाद जब ज़ैन पीछे हटा तो ज़ैनब लंबी लंबी सांस ले रही थी।

"सॉरी ना यह सब अहमद का किया धरा है।" ज़ैन ने उसकी आँखों को चूमते हुए कहा।

"हाँ आप तो बच्चे थे न जो सब कहते चले गए। वैसे जो आपके दिल मे था वही बोले थे समझे।" ज़ैनब ने चिढ़ कर कहा।

"दिल मे तो बहोत कुछ है कहो तो करके दिखा दु।" ज़ैन ने कहा और एक बार फिर उसके होंठो पर किस करने लगा।

"छोड़े।" ज़ैनब उसे धक्का देते हुए बोली।

"एक शर्त पर छोडूंगा।" ज़ैन ने मुस्कुराते हुए कहा।

"क्या है।" ज़ैनब ने कहा।

"नाराज़ तो नही हो।" ज़ैन उसकी नाक को खींचते हुए बोला।

"नही, अब छोड़ें मुझे।" ज़ैनब ने चिढ़ कर कहा।

उसकी बात सुनकर ज़ैन ने मुस्कुराते हुए उसे छोड़ दिया और ज़ैनब ने ब्लैंकेट खींच कर ऊपर तक तान लिया।

कहानी जारी है.........
©"साबरीन"