Tadap Ishq ki - 15 books and stories free download online pdf in Hindi

तड़प इश्क की - 15

अब आगे..............

अधिराज उससे दूर होकर उसके चेहरे पर पड़ रही हल्की सफ़ेद रंग की रोशनी पड़ रही थी और एकांक्षी के चेहरे पर उस रोशनी के पड़ने से ऐसा लग रहा था मानो कोई गुलाबी सी पंखुडी पर चांद की रोशनी छा गई हो.....

अधिराज के गालों पर किस करने के कारण एकांक्षी के गोरे गालों पर लालिमा छा जाती है जिसे देखकर अधिराज मुस्कुराते हुए कहता है....." तुमने हमें हमसे ही छीन लिया वैदेही , , हम चाहकर भी तुम्हारे सामने अपने आप को रोक नहीं पाते , , पता नहीं कौन सा नशा हो तुम .... जिससे मन ही भरता ...." अधिराज एकांक्षी के बालों में हाथ फेरते हुए उसके माथे पर किस करके वहां से चला जाता हैं लेकिन इस बार उसका सफेद पंख वहीं बिस्तर पर गिर जाता है......

करीब रात के नौ बजे एकांक्षी अपने होश में जब आती है जब सावित्री जी उसके रुम के डोर को नाॅक करती हुई कहती हैं....." मिकू , , चल नीचे आ जा डिनर कर ले...." ऐसे ही दो तीन बार नाॅक करने से एकांक्षी हड़बड़ा के उठकर चारों तरफ देखती हुई खुद को देखकर फिर घड़ी की तरफ देखती हुई कहती हैं....." रात के नौ बज गए , , लेकिन जब मैं नहाने गई थी तो छः ही बज रहे थे...." एकांक्षी का ध्यान अपने ऊपर जाता है , जिसने सिर्फ टाॅवल लपेट रखी थी ...

तुरंत हड़बड़ा खड़ी होती है और अपने नाइटी को उठाकर पहनने लगती है तभी सावित्री जी की आवाज दोबारा आती है जिसे सुनकर एकांक्षी उनसे कहती हैं...." मम्मा बस पांच मिनट आ रही हूं...."

फिर अपने आप से बड़बड़ाती हुई कहती हैं......" ये क्या हो रहा है मेरे साथ , , मैं तो नहा रही थी फिर अचानक बेड पर कैसे आ गई...?...." एकांक्षी को बीती हुई घटना धुंधली दिखाई देने लगती है , जिससे उसके सिर में तेज दर्द शुरू हो जाता है , अपने सिर को दबाते हुए वहीं बेड पर बैठ जाती है .....

" ये सब हो क्या रहा है मेरे साथ...?... क्या था वो ..?.. मैं नहाते टाइम भी सपने देखने लगी हूं क्या.....?... एकांक्षी क्या हो रहा है ये सब तेरे साथ....."

एकांक्षी परेशान सी डिनर के लिए बेमन से नीचे आती है, , वहीं सावित्री जी बहुत देर से उसका वेट कर रही थी ,। उसके नीचे आते ही हाथ बांधते हुए कहती हैं...." तू क्या नहाते हुए ही सो गई थी मिकू , , इतनी देर लगा दी खाने के लिए....."

" मां , तक गई होंगी...मिंटू बैठ जा क्या सोच रही है..." एकांक्षी का साइड लेते हुए राघव ने कहा....

एकांक्षी हल्के से मुस्कुरा कर बैठ जाती है लेकिन अभी भी वो गुमसुम सी लग रही थी जिसे देखकर राघव उससे पूछता है...." मिकू क्या बात है..?..मै कल से देख रहा हूं तू बहुत परेशान सी लग रही है , कोई प्रोब्लम है तो मुझे बता , मैं उसे सोल्व करने में तेरी हेल्प करूंगा....."

" नहीं भाई मुझे कोई प्रोब्लम नहीं है , आप टेंशन मत लो..." एकांक्षी इतना कहकर खाना खाने लगती है लेकिन राघव की नजर उसी पर थी , जिसे देखकर सावित्री जी बोलती है....." बेटा तुझे पता है आज मिकू..." सावित्री जी ने इतना ही कहा था तभी एकांक्षी उनकी बात काटते हुए कहती हैं...." मां थोड़ा दही ला दो ..."

सावित्री जी अपनी बात अधूरी छोड़कर चली जाती हैं...

एकांक्षी राघव से पूछती है...." भाई पापा कल आएंगे न..."

" हां मिकू उनकी बिजनेस ट्रिप कल पूरी हो जाएगी...."

राघव अपना डिनर कंटिन्यू करते हुए कहता है..." मिकू तू सच में ठीक है न ...."

" हां भाई मैं सच में ठीक हूं...." सावित्री जी दही की कटोरी लाकर एकांक्षी को देते हुए कहती हैं...." बेटा आजकल इसकी तबीयत ठीक नहीं रहती...."

राघव हैरानी से देखते हुए पूछता है ....." क्या हुआ मां..?.."

सावित्री जी उसे आज की बात बताती है और एकांक्षी अपना मुंह फेरते हुए कहती हैं....." मां आप बिना बताए रह नहीं सकती न , बेवजह भाई को परेशान कर देती है..."

राघव उससे पूछता है...." मिकू , उस लड़के के बारे में कुछ पता है जो तुम्हें यहां चल छोड़कर गया है...."

" भाई मुझे नहीं पता , मां ने कहा तो मैं बेहोश थी इसलिए मैं उसका चेहरा नहीं देख पाई...."

" जो भी हो , मां इस संडे मिकू को चेकअप के लिए ले जाना... मैं नहीं चाहता इसे कोई प्रोब्लम बाहर हो...." राघव इतना कहकर वहां से अपने रूम में चला जाता है...

एकांक्षी सावित्री जी की तरफ देखकर कहती हैं....." मां क्या आपको याद है वो लड़का दिखने में कैसा था , मेरा मतलब है क्या उसने अपने चेहरे को मास्क से ढक रखा था...."

सावित्री जी टेबल पर से प्लेट उठाते हुए कहती हैं..." उसने कोई मास्क नहीं पहन रखा था , हां लेकिन वो एक काली सी चादर को पीछे बांधे हुए था...."

एकांक्षी हंसते हुए कहती हैं....." मम्मा.उसे cape कहते हैं , वो कोई चादर नहीं होती..."

" हां वही होगा..."

" मां मैं सोने जा रही हूं...." एकांक्षी अपने रूम में चली जाती हैं

रुम में आने के बाद एकांक्षी किरन को वीडियो काॅल करती है...

" हाय फूडी ..."

किरन चिढ़कर कहती हैं...." ओ मिस्टीरियस गर्ल , ...इतनी भी फूडी नहीं हूं मैं..."

" ओहके......कल की क्या प्लेनिंग है..."

" कल की प्लेनिंग तो बहुत खास है , तेरे लिए कुछ सर्प्राइज है...."

एकांक्षी एक्साइटेड होकर पूछती है..." क्या सर्प्राइज है....?..."

" वो तो कल ही पता चलेगा..."

" अच्छा ठीक है मत बता ..."

बातों बातों में एकांक्षी की नजर उस सफेद पंख पर जाती है , एकांक्षी उसे गौर से देखने लगी थी ,

किरन अचानक उसके साइड में देखने से उससे पूछती है..." एकांक्षी क्या हुआ..?...."

एकांक्षी उस पंख को उठाकर देखते हुए कहती हैं....." ये पंख मेरे बेड पर कैसे आया...?.."

किरन उसे देखकर पूछती है...." एकांक्षी इस पंख को इतने गौर से क्यूं देख रही है..."

" किरन तुझे मैं कुछ नहीं समझा सकती क्योंकि मैं भी उसे समझने की कोशिश कर रही हूं....चल हम अब कल काॅलेज में बात करते हैं..." इतना कहकर एकांक्षी बिना किरन की बात सुने काॅल कट कर देती है और उस पंख को गौर से देखते हुए सोचने लगती है...

" कहीं मेरे एहसास सच तो नहीं है.... आखिर ये पंख मेरे बेड पर आया कैसे...?..."




...............to be continued............

क्या एकांक्षी जान पाएगी पंख के पीछे की सच्चाई....?

जानने के लिए जुड़े रहिए