Khauf ki rate - 3 books and stories free download online pdf in Hindi खौफ की रातें - 3 (12) 2.9k 6.2k 1 3 ) चुड़ैलमेरे दोस्त का जन्मदिन था तो मैं सीधे कॉलेज से उसकेघर गया ,, मैंने घर से कुछ नए कपड़े जन्मदिन पर पहननेके लिए ले गए थे । पार्टी शाम को मनानी थी और क्योंकि यह जबरदस्तठंडी का मौसम था शाम होते ही कोहरा ऐसे पड़तामानों आपके सामने खड़ा व्यक्ति भी न दिखे ।इसीलिए मैंने उससे कहा कि शाम होते ही मैं निकलजाऊंगा घर के लिए मेरा घर भी वहां से 18 किलोमीटरदूर था । पर वह न माना और मैं भी सोचा चलो किसीतरह से तो घर पहुंच ही जाऊंगा ।रात के 9:30 बज चुके थे क्योंकि इस समय कोईबस मुझे मिलने नही वाला था इसीलिए मैंने अपने दोस्तकी मोटरसाइकिल लेकर निकल पड़ा घर के लिएसच कहूं तो इस वक्त हाइवे पर कोई गाड़ी नही थीकुछ ट्रक वाले पास ही गाड़ी साइड लगा रुक गए थेऔर इस घनघोर कोहरे में कोई न चलने वाला थामैं साइकिल की तरह गाड़ी लेकर जा रहा था धीरेधीरे आगे कुछ न दिख रहा था और इस रात के सन्नाटेने न जाने क्यों मुझे एक अलग ही डर का अनुभवअंदर चुभो रही थी ।फिर एक ट्रक पीछे से आने लगा उसे देख मेरी जानमें जान आई कि चलो उसके पीछे पीछे चला जाऊंगाकुछ दूर तक वह ट्रक मेरा रास्ता बनाता गया पर उसने भी एक ढाबे पे अपनी गाड़ी साइड कर ली ।मैंने सोचा रुक जाऊं पर मैं चलता रहा हाइवे के दोनोंतरफ केवल खुले खेतों के मैदान थे और मैं इस घनीकोहरे में अकेला चला जा रहा था तभी उसी कोहरे मेंएक सफेद साया मेरे आगे से हवा की तरह निकलीमैंने सोचा कि कोहरा है पर फिर भी मन में डर कासैलाब जबरदस्त उठा था लेकिन हिम्मत बांध कर आगे बढ़ता रहा फिर मुझे लगा एक सफेद धुंआ मेरे साथ साथही आगे बढ़ रही थी फिर वह साया मेरे गाड़ी के सामनेआ रुका मैंने तुरंत गाड़ी का ब्रेक मारा और पूछा' कौन है वहां ' आगे से एक भयानक हंसी आई औरवह बोली ' तू मेरा शिकार है , तेरी मौत हूँ मैं 'यह सुन मेरी घिग्गी बंध चुकी थी मैने तुरंत गाड़ी स्टार्टकरनी चाही पर वह स्टार्ट ही नही हो रही थी मेरे मनसे चौदह गाली निकल रही थी कि साले ने कौन सीबाइक दे दी । अब क्या करूँ मैंने चिल्लाते हुए कहा' तू कौन है बे यहां से चला जा कुत्ते ' और भी भद्दीगाली देने लगा मैं ।तभी मैंने देखा एक भयानक सा चेहरा लिए एकलम्बे वालों वाली साया मेरे सामने खड़ी है , और वोहंस रही है मैंने गाड़ी को वहीं छोड़ आगे की तरफ' बचाओ बचाओ ' चिल्लाते हुए भागा पर मुझे उसकीहँसने की आवाज अब भी सुनाई दे रही थी मैं जोर जोरसे हनुमान चालीसा पढ़ने लगा ।' जय हनुमान ज्ञान गुन सागर , भूत पिचास निकटनही आवे महावीर जब नाम सुनावे 'मैं भागे जा रहा था तभी आवाज आई ' तू मुझसे आजनही बच सकता ' यह सुन मैं रोने लगा और चिल्लायातुम मेरे पीछे क्यों पड़ी हो।मैंने मोबाइल का टोर्च जला रखा तभी मेरे सामने एकबोर्ड चमका कोहरे की वजह से कुछ नही दिखा फिरध्यान से देखा तो 'पीली नहर' मुझे पता था कि पीली नहरपर एक छोटा दुर्गा मंदिर है , मुझे आगे कुछ दिख तो नहीरहा था पर मैं पूरा जोर लगाकर आगे रोड पर ही भागातभी पीछे से उस साया ने मुझे घक्का दिया मैं सीधेमुँह के बल गिरा था न जाने कहाँ कहाँ लगा पर मैं जल्दीसे उठकर फिर भागा मेरे मुंह से खून टपक रहे थेऔर पीछे से वह भयानक हंसती आवाज अब भी आरही थी ।मैं मंदिर के पास पहुंच चुका था जल्दी से गिरते पड़तेमंदिर के चौखट पे पहुँचा और रोते हुए बोलने लगा' हे माँ बचा ले और वहीं आंख बंद कर हाँथ जोड़बैठ गया ।एक बार फिर वह भयानक हंसी सुनाई दी पर कुछदेर बाद वह आनी बंद हो गई ।मैंने सोचा पुलिस को फोन करूँ मोबाइल में देखा तोनेटवर्क एकदम गायब , वाह मेरे jio सिम जिसमें कामके वक्त नेटवर्क नही होना आम बात हो गया था ।मैं तो अब मंदिर छोड़ बाहर नही निकलने वाला थावहीं बैठ जय माता दी , जय माता दी की जापकरने लगा ,, गिरने की वजह से मेरा दांत टूट गयाथा और होठ भी छिल गए थे पर डर के आगे दर्दमालूम ही नही हो रहा था ।jio की मेहरबानी से दो पॉइंट नेटवर्क आ गया तुरंतमैंने पुलिस को फोन किया और मैं कहाँ हूँ यह उन्हेंबताया घर से भी फोन आ रहा था मैंने उठायातो मम्मी ने कहा - कोहरे वाली रात है कहाँ हो, अभीजन्मदिन पार्टी खत्म नही हुई ।अब मैं उनसे कैसे बताऊं कि यहां मेरे साथ क्या हुआपर मैंने उनसे कुछ नही बताया और इतना कहा कि बसपहुंचने ही वाला हूँ ।कुछ बीस मिनट बाद पुलिस की गाड़ी की आवाजआई मैंने उन्हें कहा कि बस गाड़ी लेकर थोड़ाफिसल गया और गाड़ी आगे ही गिरी हुई है जो चलनही रही ।पुलिस वालों ने मुझे घर पहुँचाया मां ने भी बिगड़तेहुए कहा इतने कोहरे में बाइक से आओगे तो यही होगाऔर पिता जी " और करो जन्मदिन पार्टी ।"मेरा एक दांत टूट कर निकल चुका था , घुटने छिलगए थे साथ में गाल भी ।पर मैं जिस मुसीबत में था वह याद कर मेरे रोंगटेआज भी खड़े हो जातें है बाद में मैंने वहां के लोगों सेपूछा तो उन्होंने बताया कि कुछ साल पहले एकऔरत ने गाड़ी के सामने आकर आत्महत्या करली थी तब से कई लोगों ने उस चुड़ैल को रात में रोडपर देखा है ।अब मैं उस छोटे दुर्गा मंदिर के आगे से निकलते हुएएक बार प्रणाम जरूर करता हूँ एक दिन मेरी जानयहीं पर बचीं थी ।[ एक काल्पनिक घटना ] ‹ Previous Chapterखौफ की रातें - 2 › Next Chapterखौफ की रातें - 4 Download Our App More Interesting Options Hindi Short Stories Hindi Spiritual Stories Hindi Fiction Stories Hindi Motivational Stories Hindi Classic Stories Hindi Children Stories Hindi Comedy stories Hindi Magazine Hindi Poems Hindi Travel stories Hindi Women Focused Hindi Drama Hindi Love Stories Hindi Detective stories Hindi Moral Stories Hindi Adventure Stories Hindi Human Science Hindi Philosophy Hindi Health Hindi Biography Hindi Cooking Recipe Hindi Letter Hindi Horror Stories Hindi Film Reviews Hindi Mythological Stories Hindi Book Reviews Hindi Thriller Hindi Science-Fiction Hindi Business Hindi Sports Hindi Animals Hindi Astrology Hindi Science Hindi Anything Rahul Haldhar Follow Novel by Rahul Haldhar in Hindi Horror Stories Total Episodes : 7 Share NEW REALESED Philosophy Chamatkari Man - 1 Captain Dharnidhar Fiction Stories My Blind Date Was My Boss - 5 jiaqing yang Fiction Stories PATH OF THE WARRIOR - PART 3 Kumar Venkat Women Focused Hair Siddhant Singh Adventure Stories Adhuri Sanyasin Captain Dharnidhar Fiction Stories New Start of Lovestory - Episode 51 Anjali Lingayat Horror Stories The Bloody Queen - 2 anita bashal Thriller One Good Deed - Chapter 5 Utopian Mirror Fiction Stories My Blind Date Was My Boss - 4 jiaqing yang Fiction Stories PATH OF THE WARRIOR - PART 2 Kumar Venkat