Tamacha - 10 books and stories free download online pdf in Hindi

तमाचा - 10 (यार)

"बेटा कैसा रहा तुम्हारा कॉलेज का पहला दिन?"
रेखा ने अपने बेटे राकेश को पूछा और उसे पानी का गिलास पकड़ाया। राकेश जो कुर्सी पर बैठा अपने नए-नए शूज़ की डोरी खोल रहा था। उसने शूज छोड़कर पहले गिलास लिया और पानी पीते-पीते बीच में बोला"अच्छा रहा मम्मी।" राकेश के उदासीन जवाब से रेखा समझ गयी कि अब यह स्कूल वाला राकेश नहीं रहा जो मम्मी को आश्चर्य जनक ढंग से अपनी बातें सुनाए। अब उसकी अपनी अलग दुनियां है और उस दुनियां में माता-पिता का स्थान कुछ नीचे हो जाता है साथ ही वह अपनी स्वच्छंदता में माता-पिता की दखल को भी व्यवधान मानता है। पर माँ का हृदय गंगा की तरह होता है जो अपने बेटे की कितनी भी अशुद्धियों को अपनाकर उसे अपनी ममता की धारा में पवित्र कर देती है।
"हाथ-मुँह धो ले बेटा , मैं चाय नाश्ता लाती हूँ।"
"जल्दी लाओ माँ ,मुझे दोस्तों के पास जाना है।"
राकेश जल्दी-जल्दी में अपना नाश्ता पूर्ण करता है और अपने दोस्तों से मिलने चला जाता है।

एक गार्डन में कुछ शीशम के पौधों के मध्य बने पत्थर के बेंच पर दो मित्र योगेश और अभिषेक बैठे है तभी राकेश चुपके से उनके पास पहुंचता है। योगेश को मस्ती में धक्का मारकर खुद वहां बैठ जाता है।
"तुम्हारा बॉस खड़ा है और तुम बैठे हो उसकी सीट पर ?"
"बॉस , अभी बताता हूँ ; बॉस कौन है?" योगेश वापस उसको धकेलने और पकड़ने का प्रयास करता है लेकिन राकेश उसके हाथ से बच जाता है। लेकिन अभिषेक उसको पकड़ लेता है।
"अच्छा बच्चु! मेरे साथ दगाबाजी।"
"तू कौनसी मेरी लैला है जो तेरा साथ दूँ।" अभिषेक उसको पकड़े हुए बोला तभी योगेश ने भी उसे पकड़ लिया और उसके पेट पर अंगुली करके उसके साथ मस्ती करने लगा।
"और सुना यार क्या हाल चाल है तेरे? आज कॉलेज में पहला दिन था ना किसी ने घायल तो नहीं कर दिया न?"
योगेश ने राकेश को बेंच पर बैठाते हुए बोला और खुद उसके सामने खड़ा होकर पूछने लगा।
"पूछ ही न यार क्या बताऊँ ? आज तो भाई की एंट्री ऐसी थी कि मैं क्या घायल होता ,मैंने ही बहुतों को घायल कर दिया। लाइन लग गयी मेरे लिए तो लड़कियों की।"
राकेश ने अपने हाथ पास बैठे अभिषेक की कंधे पर रखते हुए कहा।
" बस - बस रहने दे अपनी फालतू बातें । तू तो ए के फोर्टी सेवन से भी ज्यादा फेंकता है। सही - सही बता कैसा रहा पहला दिन।" अभिषेक ने राकेश को बीच में ही टोकते हुए कहा।
राकेश एक लंबी सांस भरकर " आज तो गजब हो गया भाई। पहले क्लास में एक लड़की दिव्या मेरे पास आकर बैठ गयी । वास्तव में वो बहुत दिव्य थी , उसकी वो बाल झटकाने की अदा और वो प्यारी सूरत अभी भी दिल भूल नहीं पा रहा है। पर फिर एक प्रोफेसर ने काम खराब कर दिया। साले ने सबके सामने मेरी बेइज्जती कर दी। "
"अच्छा ! तेरी इज्जत थी ही कब जो बेइज्जती हो जाये।" योगेश बीच में ही बोला।
"तू कमीने मार खायेगा मेरे हाथ से। पहले बात सुन ले पूरी मेरी।" राकेश योगेश पर हाथ उठाने के लिए हाथ आगे करता है पर योगेश पीछे हो जाता है।
"हाँ हाँ बोल तू पूरी बात ; तू चुप रह न यार।" अभिषेक योगेश को समझाते हुए बोलता है।
"तेरे को बड़ा रस आ रहा है। तू भी लगता है इसके रंग में रंग गया है।" योगेश फिर से अभिषेक को बोलता है।
"तू अब मेरे हाथ से भी मरेगा। सुनने दे ना एक बात को पहले पूरी।" अभिषेक फिर उसको समझाते हुए कहता है।

दोस्तों की टोली में अक्सर एक ऐसा दोस्त होता है जो किसी अन्य दोस्त की बात की पूरी होने से पहले बार-बार अपनी टांग बीच में घुसा देता है। योगेश वैसा ही था।
राकेश पुनः अपनी बात जारी रखते हुए कहता है" अरे सुनो तो सही । कहानी में असली ट्विस्ट तो तब आया जब मैं और मेरी स्कूल का क्लासमेट मनोज केंटीन में थे और मैं मनोज को दिव्या की सुंदरता की तारीफ कर रहा था और दिव्या मेरे पीछे ही बैठी थी । उसने सब सुन लिया और मुझे धमकी दी है कि हिम्मत है तो कल कॉलेज में आ के मिलना।"
"इसमें नया क्या है? ये तेरा आज का थोड़ी है। तू तो पहले भी ऐसा बहुत बार कर ही चुका है। लड़कियों के सामने हीरो बनने की तो तेरी पुरानी आदत है।" योगेश उसको ताना देने के भाव से कहता है।
राकेश फिर आश्चर्य का भाव मुख पर लाकर कहता है "भाई नया ये है कि वो दिव्या विधायक श्यामचरण की बेटी है।"
क्या? अभिषेक और योगेश दोनों एक साथ बोल पड़ते है।
" हाँ भाई।" राकेश अपनी बात को पुनः स्वीकृति देते हुए कहता है।
" यार तुझे पता भी है कुछ तूने क्या किया है? और कितना खतरनाक आदमी है श्यामचरण? वो तुम्हारा ठिकाना भी लगा देगा और किसी को खबर तक न होगी।" अभिषेक ने मन में भय की किरणों को प्रवेश कराते हुए बोला।
"हाँ यार! वो तो मैंने भी सुना है। और ऊपर से उसकी वो सिर्फ इकलौती बेटी ही है। उसके लिए तो कुछ भी कर सकते है।" योगेश ने अभिषेक की डर की किरणों का प्रसार फैलाते हुए कहा।
राकेश ने अपने चेहरे पर पड़ने वाली उन भय की किरणों के प्रभाव से कहा "हाँ यारो पर मेरी भी कुछ समझ में नहीं आ रहा । क्या करूँ? क्या होगा कल ? कुछ पता नहीं।"

क्रमशः