Sapne - 34 books and stories free download online pdf in Hindi

सपने - (भाग-34)

सपने......(भाग-34)

आस्था की तरफ से कोई जवाब नहीं आया तो आदित्य की हिम्मत नहीं हुई अपनी बात दोहराने की या उसका जवाब पूछने की.....!
आखिर कार घर पहुँच ही गए और सबने गाड़ी से उतर कर लंबी साँस ली.....ऊपर आ कर सब एक दूसरे से आँखो ही आँखो में इशारा कर एक एक करके अपने अपने रूम में चले गए......! सोफिया जब आस्था के कमरे में चली गयी तो वो भी जाने लगी। आदित्य सोफे पर बैठा हुआ था, शायद सब के जाने का इंतजार कर रहा था। "आस्था तुमने मेरी बात का कोई जवाब ही नहीं दिया? मैं इंतजार करूँगा जवाब का...! मैं बस इतना चाहता हूँ कि तुम पुराना आदित्य समझ कर कोई जवाब मत देना....गुडनाइट"!आस्था को रोक कर आदित्य ने अपनी बात बोली और अपने रूम में चला गया !!आस्था ने तो उसकी गुडनाइट का जवाब भी नहीं दिया और चुपचाप अपमे रूम में चली गयी, जहाँ सोफिया उसका इंतजार कर रही थी। कपड़े चेंज करके वो लेटी तो सोफिया से रहा नहीं गया, "क्या बात है आस्था तुमने आदित्य को कोई रिप्लाई क्यों नहीं किया"? "कुछ नहीं हुआ सोफिया मैंने आदित्य से एक्सपेक्ट नहीं किया था....... मेरे लिए प्यार कोई खेल नहीं है, मुझे सोचने के लिए वक्त चाहिए .... !आदित्य दोस्त अच्छा है ये तो हम सब जानते ही हैं, बस मुझे थोड़ा वक्त चाहिए अपना मन और आदित्य को समझने के लिए तो अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी"! आस्था की बात सोफिया को ठीक लगी। अगले दिन से सब वैसे तो नार्मल ही था पर कुछ तो ठीक नहीं था....आस्था जल्दी ही रिहर्सल के लिए निकल गयी और शाम को आ कर भी वो सीधा अपने कमरे में चली गयी और उसके बाद खाने के टाइम ही बाहर आयी। वो आदित्य को अभी फेस नहीं करना चाहती थी। ऐसा कुछ दिन लगातार चलता रहा। अच्छी बात ये थी कि आदित्य ने भी उससे कुछ पूछा नहीं......इधर श्रीकांत के आई बाबा सोफिया को शॉपिंग कराने और होटल वहैरह की बुकिंग के लिए आ गए। आदित्य उन लोगो के साथ बिजी हो गया। श्रीकांत ने उसे ही शॉपिंग करवाने और होटल बाबा के साथ जाने के लिए कहा तो उसने भी मना नहीं किया......! 3-4 दिन वो लोग काफी बिजी रहे.....सोफिया के लिए रिंग और कपडो़ की शॉपिंग हो गयी थी....होटल भी बुक हो गया.....एक ही होटल को 3 दिन के लिए बुक कर लिया गया और कुछ कमरे मेहमानों के लिए बुक कर दिए गए। श्रीकांत की शॉपिंग होनी बाकी थी, जिसे वो किसी भी संडे जाकर करने वाला था। सोफिया को श्रीकांत की आई ने हल्दी, मेहंदी और शादी तीनो के लिए अलग अलग ड्रैस ले दी पर उन्होंने चर्च में पहने जाने वाला गाउन नहीं ले कर दिया.....उनका मानना था कि शादी के कपड़ो के साथ सफेद रंग की ड्रेस को शुभ नहीं माना जाता और सोफिया सफेद रंग ही पहनना चाहती थी....... इसमें श्रीकांत भी चुप रहा और सोफिया बोली कि वो खुद ले लेगी.....उसके लिए ये भी कम बात नहीं थी कि श्रीकांत के पैरेंटस उनकी शादी के खिलाफ नहीं हैं। उधर सविता और विजय की शादी का भी मुहुर्त निकल गया था जो 15 दिन के बाद का ही था.....! आस्था को शाम को आ कर सब अपडेटस मिलते रहते थे। उसके नाटक की भी तैयारियाँ आखिरी स्टेज पर थी.......कुछ ही दिन बाकी थे तो वो पूरा पूरा दिन थियेटर में बिता रही थी......। आदित्य से वो सबके साथ बैठकर बात तो कर रही थी, पर उससे ज्यादा नहीं। सविता की आई और भाई को तो कुछ नहीं करना था तो सब तैयारी का जिम्मा श्रीकांत और आदित्य ने ले लिया था तो उनको ही सब करना था.......! एक दिन का टाइम निकाल कर सविता ताई के लिए शॉपिंग करने की रिक्वेस्ट की थी आस्था को आदित्य ने.....! आस्था ने 2 दिन रिहर्सल से छुट्टी ले कर सविता के लिए कुछ साडियाँ, मेकअप का सामान वगैरह ले आए। सविता को उसकी पसंद के कपड़े ही दिलवा दिए गए। विजय के लिए एक रिंग, उसके और उसकी फैमिली के लिए कपडे वगैरह भी खरीद लिए गए। सब दोस्त अपनी अपनी तरफ से जो हो सकता था वो हेल्प कर रहा था......। श्रीकांत की आई को जब पता चला तो उन्होंने सविता के लिए एक छोटा सा सेट जिसमें कान, हाथ और गले में पहनने का था। नवीन ने फ्रिज और टी वी और अल्मारी देने का सोच लिया था। राजशेखर ने कपड़े और विजय की रिंग के पैसे दे दिए। आस्था और सोफिया को उन्होंने इससे दूर रखा.....पर जब आस्था ने नचिकेत को बताया कि वो सब मिल कर सविता ताई की शादी करवा रहे हैं तो उसने भी आदित्य को बोल दिया कि मैं भी कुछ देना चाहता हूँ तो आदित्य बोला, "ठीक है तुम सविता ताई को स्कूटी ले कर दे दो"। नचिकेत बोला ठीक है.....हो जाएगा। सविता की आई ने अपने कुछ गहने सविता ताई के लिए रखे हुए थे तो कुल मिला कर सब ठीक से हो रहा था। विजय के परिवार के 15-20 लोगो ने बारात में आना था तो मंदिर के आस पास एक अच्छा सा रेस्ट्रोरेंट बुक करवा लिया था लंंच के लिए........। सब ने मिल कर बहुत अच्छे ढंग से शादी करवायी थी.....। सविता और विजय दोनो परिवार बहुत खुश हो गए थे सब इंतजाम देख कर.....। नचिकेत भी शामिल हुआ था शादी में.....आदित्य ने लंच का बिल पे किया। सविता ताई सीधा अपने ससुरैल गयी, वहाँ कुछ रीति रिवाज पूरे करके अगले दिन वापिस आ जाएगी.....।
सबने सविता को कहा," जब मन हो तब काम पर आ जाना तब तक हम सब काम संभाल लेंगे"! सविता बोली," कल से एक बाई घर की साफ सफाई,कपड़े धोने आएगी। खाना आप को बनाना पड़ेगा"! सविता की बात सुन कर सब को लगा कि वो उन सबके बारे में कितना सोचती है.....। सविता की आई और भाई को आदित्य ने रोक लिया था। "सविता और विजय यहीं आ कर मिल लेंगे", कहा तो वो लोग भी रूक गए। अगले दिन जब वो दोनो शाम को आए तो आदित्य ने उन्हे एक लिफाफा दिया, विजय के पूछने पर कि इसमें क्या है? तो आदित्य ने बताया, "उन दोनो के लिए एक छोटा सा घर लिया है, जिसमें वो लोग रहेंगे.....घर में सब सामान पहुँच गया है.....10-15 मिनट ही लगेंगे यहाँ तक आने जाने में.....अब तो स्कूटी भी है।सविता ताई तुम भी सीख लेना जल्दी ही", कह कर स्कूटी की चाबी भी दे दी........!सर "ये सब की क्या जरूरत थी, हम यहीं रह लेते एक रूम तो मिला हुआ है ही" विजय ने कहा तो आदित्य बोला...."सविता ताई हमारी बहन है तो हमारा भी कुछ फर्ज बनता है.....वैसे विजय अगर तुम चाहो तो किसी और जगह काम करने के लिए हम बात करते हैं, जिससे तुम्हारी सैलरी भी बढ जाएगी और जॉब भी गार्ड की जॉब से कम मेहनत की है"। "आदित्य सर मेहनत चाहे ज्यादा हो पर जॉब अच्छी है तो जरूर करूँगा"! "ठीक है मैॆ बात करके बताता हूँ......तुमने शादी के लिए 15 दिन की छुट्टी ली है न विजय.....लो तुम दोनो घूम आओ", कह कर एक लिफाफा और बढा दिया आदित्य ने सविता की तरफ! "अब ये क्या है आदित्य भैया, आप सबने वैसे ही बहुत किया है"! सविता की आई और भाई भी बहुत हैरान और खुश हो रहे थे।"ये तुम लोगो के लिए महाब्लेश्वर की टिकट हैं, 5 दिन का.....आने जाने के और रहने का सब इंतजाम कर दिया है राजशेखर ने....तो थोड़ा घूम फिर आओ फिर काम पर लगो"। सविता और विजय को घर की चाबियाँ वगैरह दे कर आदित्य ने उन्हें भेज दिया, रास्ता तो समझा ही दिया था......नवीन वहाँ पहले से ही मौजूद था....उनके गृहप्रवेश का इंतजाम जो कर रहा था.....पूरा घर सजाया गया था। आदित्य ने सविता के भाई को भी समझाया कि," बुरी आदत छोड़ कर माँ का ध्यान रखो.....अगर विजय यहाँ गार्ड की नौकरी छोड़ता है तो तुम लग जाना....तुम सब आस पास रहोगे तो ठीक रहेगा...सविता को भी तुम दोनो की चिंता नहीं होगी"। आदित्य की बात सुन कर वो पहले तो वो चुप रहा फिर बोला, ठीक है साहब आपको बताता हूँ इसने आदित्य को अपना नं दिया और आदित्य काभी नं ले लिया।
क्रमश: