Lara - 14 in Hindi Fiction Stories by रामानुज दरिया books and stories PDF | लारा - 14 - (एक प्रेम कहानी )

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लारा - 14 - (एक प्रेम कहानी )

( लारा भाग 14 )

राम जी बोले जान एक बार तो सोचो मेरे बारे में, कि मैं कैसे रहूँगा तुम्हारे बगैर, तो सोमा बिना कुछ सोचे समझे तुरंत बोल पड़ी कि, इससे पहले भी तो जी रहे थे ना मेरे बगैर, क्या मेरे मिलने से पहले जिंदा नहीं थे। मेरे साथ ही तो आपकी ज़िंदगी शुरू हुई नहीं है। राम बोले की जान चाहे जो कुछ भी हो मुझे कुछ नहीं पता, बस मैं इतना जानता हूं कि मै मर जाऊंगा तुम्हारे बिना। सोमा ने ऐसा जवाब दिया कि राम जी के पास बोलने के लिए कोई शब्द ही नहीं थे। सोमा बोली की कोई किसी के बिना नहीं मर जाता, ये सब किताबी बातें है, इतना कोई किसी से प्यार नही करता कि उसके लिए अपनी जान दे दे।
और आप भी मेरे बगैर नहीं मरेंगे। सब कुछ ठीक हो जायेगा, बस कुछ समय लगेगा उसके बाद आप सब कुछ भूल जायेंगे, बस आप कोशिश करके तो देखिये। और आप क्या करते हैं क्या नहीं मुझे उससे कोई मतलब नहीं, बस मुझे भूल जाइये। मै आपसे बात नहीं कर सकती। राम जी निशब्द हो गए थे, वो चुप चाप बस सोमा का बदला हुआ रूप देख रहे थे।
सोमा जो बातें राम जी से बोल रही थी उसे पता था, कि उसकी हर एक बात राम के दिल में जहर के समान असर करती जा रही है। राम जी के लिए ये सब बर्दास्त करना बहुत मुश्किल था।लेकिन सोमा को पता था कि राम जी बहुत हिम्मती है। वो खुद को संभाल लेंगे। लेकिन इतना कुछ बोलने के बाद सोमा के लिए खुद को सम्भालना बहुत मुश्किल था। वो हर एक शब्द पर सौ मौत मर रही थी। लेकिन राम के सामने वो एक पत्थर बनी बात कर रही थी।
और इससे पहले कि राम जी को इस सच का पता चले , इस बात की भनक भी लगे कि सोमा खुद भी बहुत ज्यादा तकलीफ में है। और वो ये सब किसी मजबूरी की वजह से ऐसी बात कर रही है। किसी मजबूरी में मुझसे रिश्ता तोड़ देना चाहती है। इस बात की भनक लगने से पहले ही सोमा ने फोन कट कर दिया। और मुंह में दुपट्टा भर लिया कि रोने की आवाज नीचे ना जाए । सोमा रोने लगी और यही सोचने लगी कि क्या मैं इतनी बदनसीब हूं , कि अपनी ही बसी बसाई दुनिया में आग लगा दी। मैं इतनी खराब किस्मत लेकर आई हूं, कि यहां किसी को सच्चा प्यार नसीब ही नहीं होता। और मुझे मेरा प्यार बार बार बुला रहा है, हर बार मुझे अपनी आगोश में ले रहा है। लेकिन मैं इतनी बदकिस्मत की अपने सच्चे प्यार को संभाल तक नहीं पा रही हूं। भगवान जी आपने मुझे ऐसी किस्मत क्यों दी? काश आप हमें मिलाये ही ना होते। अगर मुझे राम जी से मिलाना ही था तो पहले ही मिला दिए होते। आज ऐसी जगह पर लाकर हम दोनों को मिला दिये हैं। कि हम एक दूसरे को एक्सेप्ट तक नहीं कर सकते हैं। किसी ना किसी तरह से हम दोनों को अलग होना ही होगा । आज नहीं तो कल हम दोनों को जुदा होना ही होगा। क्या हमारी किस्मत में सिर्फ जुदाई ही लिखी है। यही सारी बातें सोच कर सोमा फूट-फूट कर रो रही थी । उसकी आंखें लाल हो गई थी, ऐसा लग रहा था कि जैसे उसकी आँखें सूज गयी हो। फिर किसी तरह से सोमा ने खुद को संभाला और सोचा कि अगर ऐसी हालत बनाए रहे, तो नीचे जाकर क्या जवाब देंगे। दुपट्टे से अपना मुंह साफ करके सोमा वापस नीचे चली गई । उधर राम जी का बुरा हाल था उन्हें कुछ समझ में ही नहीं आ रहा था, कि सोमा ऐसा कर क्यों रही है? आखिर हुआ क्या होगा। सोमा की बोली हुई हर बात राम जी को अंदर ही अंदर छलनी करती हुई जा रही थी। उसके कड़वाहट भरे शब्द के घूँट पीना राम जी के लिए जहर के समान था। यही सोचते रहे कि इतनी मासूम मेरी सोमा आज दुर्गा कैसे बन गयी।
लेकिन फिर राम जी सोचे कि अजीब तरह की पागल लडकी है, कभी रिश्ता खुद जोड़ने की बात करती हैं तो कभी खुद ही तोड़ देती है। कभी साथ जीने मरने के वादे करती है, तो कभी मुझे मरने के लिए अकेला छोड़ देती है। मैं किस हाल में हूं कैसा हूँ,कैसे रहूँगा उसे कोई फर्क ही नहीं पड़ता।पता नहीं क्या चल रहा है उसके दिमाग में शायद मैं अब उसे नहीं समझ पाऊंगा। कोई और कितना प्यार कर सकता है किसी से।
क्या कुछ नहीं मान लिया मैंने उसे। लोग कहते हैं कि सच्ची मोहब्बत कभी छोड़ कर नहीं जाती, फिर मेरी मोहब्बत मुझे ही क्यों बार बार छोड़ कर चली जाती है, एक बार भी मुझे पलट कर नहीं देखती कि मैं किस हाल में हूं।
कभी कहती है कि आप मुस्कुराते हुए बहुत अच्छे लगते हैं, हँसते रहा कीजिए और फिर खुद ही मेरी उदासी की वजह बन जाती है। कभी हँसती आँखों में आँसू दे जाती है तो कभी नम आँखों में खुशियों की सौगात दे जाती है। शायद इस लड़की को समझना अब मुश्किल नहीं नामुमकिन है।
राम जी ने सोचा कि अब सोमा को भूल जाने में ही भलाई है।
राम जी हर पल सोमा को भूलने की कोशिश करते रहे, अपने दिल को समझाने की कोशिश की, कि अब तो मान जा मेरे दिल अब नहीं रही वो मेरी जिंदगी में। उसने तोड़ दिए सारे रिश्ते नाते अब फिर कभी लौट कर नहीं आएगी, उसने साफ मना कर दिया बात करने से ।
बोलती है मुझे प्यार नहीं था आपसे, मजाक किया था मैंने आपके साथ । और आपने उसे सच्चा प्यार समझ लिया। राम जी अपने दिल को समझाए कि याद करना छोड़ दे ऐ मेरे दिल। अब उसके दिल में तेरे लिए कोई जगह नहीं है, राम जी ने बहुत कोशिश की सोमा को अपने दिल से निकाल देने की, लेकिन उनकी हर कोशिश नाकामयाब रही क्योंकि जो इंसान जिंदगी बन चुका हो उसे भूलना आसान नहीं होता, मौत से बदतर जिंदगी हो जाती है उस इंसान की।
वो टूटा हुआ इंसान एक पल में हजारों मौतें मरता है, लेकिन फिर भी राम जी को यकीन था कि वह एक ना एक दिन सोमा को जरूर भूल जाएंगे।
क्योंकि राम जी सिर्फ सोमा को लेकर तो नहीं बैठ सकते थे ना, क्योंकि राम जी के पीछे उनकी फैमिली भी थी जो सिर्फ रामजी के सहारे थी। इसीलिए राम जी को कैसे भी करके हर हाल में इस नामुमकिन को मुमकिन करके दिखाना ही था, और जिंदगी जीना ही था।
राम जी तो मर भी नहीं सकते थे, कि सोमा को मर कर भी दिखा देते कि सच्चे प्यार में इंसान मर भी सकता है, लेकिन उनकी मासूम फैमिली का क्या कसूर था, किस गुनाह कि सज़ा उनको दी जाती।
जिसे कुछ मालूम ही नहीं कि हुआ क्या है।

(आगे की कहानी भाग 15 )