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लारा - 16 - (एक प्रेम कहानी )

(लारा भाग 16)

भाग 15 में आपको बताया गया था कि किस तरह से आज राम जी के दिल का दर्द उनकी जुबान पर आ ही गया आगे की कहानी अब भाग 16 मे

राम जी के दोस्त ने सारी बात सुनने के बाद राम को बहुत समझाने की कोशिश की।
बोले की राम भूल जाओ उसे वह तुझे कभी नहीं मलेगी, आजकल की लड़कियां धोखेबाज होती हैं मन भर जाएगा तो छोड़ देंगी पलट कर के देखेंगी भी नहीं, हर लड़की अब यही करती है, प्यार करके छोड़ देना, कपड़ो की तरह बॉयफ्रेंड बदलना लड़कियों का फैशन बन गया है। और वो भी तेरे साथ यही कर रही है। लेकिन राम किसी भी बात पर राजी नहीं थे।क्योंकि उनका दिल गवाही दे रहा था कि सोमा उन लड़कियों मे से नहीं है।
अब तो उन्हें हर जगह बस सोमा ही दिखाई देती थी। हमेशा हर वक्त सिर्फ और सिर्फ उसका ही ख्याल रहता था। धीरे-धीरे उनकी तबीयत खराब रहने लगी लेकिन वो सोमा को नहीं भूल पा रहे थे।
उधर सोमा राम जी को भूलने की पूरी कोशिश में लगी थी सोमा चाहती थी कि कुछ भी करें, कैसे भी करके वो रामजी को हमेशा हमेशा के लिए भूल जाए। और ऐसा करने के लिए वह खुद को बहुत बिजी रखने लगी। वो फेसबुक पर जब भी ऑनलाइन आती तो किसी न किसी से बात करने की कोशिश करती कि कैसे भी करके रामजी की यादों से वह खुद को दूर रख सके,
सोमा फेसबुक तो बहुत दिनों से चला रही थी और उसकी फेसबुक फ्रेंड लिस्ट में बहुत बहुत सारे फ्रेंड भी थे लेकिन कभी किसी से बात नहीं होती थी। क्योंकि राम को बिल्कुल भी पसंद नहीं था की सोमा किसी को कमेंट करे और बातों का सिलसिला शुरू हो जाए। लेकिन अब सोमा वो सब कुछ करने लगी थी जो राम जी को बिल्कुल भी पसंद नहीं था। किसी को कमेंट करना,किसी के पास मैसेज करना,और खास तौर पर ये तो बिल्कुल भी मंजूर नही था कि सोमा अपनी फोटो स्टोरी पर लगा दे। मजाल था कि कोई सोमा की खूबसूरती को नजर भर के देख ले। एक बार सोमा पार्क में बैठ कर फेस अपने खुले बालों में छिपाकर फोटो खिचाई जिसमें उसका फेस या उसके जिस्म का कोई भी पार्ट नहीं दिख रहा था सिर्फ उसके खुले बाल और पैर के तलबे ही दिख रहे थे। और उस फोटो को सोमा ने फेसबुक पर ये लिख कर पोस्ट कर दीया कि ''माना सादगी का दौर नहीं पर सादगी से अच्छा कुछ और नहीं '' नोटिफिकेशन मिलते ही राम जी ने भी पोस्ट देखा फिर क्या था, सोमा के पास फोन कर के इतना सुना दिये कि सोमा रोने लगी और उसने तुरंत अपनी पोस्ट डिलीट कर दिया,फिर भी दोनों की लड़ाई 2 दिन तक चलती रही। राम तो सीधे मुंह सोमा से बात भी नहीं करते थे। एक बार में सोमा सौ बार माफी मांगती थी और यही बोलती कि राम जी प्लीज मुझे माफ कर दीजिए अगली बार ऐसी गलती कभी नहीं होगी। ना ही मैं कभी भी अपनी फोटो पोस्ट करूंगी और ना ही कभी स्टोरी पर लगाऊंगी, पहली और आखरी गलती समझ कर माफ कर दीजिए। राम जी गुस्से में बोले की नहीं अगर तुम्हारी सुंदरता बर्दास्त नहीँ हो रही है तुमसे तो तुम बेसक अपनी फोटो डाल सकती हो, लेकिन उससे पहले मुझे अनफ्रेंड कर देना कि मै ना देखूँ कि तुम ऐसा कुछ कर रही हो। राम जी की ये बात सोमा को बहुत बुरी लगी बहुत तकलीफ हुई उसे कि आज मेरी वजह से राम जी ऐसे बोल रहे है। और सोमा रोने लगी, राम से सोमा के आँसू नहीं देखे जा रहे थे। कभी भी राम सोमा को रोता हुआ नहीं देख सकता था। राम सोमा के आँसू देख कर खुद को कंट्रोल कर के बोले की अच्छा चलो कोई बात नहीं लेकिन आगे से इतना ध्यान रखना कि ऐसी गलती फिर दोबारा कभी नहीं होनी चाहिये। क्युकी मुझे बिल्कुल भी पसंद नहीं है कि तुम्हें कोई और भी देखे।
ये सारी बातें सोमा को अच्छे से याद थी लेकिन फिर भी सोमा अब हर किसी की स्टोरी पर लाईक और कमेंट करने लगी।
उसकी फ्रेंड लिस्ट में एक राज नाम का लड़का था। जो मुंबई का रहने वाला था लेकिन इतने दिनों से आज तक कभी भी दोनों की बात नहीं हुई। ना कभी राज ने मैसेज किया और ना ही कभी सोमा ने उसके पास मैसेज किया था। 17 अक्टूबर 2020 को नवरात्र स्टार्ट हुआ था। उस दिन फेसबुक पर राज ने अपनी माँ की स्टोरी लगा रखी थी। और लिखा था कि मेरे लिए मेरी माँ से बढ़कर कुछ भी नही है। लोग देवी की पूजा करने मंदिर जाते हैं पर माँ से बड़ी देवी कोई नहीं होती है।
सुबह के टाइम सोमा चाय की चुस्कियों के साथ व्हाट्सएप और फेसबुक पर हर किसी की स्टोरी देख रही थी। जब सोमा ने राज की स्टोरी देखी तो उसे राज की लिखी हुई लाइन बहुत अच्छी लगी, और उसने जय माता दी कमेंट कर दिया। अपनी स्टोरी पर कमेंट आने पर रिप्लाई देना तो बनता ही है, राज ने भी जय माता दी रिप्लाई दिया। और फिर उसके बाद दोनों अॉनलाइन रहे और दोनों को सामने वाले के अगले मैसेज का इंतज़ार था। जब राज ने देखा की अब उधर से कोई मैसेज नहीं आयेगा तो राज ने खुद ही मैसेज किया, राज ने पूछा आप कहाँ से हो? ऐसे ही कौन, कहाँ से, क्या करते है यही जान पहचान को लेकर थोड़ी देर तक बात हुई उसके बाद सोमा बोली की हम बाद में बात करते हैं कुछ काम है कर ले।
उन दिनों सोमा को बहुत काम रहता था, क्योंकि सोमा का घर बन रहा था। अपनी फैमिली और मजदूर को मिला कर सोमा को 15 लोगों का खाना और दोनों टाइम का नास्ता बनाने की जिम्मेदारी सोमा पर ही थी। क्योंकि सोमा अपने घर की बड़ी थी। और उसकी तीनों बहने स्कूल जाती थी, 2 पढ़ती थी एक पढ़ाती थी। इसलिए घर का काम सिर्फ सोमा को ही करना रहता था।
(लारा भाग 17 की कहानी जानने के लिए बने रहे हमारे साथ)