Consequences of an illicit relationship - part 4 books and stories free download online pdf in Hindi

नाजायज रिश्ते का अंजाम--पार्ट 4

समय बीतने पर राजेन्द्र माया के साथ छेड़छाड़ भी करने लगा कभी वह माया के नितम्बो को सहला देता।कभी उसके गुलाबी होठो को चूम लेता।कभी माया को बांहों में लेकर गोद मे उठा लेता।माया ने राजेन्द्र की हरकतों का विरोध नही किया
एक दिन माया के दोनों बच्चे स्कूल की तरफ से पिकनिक पर गए थे।पति सुबह का गया रात को ही लौटता था।उस दिन राजेन्द्र की कम्पनी की भी छुट्टी थी।वह माया से बोला,"पिक्चर देखने चलते है।"
"क्या करेंगे?"माया बोली,"घर मे ही बातें करेंगे।'
"बहुत दिन हो गए कोई मूवी नही देखी।"राजेन्द्र के जोर देने पर वह उसके साथ जाने के लिए तैयार हो गयी।"
"कौनसी चलोगे?"
"ऐतराज"
और माया और राजेंद्र दोपहर का शो देखने के लिए चले गए। पिक्चर काफी रोमांटिक और सेक्सी भी थी।फ़िल्म के ऐसे दृश्यों को देखकर राजेन्द्र ने माया के उभारोP पर हाथ फेरे थे।जब वे तीन घण्टे बाद हाल से बाहर आये तो हल्की हल्की बारिश हो रही थी।उन्हें भीगते हुए घर आना पड़ा था।घर लौटने पर राजेन्द्र अपने कमरे में कपड़े चेंज करने के लिए चला गया था और माया अपने बेडरूम में।
राजेन्द्र कपड़े बदल कर आ गया था लेकिन माया अभी तक अपने बेडरूम से नही निकली थी।क्या कर रही है अभी तक?राजेन्द्र,माया को देखने के लिए उसके बेडरूम में चला गया।
बेडरूम का दृश्य देखकर वह रोमांचित हो गया।माया निर्वस्त्र कमरे में खड़ी तोलिये से बदन पोंछ रही थी।पहली बार वह किसी औरत को प्रकृतिक अवस्था मे देख रहा था।राजेन्द्र युवा था।नग्न औरत को देखते ही उसकी रगों में दौड़ रहा खून गर्म हो गया।वह अपने आप पर काबू नही रख सका।उसने माया को बांहों में भरकर चुम लिया।फिर उसे गोद मे उठाकर बेड पर ले आया।
"यह क्या कर रहे हो?"
राजेन्द्र ने जवाब नहीं दिया।
"छोड़ो मुझे।"
"ऐसे ही नही छोड़ दूंगा।"
"तो?"
"बस देखती रहो।'
माया रोज रात को समर्पण करती थी।पति को अपनी देह।शादी के बाद पहली बार पराये मर्द के आगे समर्पित हुई थी।दोनो समर्पण में उसे अंतर नजर आया था।
पति उससे ऐसे प्यार करता था जैसे खानापूर्ति कर रहा हो या दिनचर्या के अंत के लिए ऐसा करना जरूरी हो।उसके प्यार में जोश या उन्माद नही होता था।पति के शारीरिक सम्पर्क करने के बाद वह लिजलिजापण महसूस करती।परन्तु राजेन्द्र से पहली बार शारीरिक सम्पर्क स्थापित होने पर उसे नए अनुभव नए एहसास का अनुभव महसूस हुआ था।वह भूल गई कि वह विवाहित है और दो बच्चों की माँ है।राजेन्द्र के प्यार में वह द्रोपदी बन गयी।रात को पति की प्यास बुझती और दिन में राजेंद्र की।
सुधीर घर मे रहता तो वह उसके प्रति वफादार बनी रहती।पति के घर मे न रहने पर वह राजेन्द्र की हो जाती।इस तरह वह दोहरी जिंदगी जीने लगी।एक ही घर मे वह पति और प्रेमी से नाटक करने लगी।कब तक।एक ने एक दिन तो नाटक से पर्दा उठना ही था।
एक दिन सुधीर रोज की तरह घर से निकला था।उसके रेस्तरां के इलाके में दो गुटों में झगड़ा हो गया।झगड़े ने उग्र रूप ले लिया।शांति कायम कराने के लिए पुलिस ने बाजार बंद कराकर धारा 144 लगा दी।सुधीर वापस घर लौट आया।
माया को मालूम था।पति सुबह जाता है तो फिर रात को ही घर लौटकर आता है।बेल बजने पर माया दरवाजा खोलने के लिए गयी।इस समय किसी के आने का डर नही था।इसलिए माया ,राजेन्द्र के साथ वासना का खेल खेल रही थी