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Confession - 9

9

 

विशाल  हिम्मत  करके  फ़िर  से   खिड़की  की तरफ़  गया । उसके  होश उड़  चुके  हैं । उसने  बाहर  देखा  तो कोई  नहीं  है। कहीं  मैंने  ज़्यादा  तो नहीं  पी  ली  है । उसने  हॉल  की लाइट  बंद  की और  अपने  बैडरूम  के अंदर  चला  गया । टाइम  देखा तो रात  के ग्यारह  बज  चुके  हैं । वह  एकदम  से बिस्तर  पर गिर गया  और थोड़ी  देर  में  उसे  नींद  आ  गई । कुछ आवाज़ आने  पर उसकी नींद  खुल  गई  उसने  बैडरूम  की लाइट  जलाई । फिर  घड़ी की  तरफ़   देखा  तो दो  बज  रहे  है। यह  हॉल  से  कैसी  आवाजें  आ रही  हैं। वह  फ़िर  हिचक  सा गया। उसने  बैडरूम  का दरवाज़ा  खोला  तो  देखा  टीवी  चल रहा  है और कोई   टीवी   देख  रहा  है । पीछे  से देखने  पर उसे कोई  लड़की  लगी । खुले  बालों  में  लगातार  अपने हाथ  मार  रही है । उसे  अनन्या  का ख्याल  आया। इसका  मतलब  बाहर  सचमुच  अनन्या  थीं । अब  उसकी  जान  निकल  गई । उसका  मन किया  कि  वहाँ  से भाग  जाए।  वह बाहर  के दरवाज़े  की ओर  लपका।  मगर  एकदम  से  गिर  गया । "कहाँ  भाग  रहा है ? " मुँह  उठाकर देखा  तो ज़ोर  से बोला , " रिया  तू " यहाँ? वह  उठ खड़ा  हुआ। तू  यहाँ  क्या कर रही  है  ? वो भी  इतनी रात  को  ? और  तुझे  कैसे  पता  चला  कि  मैं  यहाँ  हूँ ? वह  बोले  जा रहा है । "सांस  तो ले  ले । मैं  तुझसे  उस  दिन पार्टी  में  जो कुछ  हुआ  उसको  लेकर  माफ़ी  माँगने  आई  हूँ ।" रिया  ने  बड़ी रोती  हुई  आवाज़  में  कहा । मुझसे  क्यों  माफ़ी  मांग रही है  । शुभु  से माफ़ी  मांग न और  हम  वापिस  आकर  बात  कर सकते  थें। विशाल  की  आवाज़  तीखी हो  गई। 

 "मैं  क्या करती यार! शुभु  और  अतुल मुझसे  बात नहीं  कर रहे  हैं ।  मैं  इतनी परेशां  थी  कि  समझ  नहीं आ  रहा  था  कि किससे  बात  करो। मुझे  लगा तू  समझेगा  इसलिए  यहाँ  चली  आई ।" "तू  अंदर  कैसे  आई? "दरवाज़े  से " रिया  ने दरवाज़े  की ओर  इशारा  किया  और  विशाल  देखकर  हैरान  रह गया कि  दरवाज़ा  पूरा खुला   हुआ  है । मैंने  तो दरवाज़े  खिड़की  बंद  किये  थें । वह  सोचने लग गया । खैर, अब तू   आ गई  है  तो  उस  कमरे   में  आराम  कर । कल  सुबह  बात करते  हैं। कहकर  विशाल  ने फ़िर  अच्छे  से  दरवाज़ा बंद  किया और  टीवी  बंद  करते  हुए  बोला, आई  थी  तो मुझे  जगा  देती । टीवी  की आवाज़  सुनकर  मैं डर  ही गया  था ।  क्यों  तुझे  लगा  कि  अनन्या  आई  है । रिया के मुँह  से अनन्या का नाम  सुनकर  वह  चौंक  गया। "मुझे  क्यों  लगेगा । अब  अगर  ऐसे  आएगी  तो कोई  भी डर  जायेगा । जा, सो जा । कहकर  वह  अपने  कमरे  में  गया। अतुल  से बात  करो  क्या ? "सुबह  बात करता  हूँ । वैसे  कह रही है  कि  अतुल  मुझसे  बात  नहीं कर  रहा। फिर  यहाँ  का पता इसे  किसने  बताया । शायद  घरवालों  ने बताया हों । मेरी सारी  उतर  चुकी  हैं ।" तभी  उसके  बेडरूम  का दरवाज़ा  खटका । यार ! रिया  सो जा । विशाल  ने अंदर  से ज़वाब  दिया । एक  बार खोल  तो सही  । मुझे  डर  सा  लग रहा  है । डर  लग  रहा  है  तो  टीवी  देख ले या मोबाइल देखकर  टाइमपास कर लें।  वैसे  मैंने  नहीं कहा  था, यहाँ  आने  के लिए।  पर   मेरी  नींद मत  ख़राब  कर । विशाल ने अंदर  से ही ज़वाब  दिया। वह  अब खीज  रहा  है। 

तभी  उसने  दरवाज़ा  इतनी  ज़ोर  से पीटा कि  वह  खड़ा  हो गया। तोड़ेगी  क्या ? उसने दरवाज़ा  खोल  दिया । वह  रिया  को देख  हैरान  रह गया । टूपीस में   रिया  को देखकर  वह ठिठक  गया । हलकी  सी  पारदर्शी  जैकेट और  उसके  नीचे  सिर्फ़  टूपीस । वह  पीछे  खिसक  गया । रिया  अपने  कमरे  में  जा । मैं  यही  सो जाती  हूँ । नहीं  यार, यहाँ  मत  सो  दो-तीन  घंटे  में  सुबह  हो जायेगी । उसका  गला  सूख  रहा  है । तू  पीछे  क्यों  हट  रहा है । रिया  उसकी  तरफ  बढ़ती  जा रही है  । उसकी  समझ  में  नहीं  आ  रहा  कि  यह  ऐसे  क्यों कर  रही  है । रिया  हम दोस्त  है । जा  यार ! अपने  कमरे  में  जा  । रिया  उसके बहुत  करीब  आ गई । उसने  उसकी  आँखें  देखी  तो  गहरी  नीली । रिया  की आँखों  का रंग  तो काला  है  या  शायद  लेंस  पहन  रखे  हैं । उसने  उसे  पीछे  धकेला  और  किचन  में  पानी  पीने  चला  गया । 

यह  लड़की  आज मेरी  इज़्ज़त ही लूट लेती  और तो  और इसे  हो क्या  गया  है। कहीं  सागर  का प्यार मुझ  पर  तो शिफ्ट  नहीं हो  गया । काफ़ी  देर  तक विशाल  ऐसे  ही किचन  में  खड़ा  रहा।  फिर   वह  सीधा  अपने  कमरे  में  गया  और अंदर  से लॉक  कर लिया।    पाँच  बज  चुके  है ।  वह  सो गया और मज़दूरों  की  खटखट ने उसकी  नींद  खोल  दी ।  घड़ी  देखी  तो  सुबह  के दस  बज रहे है।  फ्रेश  होकर वह  किचन  में  गया  और उसने  आवाज़  लगाई, " रिया!रिया! नाश्ता बन  रहा  है, अब उठ  जा" । पता  नहीं,  कब सोई  होगी ।  नाश्ता  कराकर  इसे  चलता  करता  हूँ।  यहाँ  ज्यादा  रही  तो मैं  कब तक खुद  पर  काबू  कर पाऊँगा ।  उसने टोस्ट  खाते   हुए  फ़िर  रिया  को आवाज़  लगाई।  बार-बार बुलाने  पर जब वो नहीं  आई  तो  उसके  कमरे  में  जाकर  देखा तो वहाँ  कोई नहीं  था ।  लगता  है, चली  गई ।  चलो, जान  छूटी । वह वॉक  करने  के लिए  बाहर  निकल  गया ।  साफ़  मौसम हल्की-हलकी  ठण्ड।  शहर  से दूर  यह  जगह  कितना सकून  दे रही  है । मगर  यहाँ इस  तन्हाई   बाँटने के लिए  कोई होना  भी चाहिए।  तभी  उसने  अपने   फ़ोन नंबर  चेक  किये। मगर  फ़िर  फ़ोन  बंद  कर लिया ।  अपनी तो किस्मत  ही खराब  है। कोई  हीरोइन  इस हीरो  के नसीब  में  नहीं है ।  यह  सोचते  हुए  जा ही  रहा  है  कि  सामने  से  एक  लड़की उसे  एक  सड़क  के कोने  में  पत्थर  पर बैठी  हुई  मिली ।  हैल्लो, मेरा  नाम  विशाल है। आप इस  तरह सुनसान  सड़क  के कोने  में  क्या कर रही  है।  अगर  कोई  हेल्प  चाहिए  तो कोई मदद  कर  दो । | " उसने नज़दीक जाकर  पूछा।  "मैं  यही  रहती  हूँ, यह  रास्ते  मुझे  जानते  है"।  लड़की  ने विशाल  की तरफ  बिना देखे  जवाब  दिया । " फ़िर  मैं  चलता  हूँ ।"  वह  जैसे  ही जाने  को हुआ ।  वह  बोल पड़ी, "साथ  चल  सकते  हैं, अगर  कोई  प्रॉब्लम  न हो  तो । " वह  मुस्कुरा  दिया और दोनों हँसते हुए  साथ चलने  लगे । काफी  समय एकसाथ  गुज़ारने  के बाद  उसने उसको शाम  को  अपने  फार्म  हाउस पर आने  के लिए कह  दिया। 

अतुल   मैं   आज एक  लड़की से  मिला  नाम है  उसका  'अवनी' । बड़ी  मस्त  लड़की है यार ! मैंने  आज  शाम  उसे फार्महाउस  भी बुलाया  है । देखो, क्या  होता है । वाह ! मेरे  शेर तू  सही  छुटियाँ  एन्जॉय  कर रहा  है, अपनी । अतुल  ने हँसते  हुए  कहा । अच्छा  एक बात  सुन कल रिया  यहाँ आई  थीं और बड़ी  अजीब हरकते  कर रही  थीं । मतलब ? मतलब  कि  वह  कम  कपड़ो  में  मेरे  कमरे  में  आकर  तू  समझ  रहा है  न  यार ! विशाल  के आवाज़  में  झिझक  है। "तुझे  पता है, तू  क्या कह रहा  है । पहली बात रिया को किसने  बताया  कि  तू  यहाँ  पर है । हमे तो  पार्टी  के बाद  से मिली  नहीं और वो तेरे  साथ  ऐसा  कुछ  सोचे,  मैं  मान  ही नहीं  सकता । हम  आज के  दोस्त थोड़ी  न  है  यार।  स्कूल  के दिनों से  एक दूसरे  को जानते  है । तू नशे  में  होगा।  जब  तू  अकेला होता है  तो ज़्यादा  पी  लेता  है।" हो सकता  है, अतुल  ने विशाल  को समझाया । "घर  से पता  चल गया  हो  या  शुभु  ने कुछ  कहा  होगा ।" तूने  हमें  अपने फार्म हॉउस  का अड्रेस  बताया  भी  है, जो हम  किसी  को बता पायेगे । तू  अपने  ही  घर  पर  एक  बार  फ़ोन  करके  पूछ ले । मुझे  लगता है,  कि  तुझे  कोई ग़लतफहमी  हो गई  है । अतुल  को अब  भी यकीन  नहीं आ  रहा है। चल  ठीक  है, बात  करता  हूँ । कहकर  विशाल  ने फ़ोन   रख   दिया। जब  उसने  घर  कॉल किया  तो सबने साफ़  मना  कर दिया  कि  यहाँ  कोई  नहीं  आया न  उन्होंने  किसी  को कुछ कहा। "छोड़ न यार! मुझे  अपना दिमाग  खराब  नहीं करना  है ।  आज मूड  थोड़ा  ठीक  हुआ  है ।"

अतुल  जैसे  ही म्यूजिक  की क्लॉस  से  निकला । तब सामने  रिया खड़ी  है । रिया  तुम यहाँ ? "हाँ, अतुल  मैं  पार्टी  वाली  रात  के लिए  माफ़ी  माँगने  आई  हूँ। तुम  कल विशाल  से  मिलने  गई  थी  क्या ? नहीं  वो तो मुझसे  बात ही  नहीं कर रहा । रिया  ने बड़ी  ही बेचारी  सी आवाज़  में  ज़वाब  दिया। एक  काम  करते है, आज मेरा  बैंड  परफॉर्म  करने  वाला  है । आज रात  वो  शो  देखने  आ जाओ  और  शुभु  को भी वही  बुला लेते है । वहाँ  उससे  माफ़ी  माँगकर  बात  खत्म  कर देना । अतुल को  रिया  पर  दया  आ  है  कि  कही  यह  अकेली  न  रह  जाए । "ठीक  है, मिलते  है, आज  रात ।" रिया  की आवाज़  बड़ी  सख़्त  लगी । अतुल  ने शुभु  को कॉल  किया, "मैं  नहीं आ  पाऊँगी। माँ  की तबीयत  ठीक  नहीं  है । हम  कल  मिल लेंगे।" आंटी  का ध्यान  रखना  'टेक  केयर'  । अतुल  ने फ़ोन  काट  दिया। 

उसका  म्यूजिक  बैंड  अच्छे  से  परफॉर्म  कर  रहा  है । भीड़  भी अच्छी-खासी  आ गई  है । शो  ख़त्म  होते  ही  उसने रिया  को देखा, "तू  आई  मुझे  अच्छा  लगा।" शुभांगी  से कल  मिल  लेंगे  । चलो. तुम्हें  घर  छोड़  देता  हूँ, रात भी बहुत  हो गई  है। अतुल  ने  रिया  को गाड़ी  में  बिठाया  और उसे  छोड़ने  उसके  घर  की तरफ  चल  दिया । "यह गाड़ी  क्यों रुक  गई, मैं  तुम्हें  पैदल  ही छोड़  आता  हूँ । ठीक  है, रिया  मान  गई । वैसे  रिया तुमने  उस दिन वो  हरकत  क्यों  थीं ? अतुल  ने पूछा । "मुझे  खुद  नहीं  पता चलता  कि  आजकल  मेरे  साथ  क्या हो रहा  है ।" रिया  सड़क  की तरफ  देखकर  बोली । तुम  कहो  तो  किसी  डॉक्टर  या  मेरा  मतलब  साइकोलॉजिस्ट  से बात  करें । अतुल  धीरे  से बोला । रिया  ने उसे  घूरकर  देखा  उसकी  आँखों  का गहरा नीला  रंग देखकर  वो सहम  गया। यार ! कैसे  लेंस  लगा  रखे  हैं । "क्यों  अतुल डर  गए।  कभी-कभी  हमें  खुद  नहीं पता चलता  कि हो  क्या  रहा है   और यह  तो  सबके  साथ  हो सकता  है। जैसे  तुमने  सोचा  नहीं  होगा, मगर अभी  तुम्हारे  पीछे  दस  लोग  भागने  लगेंगे । रिया  हँसते  हुए  बोली । वह  बोला,  पागल  है क्या ! देख! मेरे  पीछे  कोई  भी नहीं  है। अतुल  पीछे  मुड़ा, तब उसके  पीछे  कोई नहीं  था, मगर  जब  रिया  की तरफ  देखा  तो  वह  हँस  रही  है और  देखते  देखते  दस  लोग  उनके  पीछे  हो लिए । वह  डर  गया । अजीब  चेहरे  वाले लोग  । रिया  भागो!  कहते  हुए  वह  दौड़ने  लगा। मगर  रिया  हँसती जा रही है। ऐसी  हँसी  जो डरा  रही है  । तभी  उसका  चेहरा  बदलता   गया । नीले-पीले चेहरे  वाली  रिया   को देखकर उसके  पसीने  छूटने  लगे । वह  भागता जा रहा  है  और दस लोग  अतुल  के   पीछे  ऐसे  दौड़  रहे  है  कि वह  उसे आज  मारकर  उसका  किस्सा ही  ख़त्म  कर देंगे । "बचाओ ! कोई  है !"