Unconscious Offender - 2 books and stories free download online pdf in Hindi

अचेतन अपराधी - 2

"यही तो मुश्किल है।,"उसके पिता बोले,"खैर।एक दिन आपको सब पता चल जाएगा।आपको सजा देनी ही है तो दे दीजिए।"
सुदेश को जेल भेज दिया गया और उसके खिलाफ रिपोर्ट लिख ली गयी।सुदेश पुलिस वालों को देखते ही भड़क उठता था।पुलिसवाले से तू तड़ाक होने पर मारपीट हो जाती।और पुलिस उसे पकड़ लेती पिटती और बन्द कर देती।पर वह अपनी आदत नही छोड़ता था।
सुदेश ने अपराध किया था।पर उसका जुर्म इतना संगीन नही था।इसलिए उसे दस दिन की सजा हुई थी।वह खुशी खुशी कोर्ट से जेल चला गया।
वर्दी वाले को देखते ही सुदेश भड़क उठता।उसकी नशे ऐंठने लगती और उसका दिमाग गर्म हो जाता।या यों कहें उसका पारा सातवे आसमान पर जा पहुंचता।
ऐसा क्यों होता था।इसका अपना कारण था।एक रहस्य था।चार साल पहले उसके साथ ऐसी एक भयानक घटना हो गुई थी।वो घटना उसके मन मे अंकित होकर दिल और दिमाग पर गहरी छाप छोड़ गई थी।
वह अपनी छोटी बहन मंजू के साथ यात्रा कर रहा था।दोनो भाई बहन डिब्बे में अकेले थे।डिब्बे में दो पुलिस वाले आ गये।उन्हें अगले स्टेशन पर ट्रेन से उतार लिया गया।
"यह कौन है?'
"मेरी बहन है।"
"चुप साले।लड़की भगा कर ले जा रहा है और बहन बताता है।"पुलिस वाले ने पुलसिया अंदाज में उसे हड़काया था।
सुदेश घबरा गया।प्लेटफॉर्म पर भीड़ लग गयी।वह भीड़ में तमाशा बन गया।वह लोगो से कहता रहा।वह उसकी बहन है पर किसी ने उसका विश्वास नही किया।
सुदेश और उसकी बहन मंजू को पुलिस थाने ले गयी।दोनो को थाने में बंद कर दिया गया।किसी ने उसकी एक नही सुनी और रात को लॉकअप में सुदेश अकेला रह गया।उसकी बहन उससे अलग कर दी गयी।बहन कहा है।यह तो पता नही चला पर उसकी चीखे रात भर उसे सुनाई पड़ती रही।
भैया मुझे बचाओ।हाय मैं मर गयी
बहन की कलेजा फाड़ देने वाली चीखे सुनकर वह अपना सिर सलाखों पर मारता रहा।जब सुदेश भी चीखने चिल्लाने लगा तो एक पुलिस वाला आकर उसे भी मारने पीटने लगा।और वह पिटते पिटते न जाने कब बेहोश हो गया।
सुबह सात मारकर उसे थाने से निकाल दिया गया।उसकी बहन का कोई पता न चला।उसने खूब हंगामा किया।पर उसका कोई फायदा नही हुआ।
रोता बिलखता घायल अवस्था मे वह अकेला घर वापस आ गया।उसके माता पिता बेटे से सारी बात सुनकर दंग रह गए।उसके पिता ने खूब भाग दौड़ की।जगह जगह गये।पर बेटी का कही पता नही चला।पिता ने रिपोर्ट की तब पुलिस विभाग ने जांच बैठाई।लेकिन ढाक के तीन पात।रिपोर्ट आई।सुदेश अकेला था।उसके साथ कोई नही था।सुदेश को पॉकेटमारी के शक में पुलिस ने पकड़ा था।वह पॉकेट मार नही था।दूसरा पॉकेट मार था।उसे पकड़ने पर सुदेश को छोड़ दिया गया।
सुदेश और उसके पिता ने मंजू का पता लगाने का भरपूर प्रयास किया।पर व्यर्थ।मंजू का कही पता न चला।न जाने वह कहा चली गयी थी।उसे जमीन निगल गयी या आसमान।
इस घटना के बाद सुदेश के मन मे पुलिस वालों के प्रति घृणा उतपन्न हो गयी।वह खाखी वर्दी वालो से नफरत करने लगा।
सुदेश के पिता जानते थे उनका बेटा पुलिस वालों से क्यो नफरत करता है।वह अपने बेटे को दोषी नही मानते थे।उसकी जगह कोई और होता तो उसके साथ भी ऐसा ही होता।
जेल से बाहर आने कर बाद सुदेश फिर से दोस्तो में मस्त हो गया