Teri Chahat Main - 4 in Hindi Love Stories by Devika Singh books and stories PDF | तेरी चाहत मैं - 4

तेरी चाहत मैं - 4

हॉस्टल में अजय अपने रूम में पहुंचा, और अपनी किताबें एक तरफ रख कर अपने बिस्तर पर आराम करने के लिए लेट गया। अभी वह थोड़ी देर ही लेटा था कि उसके दरवाजे पर दस्तक हुई। अजय दरवाजा खोलने के लिए अपने बिस्तर से उठा। जब उसने दरवाजा खोला तो न्यूटन अपना सामान लिए वहां पर खड़ा था। दरवाजा खुलते ही वह अंदर रूम में दाखिल हो गया।

दूसरे बिस्तर पर बैठे हुए वह अजय से बोला, “यार तुम्हारे रूम के दूसरे बंदे का तो अभी कोई भी आता-पता नहीं है। तो इसलिए मैंने सोचा कि क्यों न मैं तुम्हारा रूम शेयर कर लूं। इसलिए मैंने हॉस्टल के मैनेजर से बहुत रिक्वेस्ट की, तो उन्होंने मुझे तुम्हारे साथ इस रूम में शिफ्ट कर दिया। अब कम से कम इस बात की तसल्ली है कि हम लोग एक साथ एक रूम में रहेंगे तो कोई तुम्हें परेशान नहीं कर पाएगा।”

इस पर अजय न्यूटन से बोला “मुझे या फिर तुम्हें कोई परेशान नहीं करेगा।”

न्यूटन बोला “यार एक ही बात है न। जब तक तुम यहां पर इस कॉलेज में हो, तब तक हम दोनों एक साथ एक ही रूम में रहेंगे। ठीक है न? अजय बोला ठीक है।”

फिर दोनो ने आपस में बैठकर काफ़ी बातें की और उसके बाद एक साथ मिलकर अपने कमरे को सही किया। और फिर दोनों डिनर के लिए बाहर चले गए।

फिर दूसरे दिन सभी दोस्त कॉलेज की कैंटीन में एक साथ मिलें, तो सना बोली “अजय तुम्हारा रहने और नौकरी करने का सारा इश्यू सॉल्व हो गया है। अब तुम्हें किसी भी बात की फ़िक्र करने की कोई जरूरत नहीं है।”

अजय खुशी से बोला “ओह बहुत-बहुत शुक्रिया सना। कहां पर है मेरे रहने की जगह?”

सना बोली “एक कान के नीचे दूंगी। कल क्या कहा था मैंने कि यह शुक्रिया वगैरह नहीं चलेगा। फिर भी तुम आज शुरू हो गए। तुम न अपना ये शुक्रिया वगैरह न अपने पास ही रखो। तुम नहीं सुधरोगे।”

अजय बोला “ओह यार मैं तो बिल्कुल भूल ही गया था, कोई नहीं तुम लोगों के साथ रह कर यह भी जल्दी सीख लूंगा।”

सना “वेरी गुड बच्चा। तो सुनो तुम्हें कहीं भी जाने की कोई जरूरत नहीं है। यह लो कॉलेज के प्रिंसिपल का परमिशन लेटर। इस पर हॉस्टल के मैनेजर का और यूनिवर्सिटी सिक्योरिटी का भी स्टाम्प लगा हुआ है। तुम्हें जॉब करने की परमिशन दे दी गई है।”

“आप के चरण कहां है देवी सना जी, जी चाहता है कि आपके चरण धो-धो कर पियूं। अहो भाग्य हमारे कि आप हमारी मित्र मंडली में हैं। इतनी पहुंच तो शायद, इंडिया के किसी लीडर की भी न होगी, जितनी कि आप की है। धन्य हो देवी धन्य हो। कैसे कर लेती हैं आप ये सब? कोई फॉर्मूला हमें भी बताएं” राज ने आ कर बुलंद आवाज में सना की तारीफ करी।

सना बोली “यह सना है सना, जिसके लिए कोई भी काम नामुमकिन नहीं है। कोई भी काम कैसा भी काम हो सना के लिए कुछ भी मुश्किल नहीं है। और तुम सब आम खाओ ज़्यादा गुठलियां ना गिनों। मेरी माँ की पहचान का फ़यदा है यह सब। और अजय, चलो तुम मुझे इसी बात पर एक बड़ा सा गर्म समोसा चटनी के साथ खिलाओ और बाकी लोगों को एक कप चाय से ज्यादा कुछ भी नहीं देना”।

राज हंसते हुए बोला “ओह हो अब सना देवी जी को समोसा भी चाहिए। कहीं यह समोसा अजय के काम कराने की रिश्वत तो नहीं।”

सारे दोस्त हंसी मज़ाक करते हुए एक तरफ बैठ गए और फिर कुछ समय साथ बिताने के बाद सब अपने क्लास में चले गए।




To be continued in 5th Part

Rate & Review

Dharmaveer Bharti

Dharmaveer Bharti 3 months ago

ketuk patel

ketuk patel 3 months ago

usha fulwadhva

usha fulwadhva 3 months ago

H T busa

H T busa 4 months ago

Ravi Singh

Ravi Singh 4 months ago

ok