तेरी चाहत मैं - Novels
by Devika Singh
in
Hindi Love Stories
“अपने आप को समझते क्या हो तुम. कितनी देर से हुमारे पीछे पीछे चले आ रहे हो. ज़यादा दिमाग़ खराब हो तो बताओ ? बुलाती हूँ अभी प्रिन्सिपल को.” बड़े ही गुस्से मैं बोली थी रिया।
इतने मैं विक्रम वहाँ ...Read Moreपहुचा और बोला “क्या हुआ रिया ? यह क्या तुम्हे परेशान कर रहा है. ” फिर वो अजय की तरफ मुखातिब हुवा और काफ़ी ज़ोर से बोला, “क्यो बे किस लिए पीछा कर रहा था तू. कौन है. चल अपने रास्ते निकल.”
अजय बोला “मैं अपने रास्ते ही जा रहा हूँ, यह मोहतार्मा भी उसी रास्ते जा रही हैं. यह मेरे आगे थी और मैं पीछे, इसका यह मतलब नही है की मैं इनका पीछा कर रहा हूँ. ”
इतना कह कर अजय आगे निकल गया, और पीछे कशिश उसको घूर कर देखने लगी. फिर बोली “बड़ा बदतमीज़ शक्स है. पता नहीं कहाँ कहाँ से आ जाते है जाहिल लोग।”
इस पर विक्रम बोला “अरे तुम परेशान ना हो, इसकी अकड़ निकल देंगे जल्दी ही.”
रिया गुस्से से बोली “जल्दी नही आज ही निकालो इसकी अकड़. ताकि अगली बार हम से उँची आवाज़ मे ना बात करे.”
“आपका हुकुम सर – आँखों पर रिया साहिबा, आज क्लास के बाद, इसको सीधा करता हूँ .” ज़ैन ने कहा. फिर वो भी अपने बाकी साथियों के साथ आगे बढ़ गए टेक्नालजी डिपार्टमेंट की तरफ.
“अपने आप को समझते क्या हो तुम. कितनी देर से हुमारे पीछे पीछे चले आ रहे हो. ज़यादा दिमाग़ खराब हो तो बताओ ? बुलाती हूँ अभी प्रिन्सिपल को.” बड़े ही गुस्से मैं बोली थी रिया।इतने मैं विक्रम वहाँ ...Read Moreपहुचा और बोला “क्या हुआ रिया ? यह क्या तुम्हे परेशान कर रहा है. ” फिर वो अजय की तरफ मुखातिब हुवा और काफ़ी ज़ोर से बोला, “क्यो बे किस लिए पीछा कर रहा था तू. कौन है. चल अपने रास्ते निकल.”अजय बोला “मैं अपने रास्ते ही जा रहा हूँ, यह मोहतार्मा भी उसी रास्ते जा रही हैं. यह मेरे
कुछ देर बाद मिस्टर शर्मा चले गये, और पूरा क्लास बाहर आ गया. सब इधर उधर ग्रूप्स बना कर खड़े हो गये. अजय एक कोने मैं बैठा था. तभी उसके कंधे पर किसी ने हाथ रखा, एक लड़का था ...Read Moreमुस्कुरा रहा था.“दोस्त क्या मैं यहाँ बैठ सकता हूँ?” अजय ने कहा “जी ज़रूर.”वो लड़का उसके पास बैठ गया और बोला “मेरा नाम राज है, तुम नए आए हो यहाँ पर. सोचा थोड़ी जान पहचान कर लेता हूँ.” अजय बोला “शुक्रिया राज. आप से मिल कर खुशी हुई.”इस पर राज बोला “खुशी ऐसे नही ज़ाहिर करो, चलो मैं तुम्हे अपने
वो लोग कुछ ही दूर आगे चले थे कि रास्ते में विक्रम अपने कुछ साथियो के साथ वहां आकर खड़ा हो जाता है। और अजय का रास्ता रोक लेता है। उसके साथ वहां पर रिया भी थी। न्यूटन और ...Read Moreआगे बढ़ने लगे तो उतने में विक्रम बोला, “क्या भाई कहां चले जा रहे हो? ज़रा हमसे भी तो मिलते जाओ। सुबह तो आप बड़ी ऊंची आवाज में बात कर रहे थे, अब क्या हुआ?”अजय बोला “सुबह मैंने गलत फ़हमी दूर कर दी थी बस। और मैं बातों को तूल नहीं देना चाहता। इसलिए आप सब हमारा रास्ता छोड़िए और
हॉस्टल में अजय अपने रूम में पहुंचा, और अपनी किताबें एक तरफ रख कर अपने बिस्तर पर आराम करने के लिए लेट गया। अभी वह थोड़ी देर ही लेटा था कि उसके दरवाजे पर दस्तक हुई। अजय दरवाजा खोलने ...Read Moreलिए अपने बिस्तर से उठा। जब उसने दरवाजा खोला तो न्यूटन अपना सामान लिए वहां पर खड़ा था। दरवाजा खुलते ही वह अंदर रूम में दाखिल हो गया।दूसरे बिस्तर पर बैठे हुए वह अजय से बोला, “यार तुम्हारे रूम के दूसरे बंदे का तो अभी कोई भी आता-पता नहीं है। तो इसलिए मैंने सोचा कि क्यों न मैं तुम्हारा रूम
क्लास में सब बैठे थे कि मिस्टर शर्मा दाखिल हुए। मिस्टर शर्मा ने क्लास को देखा। अजय के साथ न्यूटन बैठा था। मिस्टर शर्मा बोले “रिया अपनी जगह से उठो, और अजय के पास बैठो। यहां सामने बैठोगी तो ...Read Moreमें रहोगी। न्यूटन तुम जरा, राज के साथ बैठो।”रिया न चाहते हुए भी अजय के पास बैठ गई। अजय ने उसकी तरफ देखा तक नहीं। पर रिया उसे खा जाने वाली नजरों से देख रही थी। अजय ने पूरी क्लास में उसपर तवज्जो ना दी, जब क्लास खत्म हुई। अगली टीचर मिस रूबी दूर पर आ गई। मिस्टर शर्मा ने
उस शाम सब रूबी के घर में आराम से सोफे पर बैठे हुए थे। वो सब मज़े से रूबी के हाथ की बनी हुई चाय और पकोड़ियां खा रहे थे। साथ ही वो रूबी की तारीफ भी कर रहे ...Read Moreमें हिना बोली “रूबी आपा बा खुदा, ऐसा लगता है, ये चाय और पकोड़ियां अल्लाह मिया ने फरिश्तों के हाथ सीधे जन्नत से हमारे लिए भेज दी हैं। दिल करता है बस खाती ही रहूं, खाती ही रहूं।”सना बोली “बिल्कुल सच बात है दीदी, रूबी बहन कमाल की कुक है। उनसे अच्छा कुक तो कोई हो ही नहीं सकता। जितना
कुछ दिन ऐसे ही मज़े में बीते। सब अच्छा चल रहा था। अजय और उसके दोस्त की स्टडीज, उसके बाद अजय और न्यूटन की जॉब सब कुछ अच्छा बीत रहा था। कुल मिला कर चंडाल चौकड़ी की जम रही ...Read Moreलेकिन ये सब ऐसे नहीं रहने वाला था। उस दिन सना और हिना, दोनो कैंटीन में पहुंची तो परेशान थीं। सब ने पूछा कि क्या हुआ? तो सना रोने लगी। यह देख अजय, राज, रोहित और न्यूटन उसे चुप कराने लगे और हिना से पूछने लगे कि क्या हुआ?हिना बोली “मैं और सना आज मार्केट से आ रहे थे। रास्ते
थोड़ी के देर बाद वो सब एक साथ कैंटीन में बैठे हुए थे। सना ने अजय और सबसे कहा, आज मुझे तुम सबकी दोस्ती पर बहुत ज़्यादा फख्र महसूस हो रहा है। अजय, राज, रोहित और न्यूटन मैं तुम ...Read Moreका किस मुंह से शुक्रिया अदा करूं कह नहीं सकती। आज तुम लोगों ने जो हमारे लिए किया है, उसका बदला हम दोनों चाहकर भी नहीं पूरा कर सकते।हिना बोली हम दोनों के लिए तुम सब उन लफंगो से भिड़ गए। उन्हें सबक सिखाया। तुम्हें थोड़ी भी अपनी जान तक की फ़िक्र ना थी, थैंक्स गायिज़। थैंक्स अ लॉट। कोई
अगला दिन तूफ़ान लाया था। अजय, राज, रोहित और न्यूटन प्रधान कार्यालय मैं खड़े थे। साथ मै थे। मुकेश रॉय, रिया के डैड और कॉलेज के ट्रस्टी और सबसे बड़े डोनर। उनका कहा प्रिंसिपल भी मानते थे। साथ में ...Read Moreऔर विक्रम भी खड़े थे।प्रिंसिपल बोले "शर्म आती है मुझे जो, मेरे यहां ऐसे लड़के पढते हैं जो पढ़ाई मैं कम और लडाई मैं आगे रहते हैं। कल आप लोगों ने जो गुंडा गार्डी की हद पर कर डाली। अच्छे भले लड़कों को मारा पीटा और उसके बाद, जाने क्या क्या।” अजय बोला "पर सर..." लेकिन उसी बात बीच में
अजय ने सोचा, की जाने से पहले लाइब्रेरी होता चलूं, कुछ किताबें लेनी थी उसे। अजय लाइब्रेरी जा रहा था की रास्ते में रिया ने उसका रास्ता रोका। रिया बोली "जब से तुम यहां आए हो, हम को काफ़ी ...Read Moreकिया है। पहले किसी की इतनी हिम्मत नहीं थी, की हम को या विक्रम को कोई कुछ कह भी सके। लेकिन जिस दिन से तुम आए हो। बराबर हमारा रास्ता काट रहे हो। आज तुम्हारी वजह से विक्रम की इतनी ज़िलत हुई है। हम को हमारे पापा के सामने शर्मिंदा करवा दिया। हम तुमसे बदला जरूर लेंगे। इन सब का
अजय को जब होश आया तो उसने अपने आपको हॉस्पिटल में पाया उसका सर दर्द से फटा जा रहा था। जगह-जगह छोटे लगी थी। जिससे दर्द काफ़ी हो रहा था। उसने इधर-उधर देखा तो उसके बगल में कोई नहीं ...Read Moreउसने उठने की कोशिश की तो दरवाजे से रूबी आपा को अंदर आते हुए उसने देखा।"अजय उठना नहीं, डॉक्टर ने तुम्हारे उठने से मना किया है।" रूबी ने उसे लेटाते हुए कहा।“अल्लाह का शुक्र है की तुमको होश आया। पूरे दो दिन बाद तुम्हे होश आया है तुम्हे।" रूबी ने कहा। अजय "रूबी आपा मुझे यहां कौन लेकर आया?" रूबी
कुछ दिन बाद अजय हॉस्पिटल से डिस्चार्ज हुआ। सब दोस्तों के साथ रूबी ने उसे अपने घर बुलाया। वो उसकी सलामती के लिए खुश था। इसी लिए एक छोटी सी दावत की थी उन सबने। सब दोस्त रूबी के ...Read Moreपर थे। कफी अच्छा माहोल था। मिस्टर शर्मा और मुकेश रॉय को भी बुलाया गया था। रिया भी ना चाहते हुए आई थी। सब खुश थाय। अजय भी काफी खुश था।"और लो अजय, कुछ खाओगे नहीं तो कमज़ोरी कैसे दूर होगी तुम्हारी।" रूबी ने अजय की प्लेट मैं बिरयानी डालते हुए कहा। "अरे आप क्या आज ही सब खिला देंगी।
दिल के किसी कोने में मैं अजय अब रिया को महसूस करने लगा था। उसे समझ नहीं आ रहा था की असल मैं बात क्या है। किसी से ज़िक्र भी नहीं करना चाहता था। उसकी ये बेनाम और अंसुलझे ...Read Moreसोच उसे समाज भी नहीं आती थी। ऐसे ही कुछ दिन और बीत गए। एक सुबह कॉलेज की कैंटीन मैं अजय अखबार ले कर आया। हीना बोली "क्या जरूरी कोई रिश्ते के लिए एड दिया है या कोई एड पसंद आया है?" सब हंसने लगे।अजय बोला "कमबख्तो मैं सब के भले के लिए अखबार लाया हूं। जरा एक विज्ञापन देखो।"
CWS के ऑफिस मैं पहुच कर अजय ने देखा तो वो लोग ही वहां पर पहले पहुचे थे। ऑफिस मैं छोटा सा स्टाफ था, जो अपने कामों में लगा था। वो सबके पास पहुच कर बोला "क्या सीन है?" ...Read Moreबोला "बस हम लोग ही हैं। अभी कोई आया नहीं है।"तभी एक लड़की वहां आई और सब से बोली "नमस्ते, मेरा नाम सिमरन है और मैं यहां काम करती हूं। आप सब शायद इंटरव्यू के लिए आए हैं?" सब बोले "जी हम इंटरव्यू के लिए आए हैं।" सिमरन बोली "ठीक है, आप सब मेरे केबिन मैं आ कर मुझे अपने
अजय बोला "चलो यार अब क्या आज ही देखना ना है, अब तो रोज़ - रोज़ मिलना, अब चल कर CEO से मिल लेते हैं।" सब जल्दबाजी में लिफ्ट की तराफ चल दिए। थर्ड फ्लोर पर वो सब CEO ...Read Moreरूम के बहार पहुंचे और ऑफिस बॉय को इंफॉर्म किया किया। ऑफिस बॉय अंदर गया और फिर बहार आ कर बोला "आप सब अंदर जाए।""सब अंदर पहुंचे। सामने मुकेश रॉय बैठे थे। सब उन्को देखने लगे। वो मुस्कुराते हुए बोले, "पहली नौकरी मुबारक हो आप सबको। मोहित साहब आप सब से काफी खुश हैं। आओ बैठो सब।" सब बैठे गए,
अजय ने दोनो की बातें सुन ली थी। उसे भी गहरा धक्का लगा। फिर वो भी सबके पास चला गया। देर शाम तक सब लोग साथ रहे, फिर सब अपने घर को चले गए। अजय और न्यूटन राज के ...Read Moreपर राज के साथ ही रुक गए। रात मैं अजय ने राज से पुछा, "राज ये जावेद कौन है। रूबी आप का क्या रिश्ता है?” राज ने जवाब दिया "वो उनके पति हैं। वो अलग रहते हैं। दोनो मैं लड़ाई हो गई है। एक साल होने वाला है।" न्यूटन बोला "लड़ाई तो बस बहाना है। वो तो किसी दूसरी लड़की
रास्ते में, राज चुप चाप बैठा ड्राइव कर रहा था। सिमरन बोली "राज थैंक्स, वैसा क्या काम है तुमको वहां?" राज हड़बड़ा कर बोला "वो... वो कुछ खास नहीं, बस मंदिर जाना है।" उसे कुछ समझ नहीं आ रहा ...Read Moreसिमरन बोली "तुम सिर्फ मंदिर जाने के लिए इधर आ रहे हो, कोई खास बात है क्या? मंदिर तो तुम कहीं भी जा सकते हो।"राज "वो मैंने वहां पर पहले मन्नत मांगी थी, की अगर मुझे जॉब मिलेगी तो मैं यहां आऊंगा।" सिमरन बोली "ओह! अच्छा, अगर तुमको कोई समस्या ना हो तो मैं भी मंदिर चल सकती हूं, कई
वो लोग आगे बढ़ने लगे। तभी राज एक आइसक्रीम की दुकान देख कर कार रोकने लगा। सिमरन बोली "क्या हुआ। कार क्यों रोक दी।" राज उतरा और फिर सिमरन की तरफ जा कर दरवाजा खोलते हुए बोला, "सिमरन साहिबा ...Read Moreआप मेरे साथ एक चोकोबार आइसक्रीम खाने की तकलीफ करेंगी।" सिमरन बोली "हां पर मैं दो खाउंगी, और साथ में मैं एक दो स्वाद और खाने हैं।" राज बोला "जी बिलकुल पर एक शर्त है, की आप मेरा सर नहीं तोडेंगे।"सिमरन ने हंसते हुए कहां "उसको बाद मैं सोचूंगी। चलो पहले आइसक्रीम खाते हैं।" फिर वो आइसक्रीम की दुकान मैं
हमें सुबह अजय का सेल फोन एकदम से बज उठा, अजय ने देखा तो न्यूटन की कॉल थी। अजय बोला "अब एक ही कमरे में रह कर तुमको मुझे कॉल करनी पड़ रही है!" न्यूटन "बरखुरदार मैं वहा नहीं ...Read Moreमैं रोहित के घर पर हूं, जावेद जिस लड़की के साथ है उसका पता चल गया है। तुम राज के घर पहुचो। वही बताता हूं सब कुछ।"थोड़ी देर बाद चारो राज के घर उसके कमरे मे थे। तब रोहित बोला “देखो, जो लड़की जावेद के साथ है, उसका नाम शीना बजाज है। उनके ऑफिस मैं काम करती है, पहले दुसरी
उस रात रूबी राज के घर पर थी, अजय, राज, न्यूटन और रोहित के अलावा सना और हीना भी थी। साथ मैं राज के पापा, मेजर शेखर भी था। रूबी खुश थी। रूबी बोली "तुम चारो ने मुझे आज ...Read Moreखुशी दी है, जिसको मैं बयान तक नहीं कर सकती। मुझे पता नहीं, की मैं अब क्या बोलूं या क्या कहूं। अभी यहां आने से पहले, जावेद का फोन आया था, वो माफ़ी मांग रहे थे। उनकी आवाज मैं पछतावा साफ झलक रहा था। शीना ने उनको समझा दिया है। शीना को कितना गलत समझती थी मैं। पर जो कुछ
अगले दिन ऑफिस मैं भी सब के दिमाग मैं शादी के फंक्शन का ही प्लान था। तभी सिमरन ने आ कर उनको कुछ क्लाइंट्स की फाइल्स देने आई। वो सब को समझ रही थी, क्या करना है। उसके जाने ...Read Moreबाद न्यूटन बोला "राज कुछ आगे बढ़ेगा या नहीं। कब हम सिमरन को अपनी भाभी घोषित करेंगे।" राज बोला "उसमे टाइम लगेगा। इंतजार करो।”सना बोली "तेरे को वो पसंद है की नहीं, ये बता।" राज ने कहा "हां, बहुत। मुझे तो अब उसके ख्वाब भी आते हैं।" हीना बोली, “तो और कितना इंतजार करोगे। केह दे ना दिल की बात?"
संडे का दिन बहुत खुशनुमा था, वो अपने साथ रूबी और और जावेद के लिए एक नई जिंदगी का तोहफा ले कर आया था। मेजर शेखर का घर फूलो और छोटे छोटे बल्ब से रोशन था। गार्डन मैं एक ...Read Moreसा स्टेज बना था। अजय, राज, न्यूटन, रोहित दौड़ दौड़ कर सब तयारी कर रहे थे। सना और हीना रूबी को तैयार करने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती थी।तभी राज का फोन रिंग किया, उसे देखा की सिमरन का कॉल था। उसने उत्तर किया। सिमरन बोली "कैसे हो माई डियर बेबी?" राज ने जवाब दिया "ठीक हूं स्वीटू, बस
न्यूटन सुबह - सुबह जॉगिंग करते हुए जा रहा था, उसे जल्दी - जल्दी हॉस्टल पहुच कर, तैयार होने की फ़िकर थी। इस चक्कर मैं उसका ध्यान भटक गया, बिना देखे वो रोड क्रॉस करने लगा, तभी उसके सामने ...Read Moreतेजी से रुकी, बहुत तेज से ब्रेक लगाने पर भी कौन न्यूटन के काफी पास आ के रुकी। न्यूटन गुस्से मे आ गया और कार की ड्राइविंग सीट की विंडो में हाथ डालकर ड्राइवर का गिरबां पकड लिया। गुस्से में बोला है "बहार निकल, दिखता नहीं है तुम्हें, आंखें नहीं ……." इतना कहते हैं - कहते न्यूटन की आवाज़ बंद
अगले दिन, रोहित की मेहनत रंग लायी और डेटा आखिर बच गया पर मिस्टर शर्मा की कोशिश के बावजूद, न्यूटन को एक्सटेंशन नहीं मिला। विभाग प्रमुख ने साफ इंकार कर दिया। कहां, अगर न्यूटन को एक्सटेंशन दिया गया, तो ...Read Moreसभी स्टूडेंट्स हेल्थ इश्यू के बहाने के साथ एक्सटेंशन लेने की कोशिश करेंगे। इसके अलावा किसी को नहीं पता की सही मैं क्या हुआ, अगर लैपटॉप डैमेज हुआ भी है तो किसी गलती से? और वैसे भी न्यूटन आज कल स्टडीज से ज्यादा तो दुसरी बातो मैं मसरूफ है। अफवाह का बाजार यहां तक गरम था। मिस्टर शर्मा ने काफ़ी
"क्या मैं अंदर आ सकती हूं न्यूटन" अलविना खूबसूरत फूल का गुलदास्ता लिए न्यूटन के कमरे के दरवाजे पे खडी थी। “जी, आ जाइए। अब क्या किया है मैंने जो आप यहां भी आ गई। “न्यूटन ने नराज़गी से ...Read More"मुझे पता है, तुम मुझे देख कर कभी खुश नहीं होंगे, पर मैं यहां तुमसे कुछ जरूरी बात करने आई हूं।" अलविना ने काफ़ी सलाहियत से कहा।“जी बताइये, अब क्या गलत किया मैंने। और पुलिस को आपने बहार खड़ा रखा है या कुछ देर बाद फोन करके बुलायेंगे! "न्यूटन के लेहजे मैं तंज ही तंज था। "मैं समझ सकती हूं
न्यूटन जल्दी ही रिकवर हो के वापस हॉस्टल आ गया। मेहनती तो वो था। बस जल्दी ही उसे अपना प्रोजेक्ट भी सबमिट कर दिया। सभी लोग अब खुश थे। आखिर न्यूटन फिर से पहले जैसा हसमुख जो हो गया ...Read Moreजिंदगी फिर से खुशनुमा हो गई थी।उस दिन न्यूटन लाइब्रेरी मैं बैठा था की अलविना उसके पास आई। "कैस हो न्यूटन?" "बस ठीक हूं, फाइनल सेमेस्टर के पेपर्स की तैयारिया चल रही है।" न्यूटन ने जवाब दिया। "कितना पढते हो तुम, जब देखो किताबो से चिपके रहते हो! थकते नहीं हो तुम।" अलविना ने मुस्कुराते हुवे पुछा। “थकता हूं, पर
आज ऑफिस का माहौल कुछ अलग था, रिया जो ऑफिस आने वाली थी। सारा स्टाफ मे उसी को ले के बातें हो रही थी। सभी ये सोच रहे थे की उसके आने से कैसे बदलाव आते हैं। सभी को ...Read Moreघमंड और एटिट्यूड का पता था। कशिश कोई दोपहर तीन बजे ऑफिस मैं दखिल हुई। दखिल होते ही उसका सामना अजय से हुआ। वो और मोहित किसी नई परियोजना पर चर्चा कर रहे थे।"वेलकम रिया, सर ने बताया था की आप आज आने वाली हैं।" मोहित ने अपना हाथ आगे बढ़ते हुए कहा। रिया ने अजय को देखते हुए कहा
अगले दिन ऑफिस मैं न्यूटन अपने वर्कस्टेशन पे बैठा काम मैं मसरूफ था। तभी एक चपरासी उसके पास आ के बोला, "सर आपके लिए ये पैकेट आया है।" न्यूटन ने पुछा "कौन दे गया है ये पैकेट?" "सर, एक ...Read Moreआई थी। कहा की आपको जानती है।” चपरासी ने जवाब दिया। ये कह कर वो वहां से चला गया। न्यूटन सोचे लगा की उसे कौन ये पैकेट दे गया। उसके सारे दोस्त तो यही हैं। न्यूटन ने पैकेट खोला। एक खूबसूरत से बॉक्स मैं एक ताजा गुलाब रखा था। उसके साथ एक कार्ड था। न्यूटन ने कार्ड को लिफाफे से
कुछ देर बाद कैफेटेरिया मैं, राज और अजय बैठे बात कर रहे थे। न्यूटन परेशान हालत मैं उनके पास आया और बोला "यार बाकी सब कहां हैं! मुझे कुछ जरूरी बात करनी है!" राज बोला "क्या हुआ न्यूटन, सना ...Read Moreहीना हमेशा की तरह सिमरन के साथ हैं। और रोहित वो रहा काउंटर पे खाने का ऑर्डर दे रहा है। भाई हुआ क्या परेशान लग रहा है!”“भाई परशानी बड़ी है, पता नहीं कहां से एक लड़की मुझे पसंद करने लगी है। वो मेरा पीछा कारती है। उसे मेरे बारे में सब पता है। यहां तक कि मैं क्या पहन कर
सिमरन शाम को राज के घर पहुंची। " नमस्ते! पापाजी, राज कहाँ है?" उसे लॉन मैं बैठे मेजर शेखर से पुंछा। मेजर शेखर ने जवाब दिया "हू वो तो टेरेस पे बैठा है। और तुम इतने दिनों बाद आई ...Read Moreऔर आते ही राज को पूछ रही हो। अपने पापा के लिए टाइम नहीं है क्या।”सिमरन बोली “अरे पापा जी करूँ क्या, काम इतना है। और मेरे पास आपके लिए टाइम ही नही है, बस ऑफिस का कुछ जरूरी काम है जिसे निपटाने के लिए राज की मदद चाहिए।” मेजर शेखर बोले "काम पहले, जाओ ऊपर, फिर बाद में हम
“अजय मुझसे तुमसे कुछ बात करनी है। फ्री हो तो बताओ।" रिया अजय के सामने खडी थी। "जी बोलिए, क्या बात है।" अजय ने इतमीनान से पुछा।"यहाँ नहीं कैफेटेरिया चलो।" रिया ने कहा तो अजय ने जवाब दिया "चलिए"। ...Read Moreवो अपनी जगह से उठा गया। कुछ देर बाद दोनो कैफेटेरिया मैं बैठे थे। रिया बोली “देखो, मुझे ऑफिस के किसी काम का आइडिया नहीं है। ऊपर से पापा ने मुझे प्रोजेक्ट मैं तुम लोगों के साथ काम करने को बोल दिया है। मैं चाहती हूं की तुम मुझे थोड़ा बहुत समझा दो काम के बारे में।” "हम्म, वो तो
जब रिया चली गई तो राज अजय के पास आकार बोला "क्या बात है भाई, रिया जी पहले आप अकेले मैं मिलती हैं, वो भी कैफेटेरिया मैं, फिर आप उनको घंटो काम समझाते हैं, क्या बात है!“अबे चुप करो, ...Read Moreना पकाओ। अभी काफ़ी ख़र्च हुआ है। चलो कॉफी पीन। बाकी सब कहां हैं!" अजय ने राज से पुछा। "हम सब तो यही हैं, आप ही कहीं और मसरूफ हैं।" सना करीब आते हुए बोली “तुम सब का दिमाग फिर गया है। मैं चला” अजय ने कैफेटेरिया कर रुख किया। पीछे उसे हसने की आवाज़ें आ रही थी। कैफेटेरिया पहुचा
“भाई ऐसा है की ये बताओ की तुम घर कब आ रहे हो। हमको भी तुम लोगों के ये खेल खेलने मैं मजा आता है, पर हम रिया से हार जाते हैं। जरा हमको भी ट्रेन करो"“भाई ऐसा है ...Read Moreये बताओ की तुम घर कब आ रहे हो। हमको भी तुम लोगों के ये खेल खेलने मैं मजा आता है, पर हम रिया से हार जाते हैं। जरा हमको भी ट्रेन करो" मुकेश रॉय ने बड़े मजे में कहा। अजय बोला "लगता है आपको भी इन गेम्स का शॉक है।" "बहुत ज्यादा हैं।" मुकेश रॉय ने कहा। दोनो बड़ी
अजय अपनी सीट पे बैठा था। तभी राज और न्यूटन उसके पास आके बैठे गए। "यार न्यूटन, तुमको पता है की आज कोई मुकेश रॉय के यहां डिनर पे इनवाइटेड है।" राज ने अजय को सुनाते हुए न्यूटन को ...Read More"अछा भाई, अब तो लगता है की मुकेश सर के वहां रेगुलर आना जाना होगा, जनाब का।" न्यूटन ने भी सुनाते हुए कहा।“तुम सब लोगों का दिमाग खराब हो गया है क्या। यार एक डिनर ही तो है।” अजय ने कहा। “मेरे बच्चे यहीं से शुरुवात है। तुम समझ नहीं रहे।" न्यूटन ने बड़े सीरियस अंदाज मैं कहा। "क्या नहीं
मुकेश रॉय लॉन में बैठे थे। "आओ बरखुरदार, अपना ही घर समझो इसे।" "शुक्रिया सर, आप का बड़प्पन है जो मुझे काबिल समझा इसके लिए।" अजय ने बैठेते हुए कहा। “अरे भाई, इंसान अपनी सोच से बड़ा छोटा होता ...Read Moreऔर तुम्हारी सोच तो अलग है।” मुकेश रॉय ने अजय को समझाया। अजय उनकी बात पर सिर्फ मुस्कान दी। "हां तो भाई क्या लोगे चाय या कॉफी?" मुकेश रॉय ने अजय से पुछा।"कॉफी सही रहेगी।" अजय ने कहा। "हम्म, ठीक है और क्या लोग साथ में।" मुकेश रॉय ने पुछा। "बस कॉफी सर।" अजय ने मुस्कुराते हुए कहा। “भाई तकलुफ
न्यूटन अकेला था। आज सब किसी ना किसी काम में बिजी थे। राज और सिमरन की डेट थी। हीना एक शादी में गई थी। सना के साथ। और रोहित को उसके पैरेंट्स ने घर बुला लिया था। किसी खास ...Read Moreसे। रोहित ने जाते हुऐ काहा था की वो भी चले के उसके साथ पर न्यूटन को सही नही लगा, ओर उसने बहाना बना दिया। वह आज अकेला महसूस कर रहा था। सोचा क्यू ना घूम ही लिया जाए। घूमते घूमते वो मॉल पहुंच गया। सोचा डिनर ही कर लेता हुं। ये सोच वो फूड कोर्ट पहंचा। और एक टेबल
"क्या बात है शरफू। कोई पारेशानी है किया? " मुकेश रॉय ने शरफू से पुछा जो कुछ परेशान सा था। "जी सर, असल मे आज घर से फोन आया है। वहा कुछ ज़रूरी काम है। " शरफू ने जवाब ...Read More"ओह, तुमने बताया ही नही हमको। खैर कोई बात नही। तुम घर जाओ। और हम राजू से कह देते है वो तुमको गाडी से छोड़ आयेगा। घर मे ज़रूरी काम है तो ट्रेन से जाने में वक्त लग सकता है। तुम जाओ और तैयारी करो। " मुकेश रॉय ने कहा।"जी सर मैं आपके लिए खाने के लिए कुछ बना देता
अंतिम सेमेस्टर परीक्षा खतम हो गए थे। ये पुरा महिना सिर्फ भाग दौड़ और तनाव मैं बीता था। पर इस पूरे महिने न्यूटन काफ़ी परेशान रहा। सभी यही सोचते रहे की न्यूटन परीक्षा की वजह से परेशान है। पर ...Read Moreपरीक्षा के बाद भी न्यूटन बुझा - बुझा सा रहने लगा तो रोहित ने उसे पुछा, "यार, क्या बात है। कई दिनों से देख रहा हूं। तू परेशान सा रहता है। क्या बात हो गई है। पहले लगा की परीक्षा का तनाव है पर अब परीक्षा भी खत्म हो गई है। एक हफ्ते से ऊपर हो चुका है।"न्यूटन बोला "नहीं
"बड़े कंजूस इंसान हैं आप साहिल साहब, अकेले - अकेले यहां इतने सुहाने माहोल में चाय की चुस्कियां ले रहे हैं।" न्यूटन के पिचर से आवाज आई तो वो पलटा, सामने अलविना कड़ी मुस्कान रही थी। "ओह, अलविना आप ...Read Moreऔर कंजूसी कैसी आप भी आई और मेरे साथ चाय का लुत्फ उठाइए।" न्यूटन ने मुस्कुरा के कहा। “वाह आप तो बड़े दिलदार इंसान निकले। वैसे आप यहां क्या कर रहे हैं।" अलविना चाय का कप पकड़ते हुए वही साहिल के साथ बैठ गई। "मैं तो यहाँ दरगाह आया था, और आप?" न्यूटन ने जवाब दिया। "मैं भी दरगाह ही
जिंदगी तेजी से बदल रही थी। अजय, न्यूटन और रोहित हॉस्टल से अब फ्लैट मैं आ गए थे। सभी ऑफिस मैं अब फुल टाइम वर्क कर रहे थे। ज्यादातर शाम को सभी दोस्तों की पंचायत फ्लैट मैं ही लगती ...Read Moreरिया काफ़ी जल्दी ही ऑफिस के काम काज को समझने लगी थी। हर शाम को भी सभी वही बैठते थे। क्रिकेट मैच के साथ चाय का दौर चल रहा था की तभी दूर बेल बजी। न्यूटन दरवाजा पे गया, खोला और फिर जल्दी से बंद करके भाग कर वापसी हॉल मैं आ गया।"क्या हुआ, कौन है।" राज ने पूछा। "भाई,
"आओ - आओ अजय, बैठो, असल मैं एक बहुत ही जरूरी काम आ गया था। इसी लिए तुमको इस वक्त बुला लिया। प्रोजेक्ट के सिलसिला मैं कुछ जरूरी राय लेनी थी। मोहित और सिमरन भी आते होंगे। तुम चाय ...Read Moreया कॉफी।" "कुछ भी चलेगा सर।" अजय ने जवाब दिया। कुछ देर में मोहित और सिमरन भी आ गए। फिर काफ़ी देर बात चीट होती रही प्रोजेक्ट के बारे में। जब सब कुछ चर्चा हो गया तो मुकेश रॉय बोले, "अब खाना यहीं खा लो तुम सब।" थैंक्स सर, लेकिन आपको तो पता है कल मैं नहीं आ रहा हूं,
मिस्टर मोहित के वापस आने तक , अजय और सिमरन ने मिल कर काफी अकाउंट चेक कर लिय थे। उस शाम अजय, सिमरन और मोहित, मुकेश रॉय के केबिन में थे। उन्होंने मीटिंग का आगाज़ करते हूवे पूछा "से ...Read Moreदोनों ने जिन प्रोजेस्ट्स के एकाउंट्स की जांच किए है, उससे क्या बाते सामने आ रही हैं?""सर मैंने और सिमरन ने जो प्रोजेक्ट्स चेक किए हैं, उनमे से बहुत से प्रोजेक्ट ऐसे हैं जिनमे बड़े लेवल पे गड़बड़ पाई गई है। हमने उन परचेस को हमारे समय के मार्केट प्राइज से भी कंपेयर किया है। हर प्रोजेक्ट मैं कुछ चालीस
आने वाले दिन काफ़ी उलटफेर और तूफ़ान लाए थे। मुकेश रॉय ने सिकंदर खान को अपने बिजनेस से और जिंदगी से बेदखल कर दिया। सिकंदर खान के ऊपर धोखाधड़ी के आरोप लगे और उसे गिरफ्तार कर लिया गया। "तुम ...Read Moreबड़ी गल्ती कर गए मूकेश! जो मुझसे उलझ गए। पर ये कानून ज्यादा देर मुझे अपने क़ैद नहीं रख पाएगा। कानून से कैसे खेलना है मैं अच्छी तरह जनता हूं। बस तुम एक बात समझ लो, मैं तुमको इतना रुलाऊंगा की तुम जिसका अंदाजा भी नहीं लगा सकता।" जाते हुए सिकंदर खान के ये आखिरी लफ्ज थे, जिसपे मुकेश रॉय