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अधुरी दास्तान



एक चंचल मन शांत स्वभाव साफ दिल वाली लड़की थी..नेहा। नेहा बहुत ही खुशमिजाज किस्म की लड़की थी.. उसकी एक बेस्ट फ्रेंड थी रीमा जो उसकी रियल लाइफ फ्रेंड थी वो उसके साथ सब कुछ शेयर करती थी.. और नेहा का सोशीअल मीडिया से मिला हुआ एक अच्छा दोस्त भी उसका नाम था आकाश .. दोनो बहुत थी अच्छे दोस्त थे.. ऐकदुसरे से दोनो की बहुत मिलती जुलती थी बितते वक्त के साथ दोनो एकदुसरे करीब आते गए और एक दिन वो आया जब दोनो को एकदुसरे से प्यार हो गया..नेहा बहोत अच्छे घराने की बेटी थी ,और आकाश भी बहोत सुलझा हूआ लडका था दोनो एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे ये जानते हुए भी कि दोनो की कास्ट अलग है शादी होगी या नहीं पता नहीं उसके बावजूद भी दोनो ने ऐकदुसरे का हाथ थामे रखा और जब तक हो सके तब तक साथ देने का तैय किया..
दोनो एक दूसरे की जान थै उन दोनो के लिए प्यार का मतलब ओरो से कुछ अलग ही था..प्यार में मरना नहीं पर जिना सिखाते थै दोनो, बाकीओ से गहेरा नहीं पर उसे बहुत परे था उनका रिश्ता..दो दिल एक धडकन जैसा रिश्ता था .. बहोत बार उन दोनो एक ही बात एक साथ याद आती थी। बिना बोले ही दिल का हाल समज जाना, शर्म नहीं पर मर्यादा रखना, इज्जत नहीं पर इज्जत का रिश्ता था
दोनो बहोत ख़ुश थै उनके रिश्ते से देखते ही देखते एक साल हो गया और नेहा के घरवाले नेहा के लिए लडका ढुंढने लगते हैं, नेहा बहोत परेशन थी इस बातो को लेकर और पीछले कुछ दिनों से वो आकाश से ज्यादा बात बी नहीं हो रही थी इस लिए वो बहोत ही ज्यादा दुखी हो गई थी फिर उसने अपनी बेस्ट फ्रेंड रीमा को कोल किया और उनसे मिलने के लिए कहा रीमा ने बी कहा ओके ठिक है उसने कहा आधे घंटे में पास वाले गार्डन में मिलेंगे। आधे घंटे बाद रीमा और नेहा गार्डन में मिलते है। तब भी नेहा सीधी जाकार रीमा को गले लगा कर रोने लगती है फिर रीमा कहती है नेहा क्या हुआ तुम इसे रो क्यों रही हो और मुझे ऐसी हडबडि यहा मिलने के लिए बुलाया सब ठीक है ना क्या हुआ यार.. अच्छा ठीक है पहले चलो कही बैठते है फिर आराम से बात करेंगे ओके.. फिर रीमा नेहा को लेजा कर एक बैंच पर बिठाती हे और पानी पिलाती हे और कहती हे चुप हो जाओ यार कबसे रो रही हो तुम प्लीज मुझे बताओ क्या हुआ.. फिर नेहा रोतै हूऐ कहती ही रिम वो मेरे घरवालो ने मेरे लिए रिश्ता देखा लिया है और अब 80% जितना पक्का लग रहा है, रिम में.. मैं केसे रहूगी आकाश के बैगर उससे बात कीऐ बगैर मेरी हिम्मत हि नहीं हुई घर पर बात करने की मेरी और आकाश की। माना कि में प्यार में कुछ पाना नहीं चाहती बस हमेश ऊसै खुश देखना चाहती हूं पर फिर भी मुझे बहोत तकलीफ हो रही है यार.. मन में बहुत से सवाल उठ रहै है उतने जितने कि मुझे खुद सोच बी नहीं सकतीं