Tadap Ishq ki - 28 books and stories free download online pdf in Hindi

तड़प इश्क की - 28

अब आगे.................

एकांक्षी की कोमा में जाने की बात सुनकर राघव का पारा हाई हो जाता है , , गुस्से में आकर उसने डाक्टर के गले से पकड़ते हुए कहा......" तुम डाक्टर किसी काम के नहीं हो , अपनी बिना सिर पैर की लाॅजिक लगा रहे हो...."

वो डाक्टर अपना गला छुड़ाने की कोशिश करता हुआ कहता है...." देखिए सर हम अपनी तरफ से कोशिश कर रहे हैं..."

राघव की आंखें गुस्से की वजह से लाल हो चुकी थी , , उसके गुस्से को शांत करने की हिम्मत किसी की नहीं हो रही थीं , राघव अपने बैक से पिस्टल निकाल कर उसपर तानते हुए कहता है....." मेरी बहन कोमा में गई है तो अब तू भी जाने के लिए तैयार हो जा...."

पिस्टल ताने से सब घबरा जाते हैं , , अपने साथी डाक्टर को बचाने के लिए और दूसरे डाक्टर उसे छोड़ने के लिए रिक्वेस्ट करते हैं लेकिन राघव के सिर पर तो जैसे खून सवार था , उसके कांस्टेबल भी उसे रोकते हुए कहते हैं....." सर , आप ये क्यूं कर रहे हैं , छोड़ दीजिए उसे , .."

राघव को जैसे उनकी बातों से कोई फर्क नहीं पड़ रहा था , इसलिए सावित्री जी उसके हाथ से पिस्टल छिनते हुए कहती हैं....." पागल हो गया है क्या... सबकी जान ले लेगा , , मिकू को कहीं दूसरे हाॅस्पिटल में ले चल लेकिन अपने इस पुलिस वाले रुप को दूर रख ...."

राघव सावित्री जी की बात सुनकर वहीं बेंच पर बैठ जाता है और वो डाक्टर जल्दी से वहां से चले जाते हैं..... सावित्री जी उसे समझाते हुए कहती हैं....." ये सब मेरी ग़लती थी , मैं मिकू को ले जाने की जिद्द न करती तो वो ठीक होती...."

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दूसरी तरफ शिवि की सूचना लेकर पैहरी अधिराज के कमरे में जाकर उन्हें माद्रिका के आने की बात बताता है जिसे सुनकर रत्नावली और शशांक हैरानी से एक दूसरे को देखते हुए कहते हैं...." ये माद्रिका यहां क्यूं आई है....?..."

रत्नावली उसे समझाते हुए कहती हैं....." शशांक बीती बातों को छोड़कर उसे यहां आने दो , शायद हम उससे सहायता ले सके...."

शशांक रत्नावली की बात पर सहमति जताते हुए कहता है..." जाओ पैहरी उसे अंदर आने के लिए कह दो...."

पैहरी बाहर जाकर शिवि से कहता है....." राजमाता ने उन्हें अंदर आने के लिए कहा है...."

शिवि वहां से चली जाती और ये सूचना माद्रिका को देती है , माद्रिका अधिराज के कमरे में पहुंचती है.... जिसे देखकर शशांक अपने गुस्से को कंट्रोल करता हुआ कहता है....." तुम यहां क्यूं आई हो...?.."

माद्रीका शांति भरे शब्दों में कहती हैं...." शशांक , हम यहां अधिराज के घायल होने की सुनकर यहां आई है...."

रत्नावली खुशी जाहिर करती हुई कहती हैं...." तो क्या आपने अधिराज को स्वस्थ करने के लिए कुछ सोचा है..."

" जी राजमाता , हम अपने साथ औषधि लाए हैं , ये लेप इनके घावों पर लगा दे ,..."

शशांक उसे शकी नजरों से देखते हुए कहता है....." तुमने अपने गुप्तचरों को हमारी सूचना देने के लिए लगवा रखा है..."

माद्रिका मुस्कुराते हुए कहती हैं...." शशांक अगर हम गुप्तचर न भेजते तो अधिराज की अवस्था के बारे में कैसे जान पाते , और तुम हमें ढूंढ भी नहीं पाते....."

शशांक मुंह फेरते हुए कहता है...." हमें तुम्हें ढूंढ़ने में कोई दिलचस्पी नहीं है , , तुम्हारे कारण ही ये सब हुआ था , अन्यथा आज पक्षीराज पहले जैसे शक्तिशाली राजा होते , तुम्हारे कारण इन्होंने अपनी शक्ति मणि कोई है...."

" अब तुम हमपर व्यर्थ आरोप लगा रहे हो...तुम ये बात अच्छे से जानते हो , ये सब एक गलतफहमी की वजह से हुआ है...."

रत्नावली दोनों की बहस को शांत कराते हुए कहती हैं....." तुम दोनों अपना आरोप प्रत्यारोप बाद में लगाना पहले अधिराज को स्वस्थ करने की सोचो...."

माद्रिका रत्नावली की बात सुनकर अधिराज के पास जाकर उसके हाथों को देखते हैरानी से कहती हैं....." ये घाव किसी शस्त्र के नही लग रहे हैं .... इन्हें क्या हुआ था..?.."

शशांक खड़े शब्दों में कहता है...." उसे जानना तुम्हारे लिए आवश्यक नहीं है , तुम सिर्फ इतना बताओ उपचार कर सकती हो या नहीं...."

माद्रिका अधिराज को देखकर शशांक से कहती हैं...." ये औषधि केवल उभरे हुए घावों को ठीक कर सकती हैं किंतु इनके घाव तो उभरे हुए नहीं हैं केवल लाल हो रखे हैं...."

रत्नावली परेशान सी कहती हैं...." तो फिर तुम ही बताओ माद्रिका ये कैसे स्वस्थ होंगे...?..."

माद्रिका कुछ सोचते हुए कहती हैं...." जीवंतमणि , केवल जीवंतमणि के स्पर्श से ही ये स्वस्थ हो सकते हैं , .... क्योंकि इनपर किसी विषैली शक्ति ने आघात पहुंचाया है ...."

माद्रिका की बात सुनकर शशांक काफी हैरानी से अपने आप से कहता है...." ये कैसे संभव हो सकता है , अधिराज पर विषैली शक्ति ने आघात पहुंचाया है किन्तु ये तो भावी रानी से मिलने गए थे , , तो इसका मतलब वो भी किसी खतरे में है , मुझे अभी जाकर देखना होगा....." माद्रिका भी कुछ सोचते हुए कहती हैं....." राजमाता , हम संध्या तक उपचार लेकर पहुंच जाएंगे जबतक आप इनका ध्यान रखना..."

माद्रिका भी वहां से चली जाती हैं......

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उधर राघव परेशान सा सोचता है...." मिकू को क्या टेंशन थी , जो उसने मुझे भी नहीं बताई...." राघव कुछ सोचते हुए किरन को काॅल कनेक्ट करता है...तीन चार रिंग के बाद किरन काॅल उठाकर कहती हैं....." क्यूं काॅल किया है...?..."

राघव अकड़ते हुए कहता है...." मुझे कोई शौक नहीं तुझे काॅल करनें का , बस ये बता मिकू आजकल किस बात से टेंस्ड है , ...?..."

" क्यूं क्या हुआ...?.."

" तुमसे जितना पूछा है उतना बताओ...."

" तुम एकांक्षी से बात करवाओ..."

" वो बात नहीं कर सकती इस टाइम वो हाॅस्पिटल में बेहोश है..."

किरन एकांक्षी की बेहोशी की बात सुनकर हैरानी से पूछती है..." क्या हुआ उसे...?..."

राघव चिढ़ते हुए कहता है...." तुझसे कुछ पूछा है मैंने , मिकू किस बात से टेंस्ड थी....?..."

" बताती हूं मिस्टर रूड .. एकांक्षी उस विक्रम मल्होत्रा की वजह से परेशान हैं , वो ही एकांक्षी को परेशान करता रहता है..."

राघव काॅल कट करते हुए कहता है...." विक्रम मल्होत्रा , तेरी हिम्मत कैसे हुई मेरी बहन को परेशान करने की..."

राघव गुस्से में कहीं जाता उससे पहले
पहले ही डाक्टर उसके पास आकर कहते हैं...." मिस्टर राघव हमें इम्मीडेटली ये इंजेक्शन चाहिए...."

राघव उनके हाथ से स्लिप लेकर फोटो क्लिक करके किसी को सेंड करते हुए कहता है...." तुरंत इस इंजेक्शन को सी वी आर हाॅस्पिटल पहुंचाओ...." इतना कहकर राघव कार कट करके वहां से गुस्से में चला जाता है.......

उसके जाने के बाद तान्या वहां पहुंचती है तो सावित्री जी और रजनिश जी को बेंच पर मायुस देखकर उनके पास जाकर पूछती है..." आंटी जी , एकांक्षी को क्या हुआ...?...कल रात तो वो बिल्कुल ठीक थी ..."

सावित्री जी तान्या को देखकर कहती हैं...." पता नहीं बेटा , अचानक वो बेहोश हुई है उसके बाद उसे होश ही नहीं आया..."

तान्या उन्हें समझाती हुई कहती हैं....." आप चिंता मत कीजिए , वो ठीक हो जाएगी...." इतना कहकर तान्या डाक्टर के पास जाकर कहती हैं....." एक्सक्यूज मी डाक्टर क्या मैं पेशेंट से मिल सकती हूं...."

डाक्टर उसे मना कर देते हैं लेकिन काफी रिक्वेस्ट करने के बाद वो अंदर चली जाती हैं.....

एकांक्षी पूरी बाॅडी वर्केबल नहीं थी लेकिन आक्सिजन मास्क में ही उसके होंठों हिल रहे थे , जैसे वो कुछ बोल रही थी ,... तान्या उसके पास जाकर उसके मास्क को हटाकर सुनने की कोशिश करती है....

जिसे एकांक्षी बड़बड़ा रही थी.... उसे सुनकर तान्या हैरानी से कहती हैं....." वहीं हुआ जिसका मुझे डर था...."

..............to be continued.........

आखिर एकांक्षी क्या बड़बडा़ रही थी जिसे सुनकर तान्या को डर महसूस हुआ....?

जानने के लिए जुड़े रहिए........